< लैव्यव्यवस्था 14 >
1 याहवेह ने मोशेह को यह आदेश दिया,
Locutusque est Dominus ad Moysen, dicens:
2 “किसी कोढ़ी के शुद्ध हो जाने की पुष्टि की विधि यह है: जब उसे पुरोहित के सामने लाया जाए,
Hic est ritus leprosi, quando mundandus est: Adducetur ad sacerdotem:
3 पुरोहित छावनी के बाहर जाकर इसकी जांच करे और यदि उस कोढ़ी की व्याधि स्वस्थ हो गयी है,
qui egressus de castris, cum invenerit lepram esse mundatam,
4 तब पुरोहित उस व्यक्ति के लिए, जिसको शुद्ध किया जाना है, दो जीवित शुद्ध पक्षी, देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी लाने का आदेश दे.
præcipiet ei, qui purificatur, ut offerat duos passeres vivos pro se, quibus vesci licitum est, et lignum cedrinum, vermiculumque et hyssopum.
5 फिर पुरोहित बहते हुए जल पर मिट्टी के एक पात्र में एक पक्षी को बलि करने का आदेश भी दे.
et unum ex passeribus immolari iubebit in vase fictili super aquas viventes:
6 इसके बाद वह उस जीवित पक्षी को देवदार की लकड़ी, लाल डोरी और जूफ़ा के साथ लेकर उन्हें, तथा उस जीवित पक्षी को उस पक्षी के लहू में डूबा दे, जिसे बहते हुए जल पर बलि किया गया था.
alium autem vivum cum ligno cedrino, et cocco et hyssopo, tinget in sanguine passeris immolati,
7 पुरोहित इसे सात बार उस व्यक्ति पर छिड़क दे, जिसे कोढ़ से शुद्ध किया जा रहा है. फिर पुरोहित उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित कर दे और उस जीवित पक्षी को खुले मैदान में छोड़ दे.
quo asperget illum, qui mundandus est, septies, ut iure purgetur: et dimittet passerem vivum, ut in agrum avolet.
8 “फिर वह व्यक्ति जिसे शुद्ध किया जा रहा है, अपने वस्त्रों को धो डाले, अपने सारे बाल मुंडवा ले और स्नान करके शुद्ध हो जाए. इसके बाद वह छावनी में तो प्रवेश कर सकता है किंतु सात दिन तक वह अपने घर से बाहर ही निवास करे.
Cumque laverit homo vestimenta sua, radet omnes pilos corporis, et lavabitur aqua: purificatusque ingredietur castra, ita dumtaxat ut maneat extra tabernaculum suum septem diebus,
9 सातवें दिन वह अपने सिर के बाल, दाढ़ी तथा भौंहें, और हां, अपने समस्त बाल मुंडवा ले; अपने वस्त्रों को धो डाले और स्नान कर स्वच्छ हो जाए.
et die septimo radet capillos capitis, barbamque et supercilia, ac totius corporis pilos. Et lotis rursum vestibus et corpore,
10 “आठवें दिन वह एक वर्षीय दो निर्दोष नर मेमने, एक वर्षीय निर्दोष मादा भेड़, अन्नबलि के लिए तेल मिला हुआ पांच किलो मैदा और एक तिहाई लीटर तेल ले;
die octavo assumet duos agnos immaculatos, et ovem anniculam absque macula, et tres decimas similæ in sacrificium, quæ conspersa sit oleo, et seorsum olei sextarium.
11 फिर जो पुरोहित उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित कर रहा है, वह मिलनवाले तंबू के प्रवेश स्थल पर उस व्यक्ति और इन वस्तुओं को याहवेह के सामने भेंट करे.
Cumque sacerdos purificans hominem, statuerit eum, et hæc omnia coram Domino in ostio tabernaculi testimonii,
12 “फिर पुरोहित एक नर मेमने और एक तिहाई लीटर तेल को दोष बलि स्वरूप लेकर लहराने की बलि के रूप में याहवेह के सामने भेंट करे.
tollet agnum, et offeret eum pro delicto, oleique sextarium. et oblatis ante Dominum omnibus,
13 इसके बाद पुरोहित उस नर मेमने का पवित्र स्थान के उस स्थान में वध करे, जहां पापबलि और होमबलि वध की जाती हैं; क्योंकि दोष बलि, पापबलि के समान पुरोहित का निर्धारित अंश है; यह परम पवित्र है.
immolabit agnum, ubi solet immolari hostia pro peccato, et holocaustum, id est, in loco sancto. Sicut enim pro peccato, ita et pro delicto ad sacerdotem pertinet hostia: Sancta sanctorum est.
14 पुरोहित उस दोष बलि के रक्त का कुछ भाग लेकर उसे उस व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जा रहा है.
Assumensque sacerdos de sanguine hostiæ, quæ immolata est pro delicto, ponet super extremum auriculæ dextræ eius qui mundatur, et super pollices manus dextræ et pedis:
15 इसके बाद पुरोहित उस एक तिहाई तेल में से कुछ भाग लेकर उसे अपने बायीं हथेली पर उंडेल दे;
et de olei sextario mittet in manum suam sinistram,
16 फिर पुरोहित अपनी बायीं हथेली में रखे बचे हुए तेल में अपने दाएं हाथ की उंगली डुबाकर याहवेह के सामने उस तेल में से कुछ तेल को सात बार छिड़क दे.
tingetque digitum dextrum in eo, et asperget coram Domino septies.
17 अब जो तेल उसकी हथेली में बचा रह गया है, पुरोहित शुद्ध होनेवाले व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिन पर दोष बलि का रक्त लगा हुआ है;
quod autem reliquum est olei in læva manu, fundet super extremum auriculæ dextræ eius qui mundatur, et super pollices manus ac pedis dextri, et super sanguinem qui effusus est pro delicto,
18 जबकि पुरोहित की हथेली में रखे बचे हुए तेल को पुरोहित उस व्यक्ति के सिर पर भी लगा दे, जिसे शुद्ध किया जा रहा है. फिर पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे.
et super caput eius.
19 “इसके बाद पुरोहित पापबलि भेंट करे, और उस व्यक्ति के लिए प्रायश्चित करे, जिसे उसकी अशुद्धता से परिशोधन किया जा रहा है. यह सब करने के बाद वह होमबलि पशु का वध कर दे.
Rogabitque pro eo coram Domino, et faciet sacrificium pro peccato. tunc immolabit holocaustum,
20 पुरोहित उस होमबलि एवं अन्नबलि को वेदी पर भेंट कर दे. इस प्रकार पुरोहित उस व्यक्ति के लिए प्रायश्चित करे, और वह व्यक्ति शुद्ध हो जाएगा.
et ponet illud in altari cum libamentis suis, et homo rite mundabitur.
21 “किंतु यदि वह व्यक्ति दरिद्र और लाने के लायक न हो, तो वह अपने लिए प्रायश्चित के लिए, हिलाने की बलि के रूप में भेंट दोष बलि के लिए एक नर मेमना और अन्नबलि के लिए तेल मिला हुआ डेढ़ किलो मैदा और एक तिहाई लीटर तेल,
Quod si pauper est, et non potest manus eius invenire quæ dicta sunt, pro delicto assumet agnum ad oblationem, ut roget pro eo sacerdos, decimamque partem similæ conspersæ oleo in sacrificium, et olei sextarium,
22 दो कबूतर अथवा दो कबूतर के बच्चे; एक पापबलि के लिए तथा एक होमबलि के लिए, इनमें से वह जो कुछ भी देने में समर्थ हो, ले लें.
duosque turtures sive duos pullos columbæ, quorum unus sit pro peccato, et alter in holocaustum:
23 “आठवें दिन अपने शुद्ध होने के लिए वह इन्हें मिलनवाले तंबू के द्वार पर याहवेह के सामने पुरोहित के पास लेकर आए.
offeretque ea die octavo purificationis suæ sacerdoti, ad ostium tabernaculi testimonii coram Domino.
24 पुरोहित दोष बलि के इस मेमने और एक तिहाई लीटर तेल को ले और याहवेह के सामने लहराने की बलि के रूप में भेंट करे.
qui suscipiens agnum pro delicto et sextarium olei, levabit simul:
25 फिर पुरोहित दोष बलि के इस मेमने का वध करे; पुरोहित इस दोष बलि के लहू में से कुछ लहू को लेकर उस व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जाना है.
immolatoque agno, de sanguine eius ponet super extremum auriculæ dextræ illius qui mundatur, et super pollices manus eius ac pedis dextri:
26 पुरोहित अपनी बायीं हथेली में कुछ तेल उण्डेले;
olei vero partem mittet in manum suam sinistram,
27 और अपनी दाएं हाथ की उंगली से अपनी बायीं हथेली में रखे तेल में से कुछ तेल को सात बार याहवेह के सामने छिड़के.
in quo tingens digitum dextræ manus asperget septies coram Domino:
28 अब पुरोहित जो तेल उसकी हथेली में बचा रह गया है, उससे कुछ तेल जिस व्यक्ति को शुद्ध किया जा रहा है उसके दाएं कान के सिरे पर लगाएगा, कुछ तेल व्यक्ति के दाएं हाथ के अंगूठे और उसके दाएं पैर के अंगूठे पर लगाएगा. दोष बलि के खून लगे स्थान पर ही पुरोहित तेल लगाएगा.
tangetque extremum dextræ auriculæ illius qui mundatur, et pollices manus ac pedis dextri in loco sanguinis qui effusus est pro delicto:
29 पुरोहित की हथेली में रखे बचे हुए तेल को पुरोहित उस व्यक्ति के सिर पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जा रहा है कि पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे.
reliquam autem partem olei, quæ est in sinistra manu, mittet super caput purificati, ut placet pro eo Dominum:
30 इसके बाद पुरोहित एक कबूतर अथवा एक युवा कबूतर, जो भी वह व्यक्ति देने में समर्थ हो, भेंट करे;
et turturem sive pullum columbæ offeret,
31 अन्नबलि के साथ, पापबलि के लिए एक तथा होमबलि के लिए एक. फिर पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे, जिसको शुद्ध किया जाना है.
unum pro delicto, et alterum in holocaustum cum libamentis suis.
32 “यह उस व्यक्ति के लिए एक विधि है, जिसमें कोढ़ रोग का संक्रमण है और जिसके अपने शुद्ध होने की आवश्यकताओं के लिए साधन सीमित हैं.”
Hoc est sacrificium leprosi, qui habere non potest omnia in emundationem sui.
33 फिर याहवेह ने मोशेह और अहरोन को यह आदेश दिया
Locutusque est Dominus ad Moysen et Aaron, dicens:
34 “जब तुम कनान देश में प्रवेश करो, जिसका अधिकारी मैंने तुम्हें बनाया है, तुम्हारे आधिपत्य देश के एक आवास में कोढ़ रोग की फफूंदी मैं लगा दूंगा,
Cum ingressi fueritis Terram Chanaan, quam ego dabo vobis in possessionem, si fuerit plaga lepræ in ædibus,
35 तब वह गृहस्वामी पुरोहित के पास आकर यह सूचना देगा, ‘मुझे अपने घर में कोढ़ रोग के समान एक चिन्ह दिखाई दिया है.’
ibit cuius est domus, nuncians sacerdoti, et dicet: Quasi plaga lepræ videtur mihi esse in domo mea.
36 इससे पहले कि पुरोहित उस घर में जाकर उस चिन्ह की जांच करे, वह यह आदेश दे कि वे उस घर को खाली कर दें, ऐसा न हो कि उस आवास में मौजूद सारी वस्तुएं अशुद्ध हो जाएं. उसके बाद पुरोहित उस आवास में प्रवेश कर उसकी जांच करे.
At ille præcipiet ut efferant universa de domo, priusquam ingrediatur eam, et videat utrum leprosa sit, ne immunda fiant omnia quæ in domo sunt. Intrabitque postea ut consideret lepram domus:
37 वह उस चिन्ह की जांच करे और यदि घर की दीवारों पर यह चिन्ह हरी अथवा लाल सतह से नीचे दबी हुई प्रतीत हो,
et cum viderit in parietibus illius quasi valliculas pallore sive rubore deformes, et humiliores superficie reliqua,
38 तो पुरोहित उस घर से बाहर निकलकर प्रवेश द्वार पर आकर उस घर को सात दिन के लिए उसे बंद कर दे.
egredietur ostium domus, et statim claudet illam septem diebus.
39 सातवें दिन पुरोहित उसको दोबारा जांचे. यदि वास्तव में वह चिन्ह घर की दीवारों में फैल गया है,
Reversusque die septimo, considerabit eam. si invenerit crevisse lepram,
40 तो पुरोहित उन्हें यह आदेश दे कि वे उन चिन्हयुक्त पत्थरों को निकालकर नगर से बाहर कूड़े के ढेर पर फेंक दें.
iubebit erui lapides in quibus lepra est, et proiici eos extra civitatem in locum immundum:
41 इसके बाद पुरोहित उस संपूर्ण घर को भीतर से खुरचवा दे और वे उस खुरचन को नगर के बाहर अशुद्ध स्थान पर फेंक दें.
domum autem ipsam radi intrinsecus per circuitum, et spargi pulverem rasuræ extra urbem in locum immundum,
42 फिर वे दूसरे पत्थर लेकर उन्हें निकाले गए पत्थरों के स्थान पर लगा दें और गारा लेकर उस आवास की पुनः लीपाई-पोताई कर दें.
lapidesque alios reponi pro his qui ablati fuerint, et luto alio liniri domum.
43 “किंतु यदि उसके द्वारा पत्थरों को निकालवाए जाने, घर को खुरचे जाने तथा पुनः पलस्तर लीपे पोते जाने के बाद उस घर में वह फफूंदी फूट पड़ती है,
Sin autem postquam eruti sunt lapides, et pulvis erasus, et alia terra lita,
44 तो पुरोहित उसमें प्रवेश कर उसकी जांच करे. यदि उसे यह प्रतीत होता है कि वास्तव में वह चिन्ह आवास में फैल गया है, तो यह उस आवास में एक असाध्य रोग है; यह अशुद्ध है.
ingressus sacerdos viderit reversam lepram, et parietes respersos maculis, lepra est perseverans, et immunda domus:
45 इसलिये उस आवास को ढाह दिया जाए, वह उसके पत्थर, लकड़ी और संपूर्ण पलस्तर को नगर के बाहर अशुद्ध स्थान पर ले जाए.
quam statim destruent, et lapides eius ac ligna, atque universum pulverem proiicient extra oppidum in locum immundum.
46 “इसके अतिरिक्त, यदि कोई व्यक्ति उस समय में उस घर में प्रवेश कर ले, जिसे पुरोहित ने बंद कर दिया था, तो वह व्यक्ति शाम तक अशुद्ध रहेगा.
Qui intraverit domum quando clausa est, immundus erit usque ad vesperum:
47 इसी प्रकार जो कोई व्यक्ति उस घर में विश्राम करता है, या भोजन कर लेता है, वह भी अपने वस्त्रों को शुद्ध करे.
et qui dormierit in ea, et comederit quippiam, lavabit vestimenta sua.
48 “यदि इसके विपरीत, पुरोहित उस आवास में प्रवेश कर निरीक्षण करे, और यह पाए कि उस घर की पुनः पलस्तर करने के बाद वह फफूंदी वास्तव में नहीं फैली है, तो पुरोहित उस आवास को शुद्ध घोषित कर दे, क्योंकि यह रोग उसमें पुनः प्रकट नहीं हुआ है.
Quod si introiens sacerdos viderit lepram non crevisse in domo, postquam denuo lita fuerit, purificabit eam reddita sanitate:
49 तब पुरोहित उस आवास को शुद्ध करने के लिए दो पक्षी, देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी लेकर,
et in purificationem eius sumet duos passeres, lignumque cedrinum, et vermiculum atque hyssopum:
50 एक पक्षी को बहते हुए जल पर मिट्टी के एक पात्र में बलि करे.
et immolato uno passere in vase fictili super aquas vivas,
51 इसके बाद वह उस जीवित पक्षी के साथ देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी को उस बलि किए हुए पक्षी के रक्त तथा बहते हुए जल में डुबाकर उस घर पर सात बार छिड़के.
tollet lignum cedrinum, et hyssopum, et coccum et passerem vivum, et tinget omnia in sanguine passeris immolati, atque in aquis viventibus, et asperget domum septies,
52 इस प्रकार वह उस घर का शुद्धीकरण उस पक्षी के लहू तथा बहते हुए जल के साथ साथ देवदार की लकड़ी, जूफ़ा तथा लाल डोरी के साथ करे.
purificabitque eam tam in sanguine passeris quam in aquis viventibus, et in passere vivo, lignoque cedrino et hyssopo atque vermiculo.
53 फिर वह उस जीवित पक्षी को नगर के बाहर खुले मैदान में छोड़ दे. इस प्रकार वह उस घर के लिए प्रायश्चित पूरा करे और वह आवास शुद्ध हो जाएगा.”
Cumque dimiserit passerem avolare in agrum libere, orabit pro domo, et iure mundabitur.
54 किसी भी प्रकार के कोढ़ के रोग के लिए यही विधि है; सेहुंआ के लिए,
Ista est lex omnis lepræ et percussuræ,
55 कोढ़ से संक्रमित वस्त्र अथवा घर के लिए,
lepræ vestium et domorum,
56 सूजन के लिए, पपड़ी के लिए अथवा किसी भी प्रकार के चमकदार धब्बे के लिए;
cicatricis et erumpentium papularum, lucentis maculæ, et in varias species, coloribus immutatis,
57 उन पर यह प्रकट हो जाए कि क्या अशुद्ध है अथवा क्या शुद्ध. कोढ़ रोग के लिए यही विधि है.
ut possit sciri quo tempore mundum quid, vel immundum sit.