< अय्यूब 17 >

1 मेरा मनोबल टूट चुका है, मेरे जीवन की ज्योति का अंत आ चुका है, कब्र को मेरी प्रतीक्षा है.
Ajalku sudah dekat, hampir putuslah napasku; hanyalah kuburan yang tinggal bagiku.
2 इसमें कोई संदेह नहीं, ठट्ठा करनेवाले मेरे साथ हो चुके हैं; मेरी दृष्टि उनके भड़काने वाले कार्यों पर टिकी हुई है.
Orang menjadikan aku bahan ejekan; kulihat betapa mereka melontarkan sindiran.
3 “परमेश्वर, मुझे वह ज़मानत दे दीजिए, जो आपकी मांग है. कौन है वह, जो मेरा जामिन हो सकेगा?
Aku ini jujur, ya Allah. Percayalah padaku! Siapa lagi yang dapat menyokong perkataanku?
4 आपने तो उनकी समझ को बाधित कर रखा है; इसलिए आप तो उन्हें जयवंत होने नहीं देंगे.
Kaututup hati mereka sehingga tak mengerti; jangan sampai mereka menundukkan aku kini.
5 जो लूट में अपने अंश के लिए अपने मित्रों की चुगली करता है, उसकी संतान की दृष्टि जाती रहेगी.
Menurut pepatah, siapa mengadukan teman demi keuntungan, anak-anaknya sendiri akan menerima pembalasan.
6 “परमेश्वर ने तो मुझे एक निंदनीय बना दिया है, मैं तो अब वह हो चुका हूं, जिस पर लोग थूकते हैं.
Kini aku disindir dengan pepatah itu; mereka datang untuk meludahi mukaku.
7 शोक से मेरी दृष्टि क्षीण हो चुकी है; मेरे समस्त अंग अब छाया-समान हो चुके हैं.
Mataku kabur karena dukacita; seluruh tubuhku kurus merana.
8 यह सब देख सज्जन चुप रह जाएंगे; तथा निर्दोष मिलकर दुर्वृत्तों के विरुद्ध हो जाएंगे.
Orang yang saleh, terkejut dan heran; orang yang tak bersalah, menganggap aku tidak bertuhan.
9 फिर भी खरा अपनी नीतियों पर अटल बना रहेगा, तथा वे, जो सत्यनिष्ठ हैं, बलवंत होते चले जाएंगे.
Orang yang baik dan yang tidak bersalah, makin yakin cara hidupnya berkenan kepada Allah.
10 “किंतु आओ, तुम सभी आओ, एक बार फिर चेष्टा कर लो! तुम्हारे मध्य मुझे बुद्धिमान प्राप्‍त नहीं होगा.
Tapi seandainya kamu semua datang ke mari, tak seorang bijaksana pun yang akan kudapati.
11 मेरे दिनों का तो अंत हो चुका है, मेरी योजनाएं चूर-चूर हो चुकी हैं. यही स्थिति है मेरे हृदय की अभिलाषाओं की.
Hari-hariku telah lalu, gagallah segala rencanaku; hilang pula semua cita-cita hatiku.
12 वे तो रात्रि को भी दिन में बदल देते हैं, वे कहते हैं, ‘प्रकाश निकट है,’ जबकि वे अंधकार में होते हैं.
Tetapi sahabat-sahabatku berkata, 'Malam itu siang dan terang hampir tiba.' Namun aku tahu dalam hatiku bahwa tetap gelaplah keadaanku.
13 यदि मैं घर के लिए अधोलोक की खोज करूं, मैं अंधकार में अपना बिछौना लगा लूं. (Sheol h7585)
Hanya dunia mautlah yang kuharapkan, di sanalah aku akan tidur dalam kegelapan. (Sheol h7585)
14 यदि मैं उस कब्र को पुकारकर कहूं, ‘मेरे जनक तो तुम हो और कीड़ों से कि तुम मेरी माता या मेरी बहिन हो,’
Kuburku kunamakan "Ayahku", dan cacing-cacing pemakan tubuhku kusebut "Ibu" dan "Saudara perempuanku".
15 तो मेरी आशा कहां है? किसे मेरी आशा का ध्यान है?
Di manakah harapan bagiku; siapa melihat adanya bahagia untukku?
16 क्या यह भी मेरे साथ अधोलोक में समा जाएगी? क्या हम सभी साथ साथ धूल में मिल जाएंगे?” (Sheol h7585)
Apabila aku turun ke dunia orang mati, aku tidak mempunyai harapan lagi." (Sheol h7585)

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