< विलापगीत 3 >

1 मैं वह व्यक्ति हूं, जिसने याहवेह के कोप-दण्ड में पीड़ा का साक्षात अनुभव किया है.
من کسی هستم که از خشم و غضب خدا مصیبتها دیده‌ام.
2 उन्होंने हकालते हुए मुझे घोर अंधकार में डाल दिया है कहीं थोड़ा भी प्रकाश दिखाई नहीं देता;
خدا مرا به اعماق تاریکی کشانده است.
3 निश्चयतः बार-बार, सारे दिन उनका कठोर हाथ मेरे विरुद्ध सक्रिय बना रहता है.
او بر ضد من برخاسته و دستش تمام روز بر من بلند است.
4 मेरा मांस तथा मेरी त्वचा गलते जा रहे हैं और उन्होंने मेरी अस्थियों को तोड़ दिया है.
او گوشت و پوست بدنم را فرسوده و استخوانهایم را شکسته است.
5 उन्होंने मुझे पकड़कर कष्ट एवं कड़वाहट में लपेट डाला है.
جان مرا با تلخی و مشقت پوشانده است.
6 उन्होंने मुझे इस प्रकार अंधकार में रहने के लिए छोड़ दिया है मानो मैं दीर्घ काल से मृत हूं.
مرا مانند کسی که سالهاست مرده، در تاریکی نشانده است.
7 उन्होंने मेरे आस-पास दीवार खड़ी कर दी है, कि मैं बचकर पलायन न कर सकूं; उन्होंने मुझे भारी बेड़ियों में बांध रखा है.
با زنجیرهای سنگین مرا بسته و دورم را حصار کشیده است تا نتوانم فرار کنم.
8 मैं सहायता की दोहाई अवश्य देता हूं, किंतु वह मेरी पुकार को अवरुद्ध कर देते हैं.
فریاد برمی‌آورم و کمک می‌طلبم، ولی او به دادم نمی‌رسد.
9 उन्होंने मेरे मार्गों को पत्थर लगाकर बाधित कर दिया है; उन्होंने मेरे मार्गों को विकृत बना दिया है.
با دیوارهای سنگی راه مرا بسته است و طریق مرا پر پیچ و خم نموده است.
10 वह एक ऐसा रीछ है, ऐसा सिंह है, जो मेरे लिए घात लगाए हुए बैठा है,
او همچون خرسی در کمین من نشست و مانند شیر بر من هجوم آورد؛
11 मुझे भटका कर मुझे टुकड़े-टुकड़े कर डाला और उसने मुझे निस्सहाय बना छोड़ा है.
مرا از راهم بیرون کشیده، پاره‌پاره‌ام کرد و تنها و بی‌کس رهایم ساخت.
12 उन्होंने अपना धनुष चढ़ाया तथा मुझे अपने बाणों का लक्ष्य बना लिया.
او کمانش را کشید و مرا هدف قرار داد،
13 अपने तरकश से बाण लेकर उन्होंने उन बाणों से मेरा हृदय बेध दिया.
و تیرهایش به اعماق قلبم فرو رفت.
14 सभी के लिए अब तो मैं उपहास पात्र हूं; सारे दिन उनके व्यंग्य-बाण मुझ पर छोड़े जाते हैं.
مردم تمام روز به من می‌خندند و مرا مسخره می‌کنند.
15 उन्होंने मुझे कड़वाहट से भर दिया है उन्होंने मुझे नागदौने से सन्तृप्‍त कर रखा है.
او زندگی را به کامم تلخ کرده است.
16 उन्होंने मुझे कंकड़ों पर दांत चलाने के लिए विवश कर दिया है; मुझे भस्म के ढेर में जा छिपने के लिए विवश कर दिया है.
صورتم را به خاک مالیده است و دهانم را از سنگریزه پر کرده و دندانهایم را شکسته است.
