< लूका 21 >

1 प्रभु येशु ने देखा कि धनी व्यक्ति दानकोष में अपना अपना दान डाल रहे हैं.
ܚܪ ܕܝܢ ܝܫܘܥ ܒܥܬܝܪܐ ܐܝܠܝܢ ܕܪܡܝܢ ܗܘܘ ܒܝܬ ܓܙܐ ܩܘܪܒܢܝܗܘܢ
2 उन्होंने यह भी देखा कि एक निर्धन विधवा ने दो छोटे सिक्‍के डाले हैं.
ܘܚܙܐ ܐܦ ܐܪܡܠܬܐ ܚܕܐ ܡܤܟܢܬܐ ܕܐܪܡܝܬ ܫܡܘܢܐ ܬܪܝܢ
3 इस पर प्रभु येशु ने कहा, “सच यह है कि इस निर्धन विधवा ने उन सभी से बढ़कर दिया है.
ܘܐܡܪ ܫܪܪܐ ܐܡܪ ܐܢܐ ܠܟܘܢ ܕܗܕܐ ܐܪܡܠܬܐ ܡܤܟܢܬܐ ܐܪܡܝܬ ܝܬܝܪ ܡܢ ܟܠܢܫ
4 इन सबने तो अपने धन की बढ़ती में से दिया है किंतु इस विधवा ने अपनी कंगाली में से अपनी सारी जीविका ही दे दी है.”
ܟܠܗܘܢ ܓܝܪ ܗܠܝܢ ܡܢ ܡܐ ܕܝܬܝܪ ܗܘܐ ܠܗܘܢ ܐܪܡܝܘ ܒܝܬ ܩܘܪܒܢܐ ܕܐܠܗܐ ܗܕܐ ܕܝܢ ܡܢ ܚܤܝܪܘܬܗ ܟܠ ܕܩܢܝܐ ܗܘܬ ܐܪܡܝܬܗ
5 जब कुछ शिष्य मंदिर के विषय में चर्चा कर रहे थे कि यह भवन कितने सुंदर पत्थरों तथा मन्नत की भेंटों से सजाया है;
ܘܟܕ ܐܡܪܝܢ ܗܘܘ ܐܢܫܝܢ ܥܠ ܗܝܟܠܐ ܕܒܟܐܦܐ ܫܦܝܪܬܐ ܘܒܩܘܪܒܢܐ ܡܨܒܬ ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܝܫܘܥ
6 प्रभु येशु ने उनसे कहा, “जिन वस्तुओं को तुम इस समय सराह रहे हो, एक दिन आएगा कि इन भवनों का एक भी पत्थर दूसरे पर स्थापित न दिखेगा—हर एक पत्थर भूमि पर पड़ा होगा.”
ܗܠܝܢ ܕܚܙܝܢ ܐܢܬܘܢ ܢܐܬܘܢ ܝܘܡܬܐ ܕܒܗܘܢ ܠܐ ܬܫܬܒܩ ܟܐܦ ܥܠ ܟܐܦ ܕܠܐ ܬܤܬܬܪ
7 उन्होंने प्रभु येशु से प्रश्न किया, “गुरुवर, यह कब घटित होगा तथा इनके पूरा होने के समय का चिन्ह क्या होगा?”
ܘܡܫܐܠܝܢ ܗܘܘ ܠܗ ܘܐܡܪܝܢ ܡܠܦܢܐ ܐܡܬܝ ܗܠܝܢ ܢܗܘܝܢ ܘܡܢܐ ܗܝ ܐܬܐ ܡܐ ܕܩܪܝܒܢ ܗܠܝܢ ܕܢܗܘܝܢ
8 प्रभु येशु ने उत्तर दिया, “सावधान रहना कि तुम भटका न दिए जाओ, क्योंकि मेरे नाम में अनेक आएंगे और दावा करेंगे, ‘मैं हूं मसीह’ तथा ‘वह समय पास आ गया है,’ किंतु उनकी न सुनना.
