< यिर्मयाह 26 >

1 योशियाह के पुत्र यहूदिया के राजा यहोइयाकिम के राज्य-काल के प्रारंभ में याहवेह की ओर से यह संदेश भेजा गया:
Im Anfang der Regierung Jehojakims, des Sohnes Joschijahus, des Königs von Jehudah, geschah von Jehovah dieses Wort, sprechend:
2 “याहवेह का आदेश यह है: याहवेह के भवन के आंगन में खड़े होकर यहूदिया के उन सारे नगरों को संबोधित करो, जो याहवेह के भवन में वंदना के उद्देश्य से एकत्र हुए हैं तथा तुम उन्हें वह सब प्रगट कर दो, जिनके लिए वचन देने का आदेश मैं तुम्हें दे चुका हूं; एक शब्द भी न छूटने पाए.
So spricht Jehovah: Stehe in den Vorhof von Jehovahs Haus und rede zu allen Städten Jehudahs, die hereinkommen, im Haus Jehovahs anzubeten, all die Worte, die Ich dir gebiete, zu ihnen zu reden, und sollst kein Wort davontun.
3 यह संभव है कि वे मेरी सुन लें तथा अपनी बुरी चाल का परित्याग कर दें. जिससे मैं उस विध्वंस का विचार त्याग दूं जो मैंने उनके लिए उनके अधर्म के कारण योजित किया था.
Vielleicht hören sie darauf und der Mann kehrt von seinem bösen Wege zurück, daß Mich des Bösen gereue, das Ich dachte ihnen zu tun, ob der Bosheit ihrer Taten.
4 तुम्हें उनसे कहना होगा, ‘यह याहवेह की ओर से प्रसारित चेतावनी है: यदि तुम मेरी न सुनो, मेरी नीति का आचरण न करो जो मैं तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत कर चुका हूं,
Und sprich zu ihnen: So spricht Jehovah: Wenn ihr nicht auf Mich hört, so daß ihr wandelt in Meinem Gesetz, das Ich vor euch gegeben habe;
5 कि तुम मेरे सेवक उन भविष्यवक्ताओं द्वारा भेजा संदेश न सुनो, जिन्हें मैं बार-बार तुम्हारे लिए भेज रहा हूं (जिनकी तुमने नहीं सुनी है),
So daß ihr hört auf die Worte Meiner Knechte, der Propheten, die Ich an euch sandte, früh aufstehend und sendend, aber ihr hörtet nicht.
6 तब मैं इस भवन की वही स्थिति कर दूंगा जो शीलो की हुई थी तथा मैं इस नगर को पृथ्वी के सारे राष्ट्रों के लिए एक शाप बना दूंगा.’”
So gebe Ich dieses Haus dahin wie Schiloh, und diese Stadt gebe Ich zum Fluch allen Völkerschaften auf der Erde.
7 याहवेह के भवन में पुरोहितों, भविष्यवक्ताओं तथा सारे जनसाधारण ने येरेमियाह को यह वचन देते हुए सुन लिया.
Und die Priester und die Propheten und alles Volk hörten Jirmejahu diese Worte im Hause Jehovahs reden.
8 जब येरेमियाह याहवेह द्वारा आदेशित सब लोगों के लिए संदेश दे चुके, पुरोहितों, भविष्यवक्ताओं तथा लोगों ने उन्हें यह कहते हुए पकड़ लिया, “इसके लिए तुम्हें प्राण-दंड दिया जाना उपयुक्त है!
Und es geschah, wie Jirmejahu vollendet hatte, alles zu reden, was ihm Jehovah vor dem ganzen Volk zu reden geboten hatte, da faßten ihn an die Priester und die Propheten und alles Volk und sprachen: Du mußt des Todes sterben.
9 कैसे तुमने याहवेह के नाम में यह भविष्यवाणी कर दी है, यह भवन शीलो सदृश हो जाएगा तथा यह नगर निर्जन तथा उजाड़ हो जाएगा?” याहवेह के भवन परिसर में सारे जनसमूह ने येरेमियाह को घेर लिया.
Warum weissagst du im Namen Jehovahs und sprichst: Wie Schiloh soll dies Haus werden, und diese Stadt soll verödet werden, so daß niemand darin wohne? Und alles Volk kam zusammen im Hause Jehovahs wider Jirmejahu.
10 जब यहूदिया के अधिकारियों ने यह सब सुना, वे राजमहल से याहवेह के भवन परिसर में आ गए, उन्होंने याहवेह के भवन के नव-द्वार के प्रवेश में अपने आसन स्थापित किए.
Und als die Obersten Jehudahs hörten diese Dinge, kamen sie herauf vom Königshause zum Haus Jehovahs und setzen sich am Eingang des neuen Tores Jehovahs.
11 तब पुरोहितों एवं भविष्यवक्ताओं ने उन अधिकारियों एवं जनसमुदाय को संबोधित कर कहा, “यह व्यक्ति मृत्यु दंड के योग्य है. उसने इस नगर के विरुद्ध भविष्यवाणी की है, जैसा कि आपने स्वयं सुन लिया है!”
Und die Priester und die Propheten sprachen zu den Obersten und zu dem ganzen Volk und sagten: Ein Gericht des Todes für diesen Mann; denn er hat wider diese Stadt geweissagt, wie ihr mit euren Ohren hörtet!
12 तब येरेमियाह ने सारे अधिकारियों तथा सारे जनसमुदाय को यह कहते हुए अपना प्रत्युत्तर दिया: “स्वयं याहवेह ने मुझे उन शब्दों में जिन्हें आप लोगों ने सुने हैं, इस नगर एवं भवन के विरुद्ध भविष्यवाणी करने का आदेश दिया था.
Und Jirmejahu sprach zu all den Obersten und zu allem Volk und sagte: Jehovah hat mich gesandt über dieses Haus und über diese Stadt alle die Worte zu weissagen, die ihr gehört habt.
13 अब आप अपने आचरण को तथा अपने कार्यों को सुधार लीजिए तथा याहवेह अपने परमेश्वर के आदेश के प्रति आज्ञाकारी बन जाइए. तब याहवेह आपके संबंध में घोषित विपत्ति के विषय में अपने संकल्प को परिवर्तित कर देंगे.
Und nun macht eure Wege gut und eure Taten und hört auf die Stimme Jehovahs eures Gottes, daß Jehovah gereue des Bösen, das Er wider euch geredet hat.
14 जहां तक मेरा प्रश्न है, मैं तो आपकी कृपा पर निर्भर कर रहा हूं; मेरे साथ आप वही कीजिए जो कुछ आपको उपयुक्त लगे.
Und siehe, ich bin in eurer Hand, tut mit mir, wie es gut und recht in euren Augen ist.
15 हां, यह अवश्य समझ लीजिए, यदि आप मुझे प्राण-दंड देते हैं, आप एक निस्सहाय की मृत्यु का दोष स्वयं पर तथा इस नगर एवं इसके निवासियों पर ले आएंगे, क्योंकि सत्य यही है कि याहवेह ने ही मुझे इस संदेश को प्रगट करने भेजा है कि आप इसे सुन लें.”
Nur sollt ihr wissen, daß ihr, wenn ihr mich tötet, unschuldig Blut bringt über euch und über diese Stadt, und über die, so in ihr wohnen; denn in Wahrheit hat Jehovah mich zu euch gesandt, in euren Ohren zu reden alle diese Worte.
16 यह सुन अधिकारियों तथा सारे जनसमूह ने पुरोहितों तथा भविष्यवक्ताओं से कहा, “इस व्यक्ति को प्राण-दंड न दिया जाए! क्योंकि इसने हमसे याहवेह हमारे परमेश्वर के नाम में बात की है.”
Und es sprachen die Obersten und das ganze Volk zu den Priestern und zu den Propheten: Für den Mann da gibt es kein Gericht des Todes; denn im Namen Jehovahs unseres Gottes, hat er zu uns geredet.
17 तत्पश्चात देश के कुछ प्राचीन नागरिकों ने उठकर जनसभा को संबोधित कर कहा,
Und es standen Männer von den Ältesten des Landes auf und sprachen zur ganzen Versammlung des Volkes und sagten:
18 “यहूदिया के राजा हिज़किय्याह के राज्य-काल में मोरेशेथवासी मीकाह ने भविष्यवाणी की थी और उसकी भविष्यवाणी सारे यहूदियावासियों से संबंधित इस प्रकार थी, ‘सेनाओं के याहवेह ने यह कहा है: “‘ज़ियोन पर खेत के सदृश हल चला दिया जाएगा, येरूशलेम खंडहर हो जाएगा, तथा भवन की पहाड़ी, वन में पूजा-स्थल का स्वरूप ले लेगी.’
Michajah, der Moraschthite, war ein Prophet in den Tagen Chiskijahus, des Königs von Jehudah, und sprach zu allem Volk Jehudahs und sagte: So spricht Jehovah der Heerscharen: Zijon soll als Feld gepflügt und Jerusalem zu Trümmerhaufen und der Berg des Hauses zu Opferhöhen des Waldes werden.
19 क्या यहूदिया के राजा हिज़किय्याह एवं सारे यहूदिया की जनता ने उसे प्राण-दंड दिया? क्या हिज़किय्याह ने याहवेह से डर और श्रद्धा के साथ याचना नहीं की? क्या याहवेह ने उनका विनाश करने का वह विचार त्याग नहीं दिया, जिसकी चेतावनी याहवेह पहले से दे चुके थे? किंतु अब हम स्वयं अपने ही विरुद्ध घोर संकट कर रहे हैं!”
Hat Chiskijahu, Jehudahs König, und ganz Jehudah ihn getötet? Hat er nicht Jehovah gefürchtet und angefleht das Angesicht Jehovahs? Und es reute Jehovah wegen des Bösen, das Er wider sie geredet. Wir aber tun großes Übel wider unsere Seelen.
20 वस्तुतः एक ऐसा व्यक्ति हो चुका है जिसने याहवेह के नाम में भविष्यवाणी की थी; शेमायाह का पुत्र उरियाह जो किरयथ-यआरीमवासी था; उसने इस नगर एवं देश के विरुद्ध इसी प्रकार के शब्दों में भविष्यवाणी की थी जैसी येरेमियाह ने.
Und es war auch ein Mann, der weissagte im Namen Jehovahs, Urijahu, Schemajahus Sohn, aus Kirjath-Jearim, und er weissagte wider diese Stadt und wider dieses Land nach allen Worten Jirmejahus.
21 जब राजा यहोइयाकिम, उसके शूर योद्धाओं तथा उसके अधिकारियों ने ये शब्द सुने, राजा ने उसे घात करने की युक्ति की. किंतु जब उरियाह को इसका समाचार प्राप्‍त हुआ, वह भयभीत हो मिस्र देश को पलायन कर गया.
Und König Jehojakim und alle seine Mächtigen und alle Obersten hörten seine Worte, und der König suchte ihn zu töten, und Urijahu hörte es und fürchtete sich und entwich, und kam nach Ägypten.
22 तब राजा यहोइयाकिम ने मिस्र देश को अपने ये प्रतिनिधि भेज दिए, अखबोर का पुत्र एल-नाथान तथा उसके साथ अन्य विशिष्ट व्यक्ति, ये सभी मिस्र देश जा पहुंचे.
Und König Jehojakim sandte Männer nach Ägypten, Elnathan, Achbors Sohn, und Männer mit ihm nach Ägypten.
23 वहां से वे उरियाह को लौटा ले आए, उसे राजा यहोइयाकिम के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसने उसे तलवार से घात कर उसका शव उस स्थान पर फेंक दिया जहां सर्वसाधारण को गाड़ा जाता था.
Und sie brachten Urijahu heraus aus Ägypten und brachten ihn herein zum König Jehojakim und er schlug ihn mit dem Schwerte, und warf seinen Leichnam hin bei den Gräbern der Söhne des Volkes.
24 किंतु, शापान का पुत्र अहीकाम येरेमियाह का सहायक था, परिणामस्वरूप येरेमियाह को मृत्यु दंड के लिए लोगों के हाथों में सौंपा नहीं गया.
Doch die Hand Achikams, des Sohnes Schaphans, war mit Jirmejahu, daß man ihn nicht in die Hand des Volkes gab, um ihn zu töten.

< यिर्मयाह 26 >