< न्यायियों 1 >

1 यहोशू की मृत्यु के बाद इस्राएलियों ने याहवेह से यह प्रश्न किया, “कनानियों से युद्ध करने सबसे पहले किसका जाना सही होगा?”
وَكَانَ بَعْدَ مَوْتِ يَشُوعَ أَنَّ بَنِي إِسْرَائِيلَ سَأَلُوا ٱلرَّبَّ قَائِلِينَ: «مَنْ مِنَّا يَصْعَدُ إِلَى ٱلْكَنْعَانِيِّينَ أَوَّلًا لِمُحَارَبَتِهِمْ؟»١
2 याहवेह ने उत्तर दिया, “सबसे पहले यहूदाह जाएगा; यह याद रहे कि यह जगह मैंने उसके अधिकार में दे दी है.”
فَقَالَ ٱلرَّبُّ: «يَهُوذَا يَصْعَدُ. هُوَذَا قَدْ دَفَعْتُ ٱلْأَرْضَ لِيَدِهِ».٢
3 यहूदाह वंशजों ने अपने भाई शिमओन वंशजों से कहा, “हमें दी गई जगह में आ जाओ, कि हम कनानियों से युद्ध करें तथा समय आने पर मैं तुम्हें दी गई जगह में आकर युद्ध करूंगा.” शिमओन वंशज इसके लिए राज़ी हो गये.
فَقَالَ يَهُوذَا لِشِمْعُونَ أَخِيهِ: «اِصْعَدْ مَعِي فِي قُرْعَتِي لِكَيْ نُحَارِبَ ٱلْكَنْعَانِيِّينَ، فَأَصْعَدَ أَنَا أَيْضًا مَعَكَ فِي قُرْعَتِكَ». فَذَهَبَ شِمْعُونُ مَعَهُ.٣
4 यहूदाह वंशजों ने आक्रमण किया और याहवेह ने कनानी और परिज्ज़ी उनके अधीन कर दिए, बेज़ेक में उन्होंने दस हज़ार सैनिकों को मार गिराया.
فَصَعِدَ يَهُوذَا، وَدَفَعَ ٱلرَّبُّ ٱلْكَنْعَانِيِّينَ وَٱلْفِرِزِّيِّينَ بِيَدِهِمْ، فَضَرَبُوا مِنْهُمْ فِي بَازَقَ عَشَرَةَ آلَافِ رَجُلٍ.٤
5 बेज़ेक में उन्होंने अदोनी-बेज़ेक से युद्ध किया और कनानियों तथा परिज्ज़ियों को मार दिया;
وَوَجَدُوا أَدُونِيَ بَازَقَ فِي بَازَقَ، فَحَارَبُوهُ وَضَرَبُوا ٱلْكَنْعَانِيِّينَ وَٱلْفِرِزِّيِّينَ.٥
6 मगर अदोनी-बेज़ेक भाग निकला, उन्होंने उसका पीछा किया, उसे पकड़ लिया और उसके हाथों और पैरों के अंगूठे काट दिए.
فَهَرَبَ أَدُونِي بَازَقَ، فَتَبِعُوهُ وَأَمْسَكُوهُ وَقَطَعُوا أَبَاهِمَ يَدَيْهِ وَرِجْلَيْهِ.٦
7 अदोनी-बेज़ेक ने उनसे कहा, “सत्तर राजा, जिनके हाथ-पैर के अंगूठे काट दिए गए होते थे, मेरी मेज़ की चूर-चार इकट्ठा करते थे. परमेश्वर ने मेरे द्वारा किए गए काम का बदला मुझे दे दिया है.” वे उसे येरूशलेम ले आए, जहां उसकी मृत्यु हो गई.
فَقَالَ أَدُونِي بَازَقَ: «سَبْعُونَ مَلِكًا مَقْطُوعَةٌ أَبَاهِمُ أَيْدِيهِمْ وَأَرْجُلِهِمْ كَانُوا يَلْتَقِطُونَ تَحْتَ مَائِدَتِي. كَمَا فَعَلْتُ كَذَلِكَ جَازَانِيَ ٱللهُ». وَأَتَوْا بِهِ إِلَى أُورُشَلِيمَ فَمَاتَ هُنَاكَ.٧
8 तब यहूदाह गोत्रजों ने येरूशलेम पर हमला किया, उसे अपने अधीन कर लिया, उसके निवासियों को तलवार से मार दिया और नगर में आग लगा दी.
وَحَارَبَ بَنُو يَهُوذَا أُورُشَلِيمَ وَأَخَذُوهَا وَضَرَبُوهَا بِحَدِّ ٱلسَّيْفِ، وَأَشْعَلُوا ٱلْمَدِينَةَ بِٱلنَّارِ.٨
9 इसके बाद यहूदाह गोत्रज उन कनानियों से युद्ध करने निकल पड़े, जो नेगेव के पहाड़ी इलाकों में तथा तराई में रह रहे थे.
وَبَعْدَ ذَلِكَ نَزَلَ بَنُو يَهُوذَا لِمُحَارَبَةِ ٱلْكَنْعَانِيِّينَ سُكَّانِ ٱلْجَبَلِ وَٱلْجَنُوبِ وَٱلسَّهْلِ.٩
10 सो यहूदाह ने उन कनानियों पर हमला कर दिया, जो हेब्रोन में रह रहे थे. हेब्रोन का पुराना नाम किरयथ-अरबा था. उन्होंने शेशाइ, अहीमान और तालमाई को हरा दिया.
وَسَارَ يَهُوذَا عَلَى ٱلْكَنْعَانِيِّينَ ٱلسَّاكِنِينَ فِي حَبْرُونَ، وَكَانَ ٱسْمُ حَبْرُونَ قَبْلًا قَرْيَةَ أَرْبَعَ. وَضَرَبُوا شِيشَايَ وَأَخِيمَانَ وَتَلْمَايَ.١٠
11 इसके बाद वे वहां से दबीर निवासियों की ओर बढ़े; दबीर का पुराना नाम किरयथ-सेफेर था.
وَسَارَ مِنْ هُنَاكَ عَلَى سُكَّانِ دَبِيرَ، وَٱسْمُ دَبِيرَ قَبْلًا قَرْيَةُ سَفَرٍ.١١
12 कालेब ने घोषणा की, “जो कोई किरयथ-सेफेर पर आक्रमण करके उसे अपने अधीन कर लेगा, मैं उसका विवाह अपनी पुत्री अक्सा से कर दूंगा.”
فَقَالَ كَالَبُ: «ٱلَّذِي يَضْرِبُ قَرْيَةَ سَفَرٍ وَيَأْخُذُهَا، أُعْطِيهِ عَكْسَةَ ٱبْنَتِي ٱمْرَأَةً».١٢
13 कालेब के छोटे भाई केनज़ के पुत्र ओथनीएल ने किरयथ-सेफेर को अधीन कर लिया, तब कालेब ने उसे अपनी पुत्री अक्सा उसकी पत्नी होने के लिए दे दी.
فَأَخَذَهَا عُثْنِيئِيلُ بْنُ قَنَازَ، أَخُو كَالَبَ ٱلْأَصْغَرُ مِنْهُ. فَأَعْطَاهُ عَكْسَةَ ٱبْنَتَهُ ٱمْرَأَةً.١٣
14 विवाह होने के बाद जब अक्सा अपने पति से बात कर रही थी, उसने उसे अपने पिता से एक खेत मांगने के लिए कहा. जब वह अपने गधे पर से उतर गई, तब कालेब ने उससे पूछा, “तुम्हें क्या चाहिए?”
وَكَانَ عِنْدَ دُخُولِهَا أَنَّهَا غَرَّتْهُ بِطَلَبِ حَقْلٍ مِنْ أَبِيهَا. فَنَزَلَتْ عَنِ ٱلْحِمَارِ، فَقَالَ لَهَا كَالَبُ: «مَا لَكِ؟»١٤
15 उसने उत्तर दिया, “मुझे आपके आशीर्वाद की ज़रूरत है! जैसे आप मुझे नेगेव क्षेत्र दे ही चुके हैं, और यदि हो सके तो वैसे मुझे जल के सोते भी दे दीजिए.” तब कालेब ने उसे ऊपर का सोता, नीचे का सोता दोनों दे दिया.
فَقَالَتْ لَهُ: «أَعْطِنِي بَرَكَةً. لِأَنَّكَ أَعْطَيْتَنِي أَرْضَ ٱلْجَنُوبِ، فَأَعْطِنِي يَنَابِيعَ مَاءٍ». فَأَعْطَاهَا كَالَبُ ٱلْيَنَابِيعَ ٱلْعُلْيَا وَٱلْيَنَابِيعَ ٱلسُّفْلَى.١٥
16 मोशेह के ससुर के वंशज अर्थात् केनीवासी खजूर वृक्षों के नगर से यहूदिया के लोगों के साथ यहूदिया के निर्जन प्रदेश के इलाके में चले गए. यह जगह अराद के पास दक्षिण में है. वे वहां के निवासियों के साथ ही बस गए.
وَبَنُو ٱلْقَيْنِيِّ حَمِي مُوسَى صَعِدُوا مِنْ مَدِينَةِ ٱلنَّخْلِ مَعَ بَنِي يَهُوذَا إِلَى بَرِّيَّةِ يَهُوذَا ٱلَّتِي فِي جَنُوبِيِّ عَرَادَ، وَذَهَبُوا وَسَكَنُوا مَعَ ٱلشَّعْبِ.١٦
17 तब यहूदाह वंशजों ने अपने भाई शिमओन वंशजों के साथ जाकर सेफथ में निवास कर रहे कनानियों को मार दिया, और नगर का पूरा विनाश कर दिया. सो इस नगर का नाम होरमाह पड़ गया.
وَذَهَبَ يَهُوذَا مَعَ شِمْعُونَ أَخِيهِ وَضَرَبُوا ٱلْكَنْعَانِيِّينَ سُكَّانَ صَفَاةَ وَحَرَّمُوهَا، وَدَعَوْا ٱسْمَ ٱلْمَدِينَةِ «حُرْمَةَ».١٧
18 यहूदाह ने अज्जाह, अश्कलोन तथा एक्रोन नगरों को इनकी सीमा सहित अपने अधीन कर लिया.
وَأَخَذَ يَهُوذَا غَزَّةَ وَتُخُومَهَا، وَأَشْقَلُونَ وَتُخُومَهَا، وَعَقْرُونَ وَتُخُومَهَا.١٨
19 याहवेह यहूदाह की ओर थे, उन्होंने पहाड़ी इलाके को अपने अधीन कर लिया; किंतु वे घाटी के रहनेवालों को निकाल न सके, क्योंकि उनके पास लोहे के रथ थे.
وَكَانَ ٱلرَّبُّ مَعَ يَهُوذَا فَمَلَكَ ٱلْجَبَلَ، وَلَكِنْ لَمْ يُطْرَدْ سُكَّانُ ٱلْوَادِي لِأَنَّ لَهُمْ مَرْكَبَاتِ حَدِيدٍ.١٩
20 उन्होंने कालेब को हेब्रोन दे दिया, जैसी मोशेह ने उनसे प्रतिज्ञा की थी. कालेब ने वहां से अनाक के तीन पुत्रों को खदेड़ दिया था.
وَأَعْطَوْا لِكَالَبَ حَبْرُونَ كَمَا تَكَلَّمَ مُوسَى. فَطَرَدَ مِنْ هُنَاكَ بَنِي عَنَاقَ ٱلثَّلَاثَةَ.٢٠
21 मगर बिन्यामिन के वंशजों ने येरूशलेम में रह रहे यबूसियों को वहां से नहीं निकाला. परिणामस्वरूप यबूसी आज तक बिन्यामिन के वंशजों के साथ येरूशलेम में ही रह रहे हैं.
وَبَنُو بَنْيَامِينَ لَمْ يَطْرُدُوا ٱلْيَبُوسِيِّينَ سُكَّانَ أُورُشَلِيمَ، فَسَكَنَ ٱلْيَبُوسِيُّونَ مَعَ بَنِي بَنْيَامِينَ فِي أُورُشَلِيمَ إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ.٢١
22 इसी तरह योसेफ़ के परिवार ने बेथेल पर हमला कर दिया. याहवेह उनकी ओर थे.
وَصَعِدَ بَيْتُ يُوسُفَ أَيْضًا إِلَى بَيْتِ إِيلَ وَٱلرَّبُّ مَعَهُمْ.٢٢
23 योसेफ़ के परिवार ने बेथेल का भेद लिया. बेथेल नगर का पुराना नाम लूज़ था.
وَٱسْتَكْشَفَ بَيْتُ يُوسُفَ عَنْ بَيْتِ إِيلَ، وَكَانَ ٱسْمُ ٱلْمَدِينَةِ قَبْلًا لُوزَ.٢٣
24 भेद लेने गए जासूसों ने नगर से बाहर आ रहे एक व्यक्ति को देखा. उन्होंने उससे विनती की, “कृपया हमें नगर में जाने का रास्ता दिखाएं. हम तुम पर कृपा करेंगे.”
فَرَأَى ٱلْمُرَاقِبُونَ رَجُلًا خَارِجًا مِنَ ٱلْمَدِينَةِ، فَقَالُوا لَهُ: «أَرِنَا مَدْخَلَ ٱلْمَدِينَةِ فَنَعْمَلَ مَعَكَ مَعْرُوفًا».٢٤
25 सो उसने उन्हें नगर में जाने का रास्ता दिखा दिया. उन्होंने पूरे नगर को तलवार से मार दिया, मगर उस व्यक्ति और उसके परिवार को छोड़ दिया.
فَأَرَاهُمْ مَدْخَلَ ٱلْمَدِينَةِ، فَضَرَبُوا ٱلْمَدِينَةَ بِحَدِّ ٱلسَّيْفِ، وَأَمَّا ٱلرَّجُلُ وَكُلُّ عَشِيرَتِهِ فَأَطْلَقُوهُمْ.٢٥
26 वह व्यक्ति हित्तियों के देश में चला गया, जहां एक नगर बसाया गया, जिसका नाम उसने लूज़ रखा, जिसे आज तक इसी नाम से जाना जाता है.
فَٱنْطَلَقَ ٱلرَّجُلُ إِلَى أَرْضِ ٱلْحِثِّيِّينَ وَبَنَى مَدِينَةً وَدَعَا ٱسْمَهَا «لُوزَ» وَهُوَ ٱسْمُهَا إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ.٢٦
27 मगर मनश्शेह ने न तो बेथ-शान और इसके गांवों को अपने अधीन कर लिया और न ही तानख और इसके गांवों को, न दोर तथा इसके निवासियों और इसके गांवों को, न इब्लीम और इसके निवासियों और गांवों को, न मगिद्दो और इसके निवासियों और गांवों को. इस कारण कनानी निडर होकर उस देश में रहते रहे.
وَلَمْ يَطْرُدْ مَنَسَّى أَهْلَ بَيْتِ شَانَ وَقُرَاهَا، وَلَا أَهْلَ تَعْنَكَ وَقُرَاهَا، وَلَا سُكَّانَ دُورَ وَقُرَاهَا، وَلَا سُكَّانَ يِبْلَعَامَ وَقُرَاهَا، وَلَا سُكَّانَ مَجِدُّو وَقُرَاهَا. فَعَزَمَ ٱلْكَنْعَانِيُّونَ عَلَى ٱلسَّكَنِ فِي تِلْكَ ٱلْأَرْضِ.٢٧
28 तब वह समय भी आया, जब इस्राएली सामर्थ्यी हो गए. तब उन्होंने कनानियों को जबरन मजदूरी पर तो लगा दिया और उन्हें पूरी रीति से न निकाला.
وَكَانَ لَمَّا تَشَدَّدَ إِسْرَائِيلُ أَنَّهُ وَضَعَ ٱلْكَنْعَانِيِّينَ تَحْتَ ٱلْجِزْيَةِ وَلَمْ يَطْرُدْهُمْ طَرْدًا.٢٨
29 गेज़ेर में रह रहे कनानियों को एफ्राईम के वंशजों ने नहीं निकाला. इस कारण कनानी गेज़ेर में उन्हीं के बीच रहते रहे.