ܗܘ ܕܝܢ ܐܡܪ ܠܗܘܢ ܚܙܘ ܠܡܐ ܬܛܥܘܢ ܤܓܝܐܐ ܓܝܪ ܢܐܬܘܢ ܒܫܡܝ ܘܢܐܡܪܘܢ ܕܐܢܐ ܐܢܐ ܡܫܝܚܐ ܘܙܒܢܐ ܩܪܒ ܠܐ ܕܝܢ ܬܐܙܠܘܢ ܒܬܪܗܘܢ
9 जब तुम युद्धों तथा बलवों के समाचार सुनो तो भयभीत न होना. इनका पहले घटना ज़रूरी है फिर भी इनके तुरंत बाद अंत नहीं होगा.”
ܘܡܐ ܕܫܡܥܝܢ ܐܢܬܘܢ ܩܪܒܐ ܘܫܓܘܫܝܐ ܠܐ ܬܕܚܠܘܢ ܥܬܝܕܢ ܐܢܝܢ ܓܝܪ ܗܠܝܢ ܠܘܩܕܡ ܠܡܗܘܐ ܐܠܐ ܠܐ ܥܕܟܝܠ ܡܛܬ ܚܪܬܐ
10 तब प्रभु येशु ने उनसे कहा, “राष्ट्र-राष्ट्र के तथा राज्य-राज्य के विरुद्ध उठ खड़ा होगा.
ܢܩܘܡ ܓܝܪ ܥܡܐ ܥܠ ܥܡܐ ܘܡܠܟܘ ܥܠ ܡܠܟܘ
11 भीषण भूकंप आएंगे. विभिन्‍न स्थानों पर महामारियां होंगी तथा अकाल पड़ेंगे. भयावह घटनाएं होंगी तथा आकाश में अचंभित दृश्य दिखाई देंगे.
ܘܙܘܥܐ ܪܘܪܒܐ ܢܗܘܘܢ ܒܕܘܟܐ ܕܘܟܐ ܘܟܦܢܐ ܘܡܘܬܢܐ ܘܢܗܘܝܢ ܕܚܠܬܐ ܘܤܘܪܕܐ ܘܐܬܘܬܐ ܪܘܪܒܬܐ ܡܢ ܫܡܝܐ ܢܬܚܙܝܢ ܘܤܬܘܐ ܪܘܪܒܐ ܢܗܘܘܢ
12 “इन सबके पहले वे तुम्हें पकड़ लेंगे और तुम्हें यातनाएं देंगे. मेरे नाम के कारण वे तुम्हें सभागृहों में ले जाएंगे, बंदीगृह में डाल देंगे तथा तुम्हें राजाओं और राज्यपालों के हाथों में सौंप देंगे.
ܩܕܡ ܕܝܢ ܗܠܝܢ ܟܠܗܝܢ ܢܪܡܘܢ ܥܠܝܟܘܢ ܐܝܕܝܐ ܘܢܪܕܦܘܢܟܘܢ ܘܢܫܠܡܘܢܟܘܢ ܠܟܢܘܫܬܐ ܘܠܒܝܬ ܐܤܝܪܐ ܘܢܩܪܒܘܢܟܘܢ ܩܕܡ ܡܠܟܐ ܘܗܓܡܘܢܐ ܡܛܠ ܫܡܝ
13 तुम्हें गवाही देने का सुअवसर प्राप्‍त हो जाएगा.
ܗܘܝܐ ܠܟܘܢ ܕܝܢ ܠܤܗܕܘܬܐ
14 इसलिये यह सुनिश्चित करो कि तुम पहले ही अपने बचाव की तैयारी नहीं करोगे,
ܤܝܡܘ ܕܝܢ ܒܠܒܟܘܢ ܕܠܐ ܬܗܘܘܢ ܡܬܝܠܦܝܢ ܠܡܦܩ ܪܘܚܐ
15 क्योंकि तुम्हें अपने बचाव में कहने के विचार तथा बुद्धि मैं दूंगा, जिसका तुम्हारे विरोधी न तो सामना कर सकेंगे और न ही खंडन.
ܐܢܐ ܓܝܪ ܐܬܠ ܠܟܘܢ ܦܘܡܐ ܘܚܟܡܬܐ ܐܝܕܐ ܕܠܐ ܢܫܟܚܘܢ ܠܡܩܡ ܠܩܘܒܠܗ ܟܠܗܘܢ ܒܥܠܕܒܒܝܟܘܢ
16 तुम्हारे माता-पिता, भाई-बहन तथा परिजन और मित्र ही तुम्हारे साथ धोखा करेंगे—वे तुममें से कुछ की तो हत्या भी कर देंगे.
ܢܫܠܡܘܢܟܘܢ ܕܝܢ ܐܒܗܝܟܘܢ ܘܐܚܝܟܘܢ ܘܐܚܝܢܝܟܘܢ ܘܪܚܡܝܟܘܢ ܘܢܡܝܬܘܢ ܡܢܟܘܢ
17 मेरे नाम के कारण सभी तुमसे घृणा करेंगे.
ܘܬܗܘܘܢ ܤܢܝܐܝܢ ܡܢ ܟܠ ܐܢܫ ܡܛܠ ܫܡܝ
18 फिर भी तुम्हारे एक बाल तक की हानि न होगी.
ܘܡܢܬܐ ܡܢ ܪܫܟܘܢ ܠܐ ܬܐܒܕ
19 तुम्हारे धीरज में छिपी होगी तुम्हारे जीवन की सुरक्षा.
ܒܡܤܝܒܪܢܘܬܟܘܢ ܕܝܢ ܬܩܢܘܢ ܢܦܫܟܘܢ
20 “जिस समय येरूशलेम नगर सेनाओं द्वारा घिरा हुआ दिखे, तब यह समझ लेना कि विनाश पास है.
ܡܐ ܕܝܢ ܕܚܙܝܬܘܢ ܠܐܘܪܫܠܡ ܕܚܕܝܪܝܢ ܠܗ ܚܝܠܐ ܗܝܕܝܢ ܕܥܘ ܕܩܪܒ ܠܗ ܚܘܪܒܗ
21 तो वे, जो यहूदिया प्रदेश में हों पर्वतों पर भागकर जाएं; वे, जो नगर में हैं, नगर छोड़कर चले जाएं; जो नगर के बाहर हैं, वे नगर में प्रवेश न करें
ܗܝܕܝܢ ܐܝܠܝܢ ܕܒܝܗܘܕ ܐܢܘܢ ܢܥܪܩܘܢ ܠܛܘܪܐ ܘܐܝܠܝܢ ܕܒܓܘܗ ܐܢܘܢ ܢܥܪܩܘܢ ܘܕܒܩܘܪܝܐ ܠܐ ܢܥܠܘܢ ܠܗ
22 क्योंकि यह बदला लेने का समय होगा कि वह सब, जो लेखों में पहले से लिखा है, पूरा हो जाए.
ܕܝܘܡܬܐ ܐܢܘܢ ܗܠܝܢ ܕܬܒܥܬܐ ܕܢܫܠܡ ܟܠ ܡܐ ܕܟܬܝܒ
23 दयनीय होगी गर्भवती और दूध पिलाती स्त्रियों की स्थिति! क्योंकि यह मनुष्यों पर क्रोध तथा पृथ्वी पर घोर संकट का समय होगा.
ܘܝ ܕܝܢ ܠܐܝܠܝܢ ܕܒܛܢܢ ܘܠܐܝܠܝܢ ܕܡܝܢܩܢ ܒܗܢܘܢ ܝܘܡܬܐ ܢܗܘܐ ܓܝܪ ܐܘܠܨܢܐ ܪܒܐ ܒܐܪܥܐ ܘܪܘܓܙܐ ܥܠ ܥܡܐ ܗܢܐ
24 वे तलवार से घात किए जाएंगे, अन्य राष्ट्र उन्हें बंदी बनाकर ले जाएंगे. येरूशलेम नगर गैर-यहूदियों द्वारा उस समय तक रौंदा जाएगा जब तक गैर-यहूदियों का समय पूरा न हो जाए.
ܘܢܦܠܘܢ ܒܦܘܡܐ ܕܚܪܒܐ ܘܢܫܬܒܘܢ ܠܟܠ ܐܬܪ ܘܐܘܪܫܠܡ ܬܗܘܐ ܡܬܕܝܫܐ ܡܢ ܥܡܡܐ ܥܕܡܐ ܕܢܫܠܡܘܢ ܙܒܢܐ ܕܥܡܡܐ
25 “सूर्य, चंद्रमा और तारों में अद्भुत चिह्न दिखाई देंगे. पृथ्वी पर राष्ट्रों में आतंक छा जाएगा. गरजते सागर की लहरों के कारण लोग घबरा जाएंगे.
ܘܢܗܘܝܢ ܐܬܘܬܐ ܒܫܡܫܐ ܘܒܤܗܪܐ ܘܒܟܘܟܒܐ ܘܒܐܪܥܐ ܐܘܠܨܢܐ ܕܥܡܡܐ ܘܦܘܫܟ ܐܝܕܝܐ ܡܢ ܬܘܗܬܐ ܕܩܠܐ ܕܝܡܐ
26 लोग भय और इस आशंका से मूर्च्छित हो जाएंगे कि अब संसार का क्या होगा क्योंकि आकाशमंडल की शक्तियां हिलायी जाएंगी.
ܘܙܘܥܐ ܕܡܦܩ ܢܦܫܬܐ ܕܒܢܝܢܫܐ ܡܢ ܕܚܠܬܐ ܕܡܕܡ ܕܥܬܝܕ ܠܡܐܬܐ ܥܠ ܐܪܥܐ ܘܢܬܬܙܝܥܘܢ ܚܝܠܐ ܕܫܡܝܐ
27 तब वे मनुष्य के पुत्र को बादल में सामर्थ्य और प्रताप में नीचे आता हुआ देखेंगे.
ܘܗܝܕܝܢ ܢܚܙܘܢܝܗܝ ܠܒܪܗ ܕܐܢܫܐ ܕܐܬܐ ܒܥܢܢܐ ܥܡ ܚܝܠܐ ܤܓܝܐܐ ܘܫܘܒܚܐ ܪܒܐ
28 जब ये घटनाएं घटित होने लगें, साहस के साथ स्थिर खड़े होकर आनेवाली घटना की प्रतीक्षा करो क्योंकि समीप होगा तुम्हारा छुटकारा.”
ܡܐ ܕܝܢ ܕܫܪܝ ܗܠܝܢ ܕܢܗܘܝܢ ܐܬܠܒܒܘ ܘܐܪܝܡܘ ܪܫܝܟܘܢ ܡܛܠ ܕܩܪܒ ܠܗ ܦܘܪܩܢܟܘܢ
29 तब प्रभु येशु ने उन्हें इस दृष्टांत के द्वारा शिक्षा दी: “अंजीर के पेड़ तथा अन्य वृक्षों पर ध्यान दो.
ܘܐܡܪ ܗܘܐ ܠܗܘܢ ܡܬܠܐ ܚܙܘ ܠܬܬܐ ܘܠܟܠܗܘܢ ܐܝܠܢܐ
30 जब उनमें कोंपलें निकलने लगती हैं तो तुम स्वयं जान जाते हो कि गर्मी का समय पास है.
ܕܡܐ ܕܡܦܪܥܝܢ ܡܚܕܐ ܡܢܗܘܢ ܡܤܬܟܠܝܢ ܐܢܬܘܢ ܕܩܪܒ ܠܗ ܩܝܛܐ
31 इसी प्रकार, जब तुम इन घटनाओं को घटित होते हुए देखो तो तुम यह जान जाओगे कि परमेश्वर का राज्य अब पास है.
ܗܟܢܐ ܐܦ ܐܢܬܘܢ ܡܐ ܕܚܙܝܬܘܢ ܗܠܝܢ ܕܗܘܝܢ ܕܥܘ ܕܩܪܝܒܐ ܗܝ ܡܠܟܘܬܐ ܕܐܠܗܐ
32 “सच्चाई तो यह है कि इन घटनाओं के हुए बिना इस युग का अंत नहीं होगा.
ܐܡܝܢ ܐܡܪ ܐܢܐ ܠܟܘܢ ܕܠܐ ܬܥܒܪ ܫܪܒܬܐ ܗܕܐ ܥܕܡܐ ܕܗܠܝܢ ܟܠܗܝܢ ܢܗܘܝܢ
33 आकाश तथा पृथ्वी खत्म हो जाएंगे किंतु मेरे कहे हुए शब्द कभी नहीं.
ܫܡܝܐ ܘܐܪܥܐ ܢܥܒܪܘܢ ܘܡܠܝ ܠܐ ܢܥܒܪܢ
34 “सावधान रहना कि तुम्हारा हृदय जीवन संबंधी चिंताओं, दुर्व्यसनों तथा मतवालेपन में पड़कर सुस्त न हो जाए और वह दिन तुम पर अचानक से फंदे जैसा आ पड़े.
ܐܙܕܗܪܘ ܕܝܢ ܒܢܦܫܟܘܢ ܕܠܐ ܡܬܘܡ ܢܐܩܪܘܢ ܠܒܘܬܟܘܢ ܒܐܤܘܛܘܬܐ ܘܒܪܘܝܘܬܐ ܘܒܨܦܬܐ ܕܥܠܡܐ ܘܡܢ ܫܠܝܐ ܢܐܬܐ ܥܠܝܟܘܢ ܝܘܡܐ ܗܘ
35 उस दिन का प्रभाव पृथ्वी के हर एक मनुष्य पर पड़ेगा.
ܐܝܟ ܨܦܚܬܐ ܓܝܪ ܢܨܦܚ ܥܠ ܟܠܗܘܢ ܐܝܠܝܢ ܕܝܬܒܝܢ ܥܠ ܐܦܝܗ ܕܟܠܗ ܐܪܥܐ
36 हमेशा सावधान रहना, प्रार्थना करते रहना कि तुम्हें इन आनेवाली घटनाओं से निकलने के लिए बल प्राप्‍त हो और तुम मनुष्य के पुत्र की उपस्थिति में खड़े हो सको.”
ܗܘܘ ܗܟܝܠ ܫܗܪܝܢ ܒܟܠܙܒܢ ܘܡܨܠܝܢ ܕܬܫܘܘܢ ܠܡܥܪܩ ܡܢ ܗܠܝܢ ܕܥܬܝܕܢ ܠܡܗܘܐ ܘܬܩܘܡܘܢ ܩܕܡ ܒܪܗ ܕܐܢܫܐ
37 दिन के समय प्रभु येशु मंदिर में शिक्षा दिया करते तथा संध्याकाल में वह ज़ैतून पर्वत पर जाकर प्रार्थना करते हुए रात बिताया करते थे.
ܒܐܝܡܡܐ ܕܝܢ ܡܠܦ ܗܘܐ ܒܗܝܟܠܐ ܘܒܠܠܝܐ ܢܦܩ ܗܘܐ ܒܐܬ ܒܛܘܪܐ ܕܡܬܩܪܐ ܕܒܝܬ ܙܝܬܐ
38 लोग भोर में उनका प्रवचन सुनने मंदिर आ जाया करते थे.
ܘܟܠܗ ܥܡܐ ܡܩܕܡܝܢ ܗܘܘ ܠܘܬܗ ܠܗܝܟܠܐ ܠܡܫܡܥ ܡܠܬܗ

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