< लूका 17 >

1 इसके बाद अपने शिष्यों से प्रभु येशु ने कहा, “यह असंभव है कि ठोकरें न लगें किंतु धिक्कार है उस व्यक्ति पर, जो ठोकर का कारण है.
ⲁ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ϫⲉ ⲥⲙⲟⲕϩ ⲉⲧⲣⲉ ⲛⲉⲥⲕⲁⲛⲇⲁⲗⲟⲛ ⲧⲙⲉⲓ ⲡⲗⲏⲛ ⲟⲩⲟⲓ ⲙⲡⲉⲧϥⲛⲏⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲟⲟⲧϥ
2 इसके बजाय कि वह निर्बलों के लिए ठोकर का कारण बने, उत्तम यह होता कि उसके गले में चक्की का पाट बांधकर उसे गहरे समुद्र में फेंक दिया जाता.
ⲃ̅ⲛⲁⲛⲟⲩⲥ ⲛⲁϥ ⲉⲛⲉⲟⲩⲛⲟⲩⲱⲛⲉ ⲛⲥⲓⲕⲉ ⲙⲏⲣ ⲉⲡⲉϥⲙⲁⲕϩ ⲛⲥⲉⲛⲟϫϥ ⲉⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ ⲉϩⲟⲩⲉ ⲧⲣⲉϥⲥⲕⲁⲛⲇⲁⲗⲓⲍⲉ ⲟⲩⲁ ⲛⲛⲉⲓⲕⲟⲩⲓ
3 इसलिये तुम स्वयं के प्रति सावधान रहो. “यदि तुम्हारा भाई या बहन अपराध करे तो उसे डांटो और यदि वह मन फिराए तो उसे क्षमा कर दो.
ⲅ̅ϯϩⲧⲏⲧⲛ ⲉⲣⲱⲧⲛ ⲉⲣϣⲁⲛⲡⲉⲕⲥⲟⲛ ⲣⲛⲟⲃⲉ ⲉⲡⲓⲧⲓⲙⲁ ⲛⲁϥ ⲁⲩⲱ ⲉϥϣⲁⲛⲙⲉⲧⲁⲛⲟⲓ ⲕⲱ ⲛⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ
4 यदि वह एक दिन में तुम्हारे विरुद्ध सात बार भी अपराध करे और सातों बार तुमसे आकर कहे, ‘मुझे इसका पछतावा है,’ तो उसे क्षमा कर दो.”
ⲇ̅ⲕⲁⲛ ⲉϥϣⲁⲛⲣⲛⲟⲃⲉ ⲉⲣⲟⲕ ⲛⲥⲁϣϥ ⲛⲥⲟⲡ ⲙⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲛϥⲕⲟⲧϥ ⲉⲣⲟⲕ ⲛⲥⲁϣϥ ⲛⲥⲟⲡ ⲙⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲉϥϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ϯⲙⲉⲧⲁⲛⲟⲓ ⲉⲕⲉⲕⲱ ⲛⲁϥ ⲉⲃⲟⲗ
5 प्रेरितों ने उनसे विनती की, “प्रभु, हमारे विश्वास को बढ़ा दीजिए.”
ⲉ̅ⲡⲉϫⲉⲛⲁⲡⲟⲥⲧⲟⲗⲟⲥ ⲙⲡϫⲟⲉⲓⲥ ϫⲉ ⲟⲩⲉϩⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲉⲣⲟⲛ
6 प्रभु येशु ने उत्तर दिया, “यदि तुम्हारा विश्वास राई के बीज के बराबर भी हो, तो तुम इस शहतूत के पेड़ को यह आज्ञा देते, ‘उखड़ जा और जाकर समुद्र में लग जा!’ तो यह तुम्हारी आज्ञा का पालन करता.
ⲋ̅ⲡⲉϫⲉⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲇⲉ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲉⲛⲉⲟⲩⲛⲧⲏ ⲧⲛⲡⲓⲥⲧⲓⲥ ⲙⲙⲁⲩ ⲛⲁⲡϣⲁⲩ ⲛⲟⲩⲃⲗⲃⲓⲗⲉ ⲛϣⲗⲧⲙ ⲛⲉⲧⲉⲧⲛⲁϫⲟⲟⲥ ⲛⲧⲉⲓⲛⲟⲩϩⲉ ϫⲉ ⲡⲱⲣϫ ⲛⲧⲉⲧⲱϭⲉ ϩⲛ ⲑⲁⲗⲁⲥⲥⲁ ⲛⲥⲥⲱⲧⲙ ⲛⲏⲧⲛ
7 “क्या तुममें से कोई ऐसा है, जिसके खेत में काम करने या भेड़ों की रखवाली के लिए एक दास हो और जब वह दास खेत से लौटे तो वह दास से कहे, ‘आओ, मेरे साथ भोजन करो’?
ⲍ̅ⲛⲓⲙ ⲇⲉ ⲛϩⲏⲧⲧⲏⲩⲧⲛ ⲉⲩⲛⲧⲁϥ ⲙⲙⲁⲩ ⲛⲟⲩϩⲙϩⲁⲗ ⲉϥⲥⲕⲁⲓ ⲏ ⲉϥⲙⲟⲟⲛⲉ ⲉϥⲛⲏⲟⲩ ⲉϩⲣⲁⲓ ϩⲛ ⲧⲥⲱϣⲉ ⲛϥϫⲟⲟⲥ ⲛⲁϥ ⲛⲧⲉⲩⲛⲟⲩ ϫⲉ ⲙⲟⲟϣⲉ ⲛⲅⲛⲟϫⲕ
8 क्या वह अपने दास को यह आज्ञा न देगा, ‘मेरे लिए भोजन तैयार करो और मुझे भोजन परोसने के लिए तैयार हो जाओ. मैं भोजन के लिए बैठ रहा हूं. तुम मेरे भोजन समाप्‍त करने के बाद भोजन कर लेना?’
ⲏ̅ⲙⲏ ⲉϣⲁϥϫⲟⲟⲥ ⲁⲛ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲥⲟⲃⲧⲉ ⲙⲡⲉϯⲛⲁⲟⲩⲟⲙϥ ⲛⲅⲙⲟⲣⲕ ⲛⲅⲇⲓⲁⲕⲟⲛⲓ ⲛⲁⲉⲓ ϣⲁⲛϯⲟⲩⲱⲙ ⲛⲧⲁⲥⲱ ⲙⲛⲛⲥⲁ ⲛⲁⲓ ⲇⲉ ⲛⲅⲟⲩⲱⲙ ⲛⲅⲥⲱ
9 क्या वह अपने दास का आभार इसलिये मानेगा कि उसने उसे दिए गए आदेशों का पालन किया है? नहीं!
ⲑ̅ⲙⲏ ⲟⲩⲛⲧⲉⲡϩⲙϩⲁⲗ ϩⲙⲟⲧ ϫⲉ ⲁϥⲣⲛⲉⲛⲧⲁⲩⲟⲩⲉϩⲥⲁϩⲛⲉ ⲙⲙⲟⲟⲩ ⲛⲁϥ
10 यही तुम सबके लिए भी सही है: जब तुम वह सब कर लो, जिसकी तुम्हें आज्ञा दी गई थी, यह कहो: ‘हम अयोग्य सेवक हैं. हमने केवल अपना कर्तव्य पूरा किया है.’”
ⲓ̅ⲧⲁⲓ ⲧⲉ ⲧⲉⲧⲛϩⲉ ϩⲱⲧⲧⲏⲟⲩⲧⲛ ⲉⲧⲉⲧⲛϣⲁⲛⲣϩⲱⲃ ⲛⲓⲙ ⲉⲛⲧⲁⲩⲟⲩⲉϩⲥⲁϩⲛⲉ ⲙⲙⲟⲟⲩ ⲛⲏⲧⲛ ⲁϫⲓⲥ ϫⲉ ⲁⲛⲛϩⲉⲛϩⲙϩⲁⲗ ⲛⲁⲧϣⲁⲩ ⲡⲉⲧⲉⲣⲟⲛ ⲉⲁⲁϥ ⲡⲉⲛⲧⲁⲛⲁⲁϥ
11 येरूशलेम नगर की ओर बढ़ते हुए प्रभु येशु शमरिया और गलील प्रदेश के बीच से होते हुए जा रहे थे.
ⲓ̅ⲁ̅ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲉϥⲙⲟⲟϣⲉ ⲉⲑⲓⲉⲣⲟⲥⲟⲗⲩⲙⲁ ⲛⲉϥⲛⲏⲟⲩ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ⲡⲉ ϩⲓⲧⲛ ⲧⲥⲁⲙⲁⲣⲓⲁ ⲛⲙ ⲧⲅⲁⲗⲓⲗⲁⲓⲁ
12 जब वह गांव में प्रवेश कर ही रहे थे, उनकी भेंट दस कोढ़ रोगियों से हुई, जो दूर ही खड़े रहे.
ⲓ̅ⲃ̅ⲉϥⲃⲏⲕ ⲇⲉ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲩϯⲙⲉ ⲁⲙⲏⲧ ⲣⲣⲱⲙⲉ ⲉⲩⲥⲟⲃⲁϩ ⲧⲱⲙⲛⲧ ⲉⲣⲟϥ ⲛⲁⲓ ⲇⲉ ⲉⲩⲁϩⲉⲣⲁⲧⲟⲩ ⲙⲡⲟⲩⲉ
13 उन्होंने दूर ही से पुकारते हुए प्रभु येशु से कहा, “स्वामी! प्रभु येशु! हम पर कृपा कीजिए!”
ⲓ̅ⲅ̅ⲉⲩϫⲓϣⲕⲁⲕ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲩϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ϫⲉ ⲓⲏⲥ ⲡⲥⲁϩ ⲛⲁ ⲛⲁⲛ
14 उन्हें देख प्रभु येशु ने उन्हें आज्ञा दी, “जाकर पुरोहितों द्वारा स्वयं का निरीक्षण करवाओ.” जब वे जा ही रहे थे, वे शुद्ध हो गए.
ⲓ̅ⲇ̅ⲁϥⲛⲁⲩ ⲇⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲃⲱⲕ ⲙⲁⲧⲟⲩⲱⲧⲛ ⲉⲛⲟⲩⲏⲏⲃ ⲁⲥϣⲱⲡⲉ ⲇⲉ ⲉⲩⲃⲏⲕ ⲁⲩⲧⲃⲃⲟ
15 उनमें से एक, यह अहसास होते ही कि वह शुद्ध हो गया है, प्रभु येशु के पास लौट आया और ऊंचे शब्द में परमेश्वर की वंदना करने लगा.
ⲓ̅ⲉ̅ⲛⲧⲉⲣⲉⲟⲩⲁ ⲇⲉ ⲛϩⲏⲧⲟⲩ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲁϥⲧⲃⲃⲟ ⲁϥⲕⲟⲧϥ ϩⲛ ⲟⲩⲛⲟϭ ⲛⲥⲙⲏ ⲉϥϯ ⲉⲟⲟⲩ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ
16 प्रभु येशु के चरणों पर गिरकर उसने उनके प्रति धन्यवाद प्रकट किया—वह शमरियावासी था.
ⲓ̅ⲋ̅ⲁϥⲡⲁϩⲧϥ ϩⲁ ⲣⲁⲧϥ ⲉϫⲛ ⲡⲉϥϩⲟ ⲉϥϣⲡ ϩⲙⲟⲧ ⲛⲧⲟⲟⲧϥ ⲛⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲛⲉ ⲟⲩⲥⲁⲙⲁⲣⲓⲧⲏⲥ ⲡⲉ
17 प्रभु येशु ने उससे प्रश्न किया, “क्या सभी दस शुद्ध नहीं हुए? कहां हैं वे अन्य नौ?
ⲓ̅ⲍ̅ⲁⲓⲥ ⲇⲉ ⲟⲩⲱϣⲃ ⲡⲉϫⲁϥ ϫⲉ ⲙⲏ ⲙⲡⲉⲡⲓⲙⲏⲧ ⲧⲃⲃⲟ ⲉϥⲧⲱⲛ ⲡⲕⲉⲯⲓⲥ
18 क्या इस परदेशी के अतिरिक्त किसी अन्य ने परमेश्वर के प्रति धन्यवाद प्रकट करना सही न समझा?”
ⲓ̅ⲏ̅ⲙⲡⲟⲩϩⲉ ⲉⲣⲟⲟⲩ ⲉⲧⲣⲉⲩⲕⲟⲧⲟⲩ ⲉϯ ⲉⲟⲟⲩ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲓⲙⲏⲧⲓ ⲡⲓϣⲙⲙⲟ
19 तब प्रभु येशु ने उससे कहा, “उठो और जाओ. तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें हर तरह से स्वस्थ किया है.”
ⲓ̅ⲑ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲧⲱⲟⲩⲛ ⲛⲅⲃⲱⲕ
20 एक अवसर पर, जब फ़रीसियों ने उनसे यह जानना चाहा कि परमेश्वर के राज्य का आगमन कब होगा, तो प्रभु येशु ने उत्तर दिया, “परमेश्वर के राज्य का आगमन दिखनेवाले संकेतों के साथ नहीं होगा
ⲕ̅ⲛⲧⲉⲣⲟⲩϫⲛⲟⲩϥ ⲇⲉ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲛ ⲛⲉⲫⲁⲣⲓⲥⲥⲁⲓⲟⲥ ϫⲉ ⲉⲣⲉⲧⲙⲛⲧⲣⲣⲟ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛⲏⲩ ⲧⲛⲁⲩ ⲁϥⲟⲩⲱϣⲃ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲉⲣⲉⲧⲙⲛⲧⲣⲣⲟ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲛⲏⲟⲩ ⲁⲛ ϩⲛ ⲟⲩϯϩⲧⲏϥ
21 और न ही इसके विषय में कोई यह कह सकता है, ‘देखो, देखो! यह है परमेश्वर का राज्य!’ क्योंकि परमेश्वर का राज्य तुम्हारे ही बीच में है.”
ⲕ̅ⲁ̅ⲟⲩⲧⲉ ⲛⲛⲉⲩⲛⲁϫⲟⲟⲥ ⲁⲛ ϫⲉ ⲉⲓⲥ ϩⲏⲏⲧⲉ ⲙⲡⲉⲓⲙⲁ ⲏ ⲡⲏ ⲉⲓⲥ ⲧⲙⲛⲧⲣⲣⲟ ⲅⲁⲣ ⲙⲡⲛⲟⲩⲧⲉ ⲙⲡⲉⲧⲛⲥⲁ ⲛϩⲟⲩⲛ
22 तब अपने शिष्यों से उन्मुख हो प्रभु येशु ने कहा, “वह समय आ रहा है जब तुम मनुष्य के पुत्र के राज्य का एक दिन देखने के लिए तरस जाओगे और देख न पाओगे.
ⲕ̅ⲃ̅ⲡⲉϫⲁϥ ⲇⲉ ⲛⲛⲉϥⲙⲁⲑⲏⲧⲏⲥ ϫⲉ ⲟⲩⲛϩⲉⲛϩⲟⲟⲩ ⲛⲏⲟⲩ ⲉⲧⲉⲧⲛⲁⲉⲡⲓⲑⲩⲙⲓ ⲉⲛⲁⲩ ⲉⲩϩⲟⲟⲩ ϩⲛ ⲛⲁⲡϣⲏⲣⲉ ⲙⲡⲣⲱⲙⲉ ⲛⲧⲉⲧⲛⲧⲙⲛⲁⲩ
23 लोग आकर तुम्हें सूचना देंगे, ‘देखो, वह वहां है!’ या, ‘देखो, वह यहां है!’ यह सुनकर तुम चले न जाना और न ही उनके पीछे भागना
ⲕ̅ⲅ̅ⲛⲥⲉϫⲟⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ ϫⲉ ⲓⲥϩⲏⲏⲧⲉ ϥⲙⲡⲉⲓⲙⲁ ⲏ ϩⲙ ⲡⲁⲓ ⲙⲡⲣⲡⲱⲧ ⲉⲃⲟⲗ
24 क्योंकि मनुष्य के पुत्र का दोबारा आना बिजली कौंधने के समान होगा—आकाश में एक छोर से दूसरे छोर तक;
ⲕ̅ⲇ̅ⲛⲑⲉ ⲅⲁⲣ ⲛⲧⲉⲃⲣⲏϭⲉ ⲉϣⲁⲥⲣⲟⲩⲟⲓⲛ ϩⲁⲧⲡⲉ ⲛⲥⲣⲟⲩⲟⲓⲛ ⲉϫⲙⲡⲕⲁϩ ⲧⲁⲓ ⲧⲉ ⲑⲉ ⲉⲧⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲙⲡϣⲏⲣⲉ ⲙⲡⲣⲱⲙⲉ
25 किंतु उसके पूर्व उसका अनेक यातनाएं सहना और इस पीढ़ी द्वारा तिरस्कार किया जाना अवश्य है.
