< यिर्मयाह 51 >

1 यह याहवेह की वाणी है: “यह देखना मैं बाबेल के विरुद्ध तथा लेब-कोमाई के निवासियों के विरुद्ध एक विनाशक बवंडर उत्पन्‍न करने पर हूं.
כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה הִנְנִי֙ מֵעִ֣יר עַל־בָּבֶ֔ל וְאֶל־יֹשְׁבֵ֖י לֵ֣ב קָמָ֑י ר֖וּחַ מַשְׁחִֽית׃
2 मैं विदेशियों को बाबेल की ओर भेजूंगा, कि वे उसको सुनसान करें तथा उस देश को ध्वस्त कर दें; चारों ओर से वे उसका विरोध करेंगे यह उसके विनाश का दिन होगा.
וְשִׁלַּחְתִּ֨י לְבָבֶ֤ל ׀ זָרִים֙ וְזֵר֔וּהָ וִיבֹקְק֖וּ אֶת־אַרְצָ֑הּ כִּֽי־הָי֥וּ עָלֶ֛יהָ מִסָּבִ֖יב בְּיֹ֥ום רָעָֽה׃
3 वह, जो धनुर्धारी है, उसे न तो धनुष तानने दो, न ही उसे झिलम पहनकर खड़े होने दो. संक्षेप में, बाबेल के जवानों को किसी भी रीति से बचकर न जाने दो; बाबेल की संपूर्ण सेना को नष्ट कर दो.
אֶֽל־יִדְרֹ֤ךְ יִדְרֹךְ הַדֹּרֵךְ֙ קַשְׁתֹּ֔ו וְאֶל־יִתְעַ֖ל בְּסִרְיֹנֹ֑ו וְאַֽל־תַּחְמְלוּ֙ אֶל־בַּ֣חֻרֶ֔יהָ הַחֲרִ֖ימוּ כָּל־צְבָאָֽהּ׃
4 वे कसदियों के देश में पृथ्वीशायी हो जाएंगे, वे अपनी ही सड़कों पर बर्छियों से बेधे जाएंगे.
וְנָפְל֥וּ חֲלָלִ֖ים בְּאֶ֣רֶץ כַּשְׂדִּ֑ים וּמְדֻקָּרִ֖ים בְּחוּצֹותֶֽיהָ׃
5 क्योंकि न तो इस्राएल और न यहूदिया को उनके परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह द्वारा परित्याग किया गया है, यद्यपि उनका देश इस्राएल के पवित्र परमेश्वर के समक्ष सहायकभाव से परिपूर्ण हो गया है.
כִּ֠י לֹֽא־אַלְמָ֨ן יִשְׂרָאֵ֤ל וִֽיהוּדָה֙ מֵֽאֱלֹהָ֔יו מֵֽיְהוָ֖ה צְבָאֹ֑ות כִּ֤י אַרְצָם֙ מָלְאָ֣ה אָשָׁ֔ם מִקְּדֹ֖ושׁ יִשְׂרָאֵֽל׃
6 “बाबेल के मध्य से पलायन करो! तुममें से हर एक अपना प्राण बचा ले! उसे दिए जा रहे दंड में तुम नष्ट न हो जाना. क्योंकि यह याहवेह के बदला लेने का अवसर होगा; वह उसे वही देंगे, जो उसे दिया जाना उपयुक्त है.
נֻ֣סוּ ׀ מִתֹּ֣וךְ בָּבֶ֗ל וּמַלְּטוּ֙ אִ֣ישׁ נַפְשֹׁ֔ו אַל־תִּדַּ֖מּוּ בַּעֲוֹנָ֑הּ כִּי֩ עֵ֨ת נְקָמָ֥ה הִיא֙ לַֽיהוָ֔ה גְּמ֕וּל ה֥וּא מְשַׁלֵּ֖ם לָֽהּ׃
7 बाबेल याहवेह के हाथ में स्वर्ण कटोरा समान रहा है; इससे सारी पृथ्वी मतवाली की गयी है. राष्ट्रों ने उसकी मदिरा का सेवन किया है; इसलिये राष्ट्र मतवाले हुए जा रहे हैं.
כֹּוס־זָהָ֤ב בָּבֶל֙ בְּיַד־יְהוָ֔ה מְשַׁכֶּ֖רֶת כָּל־הָאָ֑רֶץ מִיֵּינָהּ֙ שָׁת֣וּ גֹויִ֔ם עַל־כֵּ֖ן יִתְהֹלְל֥וּ גֹויִֽם׃
8 सहसा बाबेल का पतन हो गया है और वह चूर-चूर हो गया है. उसके लिए विलाप करो! उसके लिए दर्द मिटाने वाली औषधि ले आओ; संभव है उसकी वेदना का निवारण हो जाए.
פִּתְאֹ֛ם נָפְלָ֥ה בָבֶ֖ל וַתִּשָּׁבֵ֑ר הֵילִ֣ילוּ עָלֶ֗יהָ קְח֤וּ צֳרִי֙ לְמַכְאֹובָ֔הּ אוּלַ֖י תֵּרָפֵֽא׃
9 “‘हमने बाबेल का उपचार करना चाहा, किंतु हमारा प्रयास निष्फल रहा; उसे वैसा ही छोड़ दिया जाए और हम अपने-अपने देश को लौट चलें, क्योंकि उसका दंड स्वर्ग तक पहुंच रहा है, वह आकाश तक पहुंच चुका है.’
רִפִּאנוּ (רִפִּ֣ינוּ) אֶת־בָּבֶל֙ וְלֹ֣א נִרְפָּ֔תָה עִזְב֕וּהָ וְנֵלֵ֖ךְ אִ֣ישׁ לְאַרְצֹ֑ו כִּֽי־נָגַ֤ע אֶל־הַשָּׁמַ֙יִם֙ מִשְׁפָּטָ֔הּ וְנִשָּׂ֖א עַד־שְׁחָקִֽים׃
10 “‘याहवेह ने हमें निस्सहाय घोषित किया है; आओ, हम ज़ियोन में जाकर इसकी घोषणा करें कि यह याहवेह हमारे परमेश्वर द्वारा बनाया कृत्य है.’
הֹוצִ֥יא יְהוָ֖ה אֶת־צִדְקֹתֵ֑ינוּ בֹּ֚אוּ וּנְסַפְּרָ֣ה בְצִיֹּ֔ון אֶֽת־מַעֲשֵׂ֖ה יְהוָ֥ה אֱלֹהֵֽינוּ׃
11 “बाणों की नोक की धार बना लो, ढालों को उठा लो! याहवेह ने मेदियों के राजाओं के उत्साह को उत्तेजित कर दिया है, क्योंकि वे बाबेल के विनाश के लिए तैयार हैं. यह याहवेह का बदला है, उनके मंदिर के लिए लिया गया बदला है.
הָבֵ֣רוּ הַחִצִּים֮ מִלְא֣וּ הַשְּׁלָטִים֒ הֵעִ֣יר יְהוָ֗ה אֶת־ר֙וּחַ֙ מַלְכֵ֣י מָדַ֔י כִּֽי־עַל־בָּבֶ֥ל מְזִמָּתֹ֖ו לְהַשְׁחִיתָ֑הּ כִּֽי־נִקְמַ֤ת יְהוָה֙ הִ֔יא נִקְמַ֖ת הֵיכָלֹֽו׃
12 बाबेल शहरपनाह पर आक्रमण के लिए संकेत झंडा ऊंचा उठाओ! वहां एक सशक्त प्रहरी नियुक्त करो, संतरियों को भी नियुक्त किया जाए, कुछ योद्धा घात लगाकर छिप जाएं! क्योंकि याहवेह ने निर्धारित भी किया और निष्पादित भी, जिसकी पूर्ववाणी वह बाबेलवासियों के विषय में कर चुके थे.
אֶל־חֹומֹ֨ת בָּבֶ֜ל שְׂאוּ־נֵ֗ס הַחֲזִ֙יקוּ֙ הַמִּשְׁמָ֔ר הָקִ֙ימוּ֙ שֹֽׁמְרִ֔ים הָכִ֖ינוּ הָאֹֽרְבִ֑ים כִּ֚י גַּם־זָמַ֣ם יְהוָ֔ה גַּם־עָשָׂ֕ה אֵ֥ת אֲשֶׁר־דִּבֶּ֖ר אֶל־יֹשְׁבֵ֥י בָבֶֽל׃
13 तुम, जो महानद के निकट निवास करते हो, तुम, जो निधियों में सम्पन्‍न हो, तुम्हारा पतन बड़ा है, तुम्हारा जीवन सूत्र काटा जा चुका है.
שֹׁכַנְתִּי (שֹׁכַנְתְּ֙) עַל־מַ֣יִם רַבִּ֔ים רַבַּ֖ת אֹֽוצָרֹ֑ת בָּ֥א קִצֵּ֖ךְ אַמַּ֥ת בִּצְעֵֽךְ׃
14 सेनाओं के याहवेह ने अपनी ही जीवन की शपथ खायी है: निस्‍संदेह, मैं तुम्हारे मध्य टिड्डी दल सदृश एक जनसमूह ले आऊंगा, और वे तुम्हें पराजित कर जयघोष करेंगे.
נִשְׁבַּ֛ע יְהוָ֥ה צְבָאֹ֖ות בְּנַפְשֹׁ֑ו כִּ֣י אִם־מִלֵּאתִ֤יךְ אָדָם֙ כַּיֶּ֔לֶק וְעָנ֥וּ עָלַ֖יִךְ הֵידָֽד׃ ס
15 “याहवेह ही हैं जिन्होंने अपने सामर्थ्य से पृथ्वी की सृष्टि की; जिन्होंने विश्व को अपनी बुद्धि द्वारा प्रतिष्ठित किया है. अपनी सूझ-बूझ से उन्होंने आकाश को विस्तीर्ण कर दिया.
עֹשֵׂ֥ה אֶ֙רֶץ֙ בְּכֹחֹ֔ו מֵכִ֥ין תֵּבֵ֖ל בְּחָכְמָתֹ֑ו וּבִתְבוּנָתֹ֖ו נָטָ֥ה שָׁמָֽיִם׃
16 उनके नाद उच्चारण से आकाश के जल में हलचल मच जाती है; वही हैं जो चारों ओर से मेघों का आरोहण बनाया करते हैं. वह वृष्टि के लिए बिजली को अधीन करते हैं तथा अपने भण्डारगृह से पवन को चलाते हैं.
לְקֹ֨ול תִּתֹּ֜ו הֲמֹ֥ון מַ֙יִם֙ בַּשָּׁמַ֔יִם וַיַּ֥עַל נְשִׂאִ֖ים מִקְצֵה־אָ֑רֶץ בְּרָקִ֤ים לַמָּטָר֙ עָשָׂ֔ה וַיֹּ֥צֵא ר֖וּחַ מֵאֹצְרֹתָֽיו׃
17 “हर एक मनुष्य मूर्ख है—ज्ञानहीन; हर एक स्वर्णशिल्पी अपनी ही कृति प्रतिमा द्वारा लज्जित किया जाता है. क्योंकि उसके द्वारा ढाली गई प्रतिमाएं धोखा हैं; उनमें जीवन-श्वास तो है ही नहीं.
נִבְעַ֤ר כָּל־אָדָם֙ מִדַּ֔עַת הֹבִ֥ישׁ כָּל־צֹרֵ֖ף מִפָּ֑סֶל כִּ֛י שֶׁ֥קֶר נִסְכֹּ֖ו וְלֹא־ר֥וּחַ בָּֽם׃
18 ये प्रतिमाएं सर्वथा व्यर्थ हैं, ये हास्यपद कृति हैं; जब उन पर दंड का अवसर आएगा, वे नष्ट हो जाएंगी.
הֶ֣בֶל הֵ֔מָּה מַעֲשֵׂ֖ה תַּעְתֻּעִ֑ים בְּעֵ֥ת פְּקֻדָּתָ֖ם יֹאבֵֽדוּ׃
19 याहवेह, जो याकोब की निधि हैं, इनके सदृश नहीं हैं, क्योंकि वे सभी के सृष्टिकर्ता हैं, उनके निज भाग इस कुल का भी; उनका नाम है सेनाओं का याहवेह.
לֹֽא־כְאֵ֜לֶּה חֵ֣לֶק יַעֲקֹ֗וב כִּֽי־יֹוצֵ֤ר הַכֹּל֙ ה֔וּא וְשֵׁ֖בֶט נַחֲלָתֹ֑ו יְהוָ֥ה צְבָאֹ֖ות שְׁמֹֽו׃ ס
20 “उनका आश्वासन है, मेरे लिए तुम युद्ध के शस्त्र हो, तुम्हारे द्वारा मैं राष्ट्रों को चूर्ण कर देता हूं, तुम्हारे साथ मैं राज्यों को नष्ट कर देता हूं,
מַפֵּץ־אַתָּ֣ה לִ֔י כְּלֵ֖י מִלְחָמָ֑ה וְנִפַּצְתִּ֤י בְךָ֙ גֹּויִ֔ם וְהִשְׁחַתִּ֥י בְךָ֖ מַמְלָכֹֽות׃
21 तुमसे मैं घोड़े तथा उसके सवार को नष्ट कर देता हूं, तुमसे ही मैं रथ तथा रथ नियंता को नष्ट कर देता हूं,
וְנִפַּצְתִּ֣י בְךָ֔ ס֖וּס וְרֹֽכְבֹ֑ו וְנִפַּצְתִּ֣י בְךָ֔ רֶ֖כֶב וְרֹכְבֹֽו׃
22 तुमसे मैं पुरुष तथा स्त्री को नष्ट कर देता हूं, तथा तुमसे ही मैं वृद्ध तथा जवान को नष्ट कर देता हूं, तुमसे मैं नवयुवक को तथा कुंवारी कन्या को नष्ट कर देता हूं,
וְנִפַּצְתִּ֤י בְךָ֙ אִ֣ישׁ וְאִשָּׁ֔ה וְנִפַּצְתִּ֥י בְךָ֖ זָקֵ֣ן וָנָ֑עַר וְנִפַּצְתִּ֣י בְךָ֔ בָּח֖וּר וּבְתוּלָֽה׃
23 तुमसे मैं चरवाहे एवं भेड़-बकरियों को नष्ट करता हूं, तुमसे ही मैं किसान एवं उसके सहायकों को नष्ट करता हूं, तथा तुमसे ही मैं राज्यपालों एवं सेनापतियों को नष्ट करता हूं.
וְנִפַּצְתִּ֤י בְךָ֙ רֹעֶ֣ה וְעֶדְרֹ֔ו וְנִפַּצְתִּ֥י בְךָ֖ אִכָּ֣ר וְצִמְדֹּ֑ו וְנִפַּצְתִּ֣י בְךָ֔ פַּחֹ֖ות וּסְגָנִֽים׃
24 “किंतु मैं तुम्हारी आंखों ही के समक्ष बाबेल तथा सारे कसदियावासियों से उनके द्वारा ज़ियोन में किए गए उनके सारे अधर्म का बदला लूंगा,” यह याहवेह की वाणी है.
וְשִׁלַּמְתִּ֨י לְבָבֶ֜ל וּלְכֹ֣ל ׀ יֹושְׁבֵ֣י כַשְׂדִּ֗ים אֵ֧ת כָּל־רָעָתָ֛ם אֲשֶׁר־עָשׂ֥וּ בְצִיֹּ֖ון לְעֵֽינֵיכֶ֑ם נְאֻ֖ם יְהוָֽה׃ ס
25 “तुम यह समझ लो, विनाशक पर्वत, मैं तुम्हारे विरुद्ध हूं, तुम, जो सारे पृथ्वी को नष्ट करते हो,” यह याहवेह की वाणी है. “मैं तुम्हारे विरुद्ध अपनी भुजा बढ़ाऊंगा, और तुम्हें ढलवां चट्टानों से लुढ़का दूंगा, और तब मैं तुम्हें भस्म हो चुका पर्वत बना छोड़ूंगा.
הִנְנִ֨י אֵלֶ֜יךָ הַ֤ר הַמַּשְׁחִית֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה הַמַּשְׁחִ֖ית אֶת־כָּל־הָאָ֑רֶץ וְנָטִ֨יתִי אֶת־יָדִ֜י עָלֶ֗יךָ וְגִלְגַּלְתִּ֙יךָ֙ מִן־הַסְּלָעִ֔ים וּנְתַתִּ֖יךָ לְהַ֥ר שְׂרֵפָֽה׃
26 तुममें से वे भवन के लिए कोने की शिला तक न निकालेंगे और न ही नींव के लिए कोई शिला: तुम तो सदा-सर्वदा के लिए उजाड़-निर्जन होकर रह जाओगे,” यह याहवेह की वाणी है.
וְלֹֽא־יִקְח֤וּ מִמְּךָ֙ אֶ֣בֶן לְפִנָּ֔ה וְאֶ֖בֶן לְמֹֽוסָדֹ֑ות כִּֽי־שִׁמְמֹ֥ות עֹולָ֛ם תִּֽהְיֶ֖ה נְאֻם־יְהוָֽה׃
27 “सारे देश में चेतावनी का झंडा ऊंचा किया जाए! राष्ट्रों में नरसिंगा नाद किया जाए! राष्ट्रों को उसके विरुद्ध युद्ध के लिए नियुक्त करो; उसके विरुद्ध अरारात, मिन्‍नी तथा अश्केनाज राज्य एकत्र किए जाएं. घोड़ों को टिड्डी दल सदृश ले आओ; तथा उसके लिए सेनापति भी नियुक्त करो.
שְׂאוּ־נֵ֣ס בָּאָ֗רֶץ תִּקְע֨וּ שֹׁופָ֤ר בַּגֹּויִם֙ קַדְּשׁ֤וּ עָלֶ֙יהָ֙ גֹּויִ֔ם הַשְׁמִ֧יעוּ עָלֶ֛יהָ מַמְלְכֹ֥ות אֲרָרַ֖ט מִנִּ֣י וְאַשְׁכְּנָ֑ז פִּקְד֤וּ עָלֶ֙יהָ֙ טִפְסָ֔ר הַֽעֲלוּ־ס֖וּס כְּיֶ֥לֶק סָמָֽר׃
28 राष्ट्रों को उसके विरुद्ध युद्ध के लिए नियुक्त करो— मेदियों के राजा, उनके राज्यपाल तथा उनके सेनापति, तथा उनके द्वारा शासित हर एक देश.
קַדְּשׁ֨וּ עָלֶ֤יהָ גֹויִם֙ אֶת־מַלְכֵ֣י מָדַ֔י אֶת־פַּחֹותֶ֖יהָ וְאֶת־כָּל־סְגָנֶ֑יהָ וְאֵ֖ת כָּל־אֶ֥רֶץ מֶמְשַׁלְתֹּֽו׃
29 पृथ्वी कंपित होती तथा वेदना में ऐंठ रही है, क्योंकि बाबेल के विरुद्ध याहवेह का उद्देश्य अटल है— बाबेल देश को उजाड़ एवं निर्जन कर देना.
וַתִּרְעַ֥שׁ הָאָ֖רֶץ וַתָּחֹ֑ל כִּ֣י קָ֤מָה עַל־בָּבֶל֙ מַחְשְׁבֹ֣ות יְהוָ֔ה לָשׂ֞וּם אֶת־אֶ֧רֶץ בָּבֶ֛ל לְשַׁמָּ֖ה מֵאֵ֥ין יֹושֵֽׁב׃
30 बाबेल के शूर योद्धाओं ने समर्पण कर दिया है; वे अपने दुर्गों से बाहर नहीं आ रहे. उनका बल क्षय हो चुका है; वस्तुतः वे अब स्त्रियां होकर रह गए है. उनके आवास अग्नि से ग्रसित हो चुके है; नगर प्रवेश द्वार की छड़ें टूट चुकी हैं.
חָדְלוּ֩ גִבֹּורֵ֨י בָבֶ֜ל לְהִלָּחֵ֗ם יָֽשְׁבוּ֙ בַּמְּצָדֹ֔ות נָשְׁתָ֥ה גְבוּרָתָ֖ם הָי֣וּ לְנָשִׁ֑ים הִצִּ֥יתוּ מִשְׁכְּנֹתֶ֖יהָ נִשְׁבְּר֥וּ בְרִיחֶֽיהָ׃
31 एक समाचार का प्रेषक दौड़कर अन्य से मिलता है और एक संदेशवाहक अन्य से, कि बाबेल के राजा को यह संदेश दिया जाए: एक छोर से दूसरी छोर तक आपका नगर अधीन हो चुका है,
רָ֤ץ לִקְרַאת־רָץ֙ יָר֔וּץ וּמַגִּ֖יד לִקְרַ֣את מַגִּ֑יד לְהַגִּיד֙ לְמֶ֣לֶךְ בָּבֶ֔ל כִּֽי־נִלְכְּדָ֥ה עִירֹ֖ו מִקָּצֶֽה׃
32 घाटों पर शत्रु का अधिकार हो चुका है, शत्रु ने तो दलदल-वन तक को दाह कर दिया है, योद्धा अत्यंत भयभीत हैं.”
וְהַמַּעְבָּרֹ֣ות נִתְפָּ֔שׂוּ וְאֶת־הָאֲגַמִּ֖ים שָׂרְפ֣וּ בָאֵ֑שׁ וְאַנְשֵׁ֥י הַמִּלְחָמָ֖ה נִבְהָֽלוּ׃ ס
33 सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की वाणी यह है: “बाबेल की पुत्री दांवनी के खलिहान-सदृश है, जिस पर अन्‍न रौंदा जाता है; फिर भी शीघ्र ही उसे कटनी के अवसर का सामना करना पड़ेगा.”
כִּי֩ כֹ֨ה אָמַ֜ר יְהוָ֤ה צְבָאֹות֙ אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל בַּת־בָּבֶ֕ל כְּגֹ֖רֶן עֵ֣ת הִדְרִיכָ֑הּ עֹ֣וד מְעַ֔ט וּבָ֥אָה עֵֽת־הַקָּצִ֖יר לָֽהּ׃
34 ज़ियोनवासी कहेंगे, “बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र ने तो मुझे ग्रसित कर लिया है, तथा कुचल दिया है, उसने मुझे एक रिक्त बर्तन की स्थिति में लाकर छोड़ दिया है. उसने मुझे विकराल जंतु सदृश निगल लिया है, और वह मेरे उत्कृष्ट व्यंजनों का सेवन कर तृप्‍त हो चुका है, वह मानो मुझे बहाकर ले गया है.
אֲכָלָנוּ (אֲכָלַ֣נִי) הֲמָמָנוּ (הֲמָמַ֗נִי) נְבוּכַדְרֶאצַּר֮ מֶ֣לֶךְ בָּבֶל֒ הִצִּיגָנוּ (הִצִּיגַ֙נִי֙) כְּלִ֣י רִ֔יק בְּלָעָנוּ (בְּלָעַ֙נִי֙) כַּתַּנִּ֔ין מִלָּ֥א כְרֵשֹׂ֖ו מֵֽעֲדָנָ֑י הֱדִיחָֽנוּ (הֱדִיחָֽנִי)׃
35 वह हिंसा, जो बाबेल द्वारा मुझ पर तथा मेरी देह पर की गई थी,” तब ज़ियोनवासी कहेंगे, वह उसी पर लौट पड़े. तथा येरूशलेम कहेगा, “मुझ पर की गई हिंसा का बदला कसदिया देश से लिया जाए,”
חֲמָסִ֤י וּשְׁאֵרִי֙ עַל־בָּבֶ֔ל תֹּאמַ֖ר יֹשֶׁ֣בֶת צִיֹּ֑ון וְדָמִי֙ אֶל־יֹשְׁבֵ֣י כַשְׂדִּ֔ים תֹּאמַ֖ר יְרוּשָׁלָֽ͏ִם׃ ס
36 इसलिये याहवेह की वाणी यह है: “यह देख लेना, मैं तुम्हारे सहायक का प्रवक्ता हो जाऊंगा और तुम्हारे लिए भरपूर बदला प्रभावी करूंगा. मैं उसकी जल राशि को शुष्क कर दूंगा तथा उसके जल-स्रोत निर्जल बना दूंगा.
לָכֵ֗ן כֹּ֚ה אָמַ֣ר יְהוָ֔ה הִנְנִי־רָב֙ אֶת־רִיבֵ֔ךְ וְנִקַּמְתִּ֖י אֶת־נִקְמָתֵ֑ךְ וְהַחֲרַבְתִּי֙ אֶת־יַמָּ֔הּ וְהֹבַשְׁתִּ֖י אֶת־מְקֹורָֽהּ׃
37 बाबेल खंडहरों का ढेर, तथा सियारों का बसेरा बन जाएगा, वह भय का पर्याय, निर्जन स्थान, तथा उपहास का विषय बन जाएगा.
וְהָיְתָה֩ בָבֶ֨ל ׀ לְגַלִּ֧ים ׀ מְעֹון־תַּנִּ֛ים שַׁמָּ֥ה וּשְׁרֵקָ֖ה מֵאֵ֥ין יֹושֵֽׁב׃
38 बाबेलवासी सशक्त सिंहों के समान दहाड़ेंगे, वे सिंह के शावकों के समान गुर्राएंगे.
יַחְדָּ֖ו כַּכְּפִרִ֣ים יִשְׁאָ֑גוּ נָעֲר֖וּ כְּגֹורֵ֥י אֲרָיֹֽות׃
39 जब वे उतावला होंगे, मैं उनके लिए भोज आयोजित कर दूंगा और मैं उन्हें ऐसे मतवाले कर दूंगा, कि वे प्रमुदित हो जाएं और तब वे चिर-निद्रा में चले जाएंगे, कि वे कभी न जाग सकें,” यह याहवेह की वाणी है.
בְּחֻמָּ֞ם אָשִׁ֣ית אֶת־מִשְׁתֵּיהֶ֗ם וְהִשְׁכַּרְתִּים֙ לְמַ֣עַן יַעֲלֹ֔זוּ וְיָשְׁנ֥וּ שְׁנַת־עֹולָ֖ם וְלֹ֣א יָקִ֑יצוּ נְאֻ֖ם יְהוָֽה׃
40 “मैं उनकी स्थिति वध के लिए निर्धारित मेमनों के समान कर दूंगा, मेढ़ों तथा बकरों के सदृश.
אֹֽורִידֵ֖ם כְּכָרִ֣ים לִטְבֹ֑וחַ כְּאֵילִ֖ים עִם־עַתּוּדִֽים׃
41 “कैसे शेशाख को बंदी बना लिया गया है, जिसे सारी पृथ्वी की प्रशंसा प्राप्‍त होती रहती थी! यह कैसे हुआ कि बाबेल राष्ट्रों के मध्य भय का विषय बन गया है!
אֵ֚יךְ נִלְכְּדָ֣ה שֵׁשַׁ֔ךְ וַתִּתָּפֵ֖שׂ תְּהִלַּ֣ת כָּל־הָאָ֑רֶץ אֵ֣יךְ הָיְתָ֧ה לְשַׁמָּ֛ה בָּבֶ֖ל בַּגֹּויִֽם׃
42 समुद्र जल स्तर ऊंचा होकर बाबेल तक पहुंच गया है; उसकी प्रचंड लहरों ने इसे ढांप लिया है.
עָלָ֥ה עַל־בָּבֶ֖ל הַיָּ֑ם בַּהֲמֹ֥ון גַּלָּ֖יו נִכְסָֽתָה׃
43 उसके नगर भयास्पद हो गए हैं, अनावृष्टि प्रभावित मरुभूमि सदृश ऐसा क्षेत्र जहां कोई मनुष्य निवास नहीं करता, जिसके मध्य से होकर कोई भी नहीं निकलता.
הָי֤וּ עָרֶ֙יהָ֙ לְשַׁמָּ֔ה אֶ֖רֶץ צִיָּ֣ה וַעֲרָבָ֑ה אֶ֗רֶץ לֹֽא־יֵשֵׁ֤ב בָּהֵן֙ כָּל־אִ֔ישׁ וְלֹֽא־יַעֲבֹ֥ר בָּהֵ֖ן בֶּן־אָדָֽם׃
44 मैं बाबेल में ही बेल को दंड दूंगा, मैं उसके मुख से वही उगलवाऊंगा, जो उसने निगल लिया था. तब जनता उसकी ओर आकर्षित होना ही छोड़ देंगे. अब तो बाबेल की शहरपनाह भी ढह चुकी है.
וּפָקַדְתִּ֨י עַל־בֵּ֜ל בְּבָבֶ֗ל וְהֹצֵאתִ֤י אֶת־בִּלְעֹו֙ מִפִּ֔יו וְלֹֽא־יִנְהֲר֥וּ אֵלָ֛יו עֹ֖וד גֹּויִ֑ם גַּם־חֹומַ֥ת בָּבֶ֖ל נָפָֽלָה׃
45 “मेरी प्रजाजनो, वहां से निकल आओ! तुममें से हर एक याहवेह के प्रचंड प्रकोप से अपनी रक्षा करें.
צְא֤וּ מִתֹּוכָהּ֙ עַמִּ֔י וּמַלְּט֖וּ אִ֣ישׁ אֶת־נַפְשֹׁ֑ו מֵחֲרֹ֖ון אַף־יְהוָֽה׃
46 तुम्हारा हृदय मूर्छित न होने लगे तथा सारे देश में प्रसारित होते समाचार से तुम भयभीत न हो जाओ; क्योंकि एक समाचार इस वर्ष आएगा, तत्पश्चात अन्य समाचार अगले वर्ष, सारे देश में हिंसा भड़क रही होगी, उच्चाधिकारी ही उच्चाधिकारी के विरुद्ध हो जाएगा.
וּפֶן־יֵרַ֤ךְ לְבַבְכֶם֙ וְתִֽירְא֔וּ בַּשְּׁמוּעָ֖ה הַנִּשְׁמַ֣עַת בָּאָ֑רֶץ וּבָ֧א בַשָּׁנָ֣ה הַשְּׁמוּעָ֗ה וְאַחֲרָ֤יו בַּשָּׁנָה֙ הַשְּׁמוּעָ֔ה וְחָמָ֣ס בָּאָ֔רֶץ וּמֹשֵׁ֖ל עַל־מֹשֵֽׁל׃
47 तब तुम यह देख लेना वे दिन आ रहे हैं, मैं बाबेल की प्रतिमाओं को दंड दूंगा; सारे देश के लिए यह लज्जा का विषय होगा घात किए हुओं के शव उसके मध्य में इधर-उधर पड़े पाए जाएंगे.
לָכֵן֙ הִנֵּ֣ה יָמִ֣ים בָּאִ֔ים וּפָקַדְתִּי֙ עַל־פְּסִילֵ֣י בָבֶ֔ל וְכָל־אַרְצָ֖הּ תֵּבֹ֑ושׁ וְכָל־חֲלָלֶ֖יהָ יִפְּל֥וּ בְתֹוכָֽהּ׃
48 तब स्वर्ग और पृथ्वी तथा इनके सारे निवासी बाबेल की इस स्थिति पर हर्षनाद करेंगे, क्योंकि उसके विनाशक उत्तर दिशा से आएंगे,” यह याहवेह की वाणी है.
וְרִנְּנ֤וּ עַל־בָּבֶל֙ שָׁמַ֣יִם וָאָ֔רֶץ וְכֹ֖ל אֲשֶׁ֣ר בָּהֶ֑ם כִּ֧י מִצָּפֹ֛ון יָבֹוא־לָ֥הּ הַשֹּׁודְדִ֖ים נְאֻם־יְהוָֽה׃
49 “इस्राएल के लोगों के कारण बाबेल का पतन अनिवार्य है, ठीक जिस प्रकार सारी पृथ्वी पर के मारे गये लोग बाबेल के ही कारण मारे गये हैं.
גַּם־בָּבֶ֕ל לִנְפֹּ֖ל חַֽלְלֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל גַּם־לְבָבֶ֥ל נָפְל֖וּ חַֽלְלֵ֥י כָל־הָאָֽרֶץ׃
50 तुम सभी, जो तलवार से बच निकले हो, यहां ठहरे न रहो, भागो यहां से! दूर ही दूर रहते हुए याहवेह को स्मरण कर लिया करो, येरूशलेम तुम्हारी स्मृति से दूर न रहे.”
פְּלֵטִ֣ים מֵחֶ֔רֶב הִלְכ֖וּ אַֽל־תַּעֲמֹ֑דוּ זִכְר֤וּ מֵֽרָחֹוק֙ אֶת־יְהוָ֔ה וִירֽוּשָׁלַ֖͏ִם תַּעֲלֶ֥ה עַל־לְבַבְכֶֽם׃
51 “निंदा सुनकर हम अत्यंत लज्जित हुए हैं हमारे मुखमंडल पर कलंक लग चुका है, क्योंकि याहवेह के पवित्र भवन में विदेशियों का प्रवेश हो चुका है.”
בֹּ֚שְׁנוּ כִּֽי־שָׁמַ֣עְנוּ חֶרְפָּ֔ה כִּסְּתָ֥ה כְלִמָּ֖ה פָּנֵ֑ינוּ כִּ֚י בָּ֣אוּ זָרִ֔ים עַֽל־מִקְדְּשֵׁ֖י בֵּ֥ית יְהוָֽה׃ ס
52 “तब यह समझ लो: वे दिन आ रहे हैं,” यह याहवेह की वाणी है, “जब मैं उसकी प्रतिमाओं को दंड दूंगा, तब घातक प्रहार से पीड़ित, संपूर्ण देश में कराहते हुए पाए जाएंगे.
לָכֵ֞ן הִנֵּֽה־יָמִ֤ים בָּאִים֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה וּפָקַדְתִּ֖י עַל־פְּסִילֶ֑יהָ וּבְכָל־אַרְצָ֖הּ יֶאֱנֹ֥ק חָלָֽל׃
53 चाहे बाबेल आकाश-सदृश ऊंचा हो जाए, चाहे वह अपने ऊंचे गढ़ सुदृढ़ बना ले, मेरे द्वारा भेजे गए विनाशक उसे जा पकड़ेंगे,” यह याहवेह की वाणी है.
כִּֽי־תַעֲלֶ֤ה בָבֶל֙ הַשָּׁמַ֔יִם וְכִ֥י תְבַצֵּ֖ר מְרֹ֣ום עֻזָּ֑הּ מֵאִתִּ֗י יָבֹ֧אוּ שֹׁדְדִ֛ים לָ֖הּ נְאֻם־יְהוָֽה׃ ס
54 “बाबेल में विलाप व्याप्‍त है, तथा कसदियों के देश में महाविनाश.
קֹ֥ול זְעָקָ֖ה מִבָּבֶ֑ל וְשֶׁ֥בֶר גָּדֹ֖ול מֵאֶ֥רֶץ כַּשְׂדִּֽים׃
55 क्योंकि याहवेह बाबेल के विनाश के लिए तैयार हैं; वह उसकी उस उच्च आवाज को समाप्‍त कर देंगे. उसकी ध्वनि उग्र लहरों के सदृश है; नगर में आवाज गूंज रही है.
כִּֽי־שֹׁדֵ֤ד יְהוָה֙ אֶת־בָּבֶ֔ל וְאִבַּ֥ד מִמֶּ֖נָּה קֹ֣ול גָּדֹ֑ול וְהָמ֤וּ גַלֵּיהֶם֙ כְּמַ֣יִם רַבִּ֔ים נִתַּ֥ן שְׁאֹ֖ון קֹולָֽם׃
56 बाबेल पर विनाशक ने आक्रमण किया है; उसके सारे शूर योद्धा बंदी बनाए जाएंगे, उसके धनुष टूट चुके हैं. क्योंकि याहवेह बदला लेनेवाले परमेश्वर हैं; वह पूरा-पूरा बदला लेंगे.
כִּי֩ בָ֨א עָלֶ֤יהָ עַל־בָּבֶל֙ שֹׁודֵ֔ד וְנִלְכְּדוּ֙ גִּבֹּורֶ֔יהָ חִתְּתָ֖ה קַשְּׁתֹותָ֑ם כִּ֣י אֵ֧ל גְּמֻלֹ֛ות יְהוָ֖ה שַׁלֵּ֥ם יְשַׁלֵּֽם׃
57 मैं उसके उच्चाधिकारी तथा परामर्शकों को मदोन्मत बना दूंगा, उसके राज्यपालों, सेनापतियों तथा शूर योद्धाओं को भी; कि वे सभी चिर-निद्रा में सो जाएं, और फिर कभी न जागें!” यह उस राजा की वाणी है, जिनका नाम है सेनाओं के याहवेह.
וְ֠הִשְׁכַּרְתִּי שָׂרֶ֨יהָ וַחֲכָמֶ֜יהָ פַּחֹותֶ֤יהָ וּסְגָנֶ֙יהָ֙ וְגִבֹּורֶ֔יהָ וְיָשְׁנ֥וּ שְׁנַת־עֹולָ֖ם וְלֹ֣א יָקִ֑יצוּ נְאֻ֨ם־הַמֶּ֔לֶךְ יְהוָ֥ה צְבָאֹ֖ות שְׁמֹֽו׃ ס
58 सेनाओं के याहवेह का संदेश यह है: “बाबेल की चौड़ी शहरपनाह पूर्णतः ध्वस्त कर दी जाएगी तथा उसके ऊंचे-ऊंचे प्रवेश द्वार अग्नि में दाह कर दिए जाएंगे; तब प्रजा का परिश्रम व्यर्थ रहेगा, तथा राष्ट्रों का सारा परिश्रम मात्र अग्नि में भस्म होने के लिए सिद्ध होगा.”