17 शांति ने मेरी आत्मा का साथ छोड़ दिया है; मुझे तो स्मरण ही नहीं रहा कि सुख-आनन्द क्या होता है.
آسایش و سعادت از من رخت بربسته است.
18 इसलिये मुझे यही कहना पड़ रहा है, “न मुझमें धैर्य शेष रहा है और न ही याहवेह से कोई आशा.”
رمق و امیدی برایم نمانده، زیرا خداوند مرا ترک گفته است.
19 स्मरण कीजिए मेरी पीड़ा और मेरी भटकन, वह नागदौन तथा वह कड़वाहट.
وقتی مصیبت و سرگردانی خود را به یاد می‌آورم، جانم تلخ می‌گردد.
20 मेरी आत्मा को इसका स्मरण आता रहता है, मेरा मनोबल शून्य हुआ जा रहा है.
بله، آنها را دائم به یاد می‌آورم و وجودم پریشان می‌شود.
21 मेरी आशा मात्र इस स्मृति के आधार पर जीवित है:
اما نور امیدی بر قلبم می‌تابد، وقتی به یاد می‌آورم که
22 याहवेह का करुणा-प्रेम, के ही कारण हम भस्म नही होते! कभी भी उनकी कृपा का ह्रास नहीं होता.
محبت خداوند بی‌انتهاست و رحمت او بی‌زوال.
23 प्रति प्रातः वे नए पाए जाते हैं; महान है आपकी विश्वासयोग्यता.
وفاداری خدا عظیم است و رحمت او هر بامداد از نو آغاز می‌شود.
24 मेरी आत्मा इस तथ्य की पुष्टि करती है, “याहवेह मेरा अंश हैं; इसलिये उनमें मेरी आशा रखूंगा.”
به خود می‌گویم: «من فقط خداوند را دارم، پس به او امید خواهم بست.»
25 याहवेह के प्रिय पात्र वे हैं, जो उनके आश्रित हैं, वे, जो उनके खोजी हैं;
خداوند برای کسانی که به او توکل دارند و او را می‌طلبند نیکوست.
26 उपयुक्त यही होता है कि हम धीरतापूर्वक याहवेह द्वारा उद्धार की प्रतीक्षा करें.
پس خوبست که چشم امیدمان به او باشد و با صبر منتظر باشیم تا خداوند ما را نجات دهد.
27 मनुष्य के लिए हितकर यही है कि वह आरंभ ही से अपना जूआ उठाए.
خوب است انسان در جوانی بیاموزد که سختیها را تحمل کند.
28 वह एकाकी हो शांतिपूर्वक इसे स्वीकार कर ले, जब कभी यह उस पर आ पड़ता है.
هنگامی که او دچار مصیبت می‌گردد بهتر آنست که در سکوت و تنهایی بنشیند
29 वह अपना मुख धूलि पर ही रहने दे— आशा कभी मृत नहीं होती.
و در برابر خداوند سر تعظیم فرود آورد، زیرا ممکن است امیدی باشد.
30 वह अपना गाल उसे प्रस्तुत कर दे, जो उस प्रहार के लिए तैयार है, वह समस्त अपमान स्वीकार कर ले.
وقتی او را می‌زنند و اهانت می‌کنند خوب است آنها را تحمل کند،
31 प्रभु का परित्याग चिरस्थायी नहीं हुआ करता.
زیرا خداوند تا ابد او را ترک نخواهد کرد.
32 यद्यपि वह पीड़ा के कारण तो हो जाते हैं, किंतु करुणा का सागर भी तो वही हैं, क्योंकि अथाह होता है उनका करुणा-प्रेम.
هر چند خدا کسی را اندوهگین کند، اما رحمتش شامل حال او خواهد شد، زیرا محبت او عظیم است.
33 पीड़ा देना उनका सुख नहीं होता न ही मनुष्यों को यातना देना उनका आनंद होता है.
او از آزردن و غمگین ساختن انسان خشنود نمی‌گردد.
