< न्यायियों 9 >

1 यरूबाल का पुत्र अबीमेलेक अपने मामाओं से भेंटकरने शेकेम गया. वहां उसने अपने नाना के सारे घराने को इकट्ठा कर उनसे कहा,
And Abimelech son of Jerobaal went to Sychem to his mother's brethren; and he spoke to them and to all the kindred of the house of his mother's father, saying,
2 “शेकेम के सारे अगुओं के सामने आप मुझे बताइए, ‘क्या बेहतर है, यरूबाल के सत्तर पुत्र आप पर शासन करें या सिर्फ एक व्यक्ति?’ आप लोग यह न भूलें कि मैं आपकी ही हड्डी और आपका ही मांस हूं.”
Speak, I pray you, in the ears of all the men of Sychem, saying, Which [is] better for you, that seventy men, even all the sons of Jerobaal, should reign over you, or that one man should reign over you? and remember that I am your bone and your flesh.
3 उसकी माता के भाइयों ने उसकी यह बात शेकेम के अगुओं के सामने दोहरा दी. वे अबीमेलेक का अनुसरण करने के लिए तैयार हो गए. उनका विचार था, “वह हमारा ही संबंधी है.”
And his mother's brethren spoke concerning him in the ears of all the men of Sychem all these words; and their heart turned after Abimelech, for they said, He is our brother.
4 उन्होंने उसे बाल-बेरिथ के मंदिर में से चांदी के सत्तर सिक्‍के दे दीं, जिनसे अबीमेलेक ने नीच और लुच्चे लोगों को अपने पीछे होने के उद्देश्य से भाड़े पर ले लिया.
And they gave him seventy [pieces] of silver out of the house of Baalberith; and Abimelech hired for himself vain and cowardly men, and they went after him.
5 फिर वह ओफ़राह में अपने पिता के घर पर गया और वहां अपने भाइयों को—यरूबाल के सत्तर पुत्रों को—एक ही चट्टान पर ले जाकर मार दिया, किंतु यरूबाल का छोटा पुत्र योथाम बचा रह गया, क्योंकि वह छिप गया था.
And he went to the house of his father to Ephratha, and killed his brethren the sons of Jerobaal, seventy men upon one stone; but Joatham the youngest son of Jerobaal was left, for he hid himself.
6 सभी शेकेमवासी एवं सभी बेथ-मिल्लोवासी इकट्‍ठे हो गए तथा उन्होंने शेकेम में खंभे के बांज वृक्ष के पास अबीमेलेक का राजाभिषेक कर दिया.
And all the men of Sicima, and all the house of Bethmaalo, were gathered together, and they went and made Abimelech king by the oak of Sedition, which was at Sicima.
7 जब योथाम को इसकी सूचना दी गई, वह गेरिज़िम पर्वत शिखर पर जा खड़ा हुआ. वहां से उसने ऊंची आवाज में कहा, “सुनो, शेकेम के शासको, कि परमेश्वर भी तुम्हारी सुनें.
And it was reported to Joatham, and he went and stood on the top of mount Garizin, and lifted up his voice, and wept, and said to them, Hear me, you men of Sicima, and God shall hear you.
8 वृक्षों ने अपने लिए राजा चुनने की योजना बनाई. उन्होंने जैतून वृक्ष से कहा, ‘हम पर शासन करो!’
The trees went forth on a time to anoint a king over them; and they said to the olive, Reign over us.
9 “जैतून वृक्ष ने उत्तर में कहा, ‘क्या मैं अपना वह अमूल्य तेल बनाना रोक दूं; जिसके द्वारा देवता तथा मनुष्य सम्मानित किए जाते हैं; और अन्य वृक्षों के ऊपर जाकर लहराता रहूं?’
But the olives said to them, Shall I leave my fatness, with which men shall glorify God, and go to be promoted over the trees?
10 “वृक्षों ने अंजीर वृक्ष से विनती की, ‘आइए, हम पर शासन कीजिए!’
And the trees said to the fig tree, Come, reign over us.
11 “मगर अंजीर वृक्ष ने उन्हें उत्तर दिया, ‘क्या मैं अपनी मिठास और अच्छे फल उगाना छोड़ दूं और अन्य पेड़ों के ऊपर जाकर लहराता रहूं?’
But the fig tree said to them, Shall I leave my sweetness an my good fruits, and go to be promoted over the trees?
12 “तब वृक्षों ने अंगूर की बेल से विनती की, ‘आइए, हम पर शासन कीजिए!’
And the trees said to the vine, Come, reign over us.
13 “किंतु अंगूर की बेल ने उत्तर में कहा, ‘क्या मैं अपना दाखमधु बनाना छोड़ दूं, जो देवताओं और मनुष्यों को आनंदित कर देती है और अन्य पेड़ों के ऊपर जाकर लहराती रहूं?’
And the vine said to them, Shall I leave my wine that cheers God and men, and go to be promoted over the trees?
14 “अंत में सभी वृक्षों ने झड़बेरी से कहा, ‘आइए, हम पर शासन कीजिए!’
Then all the trees said to the bramble, Come you and [reign] over us.
15 “झड़बेरी ने वृक्षों से उत्तर में कहा, ‘यदि आप लोग सच में मेरा राजाभिषेक करना चाह रहे हैं, तो आकर मेरी छाया में आसरा ले लीजिए; और अगर नहीं, तो झड़बेरी से आग निकलें और लबानोन के देवदार के पेड़ भस्म हो जाएं.’
And the bramble said to the trees, If you in truth anoint me to reign over you, come, stand under my shadow; and if not, let fire come out from me and devour the cedars of Libanus.
16 “क्या, आप लोगों ने सच्चे मन से अबीमेलेक को राजा बनाया है, तथा ऐसा करने के द्वारा आप लोगों ने यरूबाल एवं उसके परिवार का भला किया है? क्या आपने वही किया है जिसके लिए वह योग्य था?
And now, if you have done it in truth and integrity, and have made Abimelech king, and if you have wrought well with Jerobaal, and with his house, and if you have done to him according to the reward of his hand,
17 तुम्हारी भलाई के लिए मेरे पिता ने युद्ध किया, अपने प्राण खतरे में डाले तथा आप लोगों को मिदियानियों की अधीनता से छुड़ाया;
as my father fought for you, and put his life in jeopardy, and delivered you out of the hand of Madiam;
18 किंतु आज आप लोगों ने मेरे पिता के परिवार के विरुद्ध विद्रोह कर दिया है, आपने उस एक ही चट्टान पर उनके सत्तर पुत्रों का वध कर दिया और आपने उनकी सेविका के पुत्र अबीमेलेक को शेकेम पर राजा बना दिया है, केवल इसलिये कि वह आपका संबंधी है!
and you are risen up this day against the house of my father, and have slain his sons, being seventy men, upon one stone, and have made Abimelech the son of his bondwoman king over the men of Sicima, because he is your brother:
19 यदि आप लोगों ने आज यरूबाल तथा उनके परिवार के साथ निष्कपट भाव से, सच्चाई में व्यवहार किया है, तो अबीमेलेक में ही आपका आनंद हो तथा वह भी आप में ही प्रसन्‍न रहे.
if then you have done truly and faithfully with Jerobaal, and with his house this day, rejoice you in Abimelech, and let him also rejoice over you:
20 किंतु यदि नहीं, तो अबीमेलेक द्वारा आग भेजी जाए और शेकेम तथा बेथ-मिल्लो के लोग इसमें भस्म हो जाएं, और शेकेम तथा बेथ-मिल्लो के अगुओं की ओर से आग निकलकर अबीमेलेक को भस्म कर दे.”
but if not, let fire come out from Abimelech, and devour the men of Sicima, and the house of Bethmaalo; and let fire come out from the men of Sicima and from the house of Bethmaalo, and devour Abimelech.
21 यह कहकर योथाम वहां से भाग निकला. वहां से वह बएर जा पहुंचा और अपने भाई अबीमेलेक के डर से वहीं रहने लगा.
And Joatham fled, and ran away, and went as far as Baeer, and lived there out of the way of his brother Abimelech.
22 अबीमेलेक इस्राएल पर तीन साल तक शासन करता रहा.
And Abimelech reigned over Israel three years.
