< योएल 1 >

1 याहवेह का वह वचन जो पथूएल के पुत्र योएल के पास आया.
Slovo Hospodinovo, kteréž se stalo k Joelovi synu Petuelovu:
2 हे अगुओ, यह बात सुनो; हे देश में रहनेवाले सब लोगों, मेरी बात सुनो. क्या तुम्हारे समय में या तुम्हारे पूर्वजों के समय में ऐसी कोई बात कभी हुई?
Slyšte to starší, a pozorujte všickni obyvatelé této země, stalo-li se to za dnů vašich, aneb za dnů otců vašich?
3 अपने बच्चों को यह बात बताओ, और तुम्हारे बच्‍चे यह बात अपने बच्चों को बताएं, और वे बच्‍चे उनके अगली पीढ़ी को बताएं.
Vypravujte o tom synům svým, a synové vaši synům svým, synové pak jejich rodině potomní.
4 टिड्डियों के झुंड ने जो छोड़ दिया था उसे बड़े टिड्डियों ने खा लिया है; बड़े टिड्डियों ने जो छोड़ दिया था उसे छोटे टिड्डियों ने खा लिया है; और छोटे टिड्डियों ने छोड़ दिया था उसे दूसरे टिड्डियों ने खा लिया है.
Co pozůstalo po housenkách, snědly kobylky, a co pozůstalo po kobylkách, snědli brouci, co pak pozůstalo po broucích, dojedli chroustové.
5 हे मतवालो, जागो, और रोओ! हे सब शराब पीने वालों, विलाप करो; नई दाखमधु के कारण विलाप करो, क्योंकि इसे तुम्हारे मुंह से छीन लिया गया है.
Prociťte opilci, a plačte a kvělte všickni, kteříž píjíte víno, proto že odtržen jest mest od úst vašich.
6 मेरे देश पर एक-एक जाति ने आक्रमण कर दिया है, वह एक शक्तिशाली सेना है और उनकी संख्या अनगिनत है; उसके दांत सिंह के दांत के समान, और उसकी दाढ़ें सिंहनी की दाढ़ के समान हैं.
Nebo přitáhl do země mé národ silný a nesčíslný, jehož zubové zubové lva, a střenovní zubové jeho lvoví.
7 उसने मेरी अंगूर की लताओं को उजाड़ दिया है और मेरे अंजीर के पेड़ों को नष्ट कर दिया है. उसने उनकी छाल को छील दिया है, और उनकी शाखाओं को सफेद छोड़कर उनकी छाल को फेंक दिया है.
Přivedl vinné kmeny mé v pustinu, a fíkoví mé na zkázu; docela obnažil je a zporážel, zbělely ratolesti jejich.
8 तुम ऐसे विलाप करो, जैसे एक कुंवारी टाट के कपड़े पहिने अपनी युवावस्था के सगाई के पुरुष के लिये शोक करती है.
Kvěl jako mladice přepásaná žíní pro muže mladosti své.
9 याहवेह के भवन में अब न तो अन्‍नबलि और न ही पेय बलि चढ़ाई जाती है. याहवेह की सेवा करनेवाले पुरोहित विलाप कर रहे हैं.
Odjata jest suchá i mokrá obět z domu Hospodinova, kvílí kněží, služebníci Hospodinovi.
10 खेत नष्ट हो गये हैं, ज़मीन सूख गई है; अनाज नष्ट हो गया है, नई दाखमधु सूख गई है, जैतून का तेल समाप्‍त होता है.
Zpustlo pole, kvílí země, proto že pohubeno obilé, vyschl mest, olej zhynul.
11 हे किसानो, निराश हो, हे अंगूर की लता लगानेवालो, विलाप करो; गेहूं और जौ के लिये दुःख मनाओ, क्योंकि खेत की फसल नाश हो गई है.
Stydí se oráči, kvílí vinaři z příčiny pšenice a ječmene; nebo zahynula žeň polní.
12 अंगूर की लता सूख गई है और अंजीर का पेड़ मुरझा गया है; अनार, खजूर तथा सेब के पेड़— मैदान के सब पेड़—सूख गये हैं. इसमें संदेह नहीं कि लोगों का आनंद जाता रहा है.
Vinný kmen usechl, a fík usvadl, strom zrnatých jablek, též i palma i jabloň, všecko dříví polní poschlo, a že odňato potěšení od synů lidských.
13 हे पुरोहितो, शोक-वस्त्र पहनकर विलाप करो; तुम जो वेदी पर सेवा करते हो, विलाप करो. तुम जो मेरे परमेश्वर की सेवा करते हो, आओ, और शोक-वस्त्र पहनकर रात बिताओ; क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर के भवन में अन्‍नबलि और पेय बलि चढ़ाना बंद कर दिया गया है.
Přepašte se a kvělte, ó kněží, úpějte přisluhující oltáři, vejděte a léhejte i v noci v žíních, služebníci Boha mého. Nebo nevnáší se do domu Boha vašeho suché ani mokré oběti.
14 एक पवित्र उपवास की घोषणा करो; एक विशेष सभा करो. अगुओं को और उन सबको जो देश में रहते हैं याहवेह तुम्हारे परमेश्वर के भवन में बुलाओ, और याहवेह के सामने गिड़गिड़ाकर विनती करो.
Uložte půst, svolejte shromáždění, shromažďte starší i všecky obyvatele země do domu Hospodina Boha vašeho, a volejte k Hospodinu:
15 उस दिन के लिये हाय! क्योंकि याहवेह का दिन निकट है; यह सर्वशक्तिमान की ओर से विनाश का दिन होकर आएगा.
Ach, nastojte na tento den; nebo blízký jest den Hospodinův, a jako poplénění od Všemohoucího přichází.
16 क्या हमारे देखते-देखते भोजन वस्तुओं की पूर्ति बंद नहीं हुईं— और इसी प्रकार हमारे परमेश्वर के भवन से आनंद और खुशी खत्म नहीं हो गई?
Ano před očima našima pokrm odjat jest, z domu Boha našeho veselé a plésání.
17 मिट्टी के ढेलों के नीचे बीज झुलस गये हैं. भण्डारगृह खंडहर हो रहे हैं, भण्डारगृह ढहा दिये गये हैं, क्योंकि उपज हुई ही नहीं.
Vyhynulo símě pod hrudami svými, zpustly stodoly, zbořeny jsou obilnice; nebo vyschlo obilé.
18 पशु कैसे कराह रहे हैं! पशुओं के झुंड के झुंड विचलित हो भटक रहे हैं क्योंकि उनके लिए चरागाह नहीं है; यहां तक कि भेड़ों के झुंड भी कष्ट में हैं.
Aj, jak vzdychá dobytek, svírají se stáda skotů, proto že nemají žádné pastvy, ano i stáda bravů hynou.
19 हे याहवेह, मैं आपको पुकारता हूं, क्योंकि सुनसान जगह के चरागाहों को आग ने नष्ट कर दिया है और आग की ज्वाला ने मैदान के सब पेड़ों को जला डाला है.
K toběť, ó Hospodine, volám; nebo oheň sežral pastviska pouště; a plamen popálil všecka dříví polní.
20 और तो और जंगली जानवर आपकी चाह करते हैं; जल के सोते सूख चुके हैं और सुनसान जगह के चरागाहों को आग ने नष्ट कर दिया है.
Také i zvěř polní všecka lká k tobě, proto že vyschli potokové vod, a oheň sežral pastviska na poušti.

< योएल 1 >