< लूका 8 >
1 इसके बाद शीघ्र ही प्रभु येशु परमेश्वर के राज्य की घोषणा तथा प्रचार करते हुए नगर-नगर और गांव-गांव फिरने लगे. बारहों शिष्य उनके साथ साथ थे.
ⲁ̅ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲙⲛ̅ⲛ̅ⲥⲱⲥ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲛⲉϥⲙⲟⲟϣⲉ ⲕⲁⲧⲁⲡⲟⲗⲉⲓⲥ ⲁⲩⲱ ⲕⲁⲧⲁϯⲙⲉ ⲉϥⲕⲏⲣⲩⲥⲥⲉ ⲉϥⲉⲩⲁⲅⲅⲉⲗⲓⲍⲉ ⲛ̅ⲧⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲉⲡⲙⲛ̅ⲧⲥ̅ⲛⲟⲟⲩⲥ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ
2 इनके अतिरिक्त कुछ वे स्त्रियां भी उनके साथ यात्रा कर रही थी, जिन्हें रोगों और दुष्टात्माओं से छुटकारा दिलाया गया था: मगदालावासी मरियम, जिसमें से सात दुष्टात्मा निकाले गए थे,
ⲃ̅ⲛⲙ̅ϩⲉⲛⲕⲉϩⲓⲟⲙⲉ ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲛⲧⲁϥⲧⲁⲗϭⲟⲟⲩ ϩⲛ̅ⲛⲉⲩⲡⲛ̅ⲁ ⲙⲡⲟⲛⲏⲣⲟⲛ ⲛⲙ̅ⲛⲉⲩϣⲱⲛⲉ. ⲙⲁⲣⲓⲁ ⲧⲉϣⲁⲩⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉⲣⲟⲥ ϫⲉ ⲙⲁⲅⲇⲁⲗⲏⲛⲏ ⲧⲁⲓ̈ ⲉⲛⲧⲁⲥⲁϣϥ̅ ⲛ̅ⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϩⲏⲧⲥ̅
3 हेरोदेस के भंडारी कूज़ा की पत्नी योहान्ना, सूज़न्ना तथा अन्य स्त्रियां. ये वे स्त्रियां थी, जो अपनी संपत्ति से इनकी सहायता कर रही थी.
ⲅ̅ⲛⲙ̅ⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲁ ⲑⲓⲙⲉ ⲛ̅ⲭⲟⲩⲍⲁ ⲡⲉⲡⲓⲧⲣⲟⲡⲟⲥ ⲛϩⲏⲣⲱⲇⲏⲥ ⲛⲙ̅ⲥⲟⲩⲥⲁⲛⲛⲁ ⲁⲩⲱ ϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲉⲛⲁϣⲱⲟⲩ ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲛⲉⲩⲇⲓⲁⲕⲟⲛⲉⲓ ⲛⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛⲛⲉⲩϩⲩⲡⲁⲣⲭⲟⲛⲧⲁ.
4 जब नगर-नगर से बड़ी भीड़ इकट्ठा हो रही थी और लोग प्रभु येशु के पास आ रहे थे, प्रभु येशु ने उन्हें इस दृष्टांत के द्वारा शिक्षा दी.
ⲇ̅ⲉⲣⲉⲟⲩⲙⲏⲏϣⲉ ⲇⲉ ⲥⲱⲟⲩϩ ⲉⲛⲁϣⲱϥ. ⲛⲙ̅ⲛⲉⲧⲛⲏⲟⲩ ϣⲁⲣⲟϥ ⲕⲁⲧⲁⲡⲟⲗⲉⲓⲥ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϩⲓⲧⲛⲟⲩⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ
5 “एक किसान बीज बोने के लिए निकला. बीज बोने में कुछ बीज तो मार्ग के किनारे गिरे, पैरों के नीचे कुचले गए तथा आकाश के पक्षियों ने उन्हें चुग लिया.
ⲉ̅ϫⲉ ⲁϥⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϭⲓⲡⲉⲧϫⲟ ⲉⲧϫⲉⲡⲉϥϭⲣⲟϭ. ⲁⲩⲱ ϩⲙ̅ⲡⲧⲣⲉϥϫⲟ. ⲁϩⲟⲓ̈ⲛⲉ ϩⲉ ϩⲁⲧⲛⲧⲉϩⲓⲏ ⲁⲩϩⲟⲙⲟⲩ ⲁⲛϩⲁⲗⲁⲧⲉ ⲛ̅ⲧⲡⲉ ⲟⲩⲟⲙⲟⲩ.
6 कुछ पथरीली भूमि पर जा पड़े, वे अंकुरित तो हुए परंतु नमी न होने के कारण मुरझा गए.
ⲋ̅ⲁϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲇⲉ ϩⲉ ⲉϫⲛⲙ̅ⲡⲉⲧⲣⲁ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲣⲱⲧʾ ⲁⲩϣⲟⲟⲩⲉ ϫⲉ ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲁϭⲃⲉⲥ ϩⲁⲣⲟⲟⲩ.
7 कुछ बीज कंटीली झाड़ियों में जा पड़े और झाड़ियों ने उनके साथ बड़े होते हुए उन्हें दबा दिया.
ⲍ̅ϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲇⲉ ⲁⲩϩⲉ ⲉⲧⲙⲏⲧⲉ ⲛⲛ̅ϣⲟⲛⲧⲉ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉⲛ̅ϣⲟⲛⲧⲉ ⲣⲱⲧʾ ⲁⲩⲟϭⲧⲟⲩ.
8 कुछ बीज अच्छी भूमि पर गिरे, बड़े हुए और फल लाए—जितना बोया गया था उससे सौ गुणा.” जब प्रभु येशु यह दृष्टांत सुना चुके तो उन्होंने ऊंचे शब्द में कहा, “जिसके सुनने के कान हों वह सुन ले.”
ⲏ̅ϩⲉⲛⲕⲟⲟⲩⲉ ⲇⲉ ⲁⲩϩⲉ ⲉϫⲙ̅ⲡⲕⲁϩ ⲉⲧⲛⲁⲛⲟⲩϥ ⲁⲩⲱ ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩⲣⲱⲧ ⲁⲩⲧⲁⲩⲉⲕⲁⲣⲡⲟⲥ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϣⲉ ⲛ̅ⲕⲱⲃ. ⲛⲁⲉⲓ ⲇⲉ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲛⲉϥⲙⲟⲩⲧⲉ ⲡⲉ ϫⲉ ⲡⲉⲧⲉⲩⲛ̅ⲧϥ̅ⲙⲁⲁϫⲉ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲉⲥⲱⲧⲙ̅ ⲙⲁⲣⲉϥⲥⲱⲧⲙ̅.
9 उनके शिष्यों ने उनसे प्रश्न किया, “इस दृष्टांत का अर्थ क्या है?”
ⲑ̅ⲁⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ⲇⲉ ϫⲛⲟⲩϥ ϫⲉ ⲟⲩ ⲧⲉ ⲧⲉⲓ̈ⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ.
10 प्रभु येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “तुम्हें तो परमेश्वर के राज्य का भेद जानने की क्षमता प्रदान की गई है किंतु अन्यों के लिए मुझे दृष्टान्तों का प्रयोग करना पड़ता हैं जिससे कि, “‘वे देखते हुए भी न देखें; और सुनते हुए भी न समझें.’
ⲓ̅ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲁⲩⲧⲁⲁⲥ ⲛⲏⲧⲛ̅ ⲉⲉ͡ⲓⲙⲉ ⲉⲡⲙⲩⲥⲧⲏⲣⲓⲟⲛ ⲛ̅ⲧⲙⲛ̅ⲧⲉⲣⲟ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ⲉⲓ̈ϣⲁϫⲉ ⲇⲉ ⲛⲙ̅ⲡⲕⲉⲥⲉⲉⲡⲉ ϩⲛ̅ϩⲉⲛⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ ϫⲉⲕⲁⲥ ⲉⲩⲉⲛⲁⲩ ⲛ̅ⲛⲉⲩⲓ̈ⲱⲣϩ̅ ⲁⲩⲱ ⲉⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲛ̅ⲛⲉⲩⲓ̈ⲙⲉ.
11 “इस दृष्टांत का अर्थ यह है: बीज परमेश्वर का वचन है.
ⲓ̅ⲁ̅ⲧⲁⲓ̈ ⲇⲉ ⲧⲉ ⲧⲡⲁⲣⲁⲃⲟⲗⲏ. ⲡⲉϭⲣⲟϭ ⲡⲉ ⲡϣⲁϫⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ.
12 मार्ग के किनारे की भूमि वे लोग हैं, जो वचन सुनते तो हैं किंतु शैतान आता है और उनके मन से वचन उठा ले जाता है कि वे विश्वास करके उद्धार प्राप्त न कर सकें
ⲓ̅ⲃ̅ⲛⲉⲧϩⲁⲧⲛ̅ⲧⲉϩⲓⲏ ⲇⲉ ⲛⲉ ⲛⲉⲛⲧⲁⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲙⲛ̅ⲛ̅ⲥⲱⲥ ⲉϣⲁⲣⲉⲡ̅ⲡⲟⲛⲏⲣⲟⲥ ⲉ͡ⲓ ⲛϥ̅ϥⲓ ⲙ̅ⲡϣⲁϫⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲉⲩϩⲏⲧʾ ϫⲉ ⲛ̅ⲛⲉⲩⲡⲓⲥⲧⲉⲩⲉ ⲛ̅ⲥⲉⲟⲩϫⲁⲓ̈.
13 पथरीली भूमि वे लोग हैं, जो परमेश्वर के वचन को सुनने पर खुशी से स्वीकारते हैं किंतु उनमें जड़ न होने के कारण वे विश्वास में थोड़े समय के लिए ही स्थिर रह पाते हैं. कठिन परिस्थितियों में घिरने पर वे विश्वास से दूर हो जाते हैं.
ⲓ̅ⲅ̅ⲛⲉⲧϩⲓϫⲛ̅ⲧⲡⲉⲧⲣⲁ ⲇⲉ (ⲛⲉ) ⲛⲁⲉⲓ ⲉϣⲁⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲛⲥⲉϣⲉⲡⲡϣⲁϫⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ϩⲛ̅ⲟⲩⲣⲁϣⲉ. ⲛⲁⲉⲓ ⲇⲉ ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲧⲟⲩⲛⲟⲩⲛⲉ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲉϣⲁⲩⲡⲓⲥⲧⲉⲩⲉ ⲡⲣⲟⲥⲟⲩⲟⲉⲓϣ. ϩⲛ̅ⲟⲩⲟⲉⲓϣ ⲇⲉ ⲙ̅ⲡⲓⲣⲁⲥⲙⲟⲥ ϣⲁⲩⲕⲟⲧⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ.
14 वह भूमि जहां बीज कंटीली झाड़ियों के मध्य गिरा, वे लोग हैं, जो सुनते तो हैं किंतु जब वे जीवनपथ पर आगे बढ़ते हैं, जीवन की चिंताएं, धन तथा विलासिता उनका दमन कर देती हैं और वे मजबूत हो ही नहीं पाते.
ⲓ̅ⲇ̅ⲛⲉⲛⲧⲁⲩϩⲉ ⲇⲉ ⲉϫⲛ̅ⲛ̅ϣⲟⲛⲧⲉ ⲛⲉ ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲧⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲡϣⲁϫⲉ ⲉⲧⲙⲟⲟϣⲉ ϩⲛ̅ⲛⲣⲟⲟⲩϣ ⲛⲙ̅ⲧⲙⲛ̅ⲧⲣⲙ̅ⲙⲁⲟ ⲛⲙ̅ⲛ̅ϩⲏⲇⲟⲛⲏ ⲛ̅ⲧⲉⲡⲃⲓⲟⲥ ⲉⲩⲱϭⲧ̅ʾ ⲙ̅ⲙⲟⲟⲩ ⲁⲩⲱ ⲉⲛⲥⲉϫⲱⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲁⲛ.
15 इसके विपरीत उत्तम भूमि वे लोग हैं, जो भले और निष्कपट हृदय से वचन सुनते हैं और उसे दृढतापूर्वक थामे रहते हैं तथा निरंतर फल लाते हैं.
ⲓ̅ⲉ̅ⲛⲉⲧʾϩⲓϫⲙ̅ⲡⲕⲁϩ ⲇⲉ ⲉⲧⲛⲁⲛⲟⲩϥ ⲛⲉ ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲛⲧⲁⲩⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲡϣⲁϫⲉ ϩⲛ̅ⲟⲩϩⲏⲧ ⲉⲛⲁⲛⲟⲩϥ ⲛ̅ⲁⲅⲁⲑⲟⲥ ⲁⲩⲁⲙⲁϩⲧⲉ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲁⲩϯⲕⲁⲣⲡⲟⲥ ϩⲛ̅ⲟⲩϩⲩⲡⲟⲙⲟⲛⲏ.
16 “कोई भी दीपक को जलाकर न तो उसे बर्तन से ढांकता है और न ही उसे पलंग के नीचे रखता है परंतु उसे दीवट पर रखता है कि कमरे में प्रवेश करने पर लोग देख सकें.
ⲓ̅ⲋ̅ⲙⲉⲣⲉⲗⲁⲁⲩ ϫⲉⲣⲉⲟⲩϩⲏⲃⲥ̅ ⲛϥ̅ϩⲟⲃⲥϥ̅ ⲛ̅ⲟⲩϩⲛⲁⲁⲩ ⲏ ⲛϥ̅ⲕⲁⲁϥ ϩⲁⲟⲩϭⲗⲟϭ. ⲁⲗⲗⲁ ⲉϣⲁϥⲕⲁⲁϥ ⲉϫⲛ̅ⲧⲗⲩⲭⲛⲓⲁ. ϫⲉ ⲉⲣⲉⲛⲉⲧⲃⲏⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲛⲁⲩ ⲉⲡⲟⲩⲟⲉⲓⲛ.
17 ऐसा कुछ भी छिपा हुआ नहीं है जिसे प्रकट न किया जाएगा तथा ऐसा कोई रहस्य नहीं जिसे उजागर कर सामने न लाया जाएगा.
ⲓ̅ⲍ̅ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲗⲁⲁⲩ ⲅⲁⲣ ⲉϥϩⲏⲡ ⲉⲛϥ̅ⲛⲁⲟⲩⲱⲛϩ̅ ⲉⲃⲟⲗ ⲁⲛ. ⲁⲩⲱ ⲙ̅ⲙⲛ̅ⲗⲁⲁⲩ ⲉϥϩⲟⲃⲥ̅ ⲉⲛⲥⲉⲛⲁⲉ͡ⲓⲙⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲁⲛ ⲛϥⲉ͡ⲓ ⲉⲡⲟⲩⲟⲓ̈ⲛ.
18 इसलिये इसका विशेष ध्यान रखो कि तुम कैसे सुनते हो. जिस किसी के पास है, उसे और भी दिया जाएगा तथा जिस किसी के पास नहीं है, उसके पास से वह भी ले लिया जाएगा, जो उसके विचार से उसका है.”
ⲓ̅ⲏ̅ϯϩⲧⲏⲧⲛ̅ ϭⲉ ϫⲉ ⲉⲧⲉⲧⲛ̅ⲥⲱⲧⲙ̅ ⲛ̅ⲁϣ ⲛ̅ϩⲉ. ⲡⲉⲧⲉⲟⲩⲛⲧⲁϥ ⲅⲁⲣ ⲥⲉⲛⲁϯ ⲛⲁϥ ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧⲉⲙⲛ̅ⲧⲁϥ. ⲡⲉⲧϥ̅ϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲟⲩⲛⲧⲁⲓ̈ⲥϥ̅ ⲥⲉⲛⲁϥⲓⲧϥ̅ ⲛ̅ⲧⲟⲟⲧϥ̅·
19 तब प्रभु येशु की माता और उनके भाई उनसे भेंट करने वहां आए किंतु लोगों की भीड़ के कारण वे उनके पास पहुंचने में असमर्थ रहे.
ⲓ̅ⲑ̅ⲁⲧⲉϥⲙⲁⲁⲩ ⲇⲉ ⲉ͡ⲓ ϣⲁⲣⲟϥ ⲛⲙ̅ⲛⲉϥⲥⲛⲏⲩ ⲙ̅ⲡⲟⲩⲉϣϭⲙ̅ϭⲟⲙ ⲉⲧⲱⲙⲛⲧ̅ ⲉⲣⲟϥ ⲉⲧⲃⲉⲡⲙⲏⲏϣⲉ.
20 किसी ने प्रभु येशु को सूचना दी, “आपकी माता तथा भाई बाहर खड़े हैं—वे आपसे भेंट करना चाह रहे हैं.”
ⲕ̅ⲁⲩϫⲓⲡⲟⲩⲱ ⲇⲉ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲧⲉⲕⲙⲁⲁⲩ ⲛⲙ̅ⲛⲉⲕⲥⲛⲏⲟⲩ ⲁϩⲉⲣⲁⲧⲟⲩ ϩⲓⲡⲥⲁ ⲃ̅ⲃⲟⲗ ⲉⲩⲟⲩⲉϣ ⲛⲁⲩ ⲉⲣⲟⲕ.
21 प्रभु येशु ने कहा, “मेरी माता और भाई वे हैं, जो परमेश्वर का वचन सुनते तथा उसका पालन करते हैं.”
ⲕ̅ⲁ̅ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲁϥⲟⲩⲱϣⲃ̅ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ. ⲧⲁⲙⲁⲁⲩ ⲛⲙⲛⲁⲥⲛⲏⲩ ⲛⲉ ⲛⲁⲓ̈ ⲉⲧⲥⲱⲧⲙ̅ ⲉⲡϣⲁϫⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ. ⲉϯⲣⲉ ⲙ̅ⲙⲟϥ·
22 एक दिन प्रभु येशु ने शिष्यों से कहा, “आओ, हम झील की दूसरी ओर चलें.” इसलिये वे सब नाव में बैठकर चल दिए.
ⲕ̅ⲃ̅ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲛ̅ⲟⲩϩⲟⲟⲩ ⲉⲁϥⲧⲁⲗⲉ ⲉⲩϫⲟⲓ̈ ⲛⲙ̅ⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ. ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲙⲁⲣⲟⲛ ⲉⲡⲉⲕⲣⲟ ⲛ̅ⲧⲗⲓⲙⲛⲏ. ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲣ̅ϩⲱⲧʾ
23 जब वे नाव खे रहे थे प्रभु येशु सो गए. उसी समय झील पर प्रचंड बवंडर उठा, यहां तक कि नाव में जल भरने लगा और उनका जीवन खतरे में पड़ गया.
ⲕ̅ⲅ̅ⲉⲩⲣϩⲱⲧʾ ⲇⲉ ⲁϥⲱⲃϣ̅. ⲁⲩⲧⲣⲱⲙ ⲛ̅ⲧⲏⲩ ⲉ͡ⲓ ⲉⲡⲉⲥⲏⲧʾ ⲉⲧⲗⲓⲙⲛⲏ ⲁⲩϣⲧⲟⲣⲧⲣ̅ ⲇⲉ ⲁⲩⲱ ⲁⲩϭⲓⲛⲇⲩⲛⲉⲩⲉ.
24 शिष्यों ने जाकर प्रभु येशु को जगाते हुए कहा, “स्वामी! स्वामी! हम नाश हुए जा रहे हैं!” प्रभु येशु उठे. और बवंडर और तेज लहरों को डांटा; बवंडर थम गया तथा तेज लहरें शांत हो गईं.
ⲕ̅ⲇ̅ⲁⲩϯⲡⲉⲩⲟⲩⲟⲓ̈ ⲇⲉ ⲉⲣⲟϥ ⲁⲩⲧⲟⲩⲛⲟⲥϥ̅ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲡⲥⲁϩ ⲡⲥⲁϩ ⲧⲛ̅ⲛⲁⲧⲁⲕⲟ. ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲁϥⲧⲱⲟⲩⲛ ⲁϥⲉⲡⲓⲧⲓⲙⲁ ⲙ̅ⲡⲧⲏⲟⲩ ⲛⲙ̅ⲫⲟⲉⲓⲙ ⲙ̅ⲡⲙⲟⲟⲩ ⲁϥⲗⲟ ⲁⲩϫⲁⲙⲏ ϣⲱⲡⲉ.
25 “कहां है तुम्हारा विश्वास?” प्रभु येशु ने अपने शिष्यों से प्रश्न किया. भय और अचंभे में वे एक दूसरे से पूछने लगे, “कौन हैं यह, जो बवंडर और लहरों तक को आदेश देते हैं और वे भी उनके आदेशों का पालन करती हैं!”
ⲕ̅ⲉ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲉⲥⲧⲱⲛ ⲧⲉⲧⲛ̅ⲡⲓⲥⲧⲓⲥ. ⲉⲩⲣ̅ϩⲟⲧⲉ ⲇⲉ ⲁⲩⲱ ⲉⲩⲣ̅ϣⲡⲏⲣⲉ ⲉⲩϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ⲛ̅ⲛⲉⲩⲉⲣⲏⲩ ϫⲉ ⲛⲓⲙ ϭⲉ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲡⲉ ⲡⲁⲓ̈ ϫⲉ ϥⲟⲩⲉϩⲥⲁϩⲛⲉ ⲛⲛ̅ⲧⲏⲩ ⲛⲙ̅ⲡⲙⲟⲟⲩ ⲥⲉⲥⲱⲧⲙ̅ ⲛ̅ⲥⲱϥ.
26 इसके बाद वे गिरासेन प्रदेश में आए, जो गलील झील के दूसरी ओर है.
ⲕ̅ⲋ̅ⲁⲩⲥϭⲏⲣ ⲇⲉ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉⲧⲉⲭⲱⲣⲁ ⲛⲛ̅ⲅⲉⲣⲁⲍⲏⲛⲟⲥ ⲉⲧⲉⲧⲁⲓ̈ ⲧⲉ (ⲉ)ⲧⲙ̅ⲡⲉⲙⲧⲟ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ⲧⲅⲁⲗⲓⲗⲁⲓⲁ.
27 जब प्रभु येशु तट पर उतरे, उनकी भेंट एक ऐसे व्यक्ति से हो गई, जिसमें अनेक दुष्टात्मा समाये हुए थे. दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति उनके पास आ गया. यह व्यक्ति लंबे समय से कपड़े न पहनता था. वह मकान में नहीं परंतु कब्रों की गुफाओं में रहता था.
ⲕ̅ⲍ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲉ͡ⲓ ⲇⲉ ⲉⲡⲉⲕⲣⲟ ⲁⲩⲣⲱⲙⲉ ⲧⲱⲙⲛⲧ̅ ⲉⲣⲟϥ ⲉϥⲛⲏⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲡⲟⲗⲉⲓⲥ ⲉⲩⲛϩⲉⲛⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ϩⲓⲱⲱϥ. ⲉⲁϥⲣⲟⲩⲛⲟϭ ⲛⲟⲩⲟⲉⲓϣ ⲉⲙⲡϥ̅ϯϩⲟⲓ̈ⲧⲉ ϩⲓⲱⲱϥ ⲁⲩⲱ ⲉⲙⲡϥ̅ⲟⲩⲱϩ ϩⲛ̅ⲏⲉⲓ ⲁⲗⲗⲁ ⲉϥϩⲛⲛⲉⲙϩⲁⲟⲩ.
28 प्रभु येशु पर दृष्टि पड़ते ही वह चिल्लाता हुआ उनके चरणों में जा गिरा और अत्यंत ऊंचे शब्द में चिल्लाया, “येशु! परम प्रधान परमेश्वर के पुत्र! मेरा और आपका एक दूसरे से क्या लेना देना? आपसे मेरी विनती है कि आप मुझे कष्ट न दें,”
ⲕ̅ⲏ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲛⲁⲩ ⲇⲉ ⲉⲓ̅ⲥ̅ ⲁϥϫⲓϣⲕⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲁϥⲡⲁϩⲧϥ̅ ϩⲁⲣⲁⲧϥ̅. ⲡⲉϫⲁϥ ϩⲛⲟⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ⲥⲙⲏ ϫⲉ. ⲉⲕⲟⲩⲉϣⲟⲩ ⲛⲙ̅ⲙⲁⲛ ⲓ̅ⲥ̅ ⲡϣⲏⲣⲉ ⲙ̅ⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲉⲧϫⲟⲥⲉ. ϯⲥⲟⲡⲥ̅ ⲙ̅ⲙⲟⲕ ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲃⲁⲥⲁⲛⲓⲍⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲓ̈.
29 क्योंकि प्रभु येशु दुष्टात्मा को उस व्यक्ति में से निकल जाने की आज्ञा दे चुके थे. समय समय पर दुष्टात्मा उस व्यक्ति पर प्रबल हो जाया करता था तथा लोग उसे सांकलों और बेड़ियों में बांधकर पहरे में रखते थे, फिर भी वह दुष्टात्मा बेड़ियां तोड़ उसे सुनसान स्थान में ले जाता था.
ⲕ̅ⲑ̅ⲁϥⲡⲁⲣⲁⲅⲅⲉⲓⲗⲉ ⲅⲁⲣ ⲛ̅ⲛⲉⲡⲛ̅ⲁ ⲛ̅ⲁⲕⲁⲑⲁⲣⲧⲟⲛ ⲉⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ. ⲛⲉⲁϥⲣ̅ϩⲉⲛⲛⲟϭ ⲅⲁⲣ ⲛ̅ⲟⲩⲟⲉⲓϣ ⲉϣⲁϥⲧⲟⲣⲡϥ̅ ⲛⲉϣⲁⲩⲙⲟⲣϥ̅ ⲇⲉ ⲡⲉ ϩⲛ̅ϩⲉⲛϩⲁⲗⲩⲥⲓⲥ ⲛⲙ̅ϩⲉⲛⲓⲛⲉ ⲛ̅ϩⲟⲙⲛ̅ⲧ ⲉⲩϩⲁⲣⲉϩ ⲉⲣⲟϥ. ⲁⲩⲱ ϣⲁϥⲡⲱϩ ⲛⲙ̅ⲙⲣ̅ⲣⲉ ⲛ̅ⲥⲉϫⲓⲧϥ̅ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲛ̅ⲡⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲉϩⲉⲛⲙⲁ ⲛ̅ϫⲁⲓ̈ⲉ.
30 प्रभु येशु ने उससे प्रश्न किया, “क्या नाम है तुम्हारा?” “विशाल सेना,” उसने उत्तर दिया क्योंकि अनेक दुष्टात्मा उसमें समाए हुए थे.
ⲗ̅ⲁⲓ̅ⲥ̅ ⲇⲉ ϫⲛⲟⲩϥ ϫⲉ ⲛⲓⲙ ⲡⲉ ⲡⲉⲕⲣⲁⲛ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ϫⲉ ⲗⲉⲅⲉⲱⲛ ϫⲉ ⲁϩⲁϩ ⲛ̅ⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲣⲟϥ
31 दुष्टात्मा-गण प्रभु येशु से निरंतर विनती कर रहे थे कि वह उन्हें पाताल में न भेजें. (Abyssos )
ⲗ̅ⲁ̅ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲥⲉⲡⲥⲱⲡϥ̅ ϫⲉ ⲛ̅ⲛⲉϥⲟⲩⲉϩⲥⲁϩⲛⲉ ⲛⲁⲩ ⲉⲃⲱⲕ ⲉⲡⲛⲟⲩⲛ (Abyssos )
32 वहीं पहाड़ी के ढाल पर सूअरों का एक विशाल समूह चर रहा था. दुष्टात्माओं ने प्रभु येशु से विनती की कि वह उन्हें सूअरों में जाने की अनुमति दे दें. प्रभु येशु ने उन्हें अनुमति दे दी.
ⲗ̅ⲃ̅ⲛⲉⲟⲩⲛⲟⲩⲁⲅⲉⲗⲏ ⲇⲉ ⲣ̅ⲣⲓⲣ ⲙ̅ⲙⲁⲩ ⲡⲉ ⲉⲛⲁϣⲱⲥ ⲉⲩⲙⲟⲟⲛⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϩⲓⲡⲧⲟⲟⲩ ⲁⲩⲥⲉⲡⲥⲱⲡϥ̅ ⲇⲉ ϫⲉ ⲉϥⲉⲟⲩⲉϩⲥⲁϩⲛⲉ ⲛⲁⲩ ⲉⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲛⲉⲧⲙ̅ⲙⲁⲩ. ⲁⲩⲱ ⲁϥⲕⲁⲁⲩ.
33 जब दुष्टात्मा उस व्यक्ति में से बाहर आए, उन्होंने तुरंत जाकर सूअरों में प्रवेश किया और सूअर ढाल से झपटकर दौड़ते हुए झील में जा डूबे.
ⲗ̅ⲅ̅ⲁⲛⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲇⲉ ⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲙ̅ⲡⲣⲱⲙⲉ ⲁⲩⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲛⲣⲓⲣ. ⲁⲥϯⲡⲉⲥⲟⲩⲟⲓ̈ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲧⲁⲅⲉⲗⲏ ⲉϫⲛ̅ⲧϣⲱⲙⲉ ⲉⲡⲉⲥⲏⲧʾ ⲉⲧⲗⲓⲙⲛⲏ ⲁⲩⲙⲟⲩ.
34 इन सूअरों के चरवाहे यह देख दौड़कर गए और नगर तथा उस प्रदेश में सब जगह इस घटना के विषय में बताने लगे.
ⲗ̅ⲇ̅ⲁⲛⲉⲧⲙⲟⲟⲛⲉ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ⲉⲡⲉⲛⲧⲁϥϣⲱⲡⲉ ⲁⲩⲡⲱⲧʾ ⲁⲩϫⲓⲡⲟⲩⲱ ⲉⲧⲡⲟⲗⲉⲓⲥ ⲁⲩⲱ ⲉⲛⲥⲱϣⲉ.
35 लोग वहां यह देखने आने लगे कि क्या हुआ है. तब वे प्रभु येशु के पास आए. वहां उन्होंने देखा कि वह व्यक्ति, जो पहले दुष्टात्मा से पीड़ित था, वस्त्र धारण किए हुए, पूरी तरह स्वस्थ और सचेत प्रभु येशु के चरणों में बैठा हुआ है. यह देख वे हैरान रह गए.
ⲗ̅ⲉ̅ⲁⲩⲉ͡ⲓ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲛⲁⲩ ⲉⲡⲉⲛⲧⲁϥϣⲱⲡⲉ. ⲁⲩⲉ͡ⲓ ϣⲁⲓ̅ⲥ̅ ⲁⲩϩⲉ ⲉⲡⲣⲱⲙⲉ ⲉϥϩⲙⲟⲟⲥ ⲡⲁⲓ̈ ⲉⲛⲧⲁⲛ̅ⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ (ⲉⲓ) ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅ ⲉⲣⲉⲛⲉϥϩⲟⲓ̈ⲧⲉ ϩⲓⲱⲱϥ ⲉⲣⲉⲡⲉϥϩⲏⲧʾ ⲥⲙⲟⲛⲧ̅ʾ ⲉϥϩⲙⲟⲟⲥ ϩⲁⲧⲛ̅ⲟⲩⲉⲣⲏⲧⲉ ⲛ̅ⲓ̅ⲥ̅ ⲁⲩⲱ ⲁⲩⲣ̅ϩⲟⲧⲉ
36 जिन्होंने यह सब देखा, उन्होंने जाकर अन्यों को सूचित किया कि यह दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति किस प्रकार दुष्टात्मा से मुक्त हुआ है.
ⲗ̅ⲋ̅ⲁⲛⲉⲛⲧⲁⲩⲛⲁⲩ ⲇⲉ ⲧⲁⲙⲟⲟⲩ ⲉⲑⲉ ⲉⲛⲧⲁⲡⲉⲧⲟ ⲛⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲟⲩϫⲁⲓ̈ ⲙ̅ⲙⲟⲥ.
37 तब गिरासेन प्रदेश तथा पास के क्षेत्रों के सभी निवासियों ने प्रभु येशु को वहां से दूर चले जाने को कहा क्योंकि वे अत्यंत भयभीत हो गए थे. इसलिये प्रभु येशु नाव द्वारा वहां से चले गए.
ⲗ̅ⲍ̅ⲁⲩⲥⲉⲡⲥⲱⲡϥ̅ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲡⲙⲏⲏϣⲉ ⲧⲏⲣϥ̅ ⲛ̅ⲧⲡⲉⲣⲓⲭⲱⲣⲟⲥ ⲛⲛ̅ⲅⲉⲣⲁⲍⲏⲛⲟⲥ ⲉⲃⲱⲕ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲟⲟⲧⲟⲩ ϫⲉ ⲁⲩⲛⲟϭ ⲛ̅ϩⲟⲧⲉ ⲧⲁϩⲟⲟⲩ. ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲁϥⲁⲗⲉ ⲉⲩϫⲟⲓ̈ ⲁϥⲕⲧⲟϥ.
38 वह व्यक्ति जिसमें से दुष्टात्मा निकाला गया था उसने प्रभु येशु से विनती की कि वह उसे अपने साथ ले लें किंतु प्रभु येशु ने उसे यह कहते हुए विदा किया,
ⲗ̅ⲏ̅ⲛⲉⲣⲉⲡⲣⲱⲙⲉ ⲇⲉ ⲉⲛⲧⲁⲛ̅ⲇⲁⲓⲙⲟⲛⲓⲟⲛ ⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϩⲏⲧϥ̅ ⲧⲱⲃϩ̅ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲉⲧⲣⲉϥⲙⲟⲟϣⲉ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ. ⲁϥⲕⲁⲁϥ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ
39 “अपने परिजनों में लौट जाओ तथा इन बड़े-बड़े कामों का वर्णन करो, जो परमेश्वर ने तुम्हारे लिए किए हैं.” इसलिये वह लौटकर सभी नगर में यह वर्णन करने लगा कि प्रभु येशु ने उसके लिए कैसे बड़े-बड़े काम किए हैं.
ⲗ̅ⲑ̅ϫⲉ. ⲕⲟⲧⲕ ⲉϩⲣⲁⲓ̈ ⲉⲡⲉⲕⲏⲉⲓ ⲛⲅ̅ϫⲱ ⲛ̅ⲛⲉⲛⲧⲁⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲁⲁⲩ ⲛⲁⲕ. ⲁⲩⲱ ⲁϥⲃⲱⲕ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ̅ⲧⲡⲟⲗⲉⲓⲥ ⲧⲏⲣⲥ̅ ⲉϥⲧⲁϣⲉⲟⲓ̈ϣ ⲛ̅ⲛⲉⲛⲧⲁⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲁⲁⲩ ⲛⲁϥ·
40 जब प्रभु येशु झील की दूसरी ओर पहुंचे, वहां इंतजार करती भीड़ ने उनका स्वागत किया.
ⲙ̅ϩⲙ̅ⲡⲧⲣⲉⲓ̅ⲥ̅ ⲇⲉ ⲕⲟⲧϥ̅ ⲁⲡⲙⲏⲏϣⲉ ϣⲟⲡϥ̅ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲛⲉⲩϭⲱϣⲧ̅ʾ ⲅⲁⲣ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲡⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲏⲧϥ̅.
41 जाइरूस नामक एक व्यक्ति, जो यहूदी सभागृह का प्रधान था, उनसे भेंट करने आया. उसने प्रभु येशु के चरणों पर गिरकर उनसे विनती की कि वह उसके साथ उसके घर जाएं
ⲙ̅ⲁ̅ⲉⲓⲥϩⲏⲏⲧⲉ ⲇⲉ ⲁⲩⲣⲱⲙⲉ ⲉ͡ⲓ ⲉⲡⲉϥⲣⲁⲛ ⲡⲉ ⲉⲓⲁⲉⲓⲣⲟⲥ ⲉⲡⲁⲣⲭⲱⲛ ⲡⲉ ⲛ̅ⲧⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲏ. ⲁϥⲡⲁϩⲧϥ̅ ϩⲁⲛⲟⲩⲉⲣⲏⲧⲉ ⲛ̅ⲓ̅ⲥ̅ ⲁϥⲥⲉⲡⲥⲱⲡϥ̅ ⲉⲧⲣⲉϥⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲡⲉϥⲏⲓ̈
42 क्योंकि उसकी एकमात्र बेटी, जो लगभग बारह वर्ष की थी, मरने पर थी. जब प्रभु येशु वहां जा रहे थे, मार्ग में वह भीड़ में दबे जा रहे थे.
ⲙ̅ⲃ̅ϫⲉ ⲉⲛⲉⲟⲩⲛ̅ⲧϥ̅ⲟⲩϣⲉⲉⲣⲉ ⲟⲩⲱⲧʾ ⲉⲥⲛⲁⲣⲙⲛⲧ̅ⲥ̅ⲛⲟⲟⲩⲥ ⲣ̅ⲣⲟⲙⲡⲉ. ⲧⲁⲓ̈ ⲇⲉ ⲛⲉⲥⲛⲉⲥⲛⲁⲙⲟⲩ. ⲉϥⲃⲏⲕ ⲇⲉ ⲁⲡⲙⲏⲏϣⲉ ϩⲉϫϩⲱϫϥ̅.
43 वहां बारह वर्ष से लहूस्राव-पीड़ित एक स्त्री थी. उसने अपनी सारी जीविका वैद्यों पर खर्च कर दी थी, पर वह किसी भी इलाज से स्वस्थ न हो पाई थी.
ⲙ̅ⲅ̅ⲉⲓⲥⲟⲩⲥϩⲓⲙⲉ ⲇⲉ ⲉⲣⲉⲡⲉⲥⲛⲟϥ ϩⲁⲣⲟⲥ ⲙ̅ⲙⲛⲧ̅ⲥⲛⲟⲟⲩⲥⲉ ⲣ̅ⲣⲟⲙⲡⲉ ⲧⲁⲓ̈ ⲉⲙⲡⲉⲗⲁⲁⲩ ⲉϣϭⲙ̅ϭⲟⲙ ⲉⲧⲁⲗϭⲟⲥ.
44 इस स्त्री ने पीछे से आकर येशु के वस्त्र के छोर को छुआ, और उसी क्षण उसका लहू बहना बंद हो गया.
ⲙ̅ⲇ̅ⲁⲥϯⲡⲉⲥⲟⲩⲟⲓ̈ ⲉⲡⲁϩⲟⲩ ⲙ̅ⲙⲟϥ ⲁⲥϫⲱϩ ⲉⲛⲧⲱⲧⲉ ⲛ̅ⲧⲉϥϣⲧⲏⲛ ⲁⲩⲱ ϩⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ⲁⲡⲉⲥⲛⲟϥ ϭⲱ ⲉϥϣⲟⲩⲟ̅.
45 “किसने मुझे छुआ है?” प्रभु येशु ने पूछा. जब सभी इससे इनकार कर रहे थे, पेतरॉस ने उनसे कहा, “स्वामी! यह बढ़ती हुई भीड़ आप पर गिरी जा रही है.”
ⲙ̅ⲉ̅ⲡⲉϫⲉⲓ̅ⲥ̅ ϫⲉ ⲛⲓⲙ ⲡⲉ ⲛ̅ⲧⲁϥϫⲱϩ ⲉⲣⲟⲓ̈. ⲛ̅ⲧⲉⲣⲟⲩϫⲟⲟⲥ ⲇⲉ ⲧⲏⲣⲟⲩ ϫⲉ ⲛ̅ⲁⲛⲟⲛ ⲁⲛ ⲛⲉ. ⲡⲉϫⲉⲡⲉⲧⲣⲟⲥ ⲛⲁϥ ϫⲉ. ⲡⲥⲁϩ. ⲙ̅ⲙⲏⲏϣⲉ ⲛⲉⲧʾϩⲟϫϩⲉϫ ⲙ̅ⲙⲟⲕ ⲉⲧʾⲑⲗⲓⲃⲉ ⲙ̅ⲙⲟⲕ.
46 किंतु प्रभु येशु ने उनसे कहा, “किसी ने तो मुझे छुआ है क्योंकि मुझे यह पता चला है कि मुझमें से सामर्थ्य निकली है.”
ⲙ̅ⲋ̅ⲓ̅ⲥ̅ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ϫⲉ ⲁⲩϫⲱϩ ⲉⲣⲟⲓ̈ ⲁⲛⲟⲕ ⲅⲁⲣ ⲁⲓ̈ⲉ͡ⲓⲙⲉ ⲉⲩϭⲟⲙ ⲉⲁⲥⲉ͡ⲓ ⲉⲃⲟⲗ ⲛ̅ϩⲏⲧʾ.
47 जब उस स्त्री ने यह समझ लिया कि उसका छुपा रहना असंभव है, भय से कांपती हुई सामने आई और प्रभु येशु के चरणों में गिर पड़ी. उसने सभी उपस्थित भीड़ के सामने यह स्वीकार किया कि उसने प्रभु येशु को क्यों छुआ था तथा कैसे वह तत्काल रोग से चंगी हो गई.
ⲙ̅ⲍ̅ⲁⲥⲛⲁⲩ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲧⲉⲥϩⲓⲙⲉ ϫⲉ ⲙ̅ⲡⲉⲡϩⲱⲃ ϩⲱⲡ ⲁⲥⲉ͡ⲓ ⲉⲥⲥⲧⲱⲧʾ ⲁⲥⲡⲁϩⲧⲥ̅ ⲛⲁϥ ⲁⲥⲧⲁⲙⲟϥ ϫⲉ ⲛ̅ⲧⲁⲥϫⲱϩ ⲉⲣⲟϥ ⲉⲧⲃⲉⲟⲩ ⲛ̅ϩⲱⲃ ⲙ̅ⲡⲉⲙⲧⲟ ⲉⲃⲟⲗ ⲙⲡⲙⲏⲏϣⲉ ⲧⲏⲣϥ̅. ⲁⲩⲱ ⲉⲑⲉ ⲉⲛⲧⲁⲥⲗⲟ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ
48 इस पर प्रभु येशु ने उससे कहा, “बेटी! तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें स्वस्थ किया है. परमेश्वर की शांति में लौट जाओ.”
ⲙ̅ⲏ̅ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲥ ϫⲉ ⲧⲁϣⲉⲉⲣⲉ ⲧⲟⲩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲧⲉⲛⲧⲁⲥⲛⲁϩⲙⲉ ⲃⲱⲕ ϩⲛ̅ⲟⲩⲓ̈ⲣⲏⲛⲏ.
49 जब प्रभु येशु यह कह ही रहे थे, यहूदी सभागृह प्रधान जाइरूस के घर से किसी व्यक्ति ने आकर सूचना दी, “आपकी पुत्री की मृत्यु हो चुकी है, अब गुरुवर को कष्ट न दीजिए.”
ⲙ̅ⲑ̅ⲉⲧⲓ ⲇⲉ ⲉϥϣⲁϫⲉ ⲁϥⲉ͡ⲓ ⲛ̅ϭⲓⲟⲩⲁ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲛ̅ⲛⲁⲡⲁⲣⲭⲓⲥⲩⲛⲁⲅⲱⲅⲟⲥ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲁⲧⲉⲕϣⲉⲉⲣⲉ ⲙⲟⲩ ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲥⲕⲩⲗⲗⲉⲓ ϭⲉ ⲙⲡⲥⲁϩ.
50 यह सुन प्रभु येशु ने जाइरूस को संबोधित कर कहा, “डरो मत! केवल विश्वास करो और वह स्वस्थ हो जाएगी.”
ⲛ̅ⲓ̅ⲥ̅ ⲇⲉ ⲁϥⲥⲱⲧⲙ̅ ⲡⲉϫⲁϥ ϫⲉ ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲣ̅ϩⲟⲧⲉ. ⲙⲟⲛⲟⲛ ⲡⲓⲥⲧⲉⲩⲉ ⲁⲩⲱ ⲥⲛⲁⲱⲛϩ̅.
51 जब वे जाइरूस के घर पर पहुंचे, प्रभु येशु ने पेतरॉस, योहन और याकोब तथा कन्या के माता-पिता के अतिरिक्त अन्य किसी को अपने साथ भीतर आने की अनुमति नहीं दी.
ⲛ̅ⲁ̅ⲛ̅ⲧⲉⲣⲉϥⲉ͡ⲓ ⲇⲉ ⲉⲡⲏⲓ̈ ⲙⲡ̅ϥⲕⲁⲗⲁⲁⲩ ⲉⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲛⲙ̅ⲙⲁϥ ⲛ̅ⲥⲁⲡⲉⲧⲣⲟⲥ ⲛⲙ̅ⲓ̈ⲱϩⲁⲛⲛⲏⲥ ⲛⲙ̅ⲓ̈ⲁⲕⲱⲃⲟⲥ ⲛⲙⲡⲓⲱⲧʾ ⲛ̅ⲧϣⲉⲉⲣⲉ ϣⲏⲙ ⲛⲙ̅ⲧⲉⲥⲙⲁⲁⲩ.
52 उस समय सभी उस बालिका के लिए रो-रोकर शोक प्रकट कर रहे थे. “बंद करो यह रोना-चिल्लाना!” प्रभु येशु ने आज्ञा दी, “उसकी मृत्यु नहीं हुई है—वह सिर्फ सो रही है.”
ⲛ̅ⲃ̅ⲛⲉⲩⲣⲓⲙⲉ ⲇⲉ ⲧⲏⲣⲟⲩ ⲁⲩⲱ ⲛⲉⲩⲛⲉϩⲡⲉ ⲡⲉ ⲉⲣⲟⲥ. ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ϫⲉ ⲙ̅ⲡⲣ̅ⲣⲓⲙⲉ. ⲙ̅ⲡⲥ̅ⲙⲟⲩ ⲅⲁⲣ ⲁⲗⲗⲁ ⲉⲥⲛ̅ⲕⲟⲧⲕ̅.
53 इस पर वे प्रभु येशु पर हंसने लगे क्योंकि वे जानते थे कि बालिका की मृत्यु हो चुकी है.
ⲛ̅ⲅ̅ⲁⲩⲥⲱⲃⲉ ⲇⲉ ⲛ̅ⲥⲱϥ ⲉⲩⲥⲟⲟⲩⲛ ϫⲉ ⲁⲥⲙⲟⲩ.
54 प्रभु येशु ने बालिका का हाथ पकड़कर कहा, “बेटी, उठो!”
ⲛ̅ⲇ̅ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲁϥⲛⲉϫⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ ⲉⲃⲟⲗ ⲁϥⲁⲙⲁϩⲧⲉ ⲛ̅ⲧⲉⲥϭⲓϫ ⲁϥⲙⲟⲩⲧⲉ ⲉϥϫⲱ ⲙ̅ⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲧϣⲉⲉⲣⲉ ϣⲏⲙ ⲧⲱⲟⲩⲛⲉ.
55 उसके प्राण उसमें लौट आए और वह तुरंत खड़ी हो गई. प्रभु येशु ने उनसे कहा कि बालिका को खाने के लिए कुछ दिया जाए.
ⲛ̅ⲉ̅ⲁⲡⲉⲥⲡⲛ̅ⲁ ⲇⲉ ⲕⲟⲧϥ̅ ⲉⲣⲟⲥ ⲁⲥⲧⲱⲟⲩⲛ ⲛ̅ⲧⲉⲩⲛⲟⲩ. ⲁϥⲟⲩⲉϩⲥⲁϩⲛⲉ ⲉⲧⲣⲉⲩϯ ⲛⲁⲥ ⲉⲩⲱⲙ.
56 उसके माता-पिता चकित रह गए किंतु प्रभु येशु ने उन्हें निर्देश दिया कि जो कुछ हुआ है, उसकी चर्चा किसी से न करें.
ⲛ̅ⲋ̅ⲁⲩⲣ̅ϣⲡⲏⲣⲉ ⲇⲉ ⲛ̅ϭⲓⲛⲉⲥⲓ̈ⲟⲧⲉ ⲛ̅ⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲁϥⲡⲁⲣⲁⲅⲅⲉⲓⲗⲉ ⲛⲁⲩ ⲉⲧⲙ̅ϫⲉⲡⲉⲛⲧⲁϥϣⲱⲡⲉ ⲗ̅ⲗⲁⲁⲩ·