< यिर्मयाह 40 >

1 राज्यपाल गेदालिया के आवास में से अंगरक्षकों के प्रधान नेबुज़रादान ने जब येरेमियाह को येरूशलेम तथा यहूदिया के सारे बंदियों के बीच जंजीरों से बंधा हुआ देखा जिन्हें बाबेल ले जाया जा रहा था, तब उसने उसे रामाह में विमुक्त कर दिया. उस समय याहवेह का संदेश येरेमियाह को प्रगट किया गया.
And the word of the Lord came to Jeremias the second time, when he was yet bound in the court of the prison, saying,
2 अंगरक्षकों के प्रधान ने येरेमियाह को अलग ले जाकर कहा, “याहवेह, आपके ही परमेश्वर ने इस स्थान के विरुद्ध यह घोर विपत्ति योजित की थी.
Thus saith the Lord, who made the earth and formed it, to establish it; the Lord is his name;
3 अब याहवेह ने जैसी पूर्ववाणी की थी; उसे ही बनाकर दिखाया है. क्योंकि आप लोगों ने ही तो याहवेह के विरुद्ध पाप किया है, आप लोगों ने उनके आदेशों का पालन नहीं किया, इसलिये आप पर यह विपत्ति टूट पड़ी है.
Cry to me, and I will answer thee, and I will declare to thee great and mighty things, which thou knowest not.
4 किंतु अब देखिए, आज मैं आपको आपके हाथों में पड़ी हुई इन बेड़ियों से विमुक्त कर रहा हूं, यदि आपको उपयुक्त लगे, आप मेरे साथ बाबेल चल सकते हैं, आपकी देखभाल का दायित्व मेरा होगा; किंतु यदि आप मेरे साथ बाबेल चलना उपयुक्त न समझें तो, आपकी इच्छा, आपके समक्ष संपूर्ण देश खुला पड़ा है; आपको जो स्थान अनुकूल लगे वहीं चले जाइए.”
For thus saith the Lord concerning the houses of this city, and concerning the houses of the king of Juda, which have been pulled down for mounds and fortifications,
5 इसलिये कि येरेमियाह वहां अनिश्चय की स्थिति में ही ठहरे हुए थे, नेबुज़रादान ने उनसे कहा, “अच्छा, तो आप शापान के पौत्र अहीकाम के पुत्र गेदालियाह के पास लौट जाइए, जिसे बाबेल के राजा ने यहूदिया के नगरों पर राज्यपाल नियुक्त किया है, आप गेदालियाह के यहां अपने ही लोगों के मध्य निवास कीजिए. यदि नहीं, तो आपको जहां कहीं उपयुक्त लगे वहीं चले जाइए.” इसके बाद अंगरक्षकों के प्रधान ने येरेमियाह को कुछ अन्‍न पदार्थ तथा एक उपहार देकर उन्हें विदा किया.
to fight against the Chaldeans, and to fill it with the corpses of men, whom I smote in mine anger and my wrath, and turned away my face from them, for all their wickedness:
6 येरेमियाह वहां से मिज़पाह में अहीकाम के पुत्र गेदालियाह के यहां जाकर उस देश में शेष रह गए लोगों के मध्य निवास करने लगे.
Behold, I bring upon her healing and cure, and I will show [myself] to them, and will heal her, and make both peace and security.
7 जब युद्ध क्षेत्र में सारे सेनापतियों तथा सैनिकों को यह सूचना प्राप्‍त हुई कि बाबेल के राजा ने अहीकाम के पुत्र गेदालियाह को संपूर्ण देश तथा उन पुरुषों, स्त्रियों तथा बालकों पर, जो देश में गरीब थे तथा जो बाबेल में बंदी नहीं किए गए थे, अधिपति नियुक्त कर दिया है,
And I will turn the captivity of Juda, and the captivity of Israel, and will build them, even as before.
8 वे मिज़पाह में गेदालियाह से भेंट करने आ गए. उनके साथ थे नेथनियाह का पुत्र इशमाएल, कोरियाह के पुत्र योहानन तथा योनातन, तनहूमेथ का पुत्र सेराइयाह, नेतोफ़ातवासी एफाई के पुत्र, माकाहथिवासी का पुत्र येत्सानियाह, दोनों ही तथा उनकी सैनिक टुकड़ी.
And I will cleanse them from all their iniquities, whereby they have sinned against me, and will not remember their sins, whereby they have sinned against me, and revolted from me.
9 यह सब देखते हुए शापान के पौत्र, अहीकाम के पुत्र, गेदालियाह ने उनके तथा सैनिकों के समक्ष यह कहते हुए शपथ ली: “कसदियों की सेवा करने का विचार तुम्हें भयभीत न करे, इसी देश में निवास करते हुए बाबेल के राजा की सेवा करते रहो, कि तुम्हारा हित हो.
And it shall be for joy and praise, and for glory to all the people of the earth, who shall hear all the good that I will do: and they shall fear and be provoked for all the good things and for all the peace which I will bring upon them.
10 मैं तो मिज़पाह में ही रहूंगा, कि मैं तुम्हारी सहायता में खड़ा रह सकूं, कि मैं उन कसदियों के लिए तुम्हारा प्रवक्ता हो सकूं जो अपना प्रतिवाद लेकर मेरे पास आए थे, किंतु तुम द्राक्षारस, ग्रीष्मकालीन फल एवं तेल का संग्रहण करते रहना, उन्हें भंडारण बर्तनों में रख देना, अपने-अपने नगरों में निवास करना, जिन्हें अब तुमने अपना लिया है.”
Thus saith the Lord; There shall yet be heard in this place, of which ye say, it is destitute of men and cattle, in the cities of Juda, and in the streets of Jerusalem, [the places] that have been made desolate for want of men and cattle,
11 इसी प्रकार वे सभी यहूदियों ने जो इस समय मोआब, अम्मोन, एदोम तथा अन्य देशों में निवास करने लगे थे, यह सुना कि बाबेल के राजा ने यहूदिया में कुछ लोगों को छोड़ दिया है, तथा यह, कि उसने उन पर शापान के पौत्र, अहीकाम के पुत्र गेदालियाह को अधिपति नियुक्त कर दिया है,
the voice of gladness, and the voice of joy, the voice of the bridegroom, and the voice of the bride, the voice of men saying, Give thanks to the Lord Almighty: for the Lord is good; for his mercy [endures] fore ever: and they shall bring gifts into the house of the Lord; for I will turn all the captivity of that land as before, said the Lord.
12 तब सभी स्थानों से सारे यहूदी लौटकर आने लगे, जहां उन्हें खदेड़ दिया गया था, वे यहूदिया देश में आए तथा मिज़पाह में गेदालियाह से भेंट करने गए. उन्होंने बड़ी मात्रा में द्राक्षारस एवं ग्रीष्मकालीन फलों का भंडारण कर डाला.
Thus saith the Lord of hosts; There shall yet be in this place, that is desert for want of man and beast, in all the cities thereof, resting-places for shepherds causing their flocks to lie down.
13 तब कोरियाह का पुत्र योहानन तथा रणभूमि में सैनिकों के सारे सेनापति मिज़पाह में गेदालियाह से भेंट करने आए.
In the cities of the hill country, and in the cities of the valley, and in the cities of the south, and in the land of Benjamin, and in the [cities] round about Jerusalem, and in the cities of Juda, flocks shall yet pass under the hand of him that numbers [them], saith the Lord.
14 उन्होंने उससे कहा, “क्या आपको यह संज्ञान है कि अम्मोन के वंशजों के राजा बालिस ने नेथनियाह के पुत्र इशमाएल को आपकी हत्या के उद्देश्य से भेजा है?” किंतु अहीकाम के पुत्र गेदालियाह ने उनका विश्वास ही नहीं किया.
15 तब कोरियाह के पुत्र योहानन ने मिज़पाह में अकेले में जाकर गेदालियाह के समक्ष यह प्रस्ताव रखा, “मुझे अनुमति दीजिए, कि मैं जाकर नेथनियाह के पुत्र इशमाएल का वध कर दूं. किसी को भी इसके विषय में ज्ञात न हो सकेगा, हम क्यों उसे आपकी हत्या का अवसर दें? अन्यथा आपकी शरण में आए ये सारे यहूदी पुनः बिखर जाएंगे तथा यहूदिया का बचा हुआ शेष नष्ट हो जाएगा?”
16 किंतु अहीकाम के पुत्र गेदालियाह ने उससे कहा, “इशमाएल के विषय में तुम्हारा यह वचन असत्य है! मत करो उसकी हत्या.”

< यिर्मयाह 40 >