وَأَفْرَايِمُ لَمْ يَطْرُدِ ٱلْكَنْعَانِيِّينَ ٱلسَّاكِنِينَ فِي جَازَرَ، فَسَكَنَ ٱلْكَنْعَانِيُّونَ فِي وَسَطِهِ فِي جَازَرَ.٢٩
30 ज़ेबुलून ने कितरोनवासियों को नहीं निकाला और न नहलोलवासियों को, इस कारण कनानी उनके बीच में रहते रहे और उन्हें जबरन मज़दूर बनना पड़ा.
زَبُولُونُ لَمْ يَطْرُدْ سُكَّانَ قِطْرُونَ، وَلَا سُكَّانَ نَهْلُولَ، فَسَكَنَ ٱلْكَنْعَانِيُّونَ فِي وَسَطِهِ وَكَانُوا تَحْتَ ٱلْجِزْيَةِ.٣٠
31 आशेर ने न तो अक्को के, न सीदोन के, न अहलाब के, न अकज़ीब के, न हेलबा के, न अफेक के, न रेहोब के निवासियों को निकाला.
وَلَمْ يَطْرُدْ أَشِيرُ سُكَّانَ عَكُّو، وَلَا سُكَّانَ صَيْدُونَ وَأَحْلَبَ وَأَكْزِيبَ وَحَلْبَةَ وَأَفِيقَ وَرَحُوبَ.٣١
32 इस कारण अशेरी कनानियों के बीच में ही रहते रहे, जो इस क्षेत्र के मूल निवासी थे. उन्हें बाहर निकाला ही न गया था.
فَسَكَنَ ٱلْأَشِيرِيُّونَ فِي وَسَطِ ٱلْكَنْعَانِيِّينَ سُكَّانِ ٱلْأَرْضِ، لِأَنَّهُمْ لَمْ يَطْرُدُوهُمْ.٣٢
33 नफताली ने बेथ-शेमेश के निवासियों को नहीं निकाला, और न ही बेथ-अनात के निवासियों को. वे कनानियों के बीच में ही रहते रहे, जो इस देश के मूल निवासी थे. बेथ-शेमेश तथा बेथ-अनात के निवासी उनके लिए जबरन मज़दूर होकर रह गए.
وَنَفْتَالِي لَمْ يَطْرُدْ سُكَّانَ بَيْتِ شَمْسٍ، وَلَا سُكَّانَ بَيْتِ عَنَاةَ، بَلْ سَكَنَ فِي وَسَطِ ٱلْكَنْعَانِيِّينَ سُكَّانِ ٱلْأَرْضِ. فَكَانَ سُكَّانُ بَيْتِ شَمْسٍ وَبَيْتِ عَنَاةَ تَحْتَ ٱلْجِزْيَةِ لَهُمْ.٣٣
34 इसके बाद अमोरियों ने दान के वंशजों को पहाड़ी इलाके में रहने के लिए मजबूर कर दिया, क्योंकि अमोरियों ने उन्हें घाटी में प्रवेश करने ही न दिया.
وَحَصَرَ ٱلْأَمُورِيُّونَ بَنِي دَانَ فِي ٱلْجَبَلِ لِأَنَّهُمْ لَمْ يَدَعُوهُمْ يَنْزِلُونَ إِلَى ٱلْوَادِي.٣٤
35 अमोरी अय्जालोन तथा शआलबीम में हेरेस पर्वत पर जबरन रहते रहे, मगर जब योसेफ़ के वंशज सामर्थ्यी हो गए, तब इन्हें भी जबरन उनका मज़दूर हो जाना पड़ा.
فَعَزَمَ ٱلْأَمُورِيُّونَ عَلَى ٱلسَّكَنِ فِي جَبَلِ حَارَسَ فِي أَيَّلُونَ وَفِي شَعَلُبِّيمَ. وَقَوِيَتْ يَدُ بَيْتِ يُوسُفَ فَكَانُوا تَحْتَ ٱلْجِزْيَةِ.٣٥
36 अमोरियों की सीमा अक्रब्बीम की चढ़ाई से शुरू होकर सेला होते हुए ऊपर की ओर बढ़ती है.
وَكَانَ تُخْمُ ٱلْأَمُورِيِّينَ مِنْ عَقَبَةِ عَقْرِبِّيمَ مِنْ سَالَعَ فَصَاعِدًا.٣٦

< न्यायियों 1 >