< अय्यूब 30 >
1 “किंतु अब तो वे ही मेरा उपहास कर रहे हैं, जो मुझसे कम उम्र के हैं, ये वे ही हैं, जिनके पिताओं को मैंने इस योग्य भी न समझा था कि वे मेरी भेडों के रक्षक कुत्तों के साथ बैठें.
Hatei, atuteh kai hlak ka camo e naw ni Kai na pathoe awh. A napanaw hah kai ni ka panuet teh, kaie tuhu ka ring e uinaw koe patenghai bawk van hoeh.
2 वस्तुतः उनकी क्षमता तथा कौशल मेरे किसी काम का न था, शक्ति उनमें रह न गई थी.
A thaonae hah kai hanelah bangmaw cungkeinae kaawm. A thayung tawn awh hoeh toe.
3 अकाल एवं गरीबी ने उन्हें कुरूप बना दिया है, रात्रि में वे रेगिस्तान के कूड़े में जाकर सूखी भूमि चाटते हैं.
Takangnae hoi voutthoup dawk a kamsoe awh teh, kahrawngum kingdinae hmuen koe tang a yawng awh.
4 वे झाड़ियों के मध्य से लोनिया साग एकत्र करते हैं, झाऊ वृक्ष के मूल उनका भोजन है.
Pho um e angmai hna a la awh teh, samphokung e a tangpha hah rawca hanelah a tai awh.
5 वे समाज से बहिष्कृत कर दिए गए हैं, और लोग उन पर दुत्कार रहे थे, जैसे कि वे चोर थे.
Ahnimouh teh, tami koehoi pâlei awh teh, tamru patetlah a hramsin awh.
6 परिणाम यह हुआ कि वे अब भयावह घाटियों में, भूमि के बिलों में तथा चट्टानों में निवास करने लगे हैं.
Tangkom thung hoi lungngoum thung o hanelah doeh ao awh. Talai hoi talung kâko dawk ao awh.
7 झाड़ियों के मध्य से वे पुकारते रहते हैं; वे तो कंटीली झाड़ियों के नीचे एकत्र हो गए हैं.
Caprapum vah a hram awh teh, pâkhingum vah a tabo awh.
8 वे मूर्ख एवं अपरिचित थे, जिन्हें कोड़े मार-मार कर देश से खदेड़ दिया गया था.
Ahnimouh teh tamipathu e canaw doeh. Bang pato patang hoeh e canaw doeh. Ram thung hoi hrek e naw doeh.
9 “अब मैं ऐसों के व्यंग्य का पात्र बन चुका हूं; मैं उनके सामने निंदा का पर्याय बन चुका हूं.
Atu teh la lah na sak awh hanelah ka o toe. Na pathoe e lah ka o toe.
10 उन्हें मुझसे ऐसी घृणा हो चुकी है, कि वे मुझसे दूर-दूर रहते हैं; वे मेरे मुख पर थूकने का कोई अवसर नहीं छोड़ते.
Na panuet awh teh kai hoi kâhlat lah na o awh. Ka minhmai na tamthawi awh.
11 ये दुःख के तीर मुझ पर परमेश्वर द्वारा ही छोड़े गए हैं, वे मेरे सामने पूर्णतः निरंकुश हो चुके हैं.
Bangkongtetpawiteh, lirui hah a rasu awh teh, na ka pacekpahlek awh. Ka hmalah kammoumrui a rasu awh.
12 मेरी दायीं ओर ऐसे लोगों की सन्तति विकसित हो रही है. जो मेरे पैरों के लिए जाल बिछाते है, वे मेरे विरुद्ध घेराबंदी ढलान का निर्माण करते हैं.
Kaie aranglah nawsainaw a kangdue teh, ka khok hah a phen awh. A rawkphainae lamthung hah kai taranlahoi a sak awh.
13 वे मेरे निकलने के रास्ते बिगाड़ते; वे मेरे नाश का लाभ पाना चाहते हैं. उन्हें कोई भी नहीं रोकता.
Ka lamthung hah a raphoe awh. Kai ka tâlaw nahanelah a kâyawm awh. Ahnimouh kâhruetcuet ka poe hane apihai awm hoeh.
14 वे आते हैं तो ऐसा मालूम होता है मानो वे दीवार के सूराख से निकलकर आ रहे हैं; वे तूफान में से लुढ़कते हुए आते मालूम होते हैं.
Ka kaw poung e kâko dawk hoi a tho awh teh, ningkatim rahim vah na kalup awh.
15 सारे भय तो मुझ पर ही आ पड़े हैं; मेरा समस्त सम्मान, संपूर्ण आत्मविश्वास मानो वायु में उड़ा जा रहा है. मेरी सुरक्षा मेघ के समान खो चुकी है.
Takithopoung e ka lathueng vah a pha. Bari lah ka onae hah kahlî patetlah a pâlei awh. Ka tawn e naw hah tâmai patetlah a kahma.
16 “अब मेरे प्राण मेरे अंदर में ही डूबे जा रहे हैं; पीड़ा के दिनों ने मुझे भयभीत कर रखा है.
Ka kângairunae ni ka hringnae teh a rabawk toe. Ka khangnae hninnaw ni khak na kuet.
17 रात्रि में मेरी हड्डियों में चुभन प्रारंभ हो जाती है; मेरी चुभती वेदना हरदम बनी रहती है.
Karum lah ka hru hah koung a thut teh, ka tharui patawnae ni roum thai hoeh.
18 बड़े ही बलपूर्वक मेरे वस्त्र को पकड़ा गया है तथा उसे मेरे गले के आस-पास कस दिया गया है.
Ka patawpoung e ni hnicu hoi kayo e patetlah na kayo teh, angki lahuen patetlah na katek.
19 परमेश्वर ने मुझे कीचड़ में डाल दिया है, मैं मात्र धूल एवं भस्म होकर रह गया हूं.
Tangdong dawk na tâkhawng teh, hraba hoi vaiphu patetlah ka o toe.
20 “मैं आपको पुकारता रहता हूं, किंतु आप मेरी ओर ध्यान नहीं देते.
Nama koe ka hram, hateiteh, na pato hoeh. Ka kangdue teh na khet.
21 आप मेरे प्रति क्रूर हो गए हैं; आप अपनी भुजा के बल से मुझ पर वार करते हैं.
Hatei, kai hanelah ka pahngawpahrak e lah na o. Na kut thasainae ni na taran.
22 जब आप मुझे उठाते हैं, तो इसलिये कि मैं वायु प्रवाह में उड़ जाऊं; तूफान में तो मैं विलीन हो जाता हूं;
Kahlî dawk na tawm teh, a lathueng vah na kâcui sak.
23 अब तो मुझे मालूम हो चुका है, कि आप मुझे मेरी मृत्यु की ओर ले जा रहे हैं, उस ओर, जहां अंत में समस्त जीवित प्राणी एकत्र होते जाते हैं.
Bangkongtetpawiteh, nama ni duenae dawk na ceikhai hane hah ka panue. Hringnae katawnnaw pueng hanelah, na pouk pouh tangcoung e im dawkvah.
24 “क्या वह जो, कूड़े के ढेर में जा पड़ा है, सहायता के लिए हाथ नहीं बढ़ाता अथवा क्या नाश की स्थिति में कोई सहायता के लिए नहीं पुकारता.
BAWIPA ni a kut a dâw torei teh, a kâhei nakunghai, banglah tho hoeh toe. A raphoe torei teh, a hram nakunghai hawinae awm hoeh toe.
25 क्या संकट में पड़े व्यक्ति के लिए मैंने आंसू नहीं बहाया? क्या दरिद्र व्यक्ति के लिए मुझे वेदना न हुई थी?
Runae ka kâhmonaw hanlah ouk ka ka nahoehmaw. Karoedengnaw hanlah lungreithai hoi kaawm boihoeh maw.
26 जब मैंने कल्याण की प्रत्याशा की, मुझे अनिष्ट प्राप्त हुआ; मैंने प्रकाश की प्रतीक्षा की, तो अंधकार छा गया.
Hateiteh, hawinae ka tawng navah, hno kahawihoehe hah ka lathueng vah a pha. Angnae ka ring navah hmonae a pha.
27 मुझे विश्रान्ति नही है, क्योंकि मेरी अंतड़ियां उबल रही हैं; मेरे सामने इस समय विपत्ति के दिन आ गए हैं.
Ka lungthin a tâsue teh roum thai hoeh. Ka khangnae hninnaw ni na tho sin.
28 मैं तो अब सांत्वना रहित, विलाप कर रहा हूं; मैं सभा में खड़ा हुआ सहायता की याचना कर रहा हूं.
Panuinae koelah tho hoeh niteh, lungmathoe koelah ka cei. Kamkhuengnaw rahak vah, ka kangdue teh, kabawpnae ka hei teh ka hram.
29 मैं तो अब गीदड़ों का भाई तथा शुतुरमुर्गों का मित्र बनकर रह गया हूं.
Kahrawnguinaw e hmaunawngha lah ka o. Kalauk tavanaw hoi huiko lah ka o.
30 मेरी खाल काली हो चुकी है; ज्वर में मेरी हड्डियां गर्म हो रही हैं.
Ka vuen teh hoehoe a tamang teh kai koehoi a bo, Ka hrunaw teh puenghoi a kâan
31 मेरा वाद्य अब करुण स्वर उत्पन्न कर रहा है, मेरी बांसुरी का स्वर भी ऐसा मालूम होता है, मानो कोई रो रहा है.
Ka ratoung teh ka lungmathoenae lah a coung, ka tamawi teh kâlawk lah a coung.