34 पृथ्वी के समस्त बंदियों का दमन,
هنگامی که ستمدیدگان جهان زیر پا له می‌شوند،
35 परम प्रधान की उपस्थिति में न्याय-वंचना,
و زمانی که حق انسانی که خدای متعال آن را به وی داده است، پایمال می‌گردد،
36 किसी की न्याय-दोहाई में की गई विकृति में याहवेह का समर्थन कदापि नहीं होता?
و هنگامی که مظلومی در دادگاه محکوم می‌شود، آیا خداوند اینها را نمی‌بیند؟
37 यदि स्वयं प्रभु ने कोई घोषणा न की हो, तो किसमें यह सामर्थ्य है, कि जो कुछ उसने कहा है, वह पूरा होगा?
کیست که بتواند بدون اجازهٔ خداوند چیزی بگوید و واقع شود؟
38 क्या यह तथ्य नहीं कि अनुकूल अथवा प्रतिकूल, जो कुछ घटित होता है, वह परम प्रधान के बोलने के द्वारा ही होता है?
آیا هم مصیبت و هم برکت از جانب خدای متعال نازل نمی‌شود؟
39 भला कोई जीवित मनुष्य अपने पापों के दंड के लिए परिवाद कैसे कर सकता है?
پس چرا وقتی ما انسانهای فانی به سبب گناهانمان تنبیه می‌شویم، گله و شکایت می‌کنیم؟
40 आइए हम अपनी नीतियों का परीक्षण करें तथा अपने याहवेह की ओर लौट चलें:
به جای گله و شکایت بیایید کردار خود را بسنجیم و بیازماییم و به سوی خداوند بازگردیم.
41 आइए हम अपने हृदय एवं अपनी बांहें परमेश्वर की ओर उन्मुख करें तथा अपने हाथ स्वर्गिक परमेश्वर की ओर उठाएं:
بیایید قلبهای خود را برای خدایی که در آسمان است بگشاییم و دستهای خود را به سوی او برافرازیم و بگوییم:
42 “हमने अपराध किए हैं, हम विद्रोही हैं, आपने हमें क्षमा प्रदान नहीं की है.
«ما گناه کرده‌ایم و سرکش شده‌ایم، و تو ما را نیامرزیده‌ای.
43 “आपने स्वयं को कोप में भरकर हमारा पीछा किया; निर्दयतापूर्वक हत्यायें की हैं.
«به هنگام خشم خود ما را تعقیب نموده و هلاک کرده‌ای و رحم ننموده‌ای.
44 आपने स्वयं को एक मेघ में लपेट रखा है, कि कोई भी प्रार्थना इससे होकर आप तक न पहुंच सके.
خود را با ابر پوشانیده‌ای تا دعاهای ما به حضور تو نرسد.
45 आपने हमें राष्ट्रों के मध्य कीट तथा कूड़ा बना छोड़ा है.
ما را مثل خاکروبه و زباله به میان قومها انداخته‌ای.
46 “हमारे सभी शत्रु बेझिझक हमारे विरुद्ध निंदा के शब्द उच्चार रहे हैं.
تمام دشمنانمان به ما توهین می‌کنند.
47 आतंक, जोखिम, विनाश तथा विध्वंस हम पर आ पड़े हैं.”
خرابی و نابودی دامنگیر ما شده و در ترس و خطر زندگی می‌کنیم.»
48 मेरी प्रजा के इस विनाश के कारण मेरे नेत्रों के अश्रुप्रवाह नदी सदृश हो गए हैं.
به سبب نابودی قومم، روز و شب سیل اشک از چشمانم جاریست. آنقدر خواهم گریست
49 बिना किसी विश्रान्ति मेरा अश्रुपात होता रहेगा,
50 जब तक स्वर्ग से याहवेह इस ओर दृष्टिपात न करेंगे.
تا خداوند از آسمان نظر کند و پاسخ دهد!
