< लूका 4 >
1 पवित्र आत्मा से भरकर प्रभु येशु यरदन नदी से लौटे और आत्मा उन्हें बंजर भूमि में ले गया,
And Jesus being full of the Holy Spirit, returned from Jordan, and was led by the Spirit into the wilderness,
2 जहां चालीस दिन तक शैतान उन्हें परीक्षा में डालने का प्रयास करता रहा. इस अवधि में वह पूरी तरह बिना भोजन के रहे, इसके बाद उन्हें भूख लगी.
Being forty days tempted by the devil. And in those days he ate nothing; and when they were ended, he was afterward hungry.
3 शैतान ने उनसे कहा, “यदि तुम परमेश्वर के पुत्र हो तो इस पत्थर को आज्ञा दो कि यह रोटी बन जाए.”
And the devil said to him, If thou art the Son of God, command this stone that it be made bread.
4 प्रभु येशु ने उसे उत्तर दिया, “लिखा है: ‘मनुष्य का जीवन सिर्फ भोजन पर ही निर्भर नहीं रहता है.’”
And Jesus answered him, saying, It is written, That man shall not live by bread alone, but by every word of God.
5 इसके बाद शैतान ने उन्हें ऊंचे पहाड़ पर ले जाकर क्षण मात्र में सारे विश्व के सभी राज्यों की झलक दिखाई
And the devil taking him up upon a high mountain, showed to him all the kingdoms of the world in a moment of time.
6 और उनसे कहा, “इन सबका सारा अधिकार और वैभव मैं तुम्हें दूंगा क्योंकि ये सब मुझे सौंपे गए हैं इसलिये ये सब मैं अपनी इच्छा से किसी को भी दे सकता हूं.
And the devil said to him, All this power will I give thee, and the glory of them: for that is delivered to me, and to whomsoever I will, I give it.
7 यदि तुम मात्र मेरी आराधना करो तो ये सब तुम्हारा हो जाएगा.”
If thou therefore wilt worship me, all shall be thine.
8 प्रभु येशु ने इसके उत्तर में कहा, “लिखा है: तुम सिर्फ प्रभु अपने परमेश्वर की ही आराधना और सेवा किया करो.”
And Jesus answered and said to him, Get thee behind me, Satan: for it is written, Thou shalt worship the Lord thy God, and him only shalt thou serve.
9 इसके बाद शैतान ने उन्हें येरूशलेम ले जाकर मंदिर की चोटी पर खड़ा कर दिया और उनसे कहा, “यदि तुम परमेश्वर के पुत्र हो तो यहां से कूद जाओ,
And he brought him to Jerusalem, and set him on a pinnacle of the temple, and said to him, If thou art the son of God, cast thyself down from hence.
10 क्योंकि लिखा है: “‘वह अपने स्वर्गदूतों को तुम्हारी सुरक्षा के संबंध में आज्ञा देंगे तथा;
For it is written, He will give his angels charge over thee, to keep thee:
11 वे तुम्हें हाथों-हाथ उठा लेंगे; कि तुम्हारे पांव को पत्थर से चोट न लगे.’”
And in [their] hands they will bear thee up, lest at any time thou dash thy foot against a stone.
12 इसके उत्तर में प्रभु येशु ने उससे कहा, “यह भी तो लिखा है: तुम प्रभु अपने परमेश्वर को न परखना.”
And Jesus answering, said to him, It is said, Thou shalt not tempt the Lord thy God.
13 जब शैतान प्रभु येशु को परीक्षा में डालने के सभी प्रयास कर चुका, वह उन्हें किसी सटीक अवसर तक के लिए छोड़कर चला गया.
And when the devil had ended all the temptation, he departed from him for a season.
14 प्रभु येशु आत्मा के सामर्थ्य में गलील प्रदेश लौट गए. नज़दीकी सभी नगरों में उनके विषय में समाचार फैल गया.
And Jesus returned in the power of the spirit into Galilee: and there went out a fame of him through all the surrounding region.
15 प्रभु येशु यहूदी सभागृहों में शिक्षा देते थे तथा सभी उनकी सराहना करते थे.
And he taught in their synagogues, being glorified by all.
16 प्रभु येशु नाज़रेथ नगर आए, जहां उनका पालन पोषण हुआ था. शब्बाथ पर अपनी रीति के अनुसार वह यहूदी सभागृह में जाकर पवित्र शास्त्र पढ़ने के लिए खड़े हो गए.
And he came to Nazareth, where he had been brought up: and, as his custom was, he went into the synagogue on the sabbath, and stood up to read.
17 उन्हें भविष्यवक्ता यशायाह का अभिलेख दिया गया. उन्होंने उसमें वह जगह निकाली, जहां लिखा है:
And there was delivered to him the book of the prophet Isaiah. And when he had opened the book, he found the place where it was written,
18 “प्रभु का आत्मा मुझ पर है, क्योंकि उन्होंने मेरा अभिषेक किया है, कंगालों को सुसमाचार देने के लिए, और बंदियों के लिए मुक्ति का प्रचार करने के लिए और अंधों को रोशनी, कुचले हुओं को कष्ट से छुड़ाने
The spirit of the Lord [is] upon me, because he hath anointed me to preach the gospel to the poor; he hath sent me to heal the broken-hearted, to preach deliverance to the captives, and recovering of sight to the blind, to set at liberty them that are bruised,
19 तथा प्रभु की कृपादृष्टि का वर्ष के प्रचार के लिए भेजा है.”
To preach the acceptable year of the Lord.
20 तब उन्होंने पुस्तक बंद करके सेवक के हाथों में दे दी और स्वयं बैठ गए. सभागृह में हर एक व्यक्ति उन्हें एकटक देख रहा था.
And he closed the book, and he gave [it] again to the minister, and sat down. And the eyes of all them that were in the synagogue were fastened on him.
21 प्रभु येशु ने आगे कहा, “आज आपके सुनते-सुनते यह लेख पूरा हुआ.”
And he began to say to them, This day is this scripture fulfilled in your ears.
22 सभी प्रभु येशु की सराहना कर रहे थे तथा उनके मुख से निकलने वाले सुंदर विचारों ने सबको चकित कर रखा था. वे आपस में पूछ रहे थे, “यह योसेफ़ का ही पुत्र है न?”
And all bore him testimony, and wondered at the gracious words which proceeded out of his mouth. And they said, Is not this Joseph's son?
23 प्रभु येशु ने उन्हें संबोधित करते हुए कहा, “मैं जानता हूं कि आप मुझसे यह कहना चाहेंगे, ‘अरे चिकित्सक! पहले स्वयं को तो स्वस्थ कर! अपने गृहनगर में भी वह सब कर दिखा, जो हमने तुझे कफ़रनहूम में करते सुना है.’”
And he said to them, Ye will surely say to me this proverb, Physician, heal thyself: whatever we have heard done in Capernaum, do also here in thy country.
24 प्रभु येशु ने आगे कहा, “वास्तव में कोई भी भविष्यवक्ता अपने गृहनगर में सम्मान नहीं पाता.
And he said, Verily I say to you, No prophet is accepted in his own country.
25 सच तो यह है कि एलियाह के समय में जब साढ़े तीन साल आसमान बंद होकर वर्षा न हुई, इस्राएल राष्ट्र में अनेक विधवाएं थी, तथा सभी राष्ट्र में भयंकर अकाल पड़ा;
But I tell you in truth, many widows were in Israel in the days of Elijah, when the heaven was shut three years and six months when great famine was throughout all the land:
26 एलियाह को उनमें से किसी के पास नहीं भेजा गया, अतिरिक्त उसके, जो सीदोन प्रदेश के ज़रफता नगर में थी.
But to none of them was Elijah sent, save to Sarepta, [a city] of Sidon, to a woman [that was] a widow.
27 वैसे ही भविष्यवक्ता एलीशा के समय में इस्राएल राष्ट्र में अनेक कोढ़ रोगी थे किंतु सीरियावासी नामान के अतिरिक्त कोई भी शुद्ध नहीं किया गया.”
And many lepers were in Israel in the time of Elisha the prophet; and none of them was cleansed, saving Naaman the Syrian.
28 यह सुनते ही यहूदी सभागृह में इकट्ठा सभी व्यक्ति अत्यंत क्रोधित हो गए.
And all they in the synagogue, when they heard these things, were filled with wrath,
29 उन्होंने प्रभु येशु को धक्के मारते हुए नगर के बाहर निकाल दिया और उन्हें खींचते हुए उस पर्वत शिखर पर ले गए, जिस पर वह नगर बसा हुआ था कि उन्हें चट्टान पर से नीचे धकेल दें
And rose up, and thrust him out of the city, and led him to the brow of the hill on which their city was built, that they might cast him down headlong.
30 किंतु प्रभु येशु बचते हुए भीड़ के बीच से निकल गए.
But he passing through the midst of them, went away,
31 वहां से वह गलील प्रदेश के कफ़रनहूम नामक नगर में आए और शब्बाथ पर लोगों को शिक्षा देने लगे.
And came down to Capernaum, a city of Galilee, and taught them on the sabbath-days.
32 प्रभु येशु की शिक्षा उनके लिए आश्चर्य का विषय थी क्योंकि उनका संदेश अधिकारपूर्ण होता था.
And they were astonished at his doctrine: for his word was with power.
33 सभागृह में एक दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति था. वह ऊंचे शब्द में बोल उठा,
And in the synagogue there was a man who had a spirit of an unclean demon; and he cried out with a loud voice,
34 “नाज़रेथवासी येशु! क्या चाहते हैं आप? क्या आप हमें नाश करने आए हैं? मैं जानता हूं कि आप कौन हैं; परमेश्वर के पवित्र जन!”
Saying, Let [us] alone; what have we to do with thee, Jesus of Nazareth? art thou come to destroy us? I know thee who thou art, the Holy One of God.
35 “चुप!” प्रभु येशु ने कड़े शब्द में कहा, “उसमें से बाहर निकल आ!” दुष्टात्मा ने उस व्यक्ति को उन सबके सामने भूमि पर पटक दिया और उस व्यक्ति की हानि किए बिना उसमें से निकल गया.
And Jesus rebuked him, saying, Hold thy peace, and come out of him. And when the demon had thrown him in the midst, he came out of him, and hurt him not.
36 यह देख वे सभी चकित रह गए और आपस में कहने लगे, “क्या है यह शब्द! यह बड़े अधिकार तथा सामर्थ्य के साथ दुष्टात्माओं को आज्ञा देता है और वे मनुष्यों में से बाहर आ जाते हैं!”
And they were all amazed, and spoke among themselves, saying, What a word [is] this! for with authority and power he commandeth the unclean spirits, and they come out.
37 उनके विषय में यह वर्णन आस-पास के सभी क्षेत्रों में फैल गया.
And the fame of him went out into every place of the surrounding country.
38 यहूदी सभागृह से निकलकर प्रभु येशु शिमओन के निवास पर गए. वहां शिमओन की सास ज्वर-पीड़ित थी. शिष्यों ने प्रभु येशु से उन्हें स्वस्थ करने की विनती की
And he arose out of the synagogue, and entered into Simon's house. And the mother of Simon's wife was taken with a violent fever; and they besought him for her.
39 प्रभु येशु ने उनके पास जाकर ज्वर को फटकारा और ज्वर उन्हें छोड़ चला गया. वह तुरंत बिछौने से उठकर उनकी सेवा टहल में जुट गईं.
And he stood over her, and rebuked the fever; and it left her: and immediately she arose and ministered to them.
40 सूर्यास्त के समय लोग विभिन्न रोगों से पीड़ितों को उनके पास ले आए. प्रभु येशु ने हर एक पर हाथ रख उन्हें रोग से मुक्ति प्रदान की.
Now when the sun was setting, all they that had any sick with divers diseases, brought them to him: and he laid his hands on every one of them, and healed them.
41 इसके अतिरिक्त अनेकों में से दुष्टात्मा यह चिल्लाते हुए बाहर निकल गए, “आप तो परमेश्वर के पुत्र हैं!” किंतु प्रभु येशु उन्हें डांट कर बोलने से रोक देते थे क्योंकि दुष्टात्मा उनके मसीह होने के सत्य से परिचित थे.
And demons also came out of many, crying out, and saying, Thou art Christ the Son of God. And he rebuking [them], suffered them not to speak: for they knew that he was Christ.
42 पौ फटते ही प्रभु येशु एक सुनसान स्थल पर चले गए. लोग उन्हें खोजते हुए वहां पहुंच गए. वे प्रयास कर रहे थे कि प्रभु येशु उन्हें छोड़कर न जाएं.
And when it was day, he departed, and went into a desert place; and the people sought him, and came to him, and stayed him, that he should not depart from them.
43 प्रभु येशु ने स्पष्ट किया, “यह ज़रूरी है कि मैं अन्य नगरों में भी जाकर परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार दूं क्योंकि मुझे इसी उद्देश्य से भेजा गया है.”
And he said to them, I must preach the kingdom of God to other cities also, for therefore am I sent.
44 इसलिये वह यहूदिया प्रदेश के यहूदी सभागृहों में सुसमाचार का प्रचार करते रहे.
And he preached in the synagogues of Galilee.