< यिर्मयाह 44 >

1 मिस्र देश के मिगदोल, ताहपनहेस, मैमफिस नगरों तथा पथरोस प्रदेश में निवास कर रहे यहूदियों के लिए येरेमियाह को यह संदेश भेजा गया:
اَلْكَلِمَةُ ٱلَّتِي صَارَتْ إِلَى إِرْمِيَا مِنْ جِهَةِ كُلِّ ٱلْيَهُودِ ٱلسَّاكِنِينَ فِي أَرْضِ مِصْرَ، ٱلسَّاكِنِينَ فِي مَجْدَلَ وَفِي تَحْفَنْحِيسَ، وَفِي نُوفَ وَفِي أَرْضِ فَتْرُوسَ قَائِلَةً:١
2 “सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की वाणी यह है: येरूशलेम तथा यहूदिया के नगरों पर जो सारी विपत्तियां मेरे द्वारा भेजी गई हैं, उन्हें तो तुमने स्वयं ही देख ली हैं. देख लो, कि आज तक ये स्थान खंडहर बने हुए हैं और कोई भी उनमें निवास नहीं कर रहा.
«هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: أَنْتُمْ رَأَيْتُمْ كُلَّ ٱلشَّرِّ ٱلَّذِي جَلَبْتُهُ عَلَى أُورُشَلِيمَ، وَعَلَى كُلِّ مُدُنِ يَهُوذَا، فَهَا هِيَ خَرِبَةٌ هَذَا ٱلْيَوْمَ وَلَيْسَ فِيهَا سَاكِنٌ،٢
3 उस दुष्कृति के कारण जिसके द्वारा उन्होंने परकीय देवताओं की उपासना करने, उन्हें बलि अर्पण करने के द्वारा मेरे कोप को भड़काया है. ये देवता उनके लिए, तुम्हारे लिए तथा तुम्हारे पूर्वजों के लिए अज्ञात रहे.
مِنْ أَجْلِ شَرِّهِمِ ٱلَّذِي فَعَلُوهُ لِيُغِيظُونِي، إِذْ ذَهَبُوا لِيُبَخِّرُوا وَيَعْبُدُوا آلِهَةً أُخْرَى لَمْ يَعْرِفُوهَا هُمْ وَلَا أَنْتُمْ وَلَا آبَاؤُكُمْ.٣
4 इतना सब होने पर भी मैंने तुम्हारे हित में अपने सेवक भविष्यवक्ताओं को भेजा, बार-बार वे यह संदेश देते रहे, ‘मत करो ये सारे उपक्रम, जो मेरे समक्ष घृणास्पद हैं!’
فَأَرْسَلْتُ إِلَيْكُمْ كُلَّ عَبِيدِي ٱلْأَنْبِيَاءِ مُبَكِّرًا وَمُرْسِلًا قَائِلًا: لَا تَفْعَلُوا أَمْرَ هَذَا ٱلرِّجْسِ ٱلَّذِي أَبْغَضْتُهُ.٤
5 किंतु उन्होंने न इस ओर ध्यान दिया, न मेरा संदेश सुना न वे इन दुष्कृत्यों से विमुख हुए; उन्होंने उन परकीय देवताओं को बलि अर्पण करना समाप्‍त न किया.
فَلَمْ يَسْمَعُوا وَلَا أَمَالُوا أُذْنَهُمْ لِيَرْجِعُوا عَنْ شَرِّهِمْ فَلَا يُبَخِّرُوا لِآلِهَةٍ أُخْرَى.٥
6 इसलिये मेरा कोप और मेरा आक्रोश उंडेला गया; यहूदिया के नगर तथा येरूशलेम की गलियां इनसे क्रोधित हो गईं और इसका परिणाम यह है कि अब ये खंडहर मात्र रह गए हैं, जैसा आज स्पष्ट ही है, ये अब निर्जन रह गए हैं.
فَٱنْسَكَبَ غَيْظِي وَغَضَبِي، وَٱشْتَعَلَا في مُدُنِ يَهُوذَا وَفِي شَوَارِعِ أُورُشَلِيمَ، فَصَارَتْ خَرِبَةً مُقْفِرَةً كَهَذَا ٱلْيَوْمِ.٦
7 “इसलिये अब, सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर की वाणी यह है: तुम क्यों अपनी ही अकाल हानि करने पर तैयार हो, कि तुम्हारे मध्य में यहूदिया में से स्त्री-पुरुष, बालक तथा शिशु कोई बचे हुए लोग न रह जाएं?
فَٱلْآنَ هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ ٱلْجُنُودِ، إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: لِمَاذَا أَنْتُمْ فَاعِلُونَ شَرًّا عَظِيمًا ضِدَّ أَنْفُسِكُمْ لِٱنْقِرَاضِكُمْ رِجَالًا وَنِسَاءً أَطْفَالًا وَرُضَّعًا مِنْ وَسْطِ يَهُوذَا وَلَا تَبْقَى لَكُمْ بَقِيَّةٌ؟٧
8 मिस्र देश, जहां तुमने बस जाने के उद्देश्य से प्रवेश किया है, वहां तुम उन परकीय देवताओं को बलि अर्पण करने के द्वारा मेरे कोप को भड़का रहे हो. इसका परिणाम यही होगा कि तुम नष्ट हो जाओगे तथा तुम पृथ्वी के सारी जनताओं के लिए एक शाप, एक कटाक्ष बनकर रह जाओगे.
لِإِغَاظَتِي بِأَعْمَالِ أَيَادِيكُمْ، إِذْ تُبَخِّرُونَ لِآلِهَةٍ أُخْرَى فِي أَرْضِ مِصْرَ ٱلَّتِي أَتَيْتُمْ إِلَيْهَا لِتَتَغَرَّبُوا فِيهَا، لِكَيْ تَنْقَرِضُوا وَلِكَيْ تَصِيرُوا لَعْنَةً وَعَارًا بَيْنَ كُلِّ أُمَمِ ٱلْأَرْضِ.٨
9 क्या तुम अपने पूर्वजों की दुष्कृति भूलना पसंद कर चुके हो—यहूदिया के राजाओं की दुष्कृति, उनकी पत्नियों की दुष्कृति, स्वयं तुम्हारी दुष्कृति तथा तुम्हारी पत्नियों की दुष्कृति, जो यहूदिया में तथा येरूशलेम की गलियों में उनके द्वारा की जाती रही है?
هَلْ نَسِيتُمْ شُرُورَ آبَائِكُمْ وَشُرُورَ مُلُوكِ يَهُوذَا وَشُرُورَ نِسَائِهِمْ، وَشُرُورَكُمْ وَشُرُورَ نِسَائِكُمُ ٱلَّتِي فُعِلَتْ فِي أَرْضِ يَهُوذَا وَفِي شَوَارِعِ أُورُشَلِيمَ؟٩
10 किंतु पश्चाताप उन्होंने आज तक नहीं किया और उनमें न तो मेरे प्रति श्रद्धा दिखाई, न उन्होंने मेरे व्यवस्था-विधान के पालन किया जो मैंने ही तुम्हारे तथा तुम्हारे पूर्वजों के सामने रखे थे.
لَمْ يُذَلُّوا إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ، وَلَا خَافُوا وَلَا سَلَكُوا فِي شَرِيعَتِي وَفَرَائِضِي ٱلَّتِي جَعَلْتُهَا أَمَامَكُمْ وَأَمَامَ آبَائِكُمْ.١٠
11 “इसलिये इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह, की वाणी यह है, यह देख लेना, कि मैं तुम्हारे संकट के लक्ष्य से तुम्हारी ओर अभिमुख होने पर हूं, हां, सारे यहूदिया के सर्वनाश के लक्ष्य से.
«لِذَلِكَ هَكَذَا قَالَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: هَأَنَذَا أَجْعَلُ وَجْهِي عَلَيْكُمْ لِلشَّرِّ، وَلِأَقْرِضَ كُلَّ يَهُوذَا.١١
12 मैं यहूदिया के उस बचे हुए लोगों को, जो मिस्र में बस जाने के लिए तैयार हो चुके हैं, नष्ट कर दूंगा. मिस्र देश में वे पूर्णतः नष्ट हो जाएंगे; वे तलवार तथा अकाल से नष्ट हो जाएंगे. तलवार एवं अकाल से सामान्य एवं विशिष्ट दोनों ही मिटा दिए जाएंगे. वे शाप बन जाएंगे, आतंक-प्रतिरूप हो जाएंगे, अमंगल प्रार्थना तथा उपहास का विषय हो जाएंगे.
وَآخُذُ بَقِيَّةَ يَهُوذَا ٱلَّذِينَ جَعَلُوا وُجُوهَهُمْ لِلدُّخُولِ إِلَى أَرْضِ مِصْرَ لِيَتَغَرَّبُوا هُنَاكَ، فَيَفْنَوْنَ كُلُّهُمْ فِي أَرْضِ مِصْرَ. يَسْقُطُونَ بِٱلسَّيْفِ وَبِالْجُوعِ. يَفْنَوْنَ مِنَ ٱلصَّغِيرِ إِلَى ٱلْكَبِيرِ بِٱلسَّيْفِ وَٱلْجُوعِ. يَمُوتُونَ وَيَصِيرُونَ حَلْفًا وَدَهَشًا وَلَعْنَةً وَعَارًا.١٢
13 मैं मिस्र के निवासियों को उसी प्रकार दंड दूंगा, जिस प्रकार मैंने येरूशलेम को तलवार, अकाल तथा महामारी का दंड दिया है.
وَأُعَاقِبُ ٱلَّذِينَ يَسْكُنُونَ فِي أَرْضِ مِصْرَ، كَمَا عَاقَبْتُ أُورُشَلِيمَ بِٱلسَّيْفِ وَٱلْجُوعِ وَٱلْوَبَإِ.١٣
14 तब यहूदिया के उन बचे हुए लोगों में से जो मिस्र में इन बातों के साथ जा बसे हैं, कि वे पुनः यहूदिया लौट आएंगे, जहां लौटकर आ रहना ही उनकी अभिलाषा है; उनमें से मात्र अल्प शरणार्थियों के सिवाय न तो कोई शरणार्थी रहेगा और न कोई उत्तरजीवी.”
وَلَا يَكُونُ نَاجٍ وَلَا بَاقٍ لِبَقِيَّةِ يَهُوذَا ٱلْآتِينَ لِيَتَغَرَّبُوا هُنَاكَ فِي أَرْضِ مِصْرَ، لِيَرْجِعُوا إِلَى أَرْضِ يَهُوذَا ٱلَّتِي يَشْتَاقُونَ إِلَى ٱلرُّجُوعِ لِأَجْلِ ٱلسَّكَنِ فِيهَا، لِأَنَّهُ لَا يَرْجِعُ مِنْهُمْ إِلَّا ٱلْمُنْفَلِتُونَ».١٤
15 तब उन सभी व्यक्तियों ने जिन्हें यह ज्ञात था कि उनकी पत्नियां परकीय देवताओं के समक्ष धूप जलाने की प्रथा में संलग्न हैं, अपनी-अपनी पत्नी के साथ एक विशाल सभा के रूप में मिस्र में पथरोस के निवासियों के साथ मिलकर येरेमियाह को यह प्रत्युत्तर दिया,
فَأَجَابَ إِرْمِيَا كُلُّ ٱلرِّجَالِ ٱلَّذِينَ عَرَفُوا أَنَّ نِسَاءَهُمْ يُبَخِّرْنَ لِآلِهَةٍ أُخْرَى، وَكُلُّ ٱلنِّسَاءِ ٱلْوَاقِفَاتِ، مَحْفَلٌ كَبِيرٌ، وَكُلُّ ٱلشَّعْبِ ٱلسَّاكِنِ فِي أَرْضِ مِصْرَ فِي فَتْرُوسَ قَائِلِينَ:١٥
16 “आपने याहवेह के नाम से हमें जो संदेश दिया है, उसे हम नहीं सुनेंगे!
«إِنَّنَا لَا نَسْمَعُ لَكَ ٱلْكَلِمَةَ ٱلَّتِي كَلَّمْتَنَا بِهَا بِٱسْمِ ٱلرَّبِّ،١٦
17 हम तो निश्चयतः वही सब करेंगे, जो हमारे मुख से मुखरित हुआ है: हम स्वर्ग की रानी के निमित्त धूप जलाएंगे, उसे पेय बलि अर्पित करेंगे; ठीक जैसा हमारे पूर्वज, हमारे राजा और हमारे उच्चाधिकारी यहूदिया के नगरों में तथा येरूशलेम की गलियों में करते रहे हैं. क्योंकि उस समय हमें भोजन का कोई अभाव न था, हम सम्पन्‍न थे तथा हमें किसी प्रतिकूलता का अनुभव न हुआ.
بَلْ سَنَعْمَلُ كُلَّ أَمْرٍ خَرَجَ مِنْ فَمِنَا، فَنُبَخِّرُ لِمَلِكَةِ ٱلسَّمَاوَاتِ، وَنَسْكُبُ لَهَا سَكَائِبَ. كَمَا فَعَلْنَا نَحْنُ وَآبَاؤُنَا وَمُلُوكُنَا وَرُؤَسَاؤُنَا فِي أَرْضِ يَهُوذَا وَفِي شَوَارِعِ أُورُشَلِيمَ، فَشَبِعْنَا خُبْزًا وَكُنَّا بِخَيْرٍ وَلَمْ نَرَ شَرًّا.١٧
18 किंतु जैसे ही हमने स्वर्ग की रानी के लिए धूप जलाना छोड़ा, जैसे ही हमने उसे पेय बलि अर्पित करना छोड़ा, हम सब प्रकार के अभाव में आ पड़े हैं और प्रजा तलवार एवं अकाल द्वारा विनाश हो रही है.”
وَلَكِنْ مِنْ حِينَ كَفَفْنَا عَنِ ٱلتَّبْخِيرِ لِمَلِكَةِ ٱلسَّمَاوَاتِ وَسَكْبِ سَكَائِبَ لَهَا، ٱحْتَجْنَا إِلَى كُلٍّ، وَفَنِينَا بِٱلسَّيْفِ وَٱلْجُوعِ.١٨
19 और स्त्रियों ने आक्षेप लगाना प्रारंभ किया, “जब हम स्वर्ग की रानी के लिए धूप जला रही थी और पेय बलि अर्पित कर रही थी, क्या हम ये बलियां, ये पेय बलियां तथा अर्पण के व्यंजन जिन पर स्वर्ग की रानी की प्रतिकृति होती थी यह सब अपने-अपने पतियों के जानने बिना कर रही थी?”
وَإِذْ كُنَّا نُبَخِّرُ لِمَلِكَةِ ٱلسَّمَاوَاتِ وَنَسْكُبُ لَهَا سَكَائِبَ، فَهَلْ بِدُونِ رِجَالِنَا كُنَّا نَصْنَعُ لَهَا كَعْكًا لِنَعْبُدَهَا وَنَسْكُبُ لَهَا ٱلسَّكَائِبَ؟».١٩
20 तब येरेमियाह ने पुरुषों, स्त्रियों, सारे उपस्थित जनसमूह को, उन सभी को, जिन्होंने उन्हें उत्तर दिया था, संबोधित करते हुए कहा:
فَكَلَّمَ إِرْمِيَا كُلَّ ٱلشَّعْبِ، ٱلرِّجَالَ وَٱلنِّسَاءَ وَكُلَّ ٱلشَّعْبِ ٱلَّذِينَ جَاوَبُوهُ بِهَذَا ٱلْكَلَامِ قَائِلًا:٢٠
21 “यहूदिया के नगरों में तथा येरूशलेम की गलियों में जो धूप तुम लोगों ने, तुम्हारे पूर्वजों ने, तुम्हारे राजाओं ने, तुम्हारे उच्चाधिकारियों ने तथा देश की प्रजा ने, जलाई हैं, क्या याहवेह की दृष्टि से अदृश्य रह गई है अथवा उन्होंने इन्हें भूलना पसंद कर दिया है?
«أَلَيْسَ ٱلْبَخُورُ ٱلَّذِي بَخَّرْتُمُوهُ فِي مُدُنِ يَهُوذَا وَفِي شَوَارِعِ أُورُشَلِيمَ، أَنْتُمْ وَآبَاؤُكُمْ وَمُلُوكُكُمْ وَرُؤَسَاؤُكُمْ وَشَعْبُ ٱلْأَرْضِ، هُوَ ٱلَّذِي ذَكَرَهُ ٱلرَّبُّ وَصَعِدَ عَلَى قَلْبِهِ.٢١
22 यह सब याहवेह के लिए असह्य हो चुका था, तुम्हारे उपक्रमों के संकट के कारण, तुम्हारे द्वारा किए गए घृणास्पद कार्यों के कारण ही आज तुम्हारा देश उजाड़ हो चुका है, यह देश अब भय का स्रोत तथा एक शाप प्रमाणित हो रहा है, आज यह निर्जन पड़ा हुआ है.
وَلَمْ يَسْتَطِعِ ٱلرَّبُّ أَنْ يَحْتَمِلَ بَعْدُ مِنْ أَجْلِ شَرِّ أَعْمَالِكُمْ، مِنْ أَجْلِ ٱلرَّجَاسَاتِ ٱلَّتِي فَعَلْتُمْ، فَصَارَتْ أَرْضُكُمْ خَرِبَةً وَدَهَشًا وَلَعْنَةً بِلَا سَاكِنٍ كَهَذَا ٱلْيَوْمِ.٢٢
23 आज तुम्हारे देश पर जो विपत्ति आ पड़ी है, उसका कारण यही है कि तुमने याहवेह की आज्ञा की अवहेलना की है, उनकी नीतियों का आचरण नहीं किया, उनके अधिनियमों तथा साक्ष्यों की अवहेलना की है, तथा तुमने धूप जलाई है.”
مِنْ أَجْلِ أَنَّكُمْ قَدْ بَخَّرْتُمْ وَأَخْطَأْتُمْ إِلَى ٱلرَّبِّ، وَلَمْ تَسْمَعُوا لِصَوْتِ ٱلرَّبِّ، وَلَمْ تَسْلُكُوا فِي شَرِيعَتِهِ وَفَرَائِضِهِ وَشَهَادَاتِهِ مِنْ أَجِلِ ذَلِكُمْ قَدْ أَصَابَكُمْ هَذَا ٱلشَّرُّ كَهَذَا ٱلْيَوْمِ».٢٣
24 तब येरेमियाह ने सारी स्त्रियों सहित सारे जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, “सारे यहूदियावासियो, जो मिस्र में जा बसे हो, याहवेह का संदेश सुनो.
ثُمَّ قَالَ إِرْمِيَا لِكُلِّ ٱلشَّعْبِ وَلِكُلِّ ٱلنِّسَاءِ: «ٱسْمَعُوا كَلِمَةَ ٱلرَّبِّ يَا جَمِيعَ يَهُوذَا ٱلَّذِينَ فِي أَرْضِ مِصْرَ.٢٤
25 सेनाओं के याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है: तुम्हारे लिए तथा तुम्हारी पत्नियों से संबंधित संदेश यह है: तुमने यह कहते हुए, ‘हम उन सारे संकल्पों को पूर्ण करेंगे, जो हमने किए थे. हम स्वर्ग की रानी के लिए धूप जलाएंगे, उसे पेय बलि भी अर्पित करेंगे, तुमने जो कुछ अपने मुख से घोषित किया, उसे अपने कार्यों द्वारा पूर्ण भी कर दिखाया है.’ “जाओ, जाकर अपने संकल्पों की पुष्टि करो और उन्हें पूर्ण भी करो!
هَكَذَا تَكَلَّمَ رَبُّ ٱلْجُنُودِ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ قَائِلًا: أَنْتُمْ وَنِسَاؤُكُمْ تَكَلَّمْتُمْ بِفَمِكُمْ وَأَكْمَلْتُمْ بِأَيَادِيكُمْ قَائِلِينَ: إِنَّنَا إِنَّمَا نُتَمِّمُ نُذُورَنَا ٱلَّتِي نَذَرْنَاهَا، أَنْ نُبَخِّرَ لِمَلِكَةِ ٱلسَّمَاوَاتِ وَنَسْكُبُ لَهَا سَكَائِبَ، فَإِنَّهُنَّ يُقِمْنَ نُذُورَكُمْ، وَيُتَمِّمْنَ نُذُورَكُمْ.٢٥
26 फिर भी, मिस्र में जा बसे यहूदियावासियो, याहवेह का संदेश सुन लो: ‘ध्यान रहे, मैंने अपने ही उदात्त नाम की शपथ ली है,’ यह याहवेह की वाणी है, ‘मिस्र देश में यहूदिया का कोई भी व्यक्ति शपथ करने के लिये अब कभी भी मेरे महान नाम का उपयोग नहीं कर पायेगा. वे फिर कभी नहीं कहेंगे, “याहवेह के नाम की शपथ!”
لِذَلِكَ ٱسْمَعُوا كَلِمَةَ ٱلرَّبِّ يَاجَمِيعَ يَهُوذَا ٱلسَّاكِنِينَ فِي أَرْضِ مِصْرَ: هَأَنَذَا قَدْ حَلَفْتُ بِٱسْمِي ٱلْعَظِيمِ، قَالَ ٱلرَّبُّ، إِنَّ ٱسْمِي لَنْ يُسَمَّى بَعْدُ بِفَمِ إِنْسَانٍ مَّا مِنْ يَهُوذَا فِي كُلِّ أَرْضِ مِصْرَ قَائِلًا: حَيٌّ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ.٢٦
27 मैं उन पर मेरी दृष्टि लगी हुई है, वह हित के लिए नहीं, पर विपत्ति के लिए. यहूदियावासी सभी, जो मिस्र देश में जा बसे है, तब तक तलवार से तथा अकाल से उनकी मृत्यु हो ही जाएगी; जब तक उनके विनाश संपूर्ण न हो.
هَأَنَذَا أَسْهَرُ عَلَيْهِمْ لِلشَّرِّ لَا لِلْخَيْرِ، فَيَفْنَى كُلُّ رِجَالِ يَهُوذَا ٱلَّذِينَ فِي أَرْضِ مِصْرَ بِٱلسَّيْفِ وَٱلْجُوعِ حَتَّى يَتَلَاشَوْا.٢٧
28 हां, अत्यंत अल्प संख्या में कुछ तलवार से बचकर मिस्र से यहूदिया पहुंच जाएंगे. तब यहूदिया के संपूर्ण बचे हुए लोगों को, जो मिस्र में बस जाने के लिए वहां गए थे, उन्हें यह ज्ञात हो जाएगा कि किसका कहना अटल होता है, मेरा अथवा उनका.
وَٱلنَّاجُونَ مِنَ ٱلسَّيْفِ يَرْجِعُونَ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ إِلَى أَرْضِ يَهُوذَا نَفَرًا قَلِيلًا، فَيَعْلَمُ كُلُّ بَقِيَّةِ يَهُوذَا ٱلَّذِينَ أَتُوْا إِلَى أَرْضِ مِصْرَ لِيَتَغَرَّبُوا فِيهَا، كَلِمَةَ أَيِّنَا تَقُومُ.٢٨
29 “‘तुम्हारे लिए इसका चिन्ह यह होगा,’ यह याहवेह की वाणी है, ‘मैं तुम्हें इसी स्थान पर दंड दूंगा, जिससे कि तुम यह समझ सको कि तुम्हारे संकट के लिए मेरी वाणी पूर्ण होकर ही रहेगी.’
«وَهَذِهِ هِيَ ٱلْعَلَامَةُ لَكُمْ، يَقُولُ ٱلرَّبُّ، إِنِّي أُعَاقِبُكُمْ فِي هَذَا ٱلْمَوْضِعِ، لِتَعْلَمُوا أَنَّهُ لَا بُدَّ أَنْ يَقُومَ كَلَامِي عَلَيْكُمْ لِلشَّرِّ.٢٩
30 याहवेह का संदेश यह है: ‘तुम देखोगे कि मैं मिस्र के राजा फ़रोह होफ़राह को उसके शत्रुओं के अधीन कर दूंगा, उनके अधीन जो उसके प्राण लेने को तैयार हैं, ठीक जिस प्रकार मैंने यहूदिया के राजा सीदकियाहू को बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र के अधीन कर दिया था, जो उसका शत्रु था, जो उसके प्राण लेने को तैयार था.’”
هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ: هَأَنَذَا أَدْفَعُ فِرْعَوْنَ حَفْرَعَ مَلِكَ مِصْرَ لِيَدِ أَعْدَائِهِ وَلِيَدِ طَالِبِي نَفْسِهِ، كَمَا دَفَعْتُ صِدْقِيَّا مَلِكَ يَهُوذَا لِيَدِ نَبُوخَذْرَاصَّرَ مَلِكِ بَابِلَ عَدُوِّهِ وَطَالِبِ نَفْسِهِ».٣٠

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