< लैव्यव्यवस्था 14 >
1 याहवेह ने मोशेह को यह आदेश दिया,
সদাপ্রভু মোশিকে বললেন,
2 “किसी कोढ़ी के शुद्ध हो जाने की पुष्टि की विधि यह है: जब उसे पुरोहित के सामने लाया जाए,
“রোগগ্রস্ত ব্যক্তির পক্ষে তার আনুষ্ঠানিক শুচিশুদ্ধ হওয়ার সময় নিয়মাবলি এই ধরনের, যখন তাকে যাজকের কাছে আনা হয়:
3 पुरोहित छावनी के बाहर जाकर इसकी जांच करे और यदि उस कोढ़ी की व्याधि स्वस्थ हो गयी है,
যাজক শিবিরের বাইরে যাবে ও তাকে পরীক্ষা করবে। যদি সেই ব্যক্তির সংক্রামক চর্মরোগ সুস্থ হয়ে থাকে,
4 तब पुरोहित उस व्यक्ति के लिए, जिसको शुद्ध किया जाना है, दो जीवित शुद्ध पक्षी, देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी लाने का आदेश दे.
তাহলে তার শুচিকরণের জন্য যাজক দুটি জীবিত শুচি পাখি কিছু দেবদারু কাঠ, লাল রংয়ের সুতো ও এসোব আনতে আদেশ দেবে।
5 फिर पुरोहित बहते हुए जल पर मिट्टी के एक पात्र में एक पक्षी को बलि करने का आदेश भी दे.
পরে যাজক মাটির পাত্রে টাটকা জলের উপরে একটি পাখিকে হত্যা করতে আদেশ দেবে।
6 इसके बाद वह उस जीवित पक्षी को देवदार की लकड़ी, लाल डोरी और जूफ़ा के साथ लेकर उन्हें, तथा उस जीवित पक्षी को उस पक्षी के लहू में डूबा दे, जिसे बहते हुए जल पर बलि किया गया था.
এবারে যাজক জীবিত পাখিটি নেবে এবং দেবদারু কাঠ, লাল রংয়ের সুতো ও এসোবের সঙ্গে ওই পাখি টাটকা জলের উপরে বধ করা পাখির রক্তে ডুবিয়ে রাখবে।
7 पुरोहित इसे सात बार उस व्यक्ति पर छिड़क दे, जिसे कोढ़ से शुद्ध किया जा रहा है. फिर पुरोहित उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित कर दे और उस जीवित पक्षी को खुले मैदान में छोड़ दे.
সংক্রামক রোগগ্রস্ত ব্যক্তিকে শুচিশুদ্ধ করার জন্য যাজক সাতবার রক্ত ছিটাবে ও তাকে শুচি ঘোষণা করবে। পরে যাজক জীবিত পাখিটিকে খোলা মাঠে মুক্তি দেবে।
8 “फिर वह व्यक्ति जिसे शुद्ध किया जा रहा है, अपने वस्त्रों को धो डाले, अपने सारे बाल मुंडवा ले और स्नान करके शुद्ध हो जाए. इसके बाद वह छावनी में तो प्रवेश कर सकता है किंतु सात दिन तक वह अपने घर से बाहर ही निवास करे.
“ওই রোগী শুচি হওয়ার জন্য অবশ্যই তার পরিধান ধুয়ে নেবে, তার মাথার সমস্ত চুল নেড়া করবে ও জলে স্নান করবে। এবারে সে আনুষ্ঠানিকভাবে শুচিশুদ্ধ হবে। এরপরে সে শিবিরে আসতে পারে, কিন্তু সাত দিনের জন্য তাকে তাঁবুর বাইরে থাকতে হবে।
9 सातवें दिन वह अपने सिर के बाल, दाढ़ी तथा भौंहें, और हां, अपने समस्त बाल मुंडवा ले; अपने वस्त्रों को धो डाले और स्नान कर स्वच्छ हो जाए.