51 अपनी नगरी की समस्त पुत्रियों की नियति ने मेरे नेत्रों को पीड़ित कर रखा है.
هنگامی که می‌بینم چه بر سر مردم اورشلیم آمده است، دلم از اندوه پر می‌شود.
52 उन्होंने, जो अकारण ही मेरे शत्रु हो गए थे, पक्षी सदृश मेरा अहेर किया है.
کسانی که هرگز آزارشان نداده بودم، دشمن من شدند و مرا همچون پرنده‌ای به دام انداختند.
53 उन्होंने तो मुझे गड्ढे में झोंक मुझ पर पत्थर लुढ़का दिए हैं;
آنها مرا در چاه افکندند و سر چاه را با سنگ پوشاندند.
54 जब जल सतह मेरे सिर तक पहुंचने लगी, मैं विचार करने लगा, अब मैं मिट जाऊंगा.
آب از سرم گذشت و فکر کردم مرگم حتمی است.
55 गड्ढे से मैंने, याहवेह आपकी दोहाई दी.
اما ای خداوند، وقتی از عمق چاه نام تو را خواندم
56 आपने मेरी इस दोहाई सुन ली है: “मेरी विमुक्ति के लिए की गई मेरी पुकार की ओर से, अपने कान बंद न कीजिए.”
صدایم را شنیدی و به ناله‌هایم توجه کردی.
57 जब मैंने आपकी दोहाई दी, आप निकट आ गए; आपने आश्वासन दिया, “डरो मत.”
آری، هنگامی که تو را خواندم به کمکم آمدی و گفتی: «نترس!»
58 प्रभु आपने मेरा पक्ष लेकर; मेरे जीवन को सुरक्षा प्रदान की है.
ای خداوند، تو به دادم رسیدی و جانم را از مرگ رهایی بخشیدی.
59 याहवेह, आपने वह अन्याय देख लिया है, जो मेरे साथ किया गया है. अब आप मेरा न्याय कीजिए!
ای خداوند، تو ظلمی را که به من کرده‌اند دیده‌ای، پس داوری کن و داد مرا بستان.
60 उनके द्वारा लिया गया बदला आपकी दृष्टि में है, उनके द्वारा रचे गए सभी षड़्‍यंत्र आपको ज्ञात हैं.
دیده‌ای که چگونه ایشان دشمن من شده و توطئه‌ها بر ضد من چیده‌اند.
61 याहवेह, आपने उनके द्वारा किए गए व्यंग्य सुने हैं, उनके द्वारा रचे गए सभी षड़्‍यंत्र आपको ज्ञात हैं—
ای خداوند، تو شنیده‌ای که چگونه به من اهانت کرده و علیه من نقشه کشیده‌اند.
62 मेरे हत्यारों के हृदय में सारे दिन जो विचार उभरते हैं होंठों से निकलते हैं, मेरे विरुद्ध ही होते हैं.
تو از تمام آنچه که مخالفانم هر روز درباره من می‌گویند و نقشه‌هایی که می‌کشند باخبری.
63 आप ही देख लीजिए, उनका उठना-बैठना, मैं ही हूं उनका व्यंग्य-गीत.
ببین چگونه می‌خندند و شب و روز مرا مسخره می‌کنند.
64 याहवेह, उनके कृत्यों के अनुसार, उन्हें प्रतिफल तो आप ही देंगे.
ای خداوند، ایشان را به سزای اعمالشان برسان.
65 आप उनके हृदय पर आवरण डाल देंगे, उन पर आपका शाप प्रभावी हो जाएगा!
ایشان را لعنت کن تا غم و تاریکی وجودشان را فرا گیرد.
66 याहवेह, आप अपने स्वर्गलोक से उनका पीछा कर उन्हें नष्ट कर देंगे.
با خشم و غضب آنها را تعقیب کن و از روی زمین محو و نابود گردان.

< विलापगीत 3 >