ⲕ̅ⲉ̅ϩⲁⲡⲥ ⲇⲉ ⲛϣⲟⲣⲡ ⲉⲧⲣⲉϥϣⲉⲡϩⲁϩ ⲛϩⲓⲥⲉ ⲛⲥⲉⲧⲥⲧⲟϥ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲓⲧⲛ ⲧⲉⲓⲅⲉⲛⲉⲁ
26 “ठीक जिस प्रकार नोहा के युग में हुआ था, मनुष्य के पुत्र के समय में भी होगा,
ⲕ̅ⲋ̅ⲁⲩⲱ ⲕⲁⲧⲁ ⲑⲉ ⲉⲛⲧⲁⲥϣⲱⲡⲉ ϩⲛ ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲛⲛⲱϩⲉ ⲧⲁⲓ ⲧⲉ ⲑⲉ ⲉⲧⲛⲁϣⲱⲡⲉ ϩⲛ ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲙⲡϣⲏⲣⲉ ⲙⲡⲣⲱⲙⲉ
27 तब भी लोगों में उस समय तक खाना-पीना, विवाहोत्सव होते रहे, जब तक नोहा ने जहाज़ में प्रवेश न किया. तब पानी की बाढ़ आई और सब कुछ नाश हो गया.
ⲕ̅ⲍ̅ⲛⲑⲉ ⲅⲁⲣ ⲉⲛⲧⲁⲥϣⲱⲡⲉ ϩⲛ ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲛⲛⲱϩⲉ ⲉⲑⲁⲏ ⲙⲡⲕⲁⲧⲁⲕⲗⲩⲥⲙⲟⲥ ⲉⲩⲟⲩⲱⲙ ⲉⲩⲥⲱ ⲉⲩϫⲓϩⲓⲙⲉ ⲉⲩϩⲙⲟⲟⲥ ⲛⲙϩⲁⲓ ϣⲁⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲉⲛⲧⲁⲛⲱϩⲉ ⲃⲱⲕ ⲉϩⲟⲩⲛ ⲉⲧϭⲓⲃⲱⲧⲟⲥ ⲁⲡⲕⲁⲧⲁⲕⲗⲩⲥⲙⲟⲥ ⲉⲓ ⲁϥⲧⲁⲕⲟⲟⲩ ⲧⲏⲣⲟⲩ
28 “ठीक यही स्थिति थी लोत के समय में—लोग उत्सव, लेनदेन, खेती और निर्माण का काम करते रहे
ⲕ̅ⲏ̅ⲁⲩⲱ ⲟⲛ ⲕⲁⲧⲁ ⲑⲉ ⲉⲛⲧⲁⲥϣⲱⲡⲉ ϩⲛ ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲗⲗⲱⲧ ⲉⲩⲟⲩⲱⲙ ⲉⲩⲥⲱ ⲉⲩϣⲱⲡ ⲉⲩϯ ⲉⲃⲟⲗ ⲉⲩⲧⲱϭⲉ ⲉⲩⲕⲱⲧ
29 किंतु जैसे ही लोत ने सोदोम नगर से प्रस्थान किया, आकाश से आग और गंधक की बारिश हुई और सब कुछ नाश हो गया.
ⲕ̅ⲑ̅ⲙⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲇⲉ ⲉⲛⲧⲁⲗⲱⲧ ⲉⲓ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ ⲥⲟⲇⲟⲙⲁ ⲁⲩⲕⲱϩⲧ ϩⲱⲟⲩ ⲉⲃⲟⲗ ϩⲛ ⲧⲡⲉ ⲛⲙⲟⲩⲑⲏⲛ ⲁϥⲧⲁⲕⲉⲟⲩⲟⲛ ⲛⲓⲙ
30 “यही सब होगा उस दिन, जब मनुष्य का पुत्र प्रकट होगा.
ⲗ̅ⲧⲁⲓ ⲧⲉ ⲑⲉ ⲉⲧⲛⲁϣⲱⲡⲉ ϩⲙ ⲡⲉϩⲟⲟⲩ ⲉⲧⲉⲣⲉⲡϣⲏⲣⲉ ⲙⲡⲣⲱⲙⲉ ⲛⲁⲩⲱⲛϩ ⲉⲃⲟⲗ
31 उस समय सही यह होगा कि वह, जो छत पर हो और उसकी वस्तुएं घर में हों, वह उन्हें लेने नीचे न उतरे. इसी प्रकार वह, जो खेत में काम कर रहा है, वह भी लौटकर न आए.
ⲗ̅ⲁ̅ϩⲛ ⲛⲉϩⲟⲟⲩ ⲉⲧⲙⲙⲁⲩ ⲡⲉⲧϩⲓϫⲉⲛⲉⲡⲱⲣ ⲉⲣⲉⲛⲉϥϩⲛⲁⲁⲩ ϩⲙ ⲡⲉϥⲏⲓ ⲙⲡⲣⲧⲣⲉϥⲉⲓ ⲉⲡⲉⲥⲏⲧ ⲉϥⲓⲧⲟⲩ ⲁⲩⲱ ⲡⲉⲧϩⲛ ⲧⲥⲱϣⲉ ⲙⲡⲣⲧⲣⲉϥⲕⲟⲧϥ ⲉⲡⲁϩⲟⲩ
32 याद है लोत की पत्नी!
ⲗ̅ⲃ̅ⲁⲣⲓⲡⲙⲉⲉⲩⲉ ⲛⲑⲓⲙⲉ ⲗⲗⲱⲧ
33 जो अपने प्राणों को बचाना चाहता है, उन्हें खो देता है और वह, जो अपने जीवन से मोह नहीं रखता, उसे बचा पाता है.
ⲗ̅ⲅ̅ⲡⲉⲧⲛⲁϣⲓⲛⲉ ⲛⲥⲁⲧⲁⲛϩⲉ ⲧⲉϥⲯⲩⲭⲏ ϥⲛⲁⲥⲟⲣⲙⲉⲥ ⲡⲉⲧⲛⲁⲥⲟⲣⲙⲉⲥ ϥⲛⲁⲧⲁⲛϩⲟⲥ
34 उस रात एक बिछौने पर सोए हुए दो व्यक्तियों में से एक उठा लिया जाएगा, दूसरा छोड़ दिया जाएगा.
ⲗ̅ⲇ̅ϯϫⲱ ⲙⲙⲟⲥ ⲛⲏⲧⲛ ϫⲉ ϩⲛ ⲧⲉⲓⲟⲩϣⲏ ⲟⲩⲛⲥⲛⲁⲩ ⲛⲁϣⲱⲡⲉ ϩⲛ ⲟⲩϭⲗⲟϭ ⲛⲟⲩⲱⲧ ⲥⲉⲛⲁϫⲓⲟⲩⲁ ⲛⲥⲉⲕⲁⲟⲩⲁ
35 दो स्त्रियां एक साथ अनाज पीस रही होंगी, एक उठा ली जाएगी, दूसरी छोड़ दी जाएगी. [
ⲗ̅ⲉ̅ⲟⲩⲛⲥⲛⲧⲉ ⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲉⲩⲛⲟⲩⲧ ϩⲓⲟⲩⲥⲟⲡ ⲥⲉⲛⲁϫⲓⲟⲩⲉⲓ ⲛⲥⲉⲕⲁⲟⲩⲉⲓ
36 खेत में दो व्यक्ति काम कर रहे होंगे एक उठा लिया जाएगा, दूसरा छोड़ दिया जाएगा.]”
ⲗ̅ⲋ̅
37 उन्होंने प्रभु येशु से प्रश्न किया, “कब प्रभु?” प्रभु येशु ने उत्तर दिया, “गिद्ध वहीं इकट्ठा होंगे, जहां शव होता है.”
ⲗ̅ⲍ̅ⲁⲩⲟⲩⲱϣⲃ ⲇⲉ ⲛⲁϥ ϫⲉ ⲉⲧⲱⲛ ⲡϫⲟⲉⲓⲥ ⲛⲧⲟϥ ⲇⲉ ⲡⲉϫⲁϥ ⲛⲁⲩ ϫⲉ ⲡⲙⲁ ⲉⲧⲉⲣⲉⲡⲥⲱⲙⲁ ⲛⲁϣⲱⲡⲉ ⲙⲙⲟϥ ⲉⲣⲉⲛⲁⲉⲧⲟⲥ ⲛⲁⲥⲱⲟⲩϩ ⲉⲣⲟϥ

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