< लूका 23 >
1 इस पर सारी सभा उठ खड़ी हुई और वे प्रभु येशु को राज्यपाल पिलातॉस के पास ले गए.
Καὶ ἀναστὰν ἅπαν τὸ πλῆθος αὐτῶν, ἤγαγον αὐτὸν ἐπὶ τὸν Πιλάτον.
2 पिलातॉस के सामने वे यह कहते हुए प्रभु येशु पर दोष लगाने लगे, “हमने यह पाया है कि यह व्यक्ति हमारे राष्ट्र को भरमा रहा है. यह कयसर को कर देने का विरोध करता है तथा यह दावा करता है कि वह स्वयं ही मसीह, राजा है.”
Ἤρξαντο δὲ κατηγορεῖν αὐτοῦ, λέγοντες, Τοῦτον εὕρομεν διαστρέφοντα τὸ ἔθνος, καὶ κωλύοντα Καίσαρι φόρους διδόναι, λέγοντα ἑαυτὸν Χριστὸν βασιλέα εἶναι.
3 इसलिये पिलातॉस ने प्रभु येशु से प्रश्न किया, “क्या तुम यहूदियों के राजा हो?” “सच वही है, जो आपने कहा है.” प्रभु येशु ने उत्तर दिया.
Ὁ δὲ Πιλάτος ἐπηρώτησεν αὐτόν, λέγων, Σὺ εἶ ὁ βασιλεὺς τῶν Ἰουδαίων; Ὁ δὲ ἀποκριθεὶς αὐτῷ ἔφη, Σὺ λέγεις.
4 इस पर पिलातॉस ने प्रधान पुरोहितों और भीड़ को संबोधित करते हुए घोषणा की, “मुझे इस व्यक्ति में ऐसा कोई दोष नहीं मिला कि इस पर मुकद्दमा चलाया जाए.”
Ὁ δὲ Πιλάτος εἶπε πρὸς τοὺς ἀρχιερεῖς καὶ τοὺς ὄχλους, Οὐδὲν εὑρίσκω αἴτιον ἐν τῷ ἀνθρώπῳ τούτῳ.
5 किंतु वे दृढतापूर्वक कहते रहे, “यह सारे यहूदिया प्रदेश में लोगों को अपनी शिक्षाओं द्वारा भड़का रहा है. यह सब इसने गलील प्रदेश में प्रारंभ किया और अब यहां भी आ पहुंचा है.”
Οἱ δὲ ἐπίσχυον, λέγοντες ὅτι Ἀνασείει τὸν λαόν, διδάσκων καθ᾽ ὅλης τῆς Ἰουδαίας, ἀρξάμενος ἀπὸ τῆς Γαλιλαίας ἕως ὧδε.
6 यह सुनते ही पिलातॉस ने प्रश्न किया, “क्या यह व्यक्ति गलीलवासी है?”
Πιλάτος δὲ ἀκούσας Γαλιλαίαν ἐπηρώτησεν εἰ ὁ ἄνθρωπος Γαλιλαῖός ἐστι.
7 यह मालूम होने पर कि प्रभु येशु हेरोदेस के अधिकार क्षेत्र के हैं, उसने उन्हें हेरोदेस के पास भेज दिया, जो इस समय येरूशलेम नगर में ही था.
Καὶ ἐπιγνοὺς ὅτι ἐκ τῆς ἐξουσίας Ἡρῴδου ἐστίν, ἀνέπεμψεν αὐτὸν πρὸς Ἡρῴδην, ὄντα καὶ αὐτὸν ἐν Ἱεροσολύμοις ἐν ταύταις ταῖς ἡμέραις.
8 प्रभु येशु को देखकर हेरोदेस अत्यंत प्रसन्न हुआ क्योंकि बहुत दिनों से उसे प्रभु येशु को देखने की इच्छा थी. उसने प्रभु येशु के विषय में बहुत कुछ सुन रखा था. उसे आशा थी कि वह प्रभु येशु द्वारा किया गया कोई चमत्कार देख सकेगा.
Ὁ δὲ Ἡρῴδης ἰδὼν τὸν Ἰησοῦν ἐχάρη λίαν· ἦν γὰρ θέλων ἐξ ἱκανοῦ ἰδεῖν αὐτόν, διὰ τὸ ἀκούειν πολλὰ περὶ αὐτοῦ· καὶ ἤλπιζέ τι σημεῖον ἰδεῖν ὑπ᾽ αὐτοῦ γινόμενον.