23 तब परमेश्वर ने अबीमेलेक तथा शेकेमवासियों के बीच एक बुरी आत्मा भेज दी. परिणामस्वरूप शेकेमवासियों ने अबीमेलेक से विश्वासघात किया,
And God sent an evil spirit between Abimelech and the men of Sicima; and the men of Sicima dealt treacherously with the house of Abimelech:
24 इसलिये कि यरूबाल के सत्तर पुत्रों से की गई हिंसा का बदला लिया जा सके, और उनके खून का दोष उनके भाई अबीमेलेक पर लगाया जा सके, जिसने उनकी हत्या की थी तथा शेकेम के व्यक्तियों पर भी, जिन्होंने उसे अपने भाइयों की हत्या के लिए उकसाया था.
to bring the injury done to the seventy sons of Jerobaal, and to lay their blood upon their brother Abimelech, who killed them, and upon the men of Sicima, because they strengthened his hands to kill his brethren.
25 उसके लिए शेकेम के लोगों ने पहाड़ों की चोटियों पर अपने लोगों को घात में लगा दिए, जो वहां से निकलते हुए यात्रियों को लूट करते थे. इसकी सूचना अबीमेलेक को दे दी गई.
And the men of Sicima set liers in wait against him on the top of the mountains, and robbed every one who passed by them on the way; and it was reported to the king Abimelech.
26 एबेद का पुत्र गाअल अपने संबंधियों के साथ शेकेम गया. वह शेकेमवासियों का विश्वासपात्र बन गया.
And Gaal son of Jobel came, and his brethren, and passed by Sicima, and the men of Sicima trusted in him.
27 उन्होंने अपने अंगूर के बगीचों में जाकर अंगूर इकट्‍ठे किए, अंगूर रौन्दे और अपने देवता के मंदिर में उत्सव मनाया. वहां उन्होंने भोजन किया, पेय पान किया और फिर अबीमेलेक को शाप भी दिया.
And they went out into the field, and gathered their grapes, and trod them, and made merry; and they brought [the grapes] into the house of their god, and ate and drank, and cursed Abimelech.
28 तब एबेद के पुत्र गाअल ने कहा, “कौन होता है अबीमेलेक, और कौन होता है शेकेम, कि हम इनकी सेवा करें? क्या वह यरूबाल का पुत्र नहीं, क्या ज़बुल उसका सहायक नहीं? हां, शेकेम के पिता हामोर के साथियों की सेवा अवश्य करो, किंतु हम भला अबीमेलेक की सेवा क्यों करें?
And Gaal the son of Jobel said, Who is Abimelech, and who is the son of Sychem, that we should serve him? [Is he] not the son of Jerobaal, and [is] not Zebul his steward, his servant with the son of Emmor the father of Sychem? and why should we serve him?
29 अच्छा होता कि ये लोग मेरे अधिकार में होते! तब मैं अबीमेलेक को ही हटा देता. तब उसने अबीमेलेक से कहा, ‘अपनी सेना को बढ़ाकर मुझसे युद्ध के लिए आ जाओ.’”
And would that this people were under my hand! then would I remove Abimelech, and I would say to him, Multiply your host, and come out.
30 जब नगर अध्यक्ष ज़बुल ने एबेद के पुत्र गाअल का यह बातें सुनी वह क्रोध से भड़क गया.
And Zebul the ruler of the city heard the words of Gaal the son of Jobel, and he was very angry.
31 उसने तोरमाह नगर को अबीमेलेक के पास अपने दूत भेजे. संदेश यह था: “देखिए, एबेद का पुत्र गाअल तथा उसके संबंधी शेकेम आ गए हैं. यहां वे नगर को आपके विरुद्ध उकसा रहे हैं.
And he sent messengers to Abimelech secretly, saying, Behold, Gaal the son of Jobel and his brethren are come to Sychem; and behold, they have besieged the city against you.
32 इस कारण अब आप अपनी सेना को लेकर रात में मैदान में घात लगा दीजिए.
And now rise up by night, you and the people with you, and lay wait in the field.
33 सूरज उगते ही आप नगर पर टूट पड़िए. जब गाअल अपनी सेना के साथ आप पर हमला करेगा, आप उसके साथ वही कीजिए, जो आपको सही लगे.”
And it shall come to pass in the morning at sunrising, you shall rise up early and draw towards the city; and behold, he and the people with him will come forth against you, and you shall do to him according to your power.
34 अबीमेलेक तथा उसके साथ के सारे सैनिक रात में चार दल बनाकर शेकेम के लिए घात लगाकर छिप गए.
And Abimelech and all the people with him rose up by night, and formed an ambuscade against Sychem in four companies.
35 एबेद का पुत्र गाअल जाकर नगर द्वार पर खड़ा हो गया. अबीमेलेक तथा उसके सैनिक घात से बाहर आए.
And Gaal the son of Jobel went forth, and stood by the door of the gate of the city: and Abimelech and the people with him rose up from the ambuscade.
36 यह देखकर गाअल ने ज़बुल से कहा, “देखो, लोग पहाड़ की चोटियों से नीचे आ रहे हैं!” किंतु ज़बुल ने उसे उत्तर दिया, “आपको तो पर्वतों की छाया ही सेना जैसी दिखाई दे रही है.”
And Gaal the son of Jobel saw the people, and said to Zebul, Behold, a people comes down from the top of the mountains: and Zebul said to him, You see the shadow of the mountains as men.
37 गाअल ने दोबारा बताया, “देश के बीचों-बीच से लोग नीचे आ रहे हैं, तथा शकुन शास्त्रियों का एक दल बांज वृक्ष के मार्ग से आ रहा है.”
And Gaal continued to speak and said, Behold, a people comes down westward from the part bordering on the middle of the land, and another company comes by the way of Helon Maonenim.
38 इसे सुन ज़बुल ने उससे कहा, “क्या हुआ आपकी उन डींगों का, जब आप कह रहे थे, ‘कौन है अबीमेलेक, कि हम उसकी सेवा करें?’ क्या ये वे ही लोग नहीं जिनसे आप घृणा करते रहे? अब जाइए और कीजिए उनसे युद्ध!”
And Zebul said to him, And where is your mouth as you spoke, Who is Abimelech that we should serve him? [Is] not this the people whom you despised? go forth now, and set the battle in array against him.
39 गाअल गया और शेकेम के पुरुषों की अगुवाई करके अबीमेलेक से युद्ध किया.
And Gaal went forth before the men of Sychem, and set the battle in array against Abimelech.
40 अबीमेलेक ने गाअल को खदेड़ दिया, और गाअल तथा सैनिक भागने लगे. नगर द्वार के सामने अनेक सैनिक जो भाग रहे थे, वे घायल होकर मर गये.
And Abimelech pursued him, and he fled from before him; and many fell down slain as far as the door of the gate.
41 अबीमेलेक अरूमाह में ही ठहरा रहा, किंतु ज़बुल ने गाअल तथा उसके संबंधियों को भगा दिया कि वे शेकेम में न रह सकें.
And Abimelech entered into Arema, and Zebul cast out Gaal and his brethren, so that they should not dwell in Sychem.
42 दूसरे दिन शेकेम के नागरिक मैदान में निकल आए. इसकी सूचना अबीमेलेक को दे दी गई.
And it came to pass on the second day that the people went out into the field, and [one] brought word to Abimelech.
43 तब उसने अपनी सेना को तीन भागों में बांट दिया और वे घात लगाकर बैठ गए. जब उसने देखा कि लोग नगर से बाहर आ रहे हैं, उसने उन पर आक्रमण कर उनको मार दिया.
And he took the people, and divided them into three companies, and formed an ambush in the field; and he looked, and, behold, the people went forth out of the city, and he rose up against them, and struck them.
44 फिर अबीमेलेक तथा उसके सैनिक दौड़कर नगर फाटक पर जा पहुंचे. दूसरे दो दल दौड़-दौड़ कर उनको मारते चले गए, जो नगर से बाहर आ गए थे.
And Abimelech and the chiefs of companies that were with him rushed forward, and stood by the door of the gate of the city; and the two [other] companies rushed forward upon all that were in the field, and struck them.
45 अबीमेलेक दिन भर शेकेम से युद्ध करता रहा. उसने शेकेम पर अधिकार कर लिया, और सभी नगरवासियों को मार दिया. उसने नगर को पूरी तरह से गिराकर नगर क्षेत्र में नमक बिखेर दिया.
And Abimelech fought against the city all that day, and took the city, and killed the people that were in it, and destroyed the city, and sowed it with salt.
46 जब शेकेम के मीनार पर रहनेवाले सभी अधिकारियों ने यह सब सुना, वे एल-बरिथ मंदिर के भीतरी कमरे में इकट्‍ठे हो गए.
And all the men of the tower of Sychem heard, and came to the gathering of Baethel-berith.
47 अतः अबीमेलेक अपनी सेना के साथ ज़लमोन पर्वत पर चला गया.
And it was reported to Abimelech, that all the men of the tower of Sychem were gathered together.
48 वहां अबीमेलेक ने कुल्हाड़ी लेकर वृक्ष की एक शाखा काटी, उसे अपने कंधे पर उठा लिया और अपने साथ के सैनिकों को आदेश दिया, “जैसा तुमने मुझे करते देखा है, तुम भी वैसा ही करो.”
And Abimelech went up to the mount of Selmon, and all the people that were with him; and Abimelech took an axe in his hand, and cut down a branch of a tree, and took it, and laid it on his shoulders; and said to the people that were with him, What you see me doing, do quickly as I.
49 सभी ने अपने लिए एक-एक शाखा काटी, और अबीमेलेक के पीछे-पीछे चले गए. उन सबने ये शाखाएं भीतरी कमरों में रख दीं और उसमें आग लगा दी. वहां सभी अगुए इकट्‍ठे थे, इस कारण शेकेम के मीनार के कमरे में जो थे उन सभी अधिकारियों की मृत्यु हो गई, ये लगभग एक हज़ार स्त्री-पुरुष थे.
And they cut down likewise even every man a branch, and went after Abimelech, and laid them against the place of gathering, and burnt the place of gathering over them with fire; and they died, even all the men of the tower of Sicima, about a thousand men and women.
50 इसके बाद अबीमेलेक तेबेज़ नगर को गया, नगर की घेराबंदी की और उसे अपने वश में कर लिया.
And Abimelech went out of Baethel-berith, and encamped against Thebes, and took it.
51 किंतु नगर के बीच में एक मजबूत मीनार था. नगर के बचे हुए सभी स्त्री-पुरुषों ने एवं अगुओं ने भागकर उसी में सहारा लिया और दरवाजे बंद कर लिए और वे सब मीनार की छत पर चढ़ गए.
And there was a strong tower in the midst of the city; and there all the men and the women of the city fled, and shut [the door] without them, and went up on the roof of the tower.
52 अबीमेलेक ने आकर उस मीनार पर हमला किया. वह मीनार में आग लगाने के उद्देश्य से द्वार के पास आया ही था,
And Abimelech drew near to the tower, and they besieged it; and Abimelech drew near to the door of the tower to burn it with fire.
53 कि एक स्त्री ने चक्की का ऊपरी पाट अबीमेलेक के ऊपर गिरा दिया. इससे उसकी खोपड़ी कुचल गई.
And a woman cast a piece of a millstone upon the head of Abimelech, and broke his skull.
54 उसने तुरंत अपने युवा हथियार ढोनेवाले को बुलाकर आदेश दिया, “अपनी तलवार निकालो और आज़ाद करो मुझे इस स्थिति से, ताकि मेरे संबंध में यह न कहा जाए: ‘एक स्त्री ने उसकी हत्या कर दी.’” सो उस युवा ने उसे तलवार से बेध दिया, उसकी मृत्यु हो गई.
And he cried out quickly to the young man his armour-bearer, and said to him, Draw your sword, and kill me, lest at any time they should say, A woman killed him: and his young man thrust him through and he died.
55 जब इस्राएलियों ने देखा कि अबीमेलेक की मृत्यु हो गई है, वे सब अपने-अपने घर लौट गए.
And the men of Israel saw that Abimelech was dead; and they went each to his place.
56 इस प्रकार परमेश्वर ने अबीमेलेक से उस दुष्टता का बदला ले लिया, जो उसने अपने सत्तर भाइयों की हत्या करने के द्वारा अपने पिता के विरुद्ध की थी.
So God requited the wickedness of Abimelech, which he wrought against his father, in slaying his seventy brethren.
57 इसके अलावा परमेश्वर ने शेकेम निवासियों की सारी दुष्टता का भी बदला ले लिया, और यरूबाल के पुत्र योथाम का शाप उनके सिर पर आ पड़ा.
And all the wickedness of the men of Sychem God requited upon their head; and the curse of Joatham the son of Jerobaal came upon them.

< न्यायियों 9 >