< अय्यूब 14 >
1 “स्त्री से जन्मे मनुष्य का जीवन, अल्पकालिक एवं दुःख भरा होता है.
Sejak lahir manusia itu lemah, tidak berdaya; hidupnya singkat serta penuh derita.
2 उस पुष्प समान, जो खिलता है तथा मुरझा जाता है; वह तो छाया-समान द्रुत गति से विलीन हो जाता तथा अस्तित्वहीन रह जाता है.
Ia bersemi dan layu seperti kembang; lenyap seperti bayangan, terus menghilang.
3 क्या इस प्रकार का प्राणी इस योग्य है कि आप उस पर दृष्टि बनाए रखें तथा उसका न्याय करने के लिए उसे अपनी उपस्थिति में आने दें?
Ya Allah, masakan Engkau mau memandangku, dan menghadapkan aku ke pengadilan-Mu!
4 अशुद्ध में से किसी शुद्ध वस्तु की सृष्टि कौन कर सकता है? कोई भी इस योग्य नहीं है!
Dapatkah manusia yang berdosa mendatangkan hal yang sempurna?
5 इसलिये कि मनुष्य का जीवन सीमित है; उसके जीवन के माह आपने नियत कर रखे हैं. साथ आपने उसकी सीमाएं निर्धारित कर दी हैं, कि वह इनके पार न जा सके.
Jumlah umur manusia sudah Kautentukan; jumlah bulannya sudah Kaupastikan. Kautetapkan pula batas-batas hidupnya; tidak mungkin ia melangkahinya.
6 जब तक वह वैतनिक मज़दूर समान अपना समय पूर्ण करता है उस पर से अपनी दृष्टि हटा लीजिए, कि उसे विश्राम प्राप्त हो सके.
Biarkanlah ia beristirahat, jangan ganggu dia; supaya ia dapat menikmati hidupnya sampai selesai tugasnya.
7 “वृक्ष के लिए तो सदैव आशा बनी रहती है: जब उसे काटा जाता है, उसके तने से अंकुर निकल आते हैं. उसकी डालियां विकसित हो जाती हैं.
Masih ada harapan bagi pohon yang ditebang; ia akan bertunas lagi, lalu bercabang.
8 यद्यपि भूमि के भीतर इसकी मूल जीर्ण होती जाती है तथा भूमि में इसका ठूंठ नष्ट हो जाता है,
Meskipun di dalam tanah akarnya menjadi lapuk, dan tanggulnya mati karena busuk,
9 जल की गंध प्राप्त होते ही यह खिलने लगता है तथा पौधे के समान यह अपनी शाखाएं फैलाने लगता है.
tetapi bila disentuh air, ia tumbuh lagi; seperti tanaman muda, tunas-tunasnya muncul kembali.
10 किंतु मनुष्य है कि, मृत्यु होने पर वह पड़ा रह जाता है; उसका श्वास समाप्त हुआ, कि वह अस्तित्वहीन रह जाता है.
Tapi bila manusia mati, habis riwayatnya; ia meninggal dunia, lalu ke mana perginya?
11 जैसे सागर का जल सूखते रहता है तथा नदी धूप से सूख जाती है,
Seperti air menguap dari dalam telaga, seperti sungai surut sampai habis airnya,
12 उसी प्रकार मनुष्य, मृत्यु में पड़ा हुआ लेटा रह जाता है; आकाश के अस्तित्वहीन होने तक उसकी स्थिति यही रहेगी, उसे इस गहरी नींद से जगाया जाना असंभव है.
begitu pula manusia yang telah mati: ia tidak akan dapat bangkit kembali. Ia tak akan terjaga selama langit masih ada, tak pernah lagi bangun dari tidurnya.
13 “उत्तम तो यही होता कि आप मुझे अधोलोक में छिपा देते, आप मुझे अपने कोप के ठंडा होने तक छिपाए रहते! आप एक अवधि निश्चित करके इसके पूर्ण हो जाने पर मेरा स्मरण करते! (Sheol )
Sembunyikanlah aku di dalam dunia orang mati; lindungilah aku sampai Kau tidak marah lagi. Tapi tentukanlah waktu untuk mengingat diriku. (Sheol )
14 क्या मनुष्य के लिए यह संभव है कि उसकी मृत्यु के बाद वह जीवित हो जाए? अपने जीवन के समस्त श्रमपूर्ण वर्षों में मैं यही प्रतीक्षा करता रह जाऊंगा. कब होगा वह नवोदय?
Sebab, apabila manusia mati, dapatkah ia hidup kembali? Hari demi hari aku menunggu sampai masa pahitku ini lalu.
15 आप आह्वान करो, तो मैं उत्तर दूंगा; आप अपने उस बनाए गये प्राणी की लालसा करेंगे.
Maka Engkau akan memanggil aku, dan aku pun akan memberi jawaban; Engkau akan sayang lagi kepadaku, makhluk yang Kauciptakan.
16 तब आप मेरे पैरों का लेख रखेंगे किंतु मेरे पापों का नहीं.
Lalu akan Kauawasi setiap langkahku, tapi tidak lagi Kauperhatikan dosaku.
17 मेरे अपराध को एक थैली में मोहरबन्द कर दिया जाएगा; आप मेरे पापों को ढांप देंगे.
Dosaku akan Kauampuni dan Kausingkirkan; salahku waktu dulu akan Kauhapuskan.
18 “जैसे पर्वत नष्ट होते-होते वह चूर-चूर हो जाता है, चट्टान अपने स्थान से हट जाती है.
Kelak gunung-gunung akan runtuh dan porak poranda, dan gunung batu yang kokoh bergeser dari tempatnya.
19 जल में भी पत्थरों को काटने की क्षमता होती है, तीव्र जल प्रवाह पृथ्वी की धूल साथ ले जाते हैं, आप भी मनुष्य की आशा के साथ यही करते हैं.
Batu-batu akan dikikis oleh air yang mengalir kuat; tanah akan dihanyutkan oleh hujan yang lebat. Demikianlah Kauhancurkan harapan manusia.
20 एक ही बार आप उसे ऐसा हराते हैं, कि वह मिट जाता है; आप उसका स्वरूप परिवर्तित कर देते हैं और उसे निकाल देते हैं.
Kaukalahkan dia untuk selama-lamanya; Kausuruh dia pergi dan Kauubah wajahnya.
21 यदि उसकी संतान सम्मानित होती है, उसे तो इसका ज्ञान नहीं होता; अथवा जब वे अपमानित किए जाते हैं, वे इससे अनजान ही रहते हैं.
Anak-anaknya menjadi orang mulia, tetapi ia tidak mengetahuinya. Dan apabila mereka menjadi hina, tak ada yang memberitahukan kepadanya.
22 जब तक वह देह में होता है, पीड़ा का अनुभव करता है, इसी स्थिति में उसे वेदना का अनुभव होता है.”
Hanya nyeri tubuhnya yang dirasakannya; hanya pilu hatinya yang dideritanya."