< यूहन्ना 6 >

1 इन बातों के बाद मसीह येशु गलील अर्थात् तिबेरियॉस झील के उस पार चले गए.
بَعْدَ ذلِكَ عَبَرَ يَسُوعُ بُحَيْرَةَ الْجَلِيلِ، أَيْ بُحَيْرَةَ طَبَرِيَّةَ، إِلَى الضَّفَّةِ الْمُقَابِلَةِ،١
2 उनके द्वारा रोगियों को स्वास्थ्यदान के अद्भुत चिह्नों से प्रभावित एक बड़ी भीड़ उनके साथ हो ली.
وَتَبِعَهُ جَمْعٌ كَبِيرٌ بَعْدَمَا رَأَوْا آيَاتِ شِفَائِهِ لِلْمَرْضَى.٢
3 मसीह येशु पर्वत पर जाकर वहां अपने शिष्यों के साथ बैठ गए.
وَصَعِدَ يَسُوعُ وَتَلامِيذُهُ إِلَى الْجَبَلِ وَجَلَسُوا.٣
4 यहूदियों का फ़सह उत्सव पास था.
وَكَانَ عِيدُ الْفِصْحِ الْيَهُودِيُّ قَدِ اقْتَرَبَ.٤
5 जब मसीह येशु ने बड़ी भीड़ को अपनी ओर आते देखा तो फ़िलिप्पॉस से पूछा, “इन सबको खिलाने के लिए हम भोजन कहां से मोल लेंगे?”
وَإِذْ تَطَلَّعَ يَسُوعُ وَرَأَى جَمْعاً كَبِيراً قَادِماً نَحْوَهُ، قَالَ لِفِيلِبُّسَ: «مِنْ أَيْنَ نَشْتَرِي خُبْزاً لِنُطْعِمَ هؤُلاءِ كُلَّهُمْ؟»٥
6 मसीह येशु ने यह प्रश्न उन्हें परखने के लिए किया था क्योंकि वह जानते थे कि वह क्या करने पर थे.
وَقَدْ قَالَ هَذَا لِيَمْتَحِنَهُ، لأَنَّ يَسُوعَ كَانَ يَعْرِفُ مَا سَيَفْعَلُهُ.٦
7 फ़िलिप्पॉस ने उत्तर दिया, “दो सौ दीनार की रोटियां भी उनके लिए पर्याप्‍त नहीं होंगी कि हर एक को थोड़ी-थोड़ी मिल पाए.”
فَأَجَابَهُ فِيلِبُّسُ: «حَتَّى لَوِ اشْتَرَيْنَا خُبْزاً بِمِئَتَيْ دِينَارٍ، لَمَا كَفَى لِيَحْصُلَ الْوَاحِدُ مِنْهُمْ عَلَى قِطْعَةٍ صَغِيرَةٍ!»٧
8 मसीह येशु के शिष्य शिमओन पेतरॉस के भाई आन्द्रेयास ने उन्हें सूचित किया,
فَقَالَ لَهُ أَنْدَرَاوُسُ، أَخُو سِمْعَانَ بُطْرُسَ، وَهُوَ أَحَدُ التَّلامِيذِ:٨
9 “यहां एक लड़का है, जिसके पास जौ की पांच रोटियां और दो मछलियां हैं किंतु उनसे इतने लोगों का क्या होगा?”
«هُنَا وَلَدٌ مَعَهُ خَمْسَةُ أَرْغِفَةِ شَعِيرٍ وَسَمَكَتَانِ صَغِيرَتَانِ. وَلكِنْ مَا هذِهِ لِمِثْلِ هَذَا الْجَمْعِ الْكَبِيرِ؟»٩
10 मसीह येशु ने कहा, “लोगों को बैठा दो” और वे सब, जिनमें पुरुषों की ही संख्या पांच हज़ार थी, घनी घास पर बैठ गए.
فَقَالَ يَسُوعُ: «أَجْلِسُوهُمْ!» وَكَانَ هُنَاكَ عُشْبٌ كَثِيرٌ. فَجَلَسَ الرِّجَالُ، وَكَانَ عَدَدُهُمْ نَحْوَ خَمْسَةِ آلافٍ.١٠
11 तब मसीह येशु ने रोटियां लेकर धन्यवाद दिया और उनकी ज़रूरत के अनुसार बांट दीं और उसी प्रकार मछलियां भी.
فَأَخَذَ يَسُوعُ الأَرْغِفَةَ وَشَكَرَ، ثُمَّ وَزَّعَ مِنْهَا عَلَى الْجَالِسِينَ، بِقَدْرِ مَا أَرَادُوا. وَكَذلِكَ فَعَلَ بِالسَّمَكَتَيْنِ.١١
12 जब वे सब तृप्‍त हो गए तो मसीह येशु ने अपने शिष्यों को आज्ञा दी, “शेष टुकड़ों को इकट्ठा कर लो कि कुछ भी नाश न हो,”
فَلَمَّا شَبِعُوا، قَالَ لِتَلامِيذِهِ: «اجْمَعُوا كِسَرَ الْخُبْزِ الَّتِي فَضَلَتْ لِكَيْ لَا يَضِيعَ شَيْءٌ!»١٢
13 उन्होंने जौ की उन पांच रोटियों के शेष टुकड़े इकट्ठा किए, जिनसे बारह टोकरे भर गए.
فَجَمَعُوهَا، وَمَلأُوا اثْنَتَيْ عَشْرَةَ قُفَّةً مِنْ كِسَرِ الْخُبْزِ الْفَاضِلَةِ عَنِ الآكِلِينَ مِنْ خَمْسَةِ أَرْغِفَةِ الشَّعِيرِ.١٣
14 लोगों ने इस अद्भुत चिह्न को देखकर कहा, “निःसंदेह यह वही भविष्यवक्ता हैं, संसार जिनकी प्रतीक्षा कर रहा है.”
فَلَمَّا رَأَى النَّاسُ الآيَةَ الَّتِي صَنَعَهَا يَسُوعُ قَالُوا: «حَقّاً، هَذَا هُوَ النَّبِيُّ الآتِي إِلَى الْعَالَمِ».١٤
15 जब मसीह येशु को यह मालूम हुआ कि लोग उन्हें ज़बरदस्ती राजा बनाने के उद्देश्य से ले जाना चाहते हैं तो वह फिर से पर्वत पर अकेले चले गए.
وَعَلِمَ يَسُوعُ أَنَّهُمْ عَلَى وَشْكِ أَنْ يَخْتَطِفُوهُ لِيُقِيمُوهُ مَلِكاً، فَعَادَ إِلَى الْجَبَلِ وَحْدَهُ.١٥
16 जब संध्या हुई तो मसीह येशु के शिष्य झील के तट पर उतर गए.
وَلَمَّا حَلَّ الْمَسَاءُ نَزَلَ تَلامِيذُهُ إِلَى الْبُحَيْرَةِ،١٦
17 अंधेरा हो चुका था और मसीह येशु अब तक उनके पास नहीं पहुंचे थे. उन्होंने नाव पर सवार होकर गलील झील के दूसरी ओर कफ़रनहूम नगर के लिए प्रस्थान किया.
وَرَكِبُوا قَارِباً مُتَّجِهِينَ إِلَى كَفْرَنَاحُومَ فِي الضَّفَّةِ الْمُقَابِلَةِ مِنَ الْبُحَيْرَةِ. وَخَيَّمَ الظَّلامُ وَلَمْ يَكُنْ يَسُوعُ قَد لَحِقَ بِهِمْ.١٧
18 उसी समय तेज हवा के कारण झील में लहरें बढ़ने लगीं.
وَهَبَّتْ عَاصِفَةٌ قَوِيَّةٌ، فَاضْطَرَبَتِ الْبُحَيْرَةُ.١٨
19 नाव को लगभग पांच किलोमीटर खेने के बाद शिष्यों ने मसीह येशु को जल सतह पर चलते और नाव की ओर आते देखा. यह देखकर वे भयभीत हो गए.
وَبَعْدَمَا جَذَّفَ التَّلامِيذُ نَحْوَ ثَلاثَةِ أَمْيَالٍ أَوْ أَرْبَعَةٍ، رَأَوْا يَسُوعَ يَقْتَرِبُ مِنَ الْقَارِبِ مَاشِياً عَلَى مَاءِ الْبُحَيْرَةِ، فَاسْتَوْلَى عَلَيْهِمِ الْخَوْفُ،١٩
20 मसीह येशु ने उनसे कहा, “भयभीत मत हो, मैं हूं.”
فَشَجَّعَهُمْ قَائِلاً: «أَنَا هُوَ لَا تَخَافُوا!»٢٠
21 यह सुन शिष्य मसीह येशु को नाव में चढ़ाने को तैयार हो गए. इसके बाद नाव उस किनारे पर पहुंच गई जहां उन्हें जाना था.
فَمَا كَادُوا يَطْلُبُونَ مِنْهُ أَنْ يَصْعَدَ إِلَى الْقَارِبِ، حَتَّى وَصَلَ الْقَارِبُ إِلَى الْمَكَانِ الْمَقْصُودِ.٢١
22 अगले दिन झील के उस पार रह गई भीड़ को मालूम हुआ कि वहां केवल एक छोटी नाव थी और मसीह येशु शिष्यों के साथ उसमें नहीं गए थे—केवल शिष्य ही उसमें दूसरे पार गए थे.
وَفِي الْيَوْمِ التَّالِي، لَمْ يَجِدِ الْجَمْعُ الَّذِينَ بَاتُوا عَلَى الضَّفَّةِ الْمُقَابِلَةِ مِنَ الْبُحَيْرَةِ إِلّا قَارِباً وَاحِداً. وَكَانُوا يَعْرِفُونَ أَنَّ يَسُوعَ لَمْ يَرْكَبِ الْقَارِبَ مَعَ تَلامِيذِهِ (بِالأَمْسِ)، بَلِ اسْتَقَلَّهُ التَّلامِيذُ وَحْدَهُمْ.٢٢
23 तब तिबेरियॉस नगर से अन्य नावें उस स्थान पर आईं, जहां प्रभु ने बड़ी भीड़ को भोजन कराया था.
ثُمَّ جَاءَتْ قَوَارِبُ أُخْرَى مِنْ طَبَرِيَّةَ، وَرَسَتْ بِالْقُرْبِ مِنَ الْمَكَانِ الَّذِي أَكَلُوا فِيهِ الْخُبْزَ بَعْدَمَا شَكَرَ الرَّبُّ عَلَيْهِ.٢٣
24 जब भीड़ ने देखा कि न तो मसीह येशु वहां हैं और न ही उनके शिष्य, तो वे मसीह येशु को खोजते हुए नावों द्वारा कफ़रनहूम नगर पहुंच गए.
فَلَمَّا لَمْ يَجِدِ الْجَمْعُ يَسُوعَ وَلا تَلامِيذَهُ هُنَاكَ، رَكِبُوا تِلْكَ الْقَوَارِبَ وَجَاءُوا إِلَى كَفْرَنَاحُومَ بَاحِثِينَ عَنْ يَسُوعَ.٢٤
25 झील के इस पार मसीह येशु को पाकर उन्होंने उनसे पूछा, “रब्बी, आप यहां कब पहुंचे?”
فَلَمَّا وَجَدُوهُ عَلَى الضَّفَّةِ الْمُقَابِلَةِ مِنَ الْبُحَيْرَةِ، قَالُوا لَهُ: «يَا مُعَلِّمُ، مَتَى وَصَلْتَ إِلَى هُنَا؟»٢٥
26 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: तुम मुझे इसलिये नहीं खोज रहे कि तुमने अद्भुत चिह्न देखे हैं परंतु इसलिये कि तुम रोटियां खाकर तृप्‍त हुए हो.
أَجَابَهُمْ يَسُوعُ: «الْحَقَّ الْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: أَنْتُمْ تَبْحَثُونَ عَنِّي لَا لأَنَّكُمْ رَأَيْتُمُ الآيَاتِ، بَلْ لأَنَّكُمْ أَكَلْتُمْ وَشَبِعْتُمْ مِنْ تِلْكَ الأَرْغِفَةِ.٢٦
27 उस भोजन के लिए मेहनत मत करो, जो नाशमान है परंतु उसके लिए, जो अनंत जीवन तक ठहरता है, जो मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा क्योंकि पिता अर्थात् परमेश्वर ने समर्थन के साथ मात्र उसी को यह अधिकार सौंपा है.” (aiōnios g166)
لَا تَسْعَوْا وَرَاءَ الطَّعَامِ الْفَانِي، بَلْ وَرَاءَ الطَّعَامِ الْبَاقِي إِلَى الْحَيَاةِ الأَبَدِيَّةِ، الَّذِي يُعْطِيكُمْ إِيَّاهُ ابْنُ الإِنْسَانِ، لأَنَّ هَذَا الطَّعَامَ قَدْ وَضَعَ اللهُ الآبُ خَتْمَهُ عَلَيْهِ». (aiōnios g166)٢٧
28 इस पर उन्होंने मसीह येशु से पूछा, “हमसे परमेश्वर की इच्छा क्या है?”
فَسَأَلُوهُ: «مَاذَا نَفْعَلُ لِنَعْمَلَ مَا يَطْلُبُهُ اللهُ؟»٢٨
29 “यह कि तुम परमेश्वर के भेजे हुए पर विश्वास करो,” मसीह येशु ने उत्तर दिया.
أَجَابَ يَسُوعُ: «الْعَمَلُ الَّذِي يَطْلُبُهُ اللهُ هُوَ أَنْ تُؤْمِنُوا بِمَنْ أَرْسَلَهُ».٢٩
30 इस पर उन्होंने मसीह येशु से दोबारा पूछा, “आप ऐसा कौन सा अद्भुत चिह्न दिखा सकते हैं कि हम आप में विश्वास करें? क्या है वह काम?
فَقَالُوا لَهُ: «مَا الآيَةُ الَّتِي تَعْمَلُهَا لِنَرَاهَا وَنُؤْمِنَ بِكَ؟ مَاذَا تَقْدِرُ أَنْ تَعْمَلَ؟٣٠
31 हमारे पूर्वजों ने बंजर भूमि में मन्‍ना खाया; पवित्र शास्त्र के अनुसार: भोजन के लिए परमेश्वर ने उन्हें स्वर्ग से रोटी दी.”
فَإِنَّ آبَاءَنَا أَكَلُوا الْمَنَّ فِي الْبَرِّيَّةِ كَمَا جَاءَ فِي الْكِتَابِ: أَعْطَاهُمْ مَنَّ السَّمَاءِ خُبْزاً لِيَأْكُلُوا!»٣١
32 इस पर मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: स्वर्ग से वह रोटी तुम्हें मोशेह ने नहीं दी; मेरे पिता ही हैं, जो तुम्हें स्वर्ग से वास्तविक रोटी देते हैं.
فَأَجَابَهُمْ يَسُوعُ: «الْحَقَّ الْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ مُوسَى لَمْ يُعْطِكُمْ خُبْزاً مِنَ السَّمَاءِ، وَإِنَّمَا أَبِي هُوَ الَّذِي يُعْطِيكُمُ الآنَ خُبْزَ السَّمَاءِ الْحَقِيقِيَّ،٣٢
33 क्योंकि परमेश्वर की रोटी वह है, जो स्वर्ग से आती है, और संसार को जीवन प्रदान करती है.”
فَخُبْزُ اللهِ هُوَ النَّازِلُ مِنَ السَّمَاءِ الْوَاهِبُ حَيَاةً لِلْعَالَمِ».٣٣
34 यह सुनकर उन्होंने विनती की, “प्रभु, अब से हमें यही रोटी दें.”
قَالُوا لَهُ: «يَا سَيِّدُ، أَعْطِنَا فِي كُلِّ حِينٍ هَذَا الْخُبْزَ».٣٤
35 इस पर मसीह येशु ने घोषणा की, “मैं ही हूं वह जीवन की रोटी. जो मेरे पास आएगा, वह भूखा न रहेगा और जो मुझमें विश्वास करेगा, कभी प्यासा न रहेगा.
فَأَجَابَهُمْ يَسُوعُ: «أَنَا هُوَ خُبْزُ الْحَيَاةِ. فَالَّذِي يُقْبِلُ إِلَيَّ لَا يَجُوعُ، وَالَّذِي يُؤْمِنُ بِي لَا يَعْطَشُ أَبَداً.٣٥
36 मैं तुमसे पहले भी कह चुका हूं कि तुम मुझे देखकर भी मुझमें विश्वास नहीं करते.
وَلكِنْ قُلْتُ لَكُمْ إِنَّكُمْ رَأَيْتُمُونِي وَلا تُؤْمِنُونَ،٣٦
37 वे सभी, जो पिता ने मुझे दिए हैं, मेरे पास आएंगे और हर एक, जो मेरे पास आता है, मैं उसको कभी भी न छोड़ूंगा.
وَلكِنَّ كُلَّ مَا يَهَبُهُ الآبُ لِي سَيَأْتِي إِلَيَّ، وَمَنْ يَأْتِ إِلَيَّ لَا أَطْرَحْهُ إِلَى الْخَارِجِ أَبَداً،٣٧
38 मैं स्वर्ग से अपनी इच्छा पूरी करने नहीं, अपने भेजनेवाले की इच्छा पूरी करने के लिए आया हूं.
فَقَدْ نَزَلْتُ مِنَ السَّمَاءِ، لَا لأُتِمَّ مَشِيئَتِي، بَلْ مَشِيئَةَ الَّذِي أَرْسَلَنِي.٣٨
39 मेरे भेजनेवाले की इच्छा यह है कि जो कुछ उन्होंने मुझे सौंपा है, उसमें से मैं कुछ भी न खोऊं परंतु अंतिम दिन में उसे फिर से जीवित करूं.
وَمَشِيئَتُهُ هِيَ أَنْ لَا أَدَعَ أَحَدَاً مِمَّنْ وَهَبَهُمْ لِي يَهْلِكُ، بَلْ أُقِيمُهُ فِي الْيَوْمِ الأَخِيرِ.٣٩
40 क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है कि हर एक, जो पुत्र को अपनाकर उसमें विश्वास करे, वह अनंत काल का जीवन प्राप्‍त करे तथा मैं उसे अंतिम दिन में फिर से जीवित करूं.” (aiōnios g166)
نَعَمْ! إِنَّ مَشِيئَةَ أَبِي هِيَ أَنَّ كُلَّ مَنْ يَرَى الاِبْنَ وَيُؤْمِنُ بِهِ تَكُونُ لَهُ الْحَيَاةُ الأَبَدِيَّةُ، وَسَأُقِيمُهُ أَنَا فِي الْيَوْمِ الأَخِيرِ». (aiōnios g166)٤٠
41 मसीह येशु का यह दावा सुनकर: “स्वर्ग से उतरी रोटी मैं ही हूं,” यहूदी अगुए कुड़कुड़ाने लगे
فَأَخَذَ الْيَهُودُ يَتَذَمَّرُونَ عَلَى يَسُوعَ لأَنَّهُ قَالَ: «أَنَا الْخُبْزُ الَّذِي نَزَلَ مِنَ السَّمَاءِ».٤١
42 और आपस में मंत्रणा करने लगे, “क्या यह योसेफ़ का पुत्र येशु नहीं, जिसके माता-पिता को हम जानते हैं? तो अब यह कैसे कह रहा है कि यह स्वर्ग से आया है?”
وَقَالُوا: «أَلَيْسَ هَذَا يَسُوعَ ابْنَ يُوسُفَ، الَّذِي نَعْرِفُ نَحْنُ أَبَاهُ وَأُمَّهُ، فَكَيْفَ يَقُولُ: إِنِّي نَزَلْتُ مِنَ السَّمَاءِ؟»٤٢
43 यह जानकर मसीह येशु ने उनसे कहा, “कुड़कुड़ाओ मत,
فَأَجَابَهُمْ يَسُوعُ: «لا تَتَذَمَّرُوا فِيمَا بَيْنَكُمْ!٤٣
44 कोई भी मेरे पास तब तक नहीं आ सकता, जब तक मेरे भेजनेवाले—पिता—उसे अपनी ओर खींच न लें. मैं उसे अंतिम दिन में फिर से जीवित करूंगा.
لَا يَقْدِرُ أَحَدٌ أَنْ يَأْتِيَ إِلَيَّ إِلّا إِذَا اجْتَذَبَهُ الآبُ الَّذِي أَرْسَلَنِي. وَأَنَا أُقِيمُهُ فِي الْيَوْمِ الأَخِيرِ.٤٤
45 भविष्यद्वक्ताओं के अभिलेख में यह लिखा हुआ है: वे सब परमेश्वर द्वारा सिखाए हुए होंगे, अतः हर एक, जिसने पिता परमेश्वर को सुना और उनसे सीखा है, मेरे पास आता है.
جَاءَ فِي كُتُبِ الأَنْبِيَاءِ: سَيَتَعَلَّمُ الْجَمِيعُ مِنَ اللهِ. وَكُلُّ مَنْ يَسْمَعُ الآبَ وَيَتَعَلَّمُ مِنْهُ يَأْتِي إِلَيَّ.٤٥
46 किसी ने पिता परमेश्वर को नहीं देखा सिवाय उसके, जो पिता परमेश्वर से है, केवल उसी ने उन्हें देखा है.
وَلَيْسَ مَعْنَى هَذَا أَنَّ أَحَداً رَأَى الآبَ: فَمَا رَآهُ إِلّا الَّذِي كَانَ مَعَ اللهِ. هُوَ وَحْدَهُ رَأَى الآبَ.٤٦
47 मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: अनंत काल का जीवन उसी का है, जो विश्वास करता है. (aiōnios g166)
الْحَقَّ الْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ الَّذِي يُؤْمِنُ بِي فَلَهُ حَيَاةٌ أَبَدِيَّةٌ. (aiōnios g166)٤٧
48 मैं ही हूं जीवन की रोटी.
أَنَا هُوَ خُبْزُ الْحَيَاةِ.٤٨
49 बंजर भूमि में तुम्हारे पूर्वजों ने मन्‍ना खाया फिर भी उनकी मृत्यु हो गई.
أَكَلَ أَبَاؤُكُمُ الْمَنَّ فِي الْبَرِّيَّةِ ثُمَّ مَاتُوا،٤٩
50 मैं ही स्वर्ग से उतरी रोटी हूं कि जो कोई इसे खाए, उसकी मृत्यु न हो.
وَلكِنْ هَا هُنَا الْخُبْزُ النَّازِلُ مِنَ السَّمَاءِ لِيَأْكُلَ مِنْهُ الإِنْسَانُ فَلا يَمُوتُ.٥٠
51 स्वर्ग से उतरी जीवन की रोटी मैं ही हूं. जो कोई यह रोटी खाता है, वह हमेशा जीवित रहेगा. जो रोटी मैं दूंगा, वह संसार के जीवन के लिए भेंट मेरा शरीर है.” (aiōn g165)
أَنَا الْخُبْزُ الْحَيُّ الَّذِي نَزَلَ مِنَ السَّمَاءِ. إِنْ أَكَلَ أَحَدٌ مِنْ هَذَا الْخُبْزِ يَحْيَا إِلَى الأَبَدِ. وَالْخُبْزُ الَّذِي أُقَدِّمُهُ أَنَا، هُوَ جَسَدِي، أَبْذُلُهُ لِكَيْ يَحْيَا الْعَالَمُ». (aiōn g165)٥١
52 यह सुनकर यहूदी अगुए आपस में विवाद करने लगे, “यह व्यक्ति कैसे हमें अपना शरीर खाने के लिए दे सकता है?”
فَأَثَارَ هَذَا الْكَلامُ جِدَالاً عَنِيفاً بَيْنَ الْيَهُودِ، وَتَسَاءَلُوا: «كَيْفَ يَقْدِرُ هَذَا أَنْ يُعْطِيَنَا جَسَدَهُ لِنَأْكُلَهُ؟»٥٢
53 मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का शरीर न खाओ और उसका लहू न पियो, तुममें जीवन नहीं.
فَأَجَابَهُمْ يَسُوعُ: «الْحَقَّ الْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: إِذَا لَمْ تَأْكُلُوا جَسَدَ ابْنِ الإِنْسَانِ وَتَشْرَبُوا دَمَهُ فَلا حَيَاةَ لَكُمْ فِي دَاخِلِكُمْ.٥٣
54 अनंत काल का जीवन उसी का है, जो मेरा शरीर खाता और मेरा लहू पीता है; अंतिम दिन मैं उसे फिर से जीवित करूंगा. (aiōnios g166)
مَنْ يَأْكُلْ جَسَدِي وَيَشْرَبْ دَمِي، فَلَهُ حَيَاةٌ أَبَدِيَّةٌ، وَأَنَا أُقِيمُهُ فِي الْيَوْمِ الأَخِيرِ، (aiōnios g166)٥٤
55 मेरा शरीर ही वास्तविक भोजन और मेरा लहू ही वास्तविक पेय है.
لأَنَّ جَسَدِي هُوَ الطَّعَامُ الْحَقِيقِيُّ، وَدَمِي هُوَ الشَّرَابُ الْحَقِيقِيُّ.٥٥
56 जो मेरा शरीर खाता और मेरा लहू पीता है, वही है, जो मुझमें बना रहता है और मैं उसमें.
وَكُلُّ مَنْ يَأْكُلْ جَسَدِي وَيَشْرَبْ دَمِي، يَثْبُتْ فِيَّ وَأَنَا فِيهِ.٥٦
57 जैसे जीवन्त पिता परमेश्वर ने मुझे भेजा है और मैं पिता के कारण जीवित हूं, वैसे ही वह भी, जो मुझे ग्रहण करता है, मेरे कारण जीवित रहेगा.
وَكَمَا أَنِّي أَحْيَا بِالآبِ الْحَيِّ الَّذِي أَرْسَلَنِي، فَكَذلِكَ يَحْيَا بِي مَنْ يَأْكُلُنِي.٥٧
58 यह वह रोटी है, जो स्वर्ग से उतरी हुई है; वैसी नहीं, जो पूर्वजों ने खाई और फिर भी उनकी मृत्यु हो गई; परंतु वह, जो यह रोटी खाता है, हमेशा जीवित रहेगा.” (aiōn g165)
هَذَا هُوَ الْخُبْزُ الَّذِي نَزَلَ مِنَ السَّمَاءِ، وَهُوَ لَيْسَ كَالْمَنِّ الَّذِي أَكَلَهُ أَبَاؤُكُمْ ثُمَّ مَاتُوا. فَالَّذِي يَأْكُلُ هَذَا الْخُبْزَ يَحْيَا إِلَى الأَبَدِ». (aiōn g165)٥٨
59 मसीह येशु ने ये बातें कफ़रनहूम नगर के यहूदी सभागृह में शिक्षा देते हुए बताईं.
هَذَا كُلُّهُ قَالَهُ يَسُوعُ فِي الْمَجْمَعِ وَهُوَ يُعَلِّمُ فِي كَفْرَنَاحُومَ.٥٩
60 यह बातें सुनकर उनके अनेक शिष्यों ने कहा, “बहुत कठोर है यह शिक्षा. कौन इसे स्वीकार कर सकता है?”
فَلَمَّا سَمِعَهُ كَثِيرُونَ مِنْ تَلامِيذِهِ قَالُوا: «مَا أَصْعَبَ هَذَا الْكَلامَ! مَنْ يُطِيقُ سَمَاعَهُ؟»٦٠
61 अपने चेलों की बड़बड़ाहट का अहसास होने पर मसीह येशु ने कहा, “क्या यह तुम्हारे लिए ठोकर का कारण है?
فَعَلِمَ يَسُوعُ فِي نَفْسِهِ أَنَّ تَلامِيذَهُ يَتَذَمَّرُونَ، فَسَأَلَهُمْ: «أَهَذَا يَبْعَثُ الشُّكُوكَ فِي نُفُوسِكُمْ؟٦١
62 तुम तब क्या करोगे जब तुम मनुष्य के पुत्र को ऊपर स्वर्ग में जाते देखोगे, जहां वह पहले था?
فَمَاذَا لَوْ رَأَيْتُمُ ابْنَ الإِنْسَانِ صَاعِداً إِلَى حَيْثُ كَانَ قَبْلاً؟٦٢
63 आत्मा ही हैं, जो शरीर को जीवन देती है. केवल शरीर का कुछ महत्व नहीं. जो वचन मैंने तुमसे कहे हैं, वे आत्मा हैं और जीवन भी.
الرُّوحُ هُوَ الَّذِي يُعْطِي الْحَيَاةَ، أَمَّا الْجَسَدُ فَلا يُفِيدُ شَيْئاً. الْكَلامُ الَّذِي كَلَّمْتُكُمْ بِهِ هُوَ رُوحٌ وَحَيَاةٌ.٦٣
64 फिर भी तुममें कुछ हैं, जो मुझमें विश्वास नहीं करते.” मसीह येशु प्रारंभ से जानते थे कि कौन हैं, जो उनमें विश्वास नहीं करेंगे और कौन है वह, जो उनके साथ धोखा करेगा.
وَلكِنَّ بَعْضاً مِنْكُمْ لَا يُؤْمِنُونَ!» فَقَدْ كَانَ يَسُوعُ مُنْذُ الْبَدْءِ يَعْرِفُ مَنْ هُمُ الَّذِينَ لَا يُؤْمِنُونَ بِهِ، وَمَنْ هُوَ الَّذِي سَيَخُونُهُ.٦٤
65 तब मसीह येशु ने आगे कहा, “इसलिये मैंने तुमसे यह कहा कि कोई भी मेरे पास तब तक नहीं आ सकता जब तक पिता उसे मेरे पास न आने दें.”
ثُمَّ قَالَ: «لِذلِكَ قُلْتُ لَكُمْ: لَا يَقْدِرُ أَحَدٌ أَنْ يَأْتِيَ إِلَيَّ إِلّا إِذَا وَهَبَهُ الآبُ ذلِكَ».٦٥
66 इसके परिणामस्वरूप मसीह येशु के अनेक चेले पीछे हट गए और उनके पीछे चलना छोड़ दिया.
مِنْ ذَلِكَ الْوَقْتِ هَجَرَهُ كَثِيرُونَ مِنْ أَتْبَاعِهِ، وَلَمْ يَعُودُوا يَتْبَعُونَهُ!٦٦
67 यह देख मसीह येशु ने अपने बारह शिष्यों से अभिमुख हो उनसे पूछा, “कहीं तुम भी तो लौट जाना नहीं चाहते?”
فَقَالَ لِلاِثْنَيْ عَشَرَ تِلْمِيذاً: «وَأَنْتُمْ أَتُرِيدُونَ أَنْ تَذْهَبُوا مِثْلَهُمْ؟»٦٧
68 शिमओन पेतरॉस ने उत्तर दिया, “प्रभु, हम किसके पास जाएं? अनंत काल के जीवन की बातें तो आप ही के पास हैं. (aiōnios g166)
فَأَجَابَهُ سِمْعَانُ بُطْرُسُ: «إِلَى مَنْ نَذْهَبُ يَا رَبُّ وَعِنْدَكَ كَلامُ الْحَيَاةِ الأَبَدِيَّةِ. (aiōnios g166)٦٨
69 हमने विश्वास किया और जान लिया है कि आप ही परमेश्वर के पवित्र जन हैं.”
نَحْنُ آمَنَّا وَعَرَفْنَا أَنَّكَ قُدُّوسُ اللهِ!»٦٩
70 मसीह येशु ने उनसे कहा, “क्या स्वयं मैंने तुम बारहों को नहीं चुना? यह होने पर भी तुममें से एक इबलीस है.”
فَقَالَ يَسُوعُ: «أَلَيْسَ أَنَا اخْتَرْتُكُمْ أَنْتُمُ الاِثْنَيْ عَشَرَ، وَمَعَ ذلِكَ فَوَاحِدٌ مِنْكُمْ شَيْطَانٌ؟»٧٠
71 (उनका इशारा कारियोतवासी शिमओन के पुत्र यहूदाह की ओर था क्योंकि उन बारह शिष्यों में से वही मसीह येशु के साथ धोखा करने पर था.)
أَشَارَ بِهَذَا إِلَى يَهُوذَا بْنِ سِمْعَانَ الإِسْخَرْيُوطِيِّ، الَّذِي سَلَّمَهُ فِيمَا بَعْدُ مَعَ أَنَّهُ كَانَ مِنَ الاِثْنَيْ عَشَرَ!٧١

< यूहन्ना 6 >