9 उसने प्रभु येशु से अनेक प्रश्न किए किंतु प्रभु येशु ने कोई भी उत्तर न दिया.
Ἐπηρώτα δὲ αὐτὸν ἐν λόγοις ἱκανοῖς· αὐτὸς δὲ οὐδὲν ἀπεκρίνατο αὐτῷ.
10 प्रधान पुरोहित और शास्त्री वहीं खड़े हुए थे और पूरे ज़ोर शोर से प्रभु येशु पर दोष लगा रहे थे.
Εἱστήκεισαν δὲ οἱ ἀρχιερεῖς καὶ οἱ γραμματεῖς, εὐτόνως κατηγοροῦντες αὐτοῦ.
11 हेरोदेस और उसके सैनिकों ने अपमान करके प्रभु येशु का मज़ाक उड़ाया और उन पर भड़कीला वस्त्र डालकर वापस पिलातॉस के पास भेज दिया.
Ἐξουθενήσας δὲ αὐτὸν ὁ Ἡρῴδης σὺν τοῖς στρατεύμασιν αὐτοῦ, καὶ ἐμπαίξας, περιβαλὼν αὐτὸν ἐσθῆτα λαμπράν, ἀνέπεμψεν αὐτὸν τῷ Πιλάτῳ.
12 उसी दिन से हेरोदेस और पिलातॉस में मित्रता हो गई—इसके पहले वे एक दूसरे के शत्रु थे.
Ἐγένοντο δὲ φίλοι ὅ τε Πιλάτος καὶ ὁ Ἡρῴδης ἐν αὐτῇ τῇ ἡμέρᾳ μετ᾽ ἀλλήλων· προϋπῆρχον γὰρ ἐν ἔχθρᾳ ὄντες πρὸς ἑαυτούς.
13 पिलातॉस ने प्रधान पुरोहितों, नायकों और लोगों को पास बुलाया
Πιλάτος δὲ συγκαλεσάμενος τοὺς ἀρχιερεῖς καὶ τοὺς ἄρχοντας καὶ τὸν λαόν,
14 और उनसे कहा, “तुम इस व्यक्ति को यह कहते हुए मेरे पास लाए हो कि यह लोगों को विद्रोह के लिए उकसा रहा है. तुम्हारी ही उपस्थिति में मैंने उससे पूछताछ की और मुझे उसमें तुम्हारे द्वारा लगाए आरोप के लिए कोई भी आधार नहीं मिला—न ही हेरोदेस को उसमें कोई दोष मिला है.
εἶπε πρὸς αὐτούς, Προσηνέγκατέ μοι τὸν ἄνθρωπον τοῦτον, ὡς ἀποστρέφοντα τὸν λαόν· καὶ ἰδού, ἐγὼ ἐνώπιον ὑμῶν ἀνακρίνας οὐδὲν εὗρον ἐν τῷ ἀνθρώπῳ τούτῳ αἴτιον ὧν κατηγορεῖτε κατ᾽ αὐτοῦ·
15 उसने उसे हमारे पास ही भेज दिया है. तुम देख ही रहे हो कि उसने मृत्यु दंड के योग्य कोई अपराध नहीं किया है.
ἀλλ᾽ οὐδὲ Ἡρῴδης· ἀνέπεμψα γὰρ ὑμᾶς πρὸς αὐτόν, καὶ ἰδού, οὐδὲν ἄξιον θανάτου ἐστὶ πεπραγμένον αὐτῷ.
16 इसलिये मैं उसे कोड़े लगवाकर छोड़ देता हूं.” [
Παιδεύσας οὖν αὐτὸν ἀπολύσω.
17 उत्सव के अवसर पर एक बंदी को मुक्त कर देने की प्रथा थी.]
Ἀνάγκην δὲ εἶχεν ἀπολύειν αὐτοῖς κατὰ ἑορτὴν ἕνα.
18 भीड़ एक शब्द में चिल्ला उठी, “उसे मृत्यु दंड दीजिए और हमारे लिए बार-अब्बास को मुक्त कर दीजिए!”