সপ্তম দিনে সে তার সর্বাঙ্গের লোম চেঁচে ফেলবে; সে মাথার চুল, দাড়ি, ভুরুর ও সর্বাঙ্গের সমস্ত লোম চেঁচে ফেলবে। সে তার পোশাক অবশ্যই ধুয়ে নেবে, নিজেও জলে স্নান করবে ও শুচিশুদ্ধ হবে।
10 “आठवें दिन वह एक वर्षीय दो निर्दोष नर मेमने, एक वर्षीय निर्दोष मादा भेड़, अन्नबलि के लिए तेल मिला हुआ पांच किलो मैदा और एक तिहाई लीटर तेल ले;
“অষ্টম দিনে দুটি মদ্দা মেষশাবক এবং একটি এক বছরের মেষী সে অবশ্যই আনবে, যেগুলির প্রত্যেকটি হবে নিখুঁত, সঙ্গে থাকবে শস্য-নৈবেদ্যর জন্য তেলমিশ্রিত মিহি ময়দার এক ঐফার দশ ভাগের তিন ভাগ ও এক লোগ তেল।
11 फिर जो पुरोहित उस व्यक्ति को शुद्ध घोषित कर रहा है, वह मिलनवाले तंबू के प्रवेश स्थल पर उस व्यक्ति और इन वस्तुओं को याहवेह के सामने भेंट करे.
যে যাজক তাকে শুচি ঘোষণা করবে, সে তাকে ও তার নৈবেদ্য উভয়কে সমাগম তাঁবুর প্রবেশদ্বারে সদাপ্রভুর সামনে উপস্থিত করবে।
12 “फिर पुरोहित एक नर मेमने और एक तिहाई लीटर तेल को दोष बलि स्वरूप लेकर लहराने की बलि के रूप में याहवेह के सामने भेंट करे.
“পরে যাজক একটি মদ্দা মেষশাবক নেবে ও এক লোগ তেলের সঙ্গে দোষার্থক-নৈবেদ্যরূপে তা উৎসর্গ করবে। দোলনীয়-নৈবেদ্যরূপে বলিদান নিয়ে সদাপ্রভুর সামনে যাজক সেগুলি দোলাবে।
13 इसके बाद पुरोहित उस नर मेमने का पवित्र स्थान के उस स्थान में वध करे, जहां पापबलि और होमबलि वध की जाती हैं; क्योंकि दोष बलि, पापबलि के समान पुरोहित का निर्धारित अंश है; यह परम पवित्र है.
যাজক পবিত্রস্থানে সেই মেষশাবকটি বধ করবে, যেখানে পাপার্থক বলি ও হোমবলি বধ করা হয়। পাপার্থক বলির মতো দোষার্থক-নৈবেদ্য যাজকের; এটি অত্যন্ত পবিত্র।
14 पुरोहित उस दोष बलि के रक्त का कुछ भाग लेकर उसे उस व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जा रहा है.
যাজক দোষার্থক-নৈবেদ্যের কিছুটা রক্ত নিয়ে যে শুচি হবে তার ডান কানের লতি, তার ডান হাতের বুড়ো আঙুলে ও তার ডান পায়ের বুড়ো আঙুলে রক্তের প্রলেপ দেবে শুচি হবার জন্য।
15 इसके बाद पुरोहित उस एक तिहाई तेल में से कुछ भाग लेकर उसे अपने बायीं हथेली पर उंडेल दे;
এবারে যাজক এক লোগ তেলের কিছুটা নেবে এবং আপন বাম হাতের তালুতে ঢালবে,
16 फिर पुरोहित अपनी बायीं हथेली में रखे बचे हुए तेल में अपने दाएं हाथ की उंगली डुबाकर याहवेह के सामने उस तेल में से कुछ तेल को सात बार छिड़क दे.
তার হাতে ঢালা তেলের মধ্যে তার তর্জনী ডোবাবে এবং সদাপ্রভুর সামনে আঙুল দিয়ে সাতবার তেল ছিটাবে।
17 अब जो तेल उसकी हथेली में बचा रह गया है, पुरोहित शुद्ध होनेवाले व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिन पर दोष बलि का रक्त लगा हुआ है;
যাজক তার হাতের অবশিষ্ট তেলের কিছুটা তেল নেবে, এবং শুচিকরণ প্রার্থীর ডান কানের লতিতে, তার ডান হাতের বুড়ো আঙুলে, ডান পায়ের বুড়ো আঙুলে দোষার্থক-নৈবেদ্যের রক্তের উপরে ঢেলে দেবে।
18 जबकि पुरोहित की हथेली में रखे बचे हुए तेल को पुरोहित उस व्यक्ति के सिर पर भी लगा दे, जिसे शुद्ध किया जा रहा है. फिर पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे.
