< यिर्मयाह 33 >

1 फिर दूसरी बार येरेमियाह को याहवेह का संदेश भेजा गया, इस समय वह पहरे के आंगन में ही बंदी थे. संदेश यह था:
Und das Wort Jehovas geschah zum zweiten Male zu Jeremia, als er noch im Gefängnishofe verhaftet war, also:
2 “पृथ्वी के बनानेवाले याहवेह का संदेश यह है, याहवेह, जिन्होंने पृथ्वी को आकार दिया कि यह स्थापित की जाए, जिनका नाम याहवेह है:
So spricht Jehova, der es tut, Jehova, der es bildet, um es zu verwirklichen, Jehova ist sein Name:
3 ‘मुझसे प्रतिवेदन करो तो मैं तुम्हें प्रत्युत्तर दूंगा और मैं तुम पर विलक्षण तथा रहस्यमय बात, जो अब तक तुम्हारे लिए अदृश्य हैं, उन्हें प्रकाशित करूंगा.’
Rufe zu mir, und ich will dir antworten und will dir große und unerreichbare Dinge kundtun, die du nicht weißt.
4 क्योंकि घेराबंदी ढलानों तथा तलवार के प्रहार से प्रतिरक्षा के उद्देश्य से ध्वस्त कर डाले गए इस नगर के आवासों तथा यहूदिया के राजमहलों के संबंध में इस्राएल के परमेश्वर याहवेह का यह संदेश है.
Denn so spricht Jehova, der Gott Israels, über die Häuser dieser Stadt und über die Häuser der Könige von Juda, welche abgebrochen werden wegen der Wälle und wegen des Schwertes;
5 जब वे कसदियों से युद्ध के लिए निकलेंगे, कि इन खंडहरों को उन मनुष्यों के शवों से भर दें, जिनका संहार मैंने अपने क्रोध एवं कोप में किया है. इसका कारण है नगरवासियों की दुष्टता के परिणामस्वरूप मेरा उनसे विमुख हो जाना.
indem man kommt [O. und über die, welche kommen, ] um gegen die Chaldäer zu streiten und die Häuser [W. sie] mit den Leichnamen der Menschen zu füllen, welche ich in meinem Zorn und in meinem Grimm geschlagen, und um all deren Bosheit willen ich mein Angesicht vor dieser Stadt verborgen habe:
6 “‘तुम देखोगे कि मैं इस देश में स्वास्थ्य तथा चंगाई ले आऊंगा; मैं उन्हें स्वास्थ्य प्रदान करूंगा, तब मैं उन पर भरपूर शांति तथा सत्य प्रकाशित करूंगा.
Siehe, ich will ihr einen Verband anlegen und Heilung bringen und sie heilen, und ich will ihnen eine Fülle von Frieden [O. Wohlfahrt] und Wahrheit [O. Treue] offenbaren.
7 मैं यहूदिया तथा इस्राएल की समृद्धि लौटाकर दूंगा तथा उनका पुनर्निर्माण कर उन्हें पूर्ववत रूप दे दूंगा.
Und ich werde die Gefangenschaft Judas und die Gefangenschaft Israels wenden, und werde sie bauen wie im Anfang.
8 मैं उन्हें उनके सारे पापों से शुद्ध करूंगा, जो उन्होंने मेरे विरुद्ध किया है, मैं उनकी सारी बुराई को क्षमा कर दूंगा, जिनके द्वारा उन्होंने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया है.
Und ich werde sie reinigen von all ihrer Ungerechtigkeit, womit sie gegen mich gesündigt haben; und ich werde alle ihre Missetaten vergeben, womit sie gegen mich gesündigt haben und womit sie von mir abgefallen sind.
9 सारे राष्ट्र उनके लिए मेरे द्वारा निष्पादित हितकार्यो का उल्लेख सुनेंगे तथा वे उन देशों के लिए मेरे द्वारा बनाये गये सारे हितकार्यों तथा शांति की स्थापना को देख भयभीत हो थरथराएंगे; यह मेरे लिए आनंद, स्तवन एवं प्रताप की प्रतिष्ठा होगी.’
Und sie [d. i. Jerusalem] soll mir zum Freudennamen, zum Ruhm und zum Schmuck sein bei allen Nationen der Erde, welche all das Gute hören werden, das ich ihnen tue. Und sie werden zittern und beben [Vergl. Jes. 60,5; Hos. 3,5] über all das Gute und über all den Frieden, den [O. die Wohlfahrt die] ich ihr [d. i. Jerusalem] angedeihen lasse. -
10 “याहवेह की वाणी यह है: इस स्थान पर, जिसे तुमने उजाड़-निर्जन तथा पशु-विहीन घोषित कर रखा है, अर्थात् यहूदिया के नगरों में तथा येरूशलेम की गलियों में, जो उजाड़, निर्जन एवं पशु-विहीन है,
So spricht Jehova: An diesem Orte, von dem ihr saget: "Er ist verödet, ohne Menschen und ohne Vieh", in den Städten Judas und auf den Straßen Jerusalems, die verwüstet sind, ohne Menschen und ohne Bewohner und ohne Vieh, wird wiederum gehört werden
11 एक बार फिर आनंद का स्वर, उल्लास का कलरव, वर एवं वधू का वार्तालाप तथा उन लोगों की बात सुनी जाएगी, जो कह रहे होंगे, “सेनाओं के याहवेह के प्रति आभार व्यक्त करो, क्योंकि सदाशय हैं याहवेह; क्योंकि सनातन है उनकी करुणा.” तथा उनका भी स्वर, जो याहवेह के भवन में आभार की भेंट लेकर उपस्थित होते हैं. क्योंकि मैं इस देश की समृद्धि पूर्ववत लौटाकर दूंगा, यह याहवेह की वाणी है.
die Stimme der Wonne und die Stimme der Freude, die Stimme des Bräutigams und die Stimme der Braut, die Stimme derer, welche sagen: Lobet [O. Danket] Jehova der Heerscharen, denn Jehova ist gütig, denn seine Güte währt ewiglich! die Stimme derer, welche Lob [O. Dank] in das Haus Jehovas bringen. Denn ich werde die Gefangenschaft des Landes wenden wie im Anfang, spricht Jehova.
12 “सेनाओं के याहवेह का संदेश यह है: ‘इस स्थान पर, जो निर्जन, उजाड़ एवं पशु-विहीन हो गया है, इसके सारे नगरों में ऐसे चरवाहों का निवास हो जाएगा, जो यहां अपने पशुओं को विश्राम करवाते देखे जाएंगे.
So spricht Jehova der Heerscharen: An diesem Orte, der verödet ist, ohne Menschen und ohne Vieh, und in allen seinen Städten wird wiederum eine Wohnung sein für die Hirten, welche Herden [Eig. Kleinvieh] lagern lassen.
13 पर्वतीय क्षेत्र के नगरों में, तराई के नगरों में, नेगेव के नगरों में, बिन्यामिन के प्रदेश में, येरूशलेम के उपनगरों में तथा यहूदिया के नगरों में भेड़-बकरियां पुनः उसके हाथों के नीचे से आगे जाएगी, जो उनकी गणना करता है,’ यह याहवेह की वाणी है.
In den Städten des Gebirges, in den Städten der Niederung und in den Städten des Südens, und im Lande Benjamin und in den Umgebungen von Jerusalem und in den Städten Judas werden wiederum die Herden unter den Händen des Zählers vorüberziehen, spricht Jehova.
14 “‘तुम यह देखोगे, वे दिन आ रहे हैं,’ यह याहवेह की वाणी है, ‘जब मैं अपनी उस प्रतिज्ञा को पूर्ण करूंगा, जो मैंने इस्राएल के वंश तथा यहूदाह के वंश के संबंध में की थी.
Siehe, Tage kommen, spricht Jehova, da ich das gute Wort erfüllen werde, welches ich über das Haus Israel und über das Haus Juda geredet habe.
15 “‘तब उस समय उन दिनों में मैं दावीद के वंश से एक धर्मी शाखा को अंकुरित करूंगा; वह पृथ्वी पर वही करेगा जो न्याय संगत एवं यथोचित होगा.
In jenen Tagen und zu jener Zeit werde ich dem David einen Sproß der Gerechtigkeit hervorsprossen lassen, und er wird Recht und Gerechtigkeit üben im Lande.
16 तब उन दिनों में यहूदिया संरक्षित रखा जाएगा तथा येरूशलेम सुरक्षा में निवास करेगा. उन दिनों उसकी पहचान होगी: याहवेह हमारी धार्मिकता है.’
In jenen Tagen wird Juda gerettet werden und Jerusalem in Sicherheit wohnen; und dies wird der Name sein, mit welchem man es [d. i. Jerusalem] benennen wird: Jehova, unsere Gerechtigkeit. [H. Jahwe-Tsidkenu]
17 क्योंकि याहवेह की वाणी है: ‘दावीद के राज सिंहासन के लिए प्रत्याशी का अभाव कभी न होगा,
Denn so spricht Jehova: Nie soll es dem David an einem Manne fehlen, der auf dem Throne des Hauses Israel sitze.
18 लेवी पुरोहितों को मेरे समक्ष होमबलि अर्पण के लिए, अन्‍नबलि होम के लिए तथा नियमित रूप से बलि तैयार करने के लिए किसी उपयुक्त व्यक्ति का अभाव न होगा.’”
Und den Priestern, den Leviten, soll es nie an einem Manne vor mir fehlen, der Brandopfer opfere und Speisopfer anzünde und Schlachtopfer zurichte alle Tage. -
19 येरेमियाह को याहवेह का यह संदेश प्राप्‍त हुआ:
Und das Wort Jehovas geschah zu Jeremia also:
20 “यह याहवेह का कहना है: ‘यदि तुम दिन एवं रात्रि से स्थापित की गई मेरी वाचा को इस प्रकार तोड़ सको, कि दिन और रात्रि अपने-अपने निर्धारित समय पर प्रकट न हों,
So spricht Jehova: Wenn ihr meinen Bund betreffs des Tages und meinen Bund betreffs der Nacht brechen könnt, so daß Tag und Nacht nicht mehr seien zu ihrer Zeit,
21 तब तो मेरे सेवक दावीद से स्थापित की गई मेरी वाचा भी भंग की जा सकेगी और इसका परिणाम यह होगा, कि उसके सिंहासन पर विराजमान हो राज्य-काल करने के लिए उसके कोई पुत्र न रहेगा और न मेरी सेवा के निमित्त कोई लेवी पुरोहित.
so wird auch mein Bund mit meinem Knechte David gebrochen werden, daß er keinen Sohn habe, der auf seinem Throne König sei, und auch mit den Leviten, den Priestern, meinen Dienern.
22 जिस प्रकार आकाश के तारे अगण्य तथा सागर तट की रेत अपार है, उसी प्रकार मैं अपने सेवक दावीद के वंशजों को तथा लेवियों को, जो मेरी सेवा करते हैं, आवर्धन कर उन्हें असंख्य कर दूंगा.’”
Wie das Heer des Himmels nicht gezählt und der Sand des Meeres nicht gemessen werden kann, also werde ich den Samen Davids, meines Knechtes, und die Leviten mehren, die mir dienen. -
23 तब याहवेह का यह संदेश येरेमियाह को भेजा गया:
Und das Wort Jehovas geschah zu Jeremia also:
24 “क्या तुमने ध्यान दिया है कि इन लोगों ने क्या-क्या कहा है. वे कह रहे हैं, ‘जिन दो गोत्रों को याहवेह ने मनोनीत किया था, उन्हें याहवेह ने परित्यक्त छोड़ दिया है’? वे मेरी प्रजा से घृणा कर रहे हैं, उनकी दृष्टि में अब वे राष्ट्र रह ही नहीं गए हैं.
Hast du nicht gesehen, was dieses Volk redet, indem es spricht: "Die zwei Geschlechter [Israel und Juda, ] welche Jehova erwählt hatte, die hat er verworfen"? Und so verachten sie mein Volk, so daß es vor ihnen keine Nation mehr ist.
25 याहवेह की वाणी यह है: ‘यदि दिन एवं रात्रि से संबंधित मेरी वाचा भंग होना संभव है, यदि आकाश एवं पृथ्वी के नियमों में अनियमितता संभव है,
So spricht Jehova: Wenn nicht mein Bund betreffs des Tages und der Nacht besteht, wenn ich nicht die Ordnungen des Himmels und der Erde festgesetzt habe,
26 तो मैं भी याकोब तथा दावीद मेरे सेवक के वंशजों का परित्याग कर दूंगा; मैं भी दावीद के एक वंशज को, अब्राहाम, यित्सहाक तथा याकोब के वंशजों पर शासन करने के लिए नहीं चुनूंगा. किंतु मैं उनकी समृद्धि लौटा दूंगा तथा उन पर अनुकम्पा करूंगा.’”
so werde ich auch den Samen Jakobs und Davids, meines Knechtes, verwerfen, daß ich nicht mehr von seinem Samen Herrscher nehme über den Samen Abrahams, Isaaks und Jakobs. Denn ich werde ihre Gefangenschaft wenden und mich ihrer erbarmen.

< यिर्मयाह 33 >