< लैव्यव्यवस्था 17 >
1 याहवेह ने मोशेह को यह आज्ञा दी:
Und Jehovah redete zu Mose und sprach:
2 “अहरोन, उसके पुत्रों तथा इस्राएल वंशजों को यह संदेश दो, ‘यह वह आदेश है, जो याहवेह के द्वारा निकाला गया है:
Rede zu Aharon und zu seinen Söhnen und zu allen Söhnen Israels und sprich zu ihnen: Dies ist das Wort, das Jehovah geboten hat und gesagt:
3 इस्राएल वंशजों में से कोई भी पुरुष, जो किसी बछड़े, मेमने अथवा किसी बकरे का वध छावनी के भीतर अथवा छावनी के बाहर करे,
Jeder Mann vom Haus Israel, der einen Ochsen oder ein Schaf oder eine Ziege im Lager schlachtet, oder der sie außerhalb des Lagers schlachtet,
4 और वह इसे मिलनवाले तंबू के द्वार पर याहवेह के तंबू के सामने याहवेह के लिए बलि के रूप में भेंट करने के लिए न लाए, तो उस व्यक्ति को हत्या का आरोपी माना जाएगा. उस व्यक्ति ने लहू बहाया है और उस व्यक्ति को प्रजा से बाहर निकाल दिया जाए.
Und es nicht zum Eingang des Versammlungszeltes bringt, um es Jehovah vor der Wohnung Jehovahs als Opfergabe darzubringen, dem Manne wird es als Blutschuld gedacht; er hat Blut vergossen; und selbiger Mann soll aus der Mitte seines Volkes ausgerottet werden;
5 ऐसा करने का कारण यह है कि इस्राएल वंशज उनकी वे बलियां, जिनका बलिदान वे खुले मैदान में कर रहे थे, इन बलियों को पुरोहित के पास मिलनवाले तंबू के द्वार पर याहवेह के सामने लाकर उन्हें याहवेह को मेल बलि के रूप में भेंट करें.
Auf daß die Söhne Israels ihre Opfer, die sie auf dem Angesichte des Feldes opfern, herbeibringen dem Jehovah, zum Eingang des Versammlungszeltes zu dem Priester bringen, und sie Jehovah als Dankopfer opfern.
6 पुरोहित लहू को मिलनवाले तंबू के द्वार पर स्थित याहवेह की वेदी पर छिड़क दे और चर्बी को सुखद-सुगंध के रूप में आग में जलाकर याहवेह को भेंट कर दे.
Und der Priester sprenge das Blut auf Jehovahs Altar am Eingang des Versammlungszeltes und zünde das Fett an zum Geruch der Ruhe für Jehovah.
7 अब इसके बाद वे अपना बलि बकरा-देवता को भेंट न किया करें, जिनका यह काम व्यभिचार के समान था. यह उनके लिए तथा उनकी सारी पीढ़ियों के लिए सदा की एक विधि होगी.’
Und sie sollen nicht ferner ihre Opfer opfern den Dämonen, denen sie nachbuhlen. Dies sei ihnen eine ewige Satzung für ihre Geschlechter.
8 “तुम उन्हें यह संदेश देना, ‘इस्राएल वंशजों में से, अथवा विदेशियों में से यदि कोई व्यक्ति, जो उनके बीच में रहते हैं, बलि अथवा होमबलि भेंट करें,
Und sage ihnen: Welcher Mann aus dem Hause Israels und von den Fremdlingen, die in eurer Mitte sich aufhalten, ein Brandopfer oder Schlachtopfer aufgehen läßt,
9 और उसे मिलनवाले तंबू के द्वार पर याहवेह के लिए भेंट करने के लिए न लाए, तो उस व्यक्ति को भी प्रजा से बाहर निकाल दिया जाए.
Und es nicht zum Eingang des Versammlungszeltes bringt, um es allda dem Jehovah zu opfern, der Mann werde aus seinem Volke ausgerottet.
10 “‘इस्राएल वंशजों में से अथवा विदेशियों में से कोई व्यक्ति, जो उनके बीच में रहता है, तथा लहू को खाता हो, मैं उस व्यक्ति के विरुद्ध हो जाऊंगा, जिसने लहू को खाया है, तथा उसे प्रजा से बाहर कर दूंगा,
Und welcher Mann vom Hause Israels und von den Fremdlingen, die in eurer Mitte sich aufhalten, irgend Blut ißt, wider die Seele, die Blut ißt, werde Ich Mein Angesicht richten, und sie ausrotten aus der Mitte ihres Volkes;
11 क्योंकि देह का जीवन लहू में रहता है और मैंने तुम्हें यह इसलिये दिया है कि, तुम इसके द्वारा वेदी पर प्रायश्चित पूरा कर सको.’
Denn die Seele des Fleisches ist in dem Blute, und darum habe Ich sie euch auf den Altar gegeben, um über eure Seelen zu sühnen, weil das Blut es ist, das für die Seele sühnt.
12 अतःएव, मैंने इस्राएल वंशजों को यह आदेश दिया, ‘न तुममें से कोई, और न ही कोई विदेशी, जो तुम्हारे बीच में रहता है, लहू को खाए.’
Deshalb sprach Ich zu den Söhnen Israels: Keine Seele unter euch soll Blut essen; und der Fremdling, der in eurer Mitte sich aufhält, soll kein Blut essen.
13 “इस्राएल वंशजों में से अथवा विदेशियों में से किसी व्यक्ति के हाथ में, जो उनके बीच में रहते हैं, यदि शिकार में कोई खाने योग्य पक्षी अथवा खाने योग्य पशु आ जाए, तो वह उसके लहू को बह जाने दे, तथा इस लहू को धूलि से ढांक दे.
Und welcher Mann von den Söhnen Israels und von den Fremdlingen, die in eurer Mitte sich aufhalten, ein lebendiges Tier erjagt, oder einen Vogel, der gegessen wird, der gieße sein Blut aus und decke es mit Staub zu.
14 क्योंकि सभी प्राणियों की देह का जीवन लहू में रहता है. इसलिए मैंने इस्राएल वंशजों को यह आदेश दिया है, ‘यह ज़रूरी है कि तुम किसी भी देह के लहू को न खाया करो, क्योंकि देह का जीवन लहू में ही रहता है; उसे, जो इसको खाएगा, वह बाहर कर दिया जाएगा.’
Denn die Seele alles Fleisches ist sein Blut; es ist für seine Seele. Und Ich sage den Söhnen Israels: Das Blut alles Fleisches sollt ihr nicht essen; denn die Seele alles Fleisches ist sein Blut. Jeder, der es ißt, soll ausgerottet werden.
15 “‘यदि कोई व्यक्ति, स्वदेशी अथवा विदेशी, उस पशु को खा ले, जिसे वन्य पशुओं द्वारा फाड़ डाला गया हो, तो वह अपने वस्त्रों को धोकर, स्नान करे, वह शाम तक अशुद्ध रहेगा; इसके बाद वह शुद्ध हो जाएगा.
Und jede Seele, Eingeborener oder Fremdling, der ein Aas oder Zerfleischtes ißt, soll seine Kleider waschen und sich im Wasser baden, und unrein sein bis zum Abend. Dann ist er rein.
16 किंतु यदि वह उनको न ही धोता और न ही स्नान करता है, तो वह अपने दोष का भार स्वयं उठाएगा.’”
Und wäscht er sie nicht und badet sein Fleisch nicht, so trage er seine Missetat.