যাজক তার হাতের অবশিষ্ট তেল শুচিকরণ প্রার্থীর মাথায় ঢালবে ও সদাপ্রভুর সামনে তার জন্য প্রায়শ্চিত্ত করবে।
19 “इसके बाद पुरोहित पापबलि भेंट करे, और उस व्यक्ति के लिए प्रायश्चित करे, जिसे उसकी अशुद्धता से परिशोधन किया जा रहा है. यह सब करने के बाद वह होमबलि पशु का वध कर दे.
“পরে যাজক পাপার্থক বলি উৎসর্গ করবে ও অশুচিতা থেকে শুচিতা প্রত্যাশী প্রার্থীর জন্য প্রায়শ্চিত্ত করবে। এরপরে যাজক হোমবলির পশু বধ করবে।
20 पुरोहित उस होमबलि एवं अन्नबलि को वेदी पर भेंट कर दे. इस प्रकार पुरोहित उस व्यक्ति के लिए प्रायश्चित करे, और वह व्यक्ति शुद्ध हो जाएगा.
এরপরে শস্য-নৈবেদ্যের সঙ্গে যাজক বেদিতে ওই প্রার্থীর জন্য প্রায়শ্চিত্ত করবে এবং সে শুচিশুদ্ধ হবে।
21 “किंतु यदि वह व्यक्ति दरिद्र और लाने के लायक न हो, तो वह अपने लिए प्रायश्चित के लिए, हिलाने की बलि के रूप में भेंट दोष बलि के लिए एक नर मेमना और अन्नबलि के लिए तेल मिला हुआ डेढ़ किलो मैदा और एक तिहाई लीटर तेल,
“অন্যদিকে, যদি সে দরিদ্র হয় ও বলিদানের সামগ্রী জোগাতে না পারে, তবুও দোষার্থক-নৈবেদ্যরূপে একটি মদ্দা মেষশাবক তাকে আনতেই হবে এবং শস্য-নৈবেদ্যরূপে তেলমিশ্রিত মিহি ময়দার এক ঐফার দশমাংশ ও এক লোগ তেল সহযোগে প্রায়শ্চিত্ত সাধনার্থে নৈবেদ্য দোলাতে হবে।
22 दो कबूतर अथवा दो कबूतर के बच्चे; एक पापबलि के लिए तथा एक होमबलि के लिए, इनमें से वह जो कुछ भी देने में समर्थ हो, ले लें.
সে তার সংগতি অনুসারে দুটি ঘুঘু অথবা দুটি কপোতশাবক আনবে এবং পাপার্থক বলিদানার্থে একটি ও হোমবলিদানার্থে অন্যটি উৎসর্গ করবে।
23 “आठवें दिन अपने शुद्ध होने के लिए वह इन्हें मिलनवाले तंबू के द्वार पर याहवेह के सामने पुरोहित के पास लेकर आए.
“সে তার শুদ্ধকরণের জন্য অষ্টম দিনে সদাপ্রভুর সামনে সমাগম তাঁবুর প্রবেশদ্বারে যাজকের কাছে উল্লিখিত ঘুঘু অথবা কপোত আনবে।
24 पुरोहित दोष बलि के इस मेमने और एक तिहाई लीटर तेल को ले और याहवेह के सामने लहराने की बलि के रूप में भेंट करे.
যাজক এক লোগ তেল সহযোগে দোষার্থক-নৈবেদ্যদানের পক্ষে মেষশাবক গ্রহণ করবে ও দোলনীয়-নৈবেদ্যরূপে সেগুলি সদাপ্রভুর সামনে দোলাবে।
25 फिर पुरोहित दोष बलि के इस मेमने का वध करे; पुरोहित इस दोष बलि के लहू में से कुछ लहू को लेकर उस व्यक्ति के दाएं कान के सिरे पर, दाएं हाथ के अंगूठे और दाएं पांव के अंगूठे पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जाना है.
দোষার্থক-নৈবেদ্যদানের জন্য যাজক মেষশাবককে বধ করবে ও কিছুটা রক্ত নিয়ে শুচিতা প্রত্যাশী প্রার্থীর ডান কানের লতিতে, তার ডান হাতের বুড়ো আঙুলে ও তার ডান পায়ের বুড়ো আঙুলে রক্তের প্রলেপ দেবে।
26 पुरोहित अपनी बायीं हथेली में कुछ तेल उण्डेले;
যাজক তার বাম হাতের তালুতে কিছুটা তেল ঢালবে
27 और अपनी दाएं हाथ की उंगली से अपनी बायीं हथेली में रखे तेल में से कुछ तेल को सात बार याहवेह के सामने छिड़के.