כֹּֽה־אָמַ֞ר יְהוָ֣ה צְבָאֹ֗ות חֹ֠מֹות בָּבֶ֤ל הָֽרְחָבָה֙ עַרְעֵ֣ר תִּתְעַרְעָ֔ר וּשְׁעָרֶ֥יהָ הַגְּבֹהִ֖ים בָּאֵ֣שׁ יִצַּ֑תּוּ וְיִֽגְע֨וּ עַמִּ֧ים בְּדֵי־רִ֛יק וּלְאֻמִּ֥ים בְּדֵי־אֵ֖שׁ וְיָעֵֽפוּ׃ ס
59 नेरियाह के पुत्र माहसेइयाह के पौत्र सेराइयाह को दिया गया भविष्यद्वक्ता येरेमियाह का आदेश यह है, यह उसे उस अवसर पर भेजा गया, जब वह यहूदिया के राजा सीदकियाहू के राज्य-काल के चौथे वर्ष में राजा के साथ बाबेल गया था, सेराइयाह वहां महलों का प्रबंधक था.
הַדָּבָ֞ר אֲשֶׁר־צִוָּ֣ה ׀ יִרְמְיָ֣הוּ הַנָּבִ֗יא אֶת־שְׂרָיָ֣ה בֶן־נֵרִיָּה֮ בֶּן־מַחְסֵיָה֒ בְּלֶכְתֹּ֞ו אֶת־צִדְקִיָּ֤הוּ מֶֽלֶךְ־יְהוּדָה֙ בָּבֶ֔ל בִּשְׁנַ֥ת הָרְבִעִ֖ית לְמָלְכֹ֑ו וּשְׂרָיָ֖ה שַׂ֥ר מְנוּחָֽה׃
60 येरेमियाह ने एक चर्म कुण्डलिका में उन सारे संकटों की एक सूची बना दी जो बाबेल के लिए निर्धारित किए गए थे, अर्थात् वे सभी भविष्यवाणी, जो बाबेल के विषय में की गई थी.
וַיִּכְתֹּ֣ב יִרְמְיָ֗הוּ אֵ֧ת כָּל־הָרָעָ֛ה אֲשֶׁר־תָּבֹ֥וא אֶל־בָּבֶ֖ל אֶל־סֵ֣פֶר אֶחָ֑ד אֵ֚ת כָּל־הַדְּבָרִ֣ים הָאֵ֔לֶּה הַכְּתֻבִ֖ים אֶל־בָּבֶֽל׃
61 तत्पश्चात येरेमियाह ने सेराइयाह को संबोधित कर कहा, “यह ध्यान रखना कि बाबेल पहुंचते ही तुम यह सब उच्च स्वर में सबके समक्ष पढ़ोगे.
וַיֹּ֥אמֶר יִרְמְיָ֖הוּ אֶל־שְׂרָיָ֑ה כְּבֹאֲךָ֣ בָבֶ֔ל וְֽרָאִ֔יתָ וְֽקָרָ֔אתָ אֵ֥ת כָּל־הַדְּבָרִ֖ים הָאֵֽלֶּה׃
62 फिर तुम यह भी कहना, ‘याहवेह ने इस स्थान के विषय में भविष्यवाणी की है, कि यह स्थान नष्ट कर दिया जाएगा, इस प्रकार कि इस स्थान पर कोई भी निवासी शेष न रह जाएगा; चाहे मनुष्य हो अथवा पशु और यह स्थायी उजाड़ हो जाएगा.’
וְאָמַרְתָּ֗ יְהוָה֙ אַתָּ֨ה דִבַּ֜רְתָּ אֶל־הַמָּקֹ֤ום הַזֶּה֙ לְהַכְרִיתֹ֔ו לְבִלְתִּ֤י הֱיֹֽות־בֹּו֙ יֹושֵׁ֔ב לְמֵאָדָ֖ם וְעַד־בְּהֵמָ֑ה כִּֽי־שִׁמְמֹ֥ות עֹולָ֖ם תִּֽהְיֶֽה׃
63 जैसे ही तुम इस चर्म कुण्डली को पढ़ना समाप्‍त करोगे, तुम एक पत्थर इसमें बांध देना और इसे फरात नदी के मध्य में फेंक देना.
וְהָיָה֙ כְּכַלֹּ֣תְךָ֔ לִקְרֹ֖א אֶת־הַסֵּ֣פֶר הַזֶּ֑ה תִּקְשֹׁ֤ר עָלָיו֙ אֶ֔בֶן וְהִשְׁלַכְתֹּ֖ו אֶל־תֹּ֥וךְ פְּרָֽת׃
64 उसे फेंकते हुए तुम यह कहना, ‘बाबेल इसी प्रकार डूब जाएगा और फिर कभी उठकर ऊपर न आएगा, क्योंकि मैं उस पर ऐसा संकट डालने पर हूं. और उसके लोग गिर जाएंगे.’” येरेमियाह के शब्द यहीं तक हैं.
וְאָמַרְתָּ֗ כָּ֠כָה תִּשְׁקַ֨ע בָּבֶ֤ל וְלֹֽא־תָקוּם֙ מִפְּנֵ֣י הָרָעָ֗ה אֲשֶׁ֧ר אָנֹכִ֛י מֵבִ֥יא עָלֶ֖יהָ וְיָעֵ֑פוּ עַד־הֵ֖נָּה דִּבְרֵ֥י יִרְמְיָֽהוּ׃ ס

< यिर्मयाह 51 >