< अय्यूब 16 >
Und Hiob antwortete und sprach:
2 “मैं ऐसे अनेक विचार सुन चुका हूं; तुम तीनों ही निकम्मे दिलासा देनेवाले हो!
Ich habe vieles dergleichen gehört; leidige Tröster seid ihr alle!
3 क्या इन खोखले उद्गारों का कोई अंत नहीं है? अथवा किस पीड़ा ने तुमसे ये उत्तर दिलवाए हैं?
Hat es ein Ende mit den windigen Worten? Oder was reizt dich, daß du antwortest?
4 तुम्हारी शैली में मैं भी वार्तालाप कर सकता हूं, यदि मैं आज तुम्हारी स्थिति में होता; मैं तो तुम्हारे सम्मान में काव्य रचना कर देता और अपना सिर भी हिलाता रहता.
Auch ich könnte reden wie ihr. Wenn eure Seele an der Stelle meiner Seele wäre, könnte ich Worte wider euch zusammenreihen, und mein Haupt über euch schütteln;
5 मैं अपने शब्दों के द्वारा तुममें साहस बढ़ा सकता हूं; तथा मेरे विचारों की सांत्वना तुम्हारी वेदना कम करती है.
ich wollte euch stärken mit meinem Munde, und das Beileid meiner Lippen würde euch Linderung bringen.
6 “यदि मैं कुछ कह भी दूं, तब भी मेरी वेदना कम न होगी; यदि मैं चुप रहूं, इससे भी मुझे कोई लाभ न होगा.
Wenn ich rede, so wird mein Schmerz nicht gehemmt; und unterlasse ich es, nicht weicht er von mir.
7 किंतु परमेश्वर ने मुझे थका दिया है; आपने मेरे मित्र-मण्डल को ही उजाड़ दिया है.
Ja, bereits hat er mich erschöpft; du hast meinen ganzen Hausstand verwüstet.
8 आपने मुझे संकुचित कर दिया है, यह मेरा साक्षी हो गया है; मेरा दुबलापन मेरे विरुद्ध प्रमाणित हो रहा है, मेरा मुख मेरा विरोध कर रहा है.
Und du hast mich zusammenschrumpfen lassen, zum Zeugen ward es; und meine Abmagerung tritt wider mich auf, sie zeugt mir ins Angesicht.
9 परमेश्वर के कोप ने मुझे फाड़ रखा है जैसे किसी पशु को फाड़ा जाता है, वह मुझ पर दांत पीसते रहे; मेरे शत्रु मुझ पर कोप करते रहते हैं.
Sein Zorn hat mich zerfleischt und verfolgt, er hat mit seinen Zähnen wider mich geknirscht; als mein Feind schärft er seine Augen wider mich.
10 मजाक करते हुए वे मेरे सामने अपना मुख खोलते हैं; घृणा के आवेग में उन्होंने मेरे कपोलों पर प्रहार भी किया है. वे सब मेरे विरोध में एकजुट हो गए हैं.
Ihr Maul haben sie wider mich aufgesperrt, mit Hohn meine Backen geschlagen; allzumal verstärken sie sich wider mich.
11 परमेश्वर ने मुझे अधर्मियों के वश में कर दिया है तथा वह मुझे एक से दूसरे के हाथ में सौंपते हैं.
Gott gab mich preis dem Ungerechten, und in die Hände der Gesetzlosen stürzte er mich.
12 मैं तो निश्चिंत हो चुका था, किंतु परमेश्वर ने मुझे चूर-चूर कर दिया; उन्होंने मुझे गर्दन से पकड़कर इस रीति से झंझोड़ा, कि मैं चूर-चूर हो बिखर गया; उन्होंने तो मुझे निशाना भी बना दिया है.
Ich war in Ruhe, und er hat mich zerrüttelt, und er packte mich beim Nacken und zerschmetterte mich; und er stellte mich hin sich zur Zielscheibe.
13 उनके बाणों से मैं चारों ओर से घिर चुका हूं. बुरी तरह से उन्होंने मेरे गुर्दे काटकर घायल कर दिए हैं. उन्होंने मेरा पित्त भूमि पर बिखरा दिया.
Seine Schützen umringten mich, er spaltete meine Nieren ohne Schonung; er schüttete meine Galle zur Erde.
14 वह बार-बार मुझ पर आक्रमण करते रहते हैं; वह एक योद्धा समान मुझ पर झपटते हैं.
Er durchbrach mich, Bruch auf Bruch; er rannte wider mich, wie ein Held.
15 “मैंने तो अपनी देह पर टाट रखी है तथा अपना सिर धूल में ठूंस दिया है.
Ich habe Sacktuch über meine Haut genäht, und mit Staub mein Horn besudelt.
16 रोते-रोते मेरा चेहरा लाल हो चुका है, मेरी पलकों पर विषाद छा गई है.
Mein Angesicht glüht vom Weinen, und auf meinen Wimpern ist der Schatten des Todes,
17 जबकि न तो मेरे हाथों ने कोई हिंसा की है और न मेरी प्रार्थना में कोई स्वार्थ शामिल था.
obwohl keine Gewalttat in meinen Händen, und mein Gebet lauter ist.
18 “पृथ्वी, मेरे रक्त पर आवरण न डालना; तथा मेरी दोहाई को विश्रान्ति न लेने देना.
Erde, bedecke nicht mein Blut, und für mein Geschrei sei kein Platz!
19 ध्यान दो, अब भी मेरा साक्षी स्वर्ग में है; मेरा गवाह सर्वोच्च है.
Sogar jetzt, siehe, im Himmel ist mein Zeuge, und der mir Zeugnis gibt, in den Höhen.
20 मेरे मित्र ही मेरे विरोधी हो गए हैं. मेरा आंसू बहाना तो परमेश्वर के सामने है.
Meine Freunde sind meine Spötter: zu Gott tränt mein Auge,
21 उपयुक्त होता कि मनुष्य परमेश्वर से उसी स्तर पर आग्रह कर सकता, जिस प्रकार कोई व्यक्ति अपने पड़ोसी से.
daß er schiedsrichterlich entscheide Gott gegenüber für einen Mann, und für einen Menschensohn hinsichtlich seines Freundes.
22 “क्योंकि जब कुछ वर्ष बीत जायेंगे, तब मैं वहां पहुंच जाऊंगा, जहां से कोई लौटकर नहीं आता.
Denn die zählbaren Jahre gehen vorüber, und ich werde einen Weg dahingehen, auf dem ich nicht wiederkehren werde.