< लैव्यव्यवस्था 27 >

1 याहवेह ने मोशेह को यह आज्ञा दी,
Locutusque est Dominus ad Moysen, dicens:
2 “इस्राएल के घराने को यह आज्ञा दो: ‘जब कोई किसी व्यक्ति को याहवेह के लिए भेंट करने की विशेष मन्नत माने, तो उस व्यक्ति के ठहराए हुए मूल्य को इस प्रकार तय किया जाए:
Loquere filiis Israel, et dices ad eos: Homo qui votum fecerit, et spoponderit Deo animam suam, sub aestimatione dabit pretium.
3 बीस वर्ष से साठ वर्ष तक की आयु के पुरुष के लिए पवित्र स्थान के शेकेल के अनुसार चांदी के पचास शेकेल;
Si fuerit masculus a vigesimo anno usque ad sexagesimum annum, dabit quinquaginta siclos argenti ad mensuram Sanctuarii:
4 यदि कोई स्त्री है, तो उसके लिए तीस शेकेल;
si mulier, triginta.
5 पांच वर्ष से बीस वर्ष तक की आयु के युवक के लिए बीस शेकेल तथा युवती के लिए दस शेकेल;
A quinto autem anno usque ad vigesimum, masculus dabit viginti siclos: femina decem.
6 एक माह से पांच वर्ष तक की आयु के बालक के लिए चांदी के पांच शेकेल तथा बालिका के लिए चांदी के तीन शेकेल;
Ab uno mense usque ad annum quintum, pro masculo dabuntur quinque sicli: pro femina, tres.
7 साठ वर्ष और इससे ऊपर की आयु के पुरुष के लिए पन्द्रह शेकेल तथा स्त्री के लिए दस शेकेल.
Sexagenarius et ultra masculus dabit quindecim siclos: femina decem.
8 किंतु यदि कोई इतना कंगाल है कि वह ठहराया हुआ मूल्य न दे पाए, तो उसे पुरोहित के सामने ले जाए और पुरोहित उसका मूल्य तय करे. पुरोहित उस व्यक्ति के साधनों के अनुसार ही उसका मूल्य तय करेगा, जिसने मन्नत मानी है.
Si pauper fuerit, et aestimationem reddere non valebit, stabit coram sacerdote: et quantum ille aestimaverit, et viderit eum posse reddere, tantum dabit.
9 “‘यदि मन्नत के रूप में याहवेह को एक पशु भेंट किया जाना है, तो याहवेह को चढ़ाया गया पशु पवित्र माना जाएगा.
Animal autem, quod immolari potest Domino, si quis voverit, sanctum erit,
10 वह न तो इसको बदले, न तो अच्छे के लिए बुरा और न ही बुरे के लिए अच्छा. किंतु यदि कोई ऐसा बदला कर भी लेता है, तो वह पशु और उसके बदले दूसरा पशु दोनों ही पवित्र माने जाएंगे.
et mutari non poterit, id est, nec melius malo, nec peius bono. quod si mutaverit: et ipsum quod mutatum est, et illud pro quo mutatum est, consecratum erit Domino.
11 किंतु यदि मन्नत का पशु अशुद्ध हो और याहवेह को बलि देने योग्य न हो, तो वह उस पशु को पुरोहित के सामने लाए.
Animal immundum, quod immolari Domino non potest, si quis voverit, adducetur ante sacerdotem.
12 पुरोहित उसे अच्छा या बुरा ठहराए और जो पुरोहित तय करेगा, वही मान्य होगा.
qui diiudicans utrum bonum an malum sit, statuet pretium.
13 यदि वह उसको छुड़ाना चाहे, तो तय मूल्य के अलावा उसका पांचवा भाग भी चुकाए.
quod si dare voluerit is, qui offert, addet supra aestimationem quintam partem.
14 “‘यदि कोई अपना घर पवित्र कर याहवेह के लिए अलग करे, तो पुरोहित द्वारा इसको अच्छा या बुरा ठहराया जाए और जो पुरोहित तय करेगा, वह मान्य होगा.
Homo si voverit domum suam, et sanctificaverit Domino, considerabit eam sacerdos utrum bona an mala sit, et iuxta pretium, quod ab eo fuerit constitutum, venundabitur:
15 यदि वह व्यक्ति, जिसने इसे पवित्र किया है, वह अपने घर को छुड़ाना चाहे, तो तय मूल्य के अलावा उसका पांचवा भाग भी चुकाए, जिससे वह घर उसका हो जाएगा.
sin autem ille qui voverat, voluerit redimere eam, dabit quintam partem aestimationis supra, et habebit domum.
16 “‘यदि कोई अपनी पैतृक संपत्ति के खेतों को याहवेह के लिए पवित्र करे, तो उसका मूल्य उसमें लगे बीज के अनुसार ठहराया जाए; बोने के लिए दस एफाह बीज के लिए चांदी के पचास शेकेल.
Quod si agrum possessionis suae voverit, et consecraverit Domino: iuxta mensuram sementis aestimabitur pretium. si triginta modiis hordei seritur terra, quinquaginta siclis venundetur argenti.
17 यदि वह योवेल वर्ष से ही अपना खेत पवित्र करे, तो ठहराया गया मूल्य पूरा-पूरा दिया जाए;
Si statim ab anno incipientis iubilei voverit agrum, quanto valere potest, tanto aestimabitur.
18 किंतु यदि वह योवेल वर्ष के बाद अपना खेत पवित्र करे, तो पुरोहित आनेवाले योवेल वर्ष तक जितने वर्ष बचे हैं, उनकी संख्या के अनुसार खेत का ठहराया हुआ मूल्य कम कर दे.
sin autem post aliquantum temporis: supputabit sacerdos pecuniam iuxta annorum, qui reliqui sunt, numerum usque ad iubileum, et detrahetur ex pretio.
19 यदि वह व्यक्ति, जिसने इसे पवित्र किया है, स्वयं इसे छुड़ाना चाहता है, तो ठहराए गए मूल्य के अलावा उसका पांचवा अंश भी चुकाए, कि वह खेत उसे लौटा दिया जाए.
Quod si voluerit redimere agrum ille, qui voverat, addet quintam partem aestimatae pecuniae, et possidebit eum.
20 किंतु यदि वह उस खेत को नहीं छुड़ाना चाहता और उसे किसी दूसरे को बेच देता है, तब उस खेत को नहीं छुड़ाया जा सकता.
Sin autem noluerit redimere, sed alteri cuilibet fuerit venundatus, ultra eum qui voverat redimere non poterit:
21 यदि योवेल वर्ष में वह खेत छूट जाता है, तो वह याहवेह के लिए पवित्र खेत के समान अलग माना जाएगा. वह खेत पुरोहित की संपत्ति हो जाएगा.
quia cum iubilei venerit dies, sanctificatus erit Domino, et possessio consecrata ad ius pertinet sacerdotum.
22 “‘यदि कोई व्यक्ति याहवेह के लिए ऐसा खेत पवित्र करे, जिसे उसने खरीदा हो और जो उसकी पैतृक संपत्ति का भाग न हो,
Si ager emptus est, et non de possessione maiorum sanctificatus fuerit Domino,
23 तो पुरोहित योवेल वर्ष तक जितने वर्ष रह गए हों, उसके आधार पर उस खेत का मूल्य तय करे. और उस दिन पुरोहित तुम्हारे इस बेचने के दाम को याहवेह के लिए पवित्र दान के स्वरूप दे दे.
supputabit sacerdos iuxta annorum numerum usque ad iubileum, pretium: et dabit ille qui voverat eum, Domino.
24 योवेल वर्ष में वह खेत उस व्यक्ति को छोड़ दिया जाए जिससे उसने वह खेत खरीदा था, अर्थात् उस व्यक्ति को, जो उस खेत का असली स्वामी है.
in iubileo autem revertetur ad priorem dominum, qui vendiderat eum, et habuerat in sorte possessionis suae.
25 तुम्हारा हर एक बेचने का दाम ठहराए गए पवित्र स्थान के शेकेल के अनुसार ही हो. और एक शेकेल बीस गेरा का हो.
Omnis aestimatio siclo sanctuarii ponderabitur. Siclus viginti obolos habet.
26 “‘किंतु पशुओं के पहलौठे पर सिर्फ याहवेह का अधिकार है, कोई भी उसे समर्पण न करे; चाहे वह बैल हो अथवा मेढ़ा, उस पर याहवेह का अधिकार है.
Primogenita, quae ad Deum pertinent, nemo sanctificare poterit et vovere: sive bos, sive ovis fuerit, Domini sunt.
27 किंतु अशुद्ध पशुओं के पहिलौठे के लिए वह ठहराए गए मूल्य के अलावा पांचवा अंश भी जोड़कर भुगतान कर उसको छुड़ा ले, यदि इसको छुड़ाया न गया हो, तो वह तुम्हारे ठहराए गए मूल्य पर बेच दिया जाए.
Quod si immundum est animal, redimet qui obtulit, iuxta aestimationem suam, et addet quintam partem pretii: si redimere noluerit, vendetur alteri quantumcumque ante fuerit aestimatum.
28 “‘परंतु यदि कोई व्यक्ति अपनी सारी संपत्ति में से, जो कुछ भी याहवेह के लिए अलग करता है—मनुष्य, पशु या पैतृक संपत्ति में से खेत; उसको न तो बेचा जाए और न ही उसको छुड़ाया जाए. जो कुछ याहवेह को पूरी तरह से समर्पित है, वह याहवेह के लिए परम पवित्र है.
Omne, quod Domino consecratur, sive homo fuerit, sive animal, sive ager, non veniet, nec redimi poterit. Quidquid semel fuerit consecratum, sanctum sanctorum erit Domino.
29 “‘जो मनुष्य याहवेह के लिए अलग किया गया है, उसे छुड़ाया न जाए. ज़रूरी है कि उसका वध कर दिया जाए.
Et omnis consecratio, quae offertur ab homine, non redimetur, sed morte morietur.
30 “‘भूमि का दसवां अंश, चाहे वह खेत की उपज का हो या वृक्षों के फलों का, उस पर याहवेह का अधिकार है. वह याहवेह के लिए पवित्र है.
Omnes decimae terrae, sive de frugibus, sive de pomis arborum, Domini sunt, et illi sanctificantur.
31 इसलिये यदि कोई अपने दसवें अंश का कुछ छुड़ाना चाहे, तो वह उसमें उसके ठहराए गए मूल्य का पांचवा अंश भी जोड़ दे.
Si quis autem voluerit redimere decimas suas, addet quintam partem earum.
32 गाय-बैलों और भेड़-बकरियों का हर एक दसवां पशु, जो चरवाहे की लाठी के नीचे से निकलता है, वह याहवेह के लिए पवित्र है.
Omnium decimarum bovis et ovis et caprae, quae sub pastoris virga transeunt, quidquid decimum venerit, sanctificabitur Domino.
33 वह उनमें अच्छे और बुरे पशु में भेद न करे और न उनको बदले. किंतु यदि कोई ऐसे बदल भी लेता है, तो वह पशु और उसके बदले के पशु दोनों ही पवित्र माने जाएंगे. इनको छुड़ाये न जाए.’”
Non eligetur nec bonum nec malum, nec altero commutabitur. si quis mutaverit: et quod mutatum est, et pro quo mutatum est, sanctificabitur Domino, et non redimetur.
34 यही वे आदेश हैं, जिन्हें याहवेह ने मोशेह को इस्राएल के घराने के लिए सीनायी पर्वत पर दिए.
Haec sunt praecepta, quae mandavit Dominus Moysi ad filios Israel in monte Sinai.

< लैव्यव्यवस्था 27 >