Ἀνέκραξαν δὲ παμπληθεί, λέγοντες, Αἶρε τοῦτον, ἀπόλυσον δὲ ἡμῖν Βαραββᾶν·
19 (बार-अब्बास को नगर में विद्रोह भड़काने और हत्या के आरोप में बंदी बनाया गया था.)
ὅστις ἦν διὰ στάσιν τινὰ γενομένην ἐν τῇ πόλει καὶ φόνον βεβλημένος εἰς φυλακήν.
20 प्रभु येशु को मुक्त करने की इच्छा से पिलातॉस ने उनसे एक बार फिर विनती की,
Πάλιν οὖν ὁ Πιλάτος προσεφώνησε, θέλων ἀπολῦσαι τὸν Ἰησοῦν.
21 किंतु वे चिल्लाते रहे, “क्रूस पर चढ़ाओ! क्रूस पर चढ़ाओ!”
Οἱ δὲ ἐπεφώνουν, λέγοντες, Σταύρωσον, σταύρωσον αὐτόν.
22 पिलातॉस ने तीसरी बार उनसे प्रश्न किया, “क्यों? क्या है उसका अपराध? मुझे तो उसमें मृत्यु दंड देने योग्य कोई दोष नहीं मिला. मैं उसे कोड़े लगवाकर छोड़ देता हूं.”
Ὁ δὲ τρίτον εἶπε πρὸς αὐτούς, Τί γὰρ κακὸν ἐποίησεν οὗτος; Οὐδὲν αἴτιον θανάτου εὗρον ἐν αὐτῷ· παιδεύσας οὖν αὐτὸν ἀπολύσω.
23 किंतु वे हठ करते हुए ऊंचे शब्द में चिल्लाते रहे, “क्रूस पर चढ़ाओ उसे!” तब हारकर उसे उनके आगे झुकना ही पड़ा.
Οἱ δὲ ἐπέκειντο φωναῖς μεγάλαις, αἰτούμενοι αὐτὸν σταυρωθῆναι· καὶ κατίσχυον αἱ φωναὶ αὐτῶν καὶ τῶν ἀρχιερέων.
24 पिलातॉस ने अनुमति दे दी कि उनकी मांग पूरी की जाए
Ὁ δὲ Πιλάτος ἐπέκρινε γενέσθαι τὸ αἴτημα αὐτῶν.
25 और उसने उस व्यक्ति को मुक्त कर दिया, जिसे विद्रोह तथा हत्या के अपराधों में बंदी बनाया गया था, जिसे छोड़ देने की उन्होंने मांग की थी और उसने प्रभु येशु को भीड़ की इच्छा अनुसार उन्हें ही सौंप दिया.
Ἀπέλυσε δὲ τὸν διὰ στάσιν καὶ φόνον βεβλημένον εἰς τὴν φυλακήν, ὃν ᾐτοῦντο· τὸν δὲ Ἰησοῦν παρέδωκε τῷ θελήματι αὐτῶν.
26 जब सैनिक प्रभु येशु को लेकर जा रहे थे, उन्होंने सायरीनवासी शिमओन को पकड़ा, जो अपने गांव से आ रहा था. उन्होंने प्रभु येशु के लिए निर्धारित क्रूस उस पर लाद दिया कि वह उसे लेकर प्रभु येशु के पीछे-पीछे जाए.
Καὶ ὡς ἀπήγαγον αὐτόν, ἐπιλαβόμενοι Σίμωνός τινος Κυρηναίου ἐρχομένου ἀπ᾽ ἀγροῦ, ἐπέθηκαν αὐτῷ τὸν σταυρόν, φέρειν ὄπισθεν τοῦ Ἰησοῦ.
27 बड़ी संख्या में लोग उनके पीछे चल रहे थे. उनमें अनेक स्त्रियां भी थी, जो प्रभु येशु के लिए विलाप कर रही थी.
Ἠκολούθει δὲ αὐτῷ πολὺ πλῆθος τοῦ λαοῦ, καὶ γυναικῶν αἳ καὶ ἐκόπτοντο καὶ ἐθρήνουν αὐτόν.
28 मुड़कर प्रभु येशु ने उनसे कहा, “येरूशलेम की पुत्रियो! मेरे लिए रोना छोड़कर स्वयं अपने लिए तथा अपनी संतान के लिए रोओ.
Στραφεὶς δὲ πρὸς αὐτὰς ὁ Ἰησοῦς εἶπε, Θυγατέρες Ἱερουσαλήμ, μὴ κλαίετε ἐπ᾽ ἐμέ, πλὴν ἐφ᾽ ἑαυτὰς κλαίετε καὶ ἐπὶ τὰ τέκνα ὑμῶν.
29 क्योंकि वे दिन आ रहे हैं जब लोग कहेंगे, ‘धन्य हैं वे स्त्रियां, जो बांझ हैं, वे गर्भ, जिन्होंने संतान पैदा नहीं किए और वे स्तन, जिन्होंने दूध नहीं पिलाया!’
Ὅτι ἰδού, ἔρχονται ἡμέραι ἐν αἷς ἐροῦσι, Μακάριαι αἱ στεῖραι, καὶ κοιλίαι αἳ οὐκ ἐγέννησαν, καὶ μαστοὶ οἳ οὐκ ἐθήλασαν.
30 “‘तब वे पर्वतों से कहेंगे, “हम पर आ गिरो!” और पहाड़ियों से कहेंगे, “हमें ढांप लो!”’
Τότε ἄρξονται λέγειν τοῖς ὄρεσι, Πέσετε ἐφ᾽ ἡμᾶς· καὶ τοῖς βουνοῖς, Καλύψατε ἡμᾶς.
31 क्योंकि जब वे एक हरे पेड़ के साथ इस प्रकार का व्यवहार कर रहे हैं तब क्या होगी सूखे पेड़ की दशा?”
Ὅτι εἰ ἐν τῷ ὑγρῷ ξύλῳ ταῦτα ποιοῦσιν, ἐν τῷ ξηρῷ τί γένηται;
32 राजद्रोह के अपराधी दो व्यक्ति भी प्रभु येशु के साथ मृत्यु दंड के लिए ले जाए जा रहे थे.
Ἤγοντο δὲ καὶ ἕτεροι δύο κακοῦργοι σὺν αὐτῷ ἀναιρεθῆναι.
33 जब वे कपाल नामक स्थल पर पहुंचे उन्होंने प्रभु येशु तथा उन दोनों राजद्रोहियों को भी क्रूसित कर दिया—एक को प्रभु येशु की दायीं ओर दूसरे को उनकी बायीं ओर.
Καὶ ὅτε ἀπῆλθον ἐπὶ τὸν τόπον τὸν καλούμενον Κρανίον, ἐκεῖ ἐσταύρωσαν αὐτόν, καὶ τοὺς κακούργους, ὃν μὲν ἐκ δεξιῶν, ὃν δὲ ἐξ ἀριστερῶν.
34 प्रभु येशु ने प्रार्थना की, “पिता, इनको क्षमा कर दीजिए क्योंकि इन्हें यह पता ही नहीं कि ये क्या कर रहे हैं.” उन्होंने पासा फेंककर प्रभु येशु के वस्त्र आपस में बांट लिए.
Ὁ δὲ Ἰησοῦς ἔλεγε, Πάτερ, ἄφες αὐτοῖς· οὐ γὰρ οἴδασι τί ποιοῦσι. Διαμεριζόμενοι δὲ τὰ ἱμάτια αὐτοῦ, ἔβαλον κλῆρον.
35 भीड़ खड़ी हुई यह सब देख रही थी. यहूदी राजा यह कहते हुए प्रभु येशु का ठट्ठा कर रहे थे, “इसने अन्य लोगों की रक्षा की है. यदि यह परमेश्वर का मसीह, उनका चुना हुआ है, तो अब अपनी रक्षा स्वयं कर ले.”
Καὶ εἱστήκει ὁ λαὸς θεωρῶν. Ἐξεμυκτήριζον δὲ καὶ οἱ ἄρχοντες σὺν αὐτοῖς, λέγοντες, Ἄλλους ἔσωσε, σωσάτω ἑαυτόν, εἰ οὗτός ἐστιν ὁ Χριστός, ὁ τοῦ Θεοῦ ἐκλεκτός.
36 सैनिक भी उनका ठट्ठा किये. वे प्रभु येशु के पास आकर उन्हें घटिया दाखरस प्रस्तुत करके कहे,
Ἐνέπαιζον δὲ αὐτῷ καὶ οἱ στρατιῶται, προσερχόμενοι καὶ ὄξος προσφέροντες αὐτῷ,
37 “यदि यहूदियों के राजा हो तो स्वयं को बचा लो.”
καὶ λέγοντες, Εἰ σὺ εἶ ὁ βασιλεὺς τῶν Ἰουδαίων, σῶσον σεαυτόν.
38 क्रूस पर उनके सिर के ऊपर सूचना पत्र के रूप में यह लिखा था: यही वह यहूदियों का राजा है.
Ἦν δὲ καὶ ἐπιγραφὴ γεγραμμένη ἐπ᾽ αὐτῷ γράμμασιν Ἑλληνικοῖς καὶ Ῥωμαϊκοῖς καὶ Ἑβραϊκοῖς, Οὗτός ἐστιν ὁ βασιλεὺς τῶν Ἰουδαίων.
39 वहां लटकाए गए राजद्रोहियों में से एक ने प्रभु येशु पर अपशब्दों की बौछार करते हुए कहा: “अरे! क्या तुम मसीह नहीं हो? स्वयं अपने आपको बचाओ और हमको भी!”
Εἷς δὲ τῶν κρεμασθέντων κακούργων ἐβλασφήμει αὐτόν, λέγων, Εἰ σὺ εἶ ὁ Χριστός, σῶσον σεαυτὸν καὶ ἡμᾶς.
40 किंतु दूसरे राजद्रोही ने डपटते हुए उससे कहा, “क्या तुझे परमेश्वर का थोड़ा भी भय नहीं है? तुझे भी तो वही दंड दिया जा रहा है!
Ἀποκριθεὶς δὲ ὁ ἕτερος ἐπετίμα αὐτῷ, λέγων, Οὐδὲ φοβῇ σὺ τὸν Θεόν, ὅτι ἐν τῷ αὐτῷ κρίματι εἶ;
41 हमारे लिए तो यह दंड सही ही है क्योंकि हमें वही मिल रहा है, जो हमारे बुरे कामों के लिए सही है किंतु इन्होंने तो कुछ भी गलत नहीं किया.”
Καὶ ἡμεῖς μὲν δικαίως, ἄξια γὰρ ὧν ἐπράξαμεν ἀπολαμβάνομεν· οὗτος δὲ οὐδὲν ἄτοπον ἔπραξε.
42 तब प्रभु येशु की ओर देखकर उसने उनसे विनती की, “आदरणीय येशु! अपने राज्य में मुझ पर दया कीजिएगा.”
Καὶ ἔλεγε τῷ Ἰησοῦ, Μνήσθητί μου, Κύριε, ὅταν ἔλθῃς ἐν τῇ βασιλείᾳ σου.
43 प्रभु येशु ने उसे आश्वासन दिया, “मैं तुम पर यह सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: आज ही तुम मेरे साथ स्वर्गलोक में होगे.”
Καὶ εἶπεν αὐτῷ ὁ Ἰησοῦς, Ἀμὴν λέγω σοι, σήμερον μετ᾽ ἐμοῦ ἔσῃ ἐν τῷ παραδείσῳ.
44 यह दिन का मध्याह्न था. सारे क्षेत्र पर अंधकार छा गया और यह तीन बजे तक छाया रहा.
Ἦν δὲ ὡσεὶ ὥρα ἕκτη, καὶ σκότος ἐγένετο ἐφ᾽ ὅλην τὴν γῆν ἕως ὥρας ἐνάτης.
45 सूर्य अंधियारा हो गया, मंदिर का पर्दा फटकर दो भागों में बांट दिया गया.
Καὶ ἐσκοτίσθη ὁ ἥλιος, καὶ ἐσχίσθη τὸ καταπέτασμα τοῦ ναοῦ μέσον.
46 प्रभु येशु ने ऊंचे शब्द में पुकारते हुए कहा, “पिता! मैं अपनी आत्मा आपके हाथों में सौंपता हूं.” यह कहते हुए उन्होंने प्राण त्याग दिए.
Καὶ φωνήσας φωνῇ μεγάλῃ ὁ Ἰησοῦς εἶπε, Πάτερ, εἰς χεῖράς σου παραθήσομαι τὸ πνεῦμά μου· καὶ ταῦτα εἰπὼν ἐξέπνευσεν.
47 वह शताधिपति, जो यह सब देख रहा था, यह कहते हुए परमेश्वर की वंदना करने लगा, “सचमुच यह व्यक्ति निर्दोष था.”
Ἰδὼν δὲ ὁ ἑκατόνταρχος τὸ γενόμενον, ἐδόξασε τὸν Θεόν, λέγων, Ὄντως ὁ ἄνθρωπος οὗτος δίκαιος ἦν.
48 इस घटना को देखने के लिए इकट्ठा भीड़ यह सब देख छाती पीटकर विलाप करती हुई घर लौट गयी.
Καὶ πάντες οἱ συμπαραγενόμενοι ὄχλοι ἐπὶ τὴν θεωρίαν ταύτην, θεωροῦντες τὰ γενόμενα, τύπτοντες ἑαυτῶν τὰ στήθη ὑπέστρεφον.
49 प्रभु येशु के परिचित और गलील प्रदेश से प्रभु येशु के साथ आई स्त्रियां कुछ दूर खड़ी हुई ये सब देख रही थी.
Εἱστήκεισαν δὲ πάντες οἱ γνωστοὶ αὐτοῦ μακρόθεν, καὶ γυναῖκες αἱ συνακολουθήσασαι αὐτῷ ἀπὸ τῆς Γαλιλαίας, ὁρῶσαι ταῦτα.
50 योसेफ़ नामक एक व्यक्ति थे. वह महासभा के सदस्य, सज्जन तथा धर्मी थे.
Καὶ ἰδού, ἀνὴρ ὀνόματι Ἰωσήφ, βουλευτὴς ὑπάρχων, ἀνὴρ ἀγαθὸς καὶ δίκαιος—
51 वह न तो यहूदी अगुओं की योजना से और न ही उसके कामों से सहमत थे. योसेफ़ यहूदियों के एक नगर अरिमथिया के निवासी थे और वह परमेश्वर के राज्य की प्रतीक्षा कर रहे थे.
οὗτος οὐκ ἦν συγκατατεθειμένος τῇ βουλῇ καὶ τῇ πράξει αὐτῶν—ἀπὸ Ἀριμαθαίας πόλεως τῶν Ἰουδαίων, ὃς καὶ προσεδέχετο καὶ αὐτὸς τὴν βασιλείαν τοῦ Θεοῦ·
52 योसेफ़ ने पिलातॉस के पास जाकर प्रभु येशु का शरीर के लिए विनती की.
οὗτος προσελθὼν τῷ Πιλάτῳ ᾐτήσατο τὸ σῶμα τοῦ Ἰησοῦ.
53 उन्होंने शरीर को क्रूस से उतारकर मलमल के वस्त्र में लपेटा और चट्टान में खोदकर बनाई गई एक कब्र की गुफ़ा में रख दिया. इस कब्र में अब तक कोई भी शरीर रखा नहीं गया था.
Καὶ καθελὼν αὐτὸ ἐνετύλιξεν αὐτὸ σινδόνι, καὶ ἔθηκεν αὐτὸ ἐν μνήματι λαξευτῷ, οὗ οὐκ ἦν οὐδέπω οὐδεὶς κείμενος.
54 यह शब्बाथ की तैयारी का दिन था. शब्बाथ प्रारंभ होने पर ही था.
Καὶ ἡμέρα ἦν Παρασκευή, σάββατον ἐπέφωσκε.
55 गलील प्रदेश से आई हुई स्त्रियां भी उनके साथ वहां गईं. उन्होंने उस कब्र को देखा तथा यह भी कि शरीर को वहां कैसे रखा गया था.
Κατακολουθήσασαι δὲ γυναῖκες, αἵτινες ἦσαν συνεληλυθυῖαι αὐτῷ ἐκ τῆς Γαλιλαίας, ἐθεάσαντο τὸ μνημεῖον, καὶ ὡς ἐτέθη τὸ σῶμα αὐτοῦ.
56 तब वे सब घर लौट गए और उन्होंने अंत्येष्टि के लिए उबटन-लेप तैयार किए. व्यवस्था के अनुसार उन्होंने शब्बाथ पर विश्राम किया.
Ὑποστρέψασαι δὲ ἡτοίμασαν ἀρώματα καὶ μύρα. Καὶ τὸ μὲν σάββατον ἡσύχασαν κατὰ τὴν ἐντολήν.