এবং তার হাতের তালু থেকে ডান তালুতে কিছুটা তেল নিয়ে সদাপ্রভুর সামনে সাতবার ছিটাবে।
28 अब पुरोहित जो तेल उसकी हथेली में बचा रह गया है, उससे कुछ तेल जिस व्यक्ति को शुद्ध किया जा रहा है उसके दाएं कान के सिरे पर लगाएगा, कुछ तेल व्यक्ति के दाएं हाथ के अंगूठे और उसके दाएं पैर के अंगूठे पर लगाएगा. दोष बलि के खून लगे स्थान पर ही पुरोहित तेल लगाएगा.
দোষার্থক-নৈবেদ্যের রক্ত যেখানে ঢালা হয়েছিল সেখানে, শুচিতা প্রত্যাশী প্রার্থীর ডান কানের লতিতে, তার ডান হাতের বুড়ো আঙুলে ও তার ডান পায়ের বুড়ো আঙুলে যাজক তার হাতের তালু থেকে কিছুটা তেল ঢালবে।
29 पुरोहित की हथेली में रखे बचे हुए तेल को पुरोहित उस व्यक्ति के सिर पर लगा दे, जिसको शुद्ध किया जा रहा है कि पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे.
যাজক তার হাতের তালুর অবশিষ্ট তেল ওই প্রার্থীর মাথায় ঢালবে, এবং এইভাবে সদাপ্রভুর সামনে তার জন্য প্রায়শ্চিত্ত করবে।
30 इसके बाद पुरोहित एक कबूतर अथवा एक युवा कबूतर, जो भी वह व्यक्ति देने में समर्थ हो, भेंट करे;
পরে সে তার সংগতি অনুসারে দুটি ঘুঘু অথবা দুটি কপোতশাবককে উৎসর্গ করবে।
31 अन्नबलि के साथ, पापबलि के लिए एक तथा होमबलि के लिए एक. फिर पुरोहित उस व्यक्ति की ओर से याहवेह के सामने प्रायश्चित करे, जिसको शुद्ध किया जाना है.
ঘুঘু অথবা কপোতশাবকের একটি পাপার্থক বলিরূপে এবং অন্যটি হোমবলিরূপে শস্য-নৈবেদ্য সহকারে সে উৎসর্গ করবে। এইভাবে শুচিকৃত হতে ইচ্ছুক ব্যক্তির পক্ষে সদাপ্রভুর সামনে যাজক প্রায়শ্চিত্ত করবে।”
32 “यह उस व्यक्ति के लिए एक विधि है, जिसमें कोढ़ रोग का संक्रमण है और जिसके अपने शुद्ध होने की आवश्यकताओं के लिए साधन सीमित हैं.”
যে কোনো ব্যক্তির পক্ষে নিয়মাবলি এই ধরনের, যার সংক্রামক চামড়ার রোগ হয়েছে এবং যে তার শুচিতার জন্য নিয়মিত বলিদান দিতে অক্ষম।
33 फिर याहवेह ने मोशेह और अहरोन को यह आदेश दिया
সদাপ্রভু মোশি ও হারোণকে বললেন,
34 “जब तुम कनान देश में प्रवेश करो, जिसका अधिकारी मैंने तुम्हें बनाया है, तुम्हारे आधिपत्य देश के एक आवास में कोढ़ रोग की फफूंदी मैं लगा दूंगा,
“তোমরা যখন কনান দেশে প্রবেশ করবে, যে দেশ আমি তোমাদের অধিকার করতে দিচ্ছি, সেই দেশের কোনো বাড়িতে আমি যখন বিস্তৃত ছাতারোগ উৎপন্ন করব,
35 तब वह गृहस्वामी पुरोहित के पास आकर यह सूचना देगा, ‘मुझे अपने घर में कोढ़ रोग के समान एक चिन्ह दिखाई दिया है.’
তখন বাড়ির মালিক যাজকের কাছে গিয়ে বলবে, ‘আমার বাড়িতে ছাতারোগের মতো কলঙ্ক আমার নজরে এসেছে।’
36 इससे पहले कि पुरोहित उस घर में जाकर उस चिन्ह की जांच करे, वह यह आदेश दे कि वे उस घर को खाली कर दें, ऐसा न हो कि उस आवास में मौजूद सारी वस्तुएं अशुद्ध हो जाएं. उसके बाद पुरोहित उस आवास में प्रवेश कर उसकी जांच करे.
যাজক ওই ছাতারোগ পরীক্ষা করার আগে বাড়িটি খালি করতে আদেশ দেবে, যেন বাড়ির কোনো জিনিসকে অশুচি না বলা হয়। এরপরে যাজক বাড়ির মধ্যে প্রবেশ করে সেটি পরীক্ষা করবে।
37 वह उस चिन्ह की जांच करे और यदि घर की दीवारों पर यह चिन्ह हरी अथवा लाल सतह से नीचे दबी हुई प्रतीत हो,
যাজক দেওয়ালগুলির ছাতারোগ পরীক্ষা করবে এবং যদি হালকা সবুজ অথবা হালকা লাল দাগ দেওয়ালের বাইরের দিকের চেয়ে গাঢ় মনে হয়,
38 तो पुरोहित उस घर से बाहर निकलकर प्रवेश द्वार पर आकर उस घर को सात दिन के लिए उसे बंद कर दे.
যাজক বাড়ির দরজা দিয়ে বেরিয়ে যাবে এবং তা সাত দিন বন্ধ রাখবে।
39 सातवें दिन पुरोहित उसको दोबारा जांचे. यदि वास्तव में वह चिन्ह घर की दीवारों में फैल गया है,
সপ্তম দিনে বাড়িটি পরীক্ষা করার জন্য যাজক ফিরে আসবে। যদি সমস্ত দেওয়ালে ছাতারোগ বিস্তৃত দেখা যায়,
40 तो पुरोहित उन्हें यह आदेश दे कि वे उन चिन्हयुक्त पत्थरों को निकालकर नगर से बाहर कूड़े के ढेर पर फेंक दें.
তাহলে তার আদেশে কলুষিত পাথর খুঁড়ে বের করতে হবে ও নগরের বাইরের অশুচি জায়গায় ছুঁড়ে ফেলতে হবে।
41 इसके बाद पुरोहित उस संपूर्ण घर को भीतर से खुरचवा दे और वे उस खुरचन को नगर के बाहर अशुद्ध स्थान पर फेंक दें.
সে বাড়ির ভিতরের দেওয়ালগুলি অবশ্যই ঘষাবে ও ঘষার উপাদানের ধুলো নগরের বাইরে অশুচি জায়গায় ফেলবে।
42 फिर वे दूसरे पत्थर लेकर उन्हें निकाले गए पत्थरों के स्थान पर लगा दें और गारा लेकर उस आवास की पुनः लीपाई-पोताई कर दें.
পরে তারা অন্য পাথর নিয়ে আগে গাঁথা পাথরের জায়গায় বসাবে ও নতুন প্রলেপ দিয়ে বাড়ি পলস্তরা করবে।
43 “किंतु यदि उसके द्वारा पत्थरों को निकालवाए जाने, घर को खुरचे जाने तथा पुनः पलस्तर लीपे पोते जाने के बाद उस घर में वह फफूंदी फूट पड़ती है,
“কলুষিত পাথর ফেলে দেওয়ার, বাড়ি ঘষে পলস্তরা করার পর যদি বাড়িতে ছাতারোগ আবার দেখা যায়,
44 तो पुरोहित उसमें प्रवेश कर उसकी जांच करे. यदि उसे यह प्रतीत होता है कि वास्तव में वह चिन्ह आवास में फैल गया है, तो यह उस आवास में एक असाध्य रोग है; यह अशुद्ध है.
তাহলে যাজক গিয়ে তা পরীক্ষা করবে এবং যদি ছাতারোগ বাড়িতে ছড়িয়ে পড়ে, তাহলে সেটি ধ্বংসাত্মক ছাতারোগ; ওই বাড়ি অশুদ্ধ।
45 इसलिये उस आवास को ढाह दिया जाए, वह उसके पत्थर, लकड़ी और संपूर्ण पलस्तर को नगर के बाहर अशुद्ध स्थान पर ले जाए.
প্রভাবিত সমস্ত পাথর, কাঠ ও পলস্তরা তুলে নগরের বাইরে অশুচি জায়গায় ফেলে দিতে হবে।
46 “इसके अतिरिक्त, यदि कोई व्यक्ति उस समय में उस घर में प्रवेश कर ले, जिसे पुरोहित ने बंद कर दिया था, तो वह व्यक्ति शाम तक अशुद्ध रहेगा.
“যদি বন্ধ বাড়িতে কেউ প্রবেশ করে, সন্ধ্যা পর্যন্ত সে অশুদ্ধ ঘোষিত হবে।
47 इसी प्रकार जो कोई व्यक्ति उस घर में विश्राम करता है, या भोजन कर लेता है, वह भी अपने वस्त्रों को शुद्ध करे.
যে কেউ সেই বাড়িতে ঘুমায় অথবা খাবার খায়, সে তার কাপড় অবশ্যই ধুয়ে নেবে।
48 “यदि इसके विपरीत, पुरोहित उस आवास में प्रवेश कर निरीक्षण करे, और यह पाए कि उस घर की पुनः पलस्तर करने के बाद वह फफूंदी वास्तव में नहीं फैली है, तो पुरोहित उस आवास को शुद्ध घोषित कर दे, क्योंकि यह रोग उसमें पुनः प्रकट नहीं हुआ है.
“যদি যাজক তা পরীক্ষা করতে আসে ও সেই বাড়ি পলস্তরা করার পর ছাতারোগ ছড়িয়ে পড়তে না দেখা যায়, তাহলে সেই বাড়িকে সে শুচি আখ্যা দেবে, কারণ ছাতারোগ নিরসন হয়েছে।
49 तब पुरोहित उस आवास को शुद्ध करने के लिए दो पक्षी, देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी लेकर,
ওই বাড়ি পবিত্র করার জন্য যাজক দুটি পাখি, কিছু দেবদারু কাঠ, উজ্জ্বল লাল রংয়ের পাকানো সুতো ও এসোব নেবে।
50 एक पक्षी को बहते हुए जल पर मिट्टी के एक पात्र में बलि करे.
মাটির পাত্রে টাটকা জলের ওপরে সে একটি পাখিকে বধ করবে।
51 इसके बाद वह उस जीवित पक्षी के साथ देवदार की लकड़ी, जूफ़ा और लाल डोरी को उस बलि किए हुए पक्षी के रक्त तथा बहते हुए जल में डुबाकर उस घर पर सात बार छिड़के.
এবারে সে দেবদারু কাঠ, এসোব, উজ্জ্বল লাল রংয়ের পাকানো সুতো নিয়ে মৃত পাখির রক্তে ও টাটকা জলে ডোবাবে এবং সাতবার সেই বাড়িতে ছিটাবে।
52 इस प्रकार वह उस घर का शुद्धीकरण उस पक्षी के लहू तथा बहते हुए जल के साथ साथ देवदार की लकड़ी, जूफ़ा तथा लाल डोरी के साथ करे.
পাখির রক্ত, টাটকা জল, জীবিত পাখি, দেবদারু কাঠ, এসোব ও উজ্জ্বল লাল রংয়ের পাকানো সুতো দিয়ে সে বাড়িটি শুদ্ধ করবে।
53 फिर वह उस जीवित पक्षी को नगर के बाहर खुले मैदान में छोड़ दे. इस प्रकार वह उस घर के लिए प्रायश्चित पूरा करे और वह आवास शुद्ध हो जाएगा.”
পরে নগরের বাইরে খোলা মাঠে সে জীবিত পাখিকে ছেড়ে দেবে। এইভাবে বাড়িটির জন্য সে প্রায়শ্চিত্ত করবে ও সেই বাড়ি শুদ্ধ হবে।”
54 किसी भी प्रकार के कोढ़ के रोग के लिए यही विधि है; सेहुंआ के लिए,
এই নিয়মাবলি যে কোনো সংক্রামক চামড়ার রোগ, চুলকানি,
55 कोढ़ से संक्रमित वस्त्र अथवा घर के लिए,
কাপড়ে অথবা বাড়িতে ছাতারোগ,
56 सूजन के लिए, पपड़ी के लिए अथवा किसी भी प्रकार के चमकदार धब्बे के लिए;
এবং কোনো আব, ফুসকুড়ি অথবা উজ্জ্বল দাগের জন্য,
57 उन पर यह प्रकट हो जाए कि क्या अशुद्ध है अथवा क्या शुद्ध. कोढ़ रोग के लिए यही विधि है.
যেন কোনো কিছুর শুদ্ধতা বা অশুদ্ধতা নির্ণয় করা যায়। এসব নিয়মাবলি সংক্রামক চর্মরোগ ও ছাতারোগের জন্য।