< लूका 10 >
1 इसके बाद प्रभु ने अन्य बहत्तर व्यक्तियों को चुनकर उन्हें दो-दो करके उन नगरों और स्थानों पर अपने आगे भेज दिया, जहां वह स्वयं जाने पर थे.
ᎾᏍᎩᏃ ᏄᎵᏍᏔᏂᏙᎸ, ᎤᎬᏫᏳᎯ ᏅᏩᎾᏓᎴ ᎦᎵᏆᏍᎪᎯ ᎢᏯᏂᏛ ᎾᏍᏉ ᏚᏑᏰᏎᎢ ᎠᎴ ᏚᏅᏎ ᏔᎵ ᏧᎾᎵᎪᏅᏛ ᎢᎬᏱ ᏄᏁᏅᏍᏗᏱ ᏂᎦᏛ ᏕᎦᏚᏩᏗᏒ ᎠᎴ ᏂᎬᎾᏛ, ᎾᎿᎭᎤᏩᏒ ᏭᎷᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ.
2 प्रभु येशु ने उनसे कहा, “उपज तो बहुत है किंतु मज़दूर कम, इसलिये उपज के स्वामी से विनती करो कि इस उपज के लिए मज़दूर भेज दें.”
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎤᎦᏛᎾᏨᎯ ᎤᏙᎯᏳᎯ ᎤᏣᏔ, ᏧᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎯᏍᎩᏂ ᎠᏂᎦᏲᎵᏳ; ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎡᏣᏓᏙᎵᏍᏓᏏ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎤᎦᏛᎾᏨᎯ ᎤᏤᎵᎦ, ᏂᏙᏓᏳᏅᏍᏗᏱ ᏧᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎯ ᎾᎿᎭᎤᎦᏛᎾᏤᎸᎢ.
3 जाओ! मैं तुम्हें भेज रहा हूं. तुम भेड़ियों के मध्य मेमनों के समान हो.
ᎢᏤᎾ; ᎬᏂᏳᏉ ᎢᏨᏅᎵ ᎤᏂᏃᏕᎾ ᎠᏂᎩᎾ ᏩᏲᎯ ᏥᏩᏂᎶᏍᎪ ᎾᏍᎩᏯᎢ.
4 अपने साथ न तो धन, न झोला और न ही जूतियां ले जाना. मार्ग में किसी का कुशल मंगल पूछने में भी समय खर्च न करना.
ᏞᏍᏗ ᏗᏥᏅᏒᎩ ᎠᏕᎸ ᏗᎦᎶᏗ, ᎠᎴ ᏕᎦᎶᏗ, ᎠᎴ ᏗᎳᏑᎶ; ᎠᎴ ᏞᏍᏗ ᎩᎶ ᎡᏥᏲᎵᎸᎩ ᎢᏣᎢᏒᎢ.
5 “जिस किसी घर में प्रवेश करो, तुम्हारे सबसे पहले शब्द हों, ‘इस घर में शांति बनी रहे.’
ᎢᎸᎯᏢᏃ ᎠᏓᏁᎸ ᎢᏥᏴᎯᎮᏍᏗ, ᎢᎬᏱ, ᏅᏩᏙᎯᏯᏛ ᎡᎮᏍᏗ ᎠᏂ ᎠᏓᏁᎸᎢ, ᎢᏣᏗᏍᎨᏍᏗ.
6 यदि परिवार-प्रधान शांति प्रिय व्यक्ति है, तुम्हारी शांति उस पर बनी रहेगी. यदि वह ऐसा नहीं है तो तुम्हारी शांति तुम्हारे ही पास लौट आएगी.
ᎢᏳᏃ ᏅᏩᏙᎯᏯᏛ ᎤᏪᏥ ᎾᎿᎭᎡᎮᏍᏗ, ᏅᏩᏙᎯᏯᏛ ᎢᏣᏤᎵᎦ ᎤᎷᏤᏗ ᎨᏎᏍᏗ; ᎢᏳᏃ ᎾᎿᎭᏁᎲᎾ ᎢᎨᏎᏍᏗ ᎢᏨᏒᏉ ᎢᏥᎷᏥᏌᏁᏗ ᎨᏎᏍᏗ.
7 उसी घर के मेहमान बने रहना. भोजन और पीने के लिए जो कुछ तुम्हें परोसा जाए, उसे स्वीकार करना क्योंकि सेवक अपने वेतन का अधिकारी है. एक घर से निकलकर दूसरे घर में मेहमान न बनना.
ᎠᎴ ᎾᎿᎭᏉ ᎠᏓᏁᎸ ᎢᏥᏁᏍᏗ, ᎢᏣᎵᏍᏓᏴᏗᏍᎨᏍᏗ ᎠᎴ ᎢᏣᏗᏔᏍᎨᏍᏗ ᏄᏍᏛ ᎡᏥᏁᎲᎢ; ᏧᎸᏫᏍᏓᏁᎯᏰᏃ ᏚᏳᎪᏗ ᎠᎫᏴᎡᏗᏱ ᏚᎸᏫᏍᏓᏁᎸᎢ. ᏞᏍᏗ ᏓᏓᏁᎳᏗᏒ ᏱᏤᏙᎵᏙᎮᏍᏗ
8 “जब तुम किसी नगर में प्रवेश करो और वहां लोग तुम्हें सहर्ष स्वीकार करें, तो जो कुछ तुम्हें परोसा जाए, उसे खाओ.
ᎠᎴ ᎢᎸᎯᏢ ᎦᏚᎲ ᎢᏥᎷᎨᏍᏗ, ᎠᎴ ᏕᎨᏣᏓᏂᎸᎨᏍᏗ, ᏄᏍᏛ ᎨᏤᎳᏍᏗᏍᎬ ᎢᏣᎵᏍᏓᏴᏗᏍᎨᏍᏗ.
9 वहां जो बीमार हैं, उन्हें चंगा करना और उन्हें सूचित करना, ‘परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ गया है.’
ᎠᎴ ᏕᏥᏅᏫᏍᎨᏍᏗ ᏧᏂᏢᎩ ᎾᎿᎭᎠᏁᎲᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏕᏥᏪᏎᎮᏍᏗ, ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒ ᎾᎥᏂᏳ ᎢᏥᎷᏤᎸ.
10 किंतु यदि तुम किसी नगर में प्रवेश करो और वहां नगरवासियों द्वारा स्वीकार न किए जाओ तो उस नगर की गलियों में जाकर यह घोषणा करो,
ᎢᎸᎯᏢᏍᎩᏂ ᎦᏚᎲ ᎢᏥᏴᎯᎮᏍᏗ, ᏂᏗᎨᏣᏓᏂᎸᎬᎾᏃ ᎢᎨᏎᏍᏗ, ᎢᏥᏄᎪᎨᏍᏗ ᏕᎦᎳᏅᏛ ᎾᎿᎭᏂ ᏫᏥᎶᏍᎨᏍᏗ, ᎯᎠ ᏂᏥᏪᏍᎨᏍᏗ,
11 ‘तुम्हारे नगर की धूल तक, जो हमारे पांवों में लगी है, उसे हम तुम्हारे सामने एक चेतावनी के लिए झाड़ रहे हैं; परंतु यह जान लो कि परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है.’
ᎾᏍᏉ ᎪᏍᏚᏉ ᎢᏥᏚᎲ ᎦᎳᎨᏴᎢ, ᎾᏍᎩ ᎣᎩᏯᎸᎬᎢ ᎣᏥᏅᎪᎥᏗ ᎢᏨᎢᏰᎭ; ᎠᏎᏃ ᎯᎠ ᏄᏍᏕᏍᏗ ᎢᏥᎦᏔᎮᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒ ᎾᎥᏂᏳ ᎢᏥᎷᏤᎸᎢ.
12 सच मानो, न्याय के दिन पर सोदोम नगर के लिए तय किया गया दंड उस नगर के लिए तय किए दंड की तुलना में सहने योग्य होगा.
ᎠᏎᏃ ᎯᎠ ᏂᏨᏪᏎᎭ, ᎡᏍᎦᏉ ᎢᎦᎢ ᎤᏂᎩᎵᏲᎢᏍᏗ ᎨᏎᏍᏗ ᏐᏓᎻ ᎾᎯᏳ ᎢᎦ ᎨᏎᏍᏗ ᎤᏟᎯᏳ ᎾᏍᎩ ᎦᏚᎲᎢ.
13 “धिक्कार है तुझ पर कोराज़ीन! धिक्कार है तुझ पर बैथसैदा! ये ही अद्भुत काम, जो तुझमें किए गए हैं यदि सोर और सीदोन नगरों में किए जाते तो वे विलाप-वस्त्र पहन, राख में बैठकर, कब के पश्चाताप कर चुके होते! पश्चाताप कर चुके होते.
ᎤᏲᏂᏳ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ ᏂᎯ ᎪᎴᏏᏂ! ᎤᏲᎢᏳ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ ᏂᎯ ᏇᏣᏱᏗ! ᎢᏳᏰᏃ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏱᏙᎦᎸᏫᏍᏓᏁᎴ ᏔᏯ ᎠᎴ ᏌᏙᏂ ᏂᎯ ᎢᏤᎲ ᏕᎦᎸᏫᏍᏓᏁᎸᎢ, ᎪᎯᎩ ᏗᎬᏩᏂᏁᏟᏴᏛ ᏱᎨᏎ ᏚᎾᏓᏅᏛᎢ, ᏧᏏᏕᎾ ᏱᏚᎾᏄᏩᎡ ᎠᎴ ᎪᏍᏚᎯ ᏳᎾᏅᏁᎢ.
14 किंतु तुम दोनों नगरों की तुलना में सोर और सीदोन नगरों का दंड सहने योग्य होगा.
ᎠᏍᎡᏃ ᎤᏟ ᎣᏏᏳ ᎢᏳᎾᎵᏍᏓᏁᏗ ᎨᏎᏍᏗ ᏔᏯ ᎠᎴ ᏌᏙᏂ ᎤᎵᏍᏆᎸᏗ ᎢᎦ ᎨᏎᏍᏗ ᎡᏍᎦᏉ ᏂᎯ.
15 और कफ़रनहूम! क्या तू स्वर्ग तक ऊंचा किए जाने की आशा कर रहा है? अरे! तुझे तो पाताल में उतार दिया जाएगा. (Hadēs )
ᎠᎴ ᏂᎯ ᎨᏆᏂ ᎦᎸᎳᏗ ᎢᏴᏛ ᏤᏣᏌᎳᏓ, ᏨᏍᎩᏃ ᎢᏴᏛ ᏮᏓᏰᏣᎶᎥᏔᏂ. (Hadēs )
16 “वह, जो तुम्हारी शिक्षा को सुनता है, मेरी शिक्षा को सुनता है; वह, जो तुम्हें अस्वीकार करता है, मुझे अस्वीकार करता है किंतु वह, जो मुझे अस्वीकार करता है, उन्हें अस्वीकार करता है, जिन्होंने मुझे भेजा है.”
ᎩᎶ ᏂᎯ ᎢᏣᏛᏓᏍᏓᏁᎮᏍᏗ ᎠᏴ ᎠᏆᏛᏓᏍᏓᏁᎮᏍᏗ; ᎩᎶᏃ ᎢᏥᏂᏆᏘᎮᏍᏗ, ᎠᏴ ᎠᎩᏂᏆᏘᎮᏍᏗ; ᎩᎶᏃ ᎠᏴ ᎠᎩᏂᏆᏘᎮᏍᏗ ᎦᏂᏆᏘᎮᏍᏗ ᏅᏛᎩᏅᏏᏛ.
17 वे बहत्तर बहुत उत्साह से भरकर लौटे और कहने लगे, “प्रभु! आपके नाम में तो दुष्टात्मा भी हमारे सामने समर्पण कर देते हैं!”
ᎦᎵᏆᏍᎪᎯᏃ ᎢᏯᏂᏛ ᏔᎵᏁ ᎤᏂᎷᏤ ᎤᎵᎮᎵᏍᏗ ᏚᏁᏓᏅᏖᎢ, ᎯᎠ ᎾᏂᏪᏍᎨᎢ, ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎠᏂᏍᎩᎾ ᎾᏍᏉ ᎢᎪᎪᎯᏳᎲᏍᎦ ᏂᎯ ᏕᏣᏙᎥ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ.
18 इस पर प्रभु येशु ने उनसे कहा, “मैं शैतान को बिजली के समान स्वर्ग से गिरते देख रहा था.
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᏎᏓᏂ ᏥᎪᎥᎩ ᎠᎾᎦᎵᏍᎩ ᎦᎸᎳᏗ ᏨᏗᎦᏙᎠᏍᎪ ᎾᏍᎩᏯ ᏓᏳᏙᎠᏒᎩ.
19 मैंने तुम्हें सांपों और बिच्छुओं को रौंदने तथा शत्रु के सभी सामर्थ्य का नाश करने का अधिकार दिया है इसलिये किसी भी रीति से तुम्हारी हानि न होगी.
ᎬᏂᏳᏉ ᎢᏨᏯᎵᏍᎪᎸᏓᏏ ᏗᏣᎳᏍᏓᎡᏗᏱ ᎢᎾᏛ ᎠᎴ ᏗᏂᏙᎬ ᏗᎾᏓᏨᏯᏍᏗᏍᎩ, ᎠᎴ ᎢᏣᏓᎵᏁᎯᏕᏗᏱ ᏂᎦᎥ ᎤᎵᏂᎩᏗᏳ ᎨᏒ ᎠᎦᏍᎩ; ᎥᏝ ᎠᎴ ᎪᎱᏍᏗ ᏰᎵ ᎤᏲ ᎢᎨᏨᏁᏗ ᏱᎨᏎᏍᏗ.
20 फिर भी, तुम्हारे लिए आनंद का विषय यह न हो कि दुष्टात्मा तुम्हारी आज्ञाओं का पालन करते हैं परंतु यह कि तुम्हारे नाम स्वर्ग में लिखे जा चुके हैं.”
ᎠᏎᏍᎩᏂᏃᏅ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎥᏝᏍᏗ ᏱᏣᎵᎮᎵᏍᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᏗᏓᏅᏙ ᎨᏦᎯᏳᏒᎢ; ᎢᏣᎵᎮᎵᎨᏍᏗᏍᎩᏂ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨᏍᏗ ᏕᏣᏙᎥ ᎦᎸᎳᏗ ᏦᏒ ᏫᏗᎪᏪᎸᎢ.
21 प्रभु येशु पवित्र आत्मा के आनंद से भरकर कहने लगे, “पिता! स्वर्ग और पृथ्वी के स्वामी, मैं आपकी स्तुति करता हूं कि आपने ये सभी सच बुद्धिमानों और ज्ञानियों से छुपा रखे और नन्हे बालकों पर प्रकट कर दिए क्योंकि पिता, आपकी दृष्टि में यही अच्छा था.
ᎾᎯᏳ ᏥᏌ ᎤᎵᎮᎵᏤ ᎤᏓᏅᏙᎩᎯ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎬᏯᎵᎡᎵᏤᎭ ᎡᏙᏓ ᏣᎬᏫᏳᎯ ᎦᎸᎳᏗ ᎠᎴ ᎡᎶᎯ, ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏥᏕᎲᏍᎦᎳᏁᎸ ᎠᏂᏏᎾᏌᏂ ᎠᎴ ᎠᏁᏯᏔᎯ, ᏗᏂᏲᎵᏃ ᏥᏕᎯᎾᏄᎪᏫᏎᎸ; ᎥᎥ, ᎡᏙᏓ; ᎾᏍᎩᏰᏃ ᎣᏏᏳ ᏣᏰᎸᏅᎯ.
22 “मेरे पिता द्वारा सब कुछ मुझे सौंप दिया गया है. पिता के अलावा कोई नहीं जानता कि पुत्र कौन है, और कोई नहीं जानता कि पिता कौन हैं, सिवाय पुत्र के तथा वे, जिन पर वह प्रकट करना चाहें.”
ᏂᎦᎥ ᎪᎱᏍᏗ ᏓᎩᏲᎯᏎᎸ ᎡᏙᏓ; ᎥᏝ ᎠᎴ ᎩᎶ ᏯᎦᏔᎭ ᎾᏍᎩ ᎨᏒ ᎤᏪᏥ, ᎠᎦᏴᎵᎨ ᎤᏩᏒ; ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎠᎦᏴᎵᎨ ᎨᏒ ᎤᏪᏥ ᎤᏩᏒ, ᎠᎴ ᎩᎶ ᏥᎾᏄᎪᏫᏏ ᎡᎳ ᎤᏪᏥ.
23 तब प्रभु येशु ने अपने शिष्यों की ओर उन्मुख हो उनसे व्यक्तिगत रूप से कहा, “धन्य हैं वे आंख, जो वह देख रही हैं, जो तुम देख रहे हो
ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯᏃ ᎢᏗᏢ ᏭᎦᏔᎲᏍᏔᏅ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴ ᎤᏅᏒ ᎨᏒᎢ, ᏗᎦᎸᏉᏔᏅᎯ ᏗᎦᏙᎵ ᎾᏍᎩ ᏥᏓᎪᏩᏘᎭ ᏂᎯ ᏥᏥᎪᏩᏘᎭ;
24 क्योंकि सच मानो, अनेक भविष्यवक्ता और राजा वह देखने की कामना करते रहे, जो तुम देख रहे हो किंतु वे देख न सके तथा वे वह सुनने की कामना करते रहे, जो तुम सुन रहे हो किंतु सुन न सके.”
ᎢᏨᏲᏎᏰᏃ ᎤᏂᏣᏛᎩ ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ ᎠᎴ ᎤᏂᎬᏫᏳᎯ ᎤᎾᏚᎸᎲᎩ ᏂᎯ ᏥᏥᎪᏩᏘ ᎤᏂᎪᏩᏛᏗᏱ, ᎠᏎᏃ ᎥᏝ ᏳᏂᎪᎮᎢ; ᎠᎴ ᎤᎾᏛᎪᏗᏱ ᎾᏍᎩ ᏂᎯ ᏥᏣᏛᎩᎭ, ᎠᏎᏃ ᎥᏝ ᏳᎾᏛᎦᏁᎢ
25 एक अवसर पर एक वकील ने प्रभु येशु को परखने के उद्देश्य से उनके सामने यह प्रश्न रखा: “गुरुवर, अनंत काल के जीवन को पाने के लिए मैं क्या करूं?” (aiōnios )
ᎬᏂᏳᏉᏃ, ᎩᎶ ᎢᏳᏍᏗ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᏗᎪᏏᏏᏍᎩ ᏚᎴᏁᎢ, ᎠᎴ ᎤᎪᎵᏰᏍᎬ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ, ᎦᏙ ᏯᏆᏛᏁᎸ ᎠᏆᏤᎵ ᏱᏂᎦᎵᏍᏓ ᎬᏂᏛ ᎠᎵᏍᏆᏗᏍᎩ ᏂᎨᏒᎾ? (aiōnios )
26 प्रभु येशु ने उससे प्रश्न किया, “व्यवस्था में क्या लिखा है, इसके विषय में तुम्हारा विश्लेषण क्या है?”
ᎯᎠᏃ ᎾᏥᏪᏎᎴᎢ, ᎦᏙ ᎬᏅ ᎪᏪᎳ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗᏱ? ᎦᏙ ᎤᏍᏙ ᎯᎪᎵᏰᏍᎪᎢ?
27 उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “‘प्रभु, अपने परमेश्वर से अपने सारे हृदय, अपने सारे प्राण, अपनी सारी शक्ति तथा अपनी सारी समझ से प्रेम करो तथा अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम.’”
ᏧᏁᏨᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎯᎨᏳᏎᏍᏗ ᏱᎰᏩ ᏣᏁᎳᏅᎯ, ᎲᏗᏍᎨᏍᏗ ᏂᎦᎥ ᏣᎾᏫ ᏣᎸᎢ, ᎠᎴ ᏂᎦᎥ ᏣᏓᏅᏙᎩ, ᎠᎴ ᏂᎦᎥ ᏣᎵᏂᎬᎬᎢ, ᎠᎴ ᏂᎦᎥ ᏣᏓᏅᏖᏗ ᎨᏒᎢ; ᎾᎥᏃ ᎢᏗᏍᏓᏓᎳ ᏨᏒ ᏂᏣᏓᎨᏳᏒ ᎾᏍᎩᏯ ᏂᎨᏳᏎᏍᏗ.
28 प्रभु येशु ने उससे कहा, “तुम्हारा उत्तर बिलकुल सही है. यही करने से तुम जीवित रहोगे.”
ᎯᎠᏃ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᏰᎵᏉ ᏂᏫ; ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᎿᎭᏛᏁᎮᏍᏗ, ᎲᏁᏍᏗᏃ.
29 स्वयं को संगत प्रमाणित करने के उद्देश्य से उसने प्रभु येशु से प्रश्न किया, “तो यह बताइए कौन है मेरा पड़ोसी?”
ᎠᏎᏃ ᎤᏚᎵᏍᎬ ᎤᏚᏓᎴᏍᏗᏱ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᏥᏌ, ᎦᎪᏃ ᎾᎥ ᎢᏦᎩᎾᏓᎳ?
30 प्रभु येशु ने उत्तर दिया. “येरूशलेम नगर से एक व्यक्ति येरीख़ो नगर जा रहा था कि डाकुओं ने उसे घेर लिया, उसके वस्त्र छीन लिए, उसकी पिटाई की और उसे अधमरी हालत में छोड़कर भाग गए.
ᏥᏌᏃ ᏧᏁᏨ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎩᎶ ᎢᏳᏍᏗ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᎤᏂᎩᏎ ᏤᎵᎪ ᎤᏪᏅᏎᎢ, ᏗᎾᏓᎾᏌᎲᏍᎩᏃ ᏚᎾᏓᏩᏛᏔᏁᎢ, ᎾᏍᎩ ᏕᎬᏩᏄᏪᏎ ᏚᏄᏩᎥᎢ, ᎠᎴ ᎬᏩᎵᎥᏂᎴᎢ, ᎠᎴ ᎤᎾᏓᏅᏎ ᎬᏩᏕᏤ ᎠᏰᎵ ᎢᏴᏛ ᎤᏲᎱᏒᎯ ᎨᏎᎢ.
31 संयोग से एक पुरोहित उसी मार्ग से जा रहा था. जब उसने उस व्यक्ति को देखा, वह मार्ग के दूसरी ओर से आगे बढ़ गया.
ᎠᏰᎵᏃ ᏄᏮᏔᏁ ᎩᎶ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᎾᎿᎭᏂᎦᏅᏅ ᏗᎤᎶᏎᎢ; ᎤᎪᎲᏃ ᎠᏂᏗᏢᏉ ᏄᎶᏎᎢ.
32 इसी प्रकार एक लेवी भी उसी स्थान पर आया, उसकी दृष्टि उस पर पड़ी तो वह भी दूसरी ओर से होता हुआ चला गया.
ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᎠᎵᏫ ᎾᎿᎭᎡᏙᎲ, ᎤᎷᏤ ᎤᎦᏔᏁᎢ, ᎠᎴ ᎠᏂᏗᏢᏉ ᏄᎶᏎᎢ.
33 एक शमरियावासी भी उसी मार्ग से यात्रा करते हुए उस जगह पर आ पहुंचा. जब उसकी दृष्टि उस घायल व्यक्ति पर पड़ी, वह दया से भर गया.
ᎩᎶᏍᎩᏂ ᎢᏳᏍᏗ ᏌᎺᎵᏱ ᎡᎯ ᎠᎢᏒᎢ, ᎤᎷᏤ ᎦᏅᎢ; ᎤᎪᎲᏃ ᎤᏪᏙᎵᏤᎢ;
34 वह उसके पास गया और उसके घावों पर तेल और दाखरस लगाकर पट्टी बांधी. तब वह घायल व्यक्ति को अपने वाहक पशु पर बैठाकर एक यात्री निवास में ले गया तथा उसकी सेवा टहल की.
ᎠᎴ ᏭᎷᏤ ᎠᎴ ᏚᎸᎡᎴ ᏓᏥᏐᏅᏅᎢ, ᎠᎴ ᎪᎢ ᎩᎦᎨᏃ-ᎠᏗᏔᏍᏗ ᏓᏍᏚᏞᎮᎢ, ᎠᎴ ᎤᏩᏒ ᎤᎩᎸᏙᏗ ᎤᎩᎸᏔᏁᎢ, ᏧᏂᏒᏍᏗᏱᏃ ᎠᏓᏁᎸ ᎤᏘᏃᎴᎢ, ᎠᎴ ᎤᏍᏆᏂᎪᏔᏁᎢ.
35 अगले दिन उसने दो दीनार यात्री निवास के स्वामी को देते हुए कहा, ‘इस व्यक्ति की सेवा टहल कीजिए. इसके अतिरिक्त जो भी लागत होगा वह मैं लौटने पर चुका दूंगा.’
ᎤᎩᏨᏛᏃ ᎿᎭᏉ ᎤᏂᎩᏒ, ᏔᎵ ᎠᏂᎩᏏ ᏧᎾᎬᏩᎶᏗ ᏑᎴᏎᎢ, ᎠᎴ ᏚᏁᎴ ᎦᏁᎳ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎯᏍᏆᏂᎪᏕᏍᏗ, ᎢᎦᎢᏃ ᏫᎦᎶᏒᏍᏗᏍᎬ ᏣᎫᏴᎯᏙᎸᎢ, ᎢᏥᎷᏨᎭ ᎢᎬᏯᎫᏴᎡᎸᎭ.
36 “यह बताओ तुम्हारे विचार से इन तीनों व्यक्तियों में से कौन उन डाकुओं द्वारा घायल व्यक्ति का पड़ोसी है?”
ᎯᎠᏃ ᎾᏍᎩ ᏦᎢ ᎢᏯᏂᏛ ᎨᏒ, ᏂᎯ ᎭᏓᏅᏖᏍᎬ, ᎦᎪ ᎾᎥ ᎢᏧᎾᏓᎳ ᏅᏩᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᏗᎾᏓᎾᏌᎲᏍᎩ ᏥᏚᎾᏓᏩᏛᏔᏁᎢ?
37 वकील ने उत्तर दिया, “वही, जिसने उसके प्रति करुणाभाव का परिचय दिया.” प्रभु येशु ने उससे कहा, “जाओ, तुम्हारा स्वभाव भी ऐसा ही हो.”
ᎯᎠᏃ ᏄᏪᏎᎢ, ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎤᏪᏙᎵᏨᎯ. ᎿᎭᏉᏃ ᏥᏌ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎮᎾ, ᎠᎴ ᏂᎯ ᎾᏍᎩᏯ ᏫᎾᏛᎦ.
38 प्रभु येशु और उनके शिष्य यात्रा करते हुए एक गांव में पहुंचे, जहां मार्था नामक एक स्त्री ने उन्हें अपने घर में आमंत्रित किया.
ᎯᎠᏃ ᏄᎵᏍᏔᏁ ᎠᎾᎢᏒᎢ, ᎾᏍᎩ ᎢᎸᎯᏢ ᎦᏚᎲ ᎤᎷᏤᎢ; ᎩᎶᏃ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᎨᏴ ᎹᏗ ᏧᏙᎢᏛ ᏚᏓᏂᎸᏤ ᎦᏁᎸᎢ.
39 उसकी एक बहन थी, जिसका नाम मरियम था. वह प्रभु के चरणों में बैठकर उनके प्रवचन सुनने लगी
ᎤᎸᏃ ᎡᎮ ᎺᎵ ᏧᏙᎢᏛ, ᎾᏍᎩ ᎾᏍᏉ ᎤᏬᎴ ᏥᏌ ᏚᎳᏍᎬᎢ, ᎠᎴ ᎤᏛᏓᏍᏕ ᎦᏬᏂᏍᎬᎢ.
40 किंतु मार्था विभिन्न तैयारियों में उलझी रही. वह प्रभु येशु के पास आई और उनसे प्रश्न किया, “प्रभु, क्या आपको इसका लेश मात्र भी ध्यान नहीं कि मेरी बहन ने अतिथि-सत्कार का सारा बोझ मुझ अकेली पर ही छोड़ दिया है? आप उससे कहें कि वह मेरी सहायता करे.”
ᎹᏗᏍᎩᏂ ᎤᏪᎵᎯᏍᏗᏍᎨ ᎤᏣᏘ ᏚᎸᏫᏍᏓᏁᎲᎢ, ᎠᎴ ᎤᎷᏤᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᏝᏍᎪ ᎪᎱᏍᏗ ᏰᎵᎭ ᎥᎩᎸ ᏣᏋᏕᏨ ᏣᎩᎯᏯᏍᏓᏁᎸ ᎠᏋᏒᏉ ᎪᎱᏍᏗ ᎢᏨᏯᏛᏁᏗᏱ? ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᏘᏁᏥ ᏓᎩᏍᏕᎸᏗᏱ.
41 “मार्था, मार्था,” प्रभु ने कहा, “तुम अनेक विषयों की चिंता करती और घबरा जाती हो
ᏥᏌᏃ ᎤᏁᏨ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎹᏗ, ᎹᏗ, ᎤᏣᏘ ᏧᏓᎴᏅᏛ ᏣᎦᏌᏯᏍᏛ ᏤᎵᎯᏍᏗᎭ ᎠᎴ ᏣᏕᏯᏙᏗᎭ;
42 किंतु ज़रूरत तो कुछ ही की है—वास्तव में एक ही की. मरियम ने उसी उत्तम भाग को चुना है, जो उससे कभी अलग न किया जाएगा.”
ᏑᏓᎴᎩᏉ ᏍᎩᏂ ᎤᏚᎸᏗ; ᎠᎴ ᎺᎵ ᎤᏑᏰᏒ ᎾᏍᎩ ᎣᏌᏂ ᎨᏒᎢ, ᎾᏍᎩ ᎦᏰᏥᎩᎡᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᏥᎩ.