< यिर्मयाह 25 >

1 योशियाह के पुत्र यहूदिया के राजा यहोइयाकिम के राज्य-काल के चौथे वर्ष में यह बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र के राज्य-काल का पहला वर्ष था, येरेमियाह को याहवेह का संदेश भेजा गया जो यहूदिया की सारी प्रजा से संबंधित था.
הַדָּבָ֞ר אֲשֶׁר־הָיָ֤ה עַֽל־יִרְמְיָ֙הוּ֙ עַל־כָּל־עַ֣ם יְהוּדָ֔ה בַּשָּׁנָה֙ הָֽרְבִעִ֔ית לִיהֹויָקִ֥ים בֶּן־יֹאשִׁיָּ֖הוּ מֶ֣לֶךְ יְהוּדָ֑ה הִ֗יא הַשָּׁנָה֙ הָרִ֣אשֹׁנִ֔ית לִנְבֽוּכַדְרֶאצַּ֖ר מֶ֥לֶךְ בָּבֶֽל׃
2 जो भविष्यद्वक्ता येरेमियाह ने यहूदिया के सारे निवासियों तथा येरूशलेम के सारे निवासियों को प्रगट किया:
אֲשֶׁ֨ר דִּבֶּ֜ר יִרְמְיָ֤הוּ הַנָּבִיא֙ עַל־כָּל־עַ֣ם יְהוּדָ֔ה וְאֶ֛ל כָּל־יֹשְׁבֵ֥י יְרוּשָׁלַ֖͏ִם לֵאמֹֽר׃
3 अमोन के पुत्र यहूदिया के राजा योशियाह के राज्य-काल के तेरहवें वर्ष से आज तक इन तेईस वर्षों में मुझे याहवेह का संदेश प्राप्‍त होता आया है, जो मैं बार-बार तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत भी करता रहा हूं, किंतु तुमने इसकी अनसुनी ही की है.
מִן־שְׁלֹ֣שׁ עֶשְׂרֵ֣ה שָׁנָ֡ה לְיֹאשִׁיָּ֣הוּ בֶן־אָמֹון֩ מֶ֨לֶךְ יְהוּדָ֜ה וְעַ֣ד ׀ הַיֹּ֣ום הַזֶּ֗ה זֶ֚ה שָׁלֹ֤שׁ וְעֶשְׂרִים֙ שָׁנָ֔ה הָיָ֥ה דְבַר־יְהוָ֖ה אֵלָ֑י וָאֲדַבֵּ֧ר אֲלֵיכֶ֛ם אַשְׁכֵּ֥ים וְדַבֵּ֖ר וְלֹ֥א שְׁמַעְתֶּֽם׃
4 याहवेह ने बार-बार अपने भविष्यवक्ताओं को भेजा जो सभी याहवेह के सेवक थे, किंतु न तो तुमने उनकी और ध्यान दिया और न ही उनकी सुनी.
וְשָׁלַח֩ יְהוָ֨ה אֲלֵיכֶ֜ם אֶֽת־כָּל־עֲבָדָ֧יו הַנְּבִאִ֛ים הַשְׁכֵּ֥ם וְשָׁלֹ֖חַ וְלֹ֣א שְׁמַעְתֶּ֑ם וְלֹֽא־הִטִּיתֶ֥ם אֶֽת־אָזְנְכֶ֖ם לִשְׁמֹֽעַ׃
5 भविष्यवक्ताओं का संदेश था, “तुम सभी अपने-अपने अनाचार तथा अपने-अपने दुष्कर्मों को त्याग कर लौट आओ, तथा उस देश में निवास करो जो याहवेह ने तुम्हें तथा तुम्हारे पूर्वजों को सदा-सर्वदा के लिए दे दिया है.
לֵאמֹ֗ר שֽׁוּבוּ־נָ֞א אִ֣ישׁ מִדַּרְכֹּ֤ו הָֽרָעָה֙ וּמֵרֹ֣עַ מַעַלְלֵיכֶ֔ם וּשְׁבוּ֙ עַל־הָ֣אֲדָמָ֔ה אֲשֶׁ֨ר נָתַ֧ן יְהוָ֛ה לָכֶ֖ם וְלַאֲבֹֽותֵיכֶ֑ם לְמִן־עֹולָ֖ם וְעַד־עֹולָֽם׃
6 उन परकीय देवताओं का अनुसरण मत करो न उनकी सेवा करो न उनकी उपासना; अपनी हस्तकृतियों के द्वारा मेरे कोप को मत भड़काओ कि मैं तुम्हारी कोई हानि करूं.”
וְאַל־תֵּלְכ֗וּ אַֽחֲרֵי֙ אֱלֹהִ֣ים אֲחֵרִ֔ים לְעָבְדָ֖ם וּלְהִשְׁתַּחֲוֹ֣ת לָהֶ֑ם וְלֹֽא־תַכְעִ֤יסוּ אֹותִי֙ בְּמַעֲשֵׂ֣ה יְדֵיכֶ֔ם וְלֹ֥א אָרַ֖ע לָכֶֽם׃
7 “फिर भी तुमने मेरी न सुनी,” यह याहवेह की वाणी है, “तुमने यह सब स्वयं अपनी ही हानि के लिए अपनी हस्तकृतियों के द्वारा मेरे कोप को भड़काने के उद्देश्य से किया है.”
וְלֹֽא־שְׁמַעְתֶּ֥ם אֵלַ֖י נְאֻם־יְהוָ֑ה לְמַ֧עַן הִכְעִסוּנִי (הַכְעִיסֵ֛נִי) בְּמַעֲשֵׂ֥ה יְדֵיכֶ֖ם לְרַ֥ע לָכֶֽם׃ ס
8 इसलिये सेनाओं के याहवेह का कहना यह है: “इसलिये कि तुमने मेरे आदेशों का पालन नहीं किया है,
לָכֵ֕ן כֹּ֥ה אָמַ֖ר יְהוָ֣ה צְבָאֹ֑ות יַ֕עַן אֲשֶׁ֥ר לֹֽא־שְׁמַעְתֶּ֖ם אֶת־דְּבָרָֽי׃
9 यह देख लेना कि मैं उत्तर दिशा के सारे परिवारों को बुलाऊंगा,” यह याहवेह की वाणी है, “साथ ही मैं अपने सेवक बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र को भी बुलाऊंगा कि वह इस देश पर इसके निवासियों तथा इस देश के निकटवर्ती इन सारे देशों पर आक्रमण करे. मैं इन्हें पूर्णतः नष्ट कर दूंगा कि वे आतंक तथा व्यंग्य का प्रतीक बन जाएं, कि उनमें स्थायी उजाड़ व्याप्‍त हो जाए.
הִנְנִ֣י שֹׁלֵ֡חַ וְלָקַחְתִּי֩ אֶת־כָּל־מִשְׁפְּחֹ֨ות צָפֹ֜ון נְאֻם־יְהוָ֗ה וְאֶל־נְבֽוּכַדְרֶאצַּ֣ר מֶֽלֶךְ־בָּבֶל֮ עַבְדִּי֒ וַהֲבִ֨אֹתִ֜ים עַל־הָאָ֤רֶץ הַזֹּאת֙ וְעַל־יֹ֣שְׁבֶ֔יהָ וְעַ֛ל כָּל־הַגֹּויִ֥ם הָאֵ֖לֶּה סָבִ֑יב וְהַ֣חֲרַמְתִּ֔ים וְשַׂמְתִּים֙ לְשַׁמָּ֣ה וְלִשְׁרֵקָ֔ה וּלְחָרְבֹ֖ות עֹולָֽם׃
10 इसके सिवा मैं इन देशों से आनंद का स्वर एवं हर्षोल्लास की ध्वनि ही मिटा दूंगा, न वहां वर का स्वर सुना जा सकेगा न वधू का, न वहां चक्की की ध्वनि होगी न दीप की ज्योति.
וְהַאֲבַדְתִּ֣י מֵהֶ֗ם קֹ֤ול שָׂשֹׂון֙ וְקֹ֣ול שִׂמְחָ֔ה קֹ֥ול חָתָ֖ן וְקֹ֣ול כַּלָּ֑ה קֹ֥ול רֵחַ֖יִם וְאֹ֥ור נֵֽר׃
11 यह संपूर्ण देश एक उजाड़ तथा भयावहता में परिवर्तित हो जाएगा, ये जनता सत्तर वर्षों तक बाबेल के राजा की सेवा करते रहेंगे.
וְהָֽיְתָה֙ כָּל־הָאָ֣רֶץ הַזֹּ֔את לְחָרְבָּ֖ה לְשַׁמָּ֑ה וְעָ֨בְד֜וּ הַגֹּויִ֥ם הָאֵ֛לֶּה אֶת־מֶ֥לֶךְ בָּבֶ֖ל שִׁבְעִ֥ים שָׁנָֽה׃
12 “तत्पश्चात यह होगा: जब सत्तर वर्ष बीत जाएंगे, मैं बाबेल के राजा एवं राष्ट्र को तथा कसदियों के देश को उनके अधर्म के लिए दंड दूंगा,” यह याहवेह की वाणी है, “मैं उसे चिरस्थायी उजाड़ में परिवर्तित कर दूंगा.
וְהָיָ֣ה כִמְלֹ֣אות שִׁבְעִ֣ים שָׁנָ֡ה אֶפְקֹ֣ד עַל־מֶֽלֶךְ־בָּבֶל֩ וְעַל־הַגֹּ֨וי הַה֧וּא נְאֻם־יְהוָ֛ה אֶת־עֲוֹנָ֖ם וְעַל־אֶ֣רֶץ כַּשְׂדִּ֑ים וְשַׂמְתִּ֥י אֹתֹ֖ו לְשִֽׁמְמֹ֥ות עֹולָֽם׃
13 उस देश से संबंधित मेरे द्वारा उच्चारित सारे शब्द सत्य प्रमाणित होंगे, वे सब जो इस ग्रंथ में बताए गए है जिनकी भविष्यवाणी येरेमियाह ने इन सभी राष्ट्रों के विरुद्ध की थी.
וְהֵבֵאיתִי (וְהֵֽבֵאתִי֙) עַל־הָאָ֣רֶץ הַהִ֔יא אֶת־כָּל־דְּבָרַ֖י אֲשֶׁר־דִּבַּ֣רְתִּי עָלֶ֑יהָ אֵ֤ת כָּל־הַכָּתוּב֙ בַּסֵּ֣פֶר הַזֶּ֔ה אֲשֶׁר־נִבָּ֥א יִרְמְיָ֖הוּ עַל־כָּל־הַגֹּויִֽם׃
14 क्योंकि अनेक राष्ट्र एवं प्रतिष्ठित राजा उन्हें भी अपने दास बना लेंगे; हां, बाबेलवासियों को भी मैं उनके द्वारा किए गए कार्यों के अनुरूप ही प्रतिफल दूंगा.”
כִּ֣י עָֽבְדוּ־בָ֤ם גַּם־הֵ֙מָּה֙ גֹּויִ֣ם רַבִּ֔ים וּמְלָכִ֖ים גְּדֹולִ֑ים וְשִׁלַּמְתִּ֥י לָהֶ֛ם כְּפָעֳלָ֖ם וּכְמַעֲשֵׂ֥ה יְדֵיהֶֽם׃ ס
15 क्योंकि याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का, मेरे लिए आदेश यह है: “मेरे हाथ से मेरे कोप के द्राक्षारस का प्याला ले लो और उन सभी देशों को जहां मैं तुम्हें भेजने पर हूं, इसे पीने के लिए प्रेरित करो.
כִּ֣י כֹה֩ אָמַ֨ר יְהוָ֜ה אֱלֹהֵ֤י יִשְׂרָאֵל֙ אֵלַ֔י קַ֠ח אֶת־כֹּ֨וס הַיַּ֧יִן הַחֵמָ֛ה הַזֹּ֖את מִיָּדִ֑י וְהִשְׁקִיתָ֤ה אֹתֹו֙ אֶת־כָּל־הַגֹּויִ֔ם אֲשֶׁ֧ר אָנֹכִ֛י שֹׁלֵ֥חַ אֹותְךָ֖ אֲלֵיהֶֽם׃
16 वे उस तलवार के कारण जो मैं उनके मध्य भेजने पर हूं, इसे पिएंगे, लड़खड़ाने लगेंगे तथा उन्मत्त हो जाएंगे.”
וְשָׁת֕וּ וְהִֽתְגֹּֽעֲשׁ֖וּ וְהִתְהֹלָ֑לוּ מִפְּנֵ֣י הַחֶ֔רֶב אֲשֶׁ֛ר אָנֹכִ֥י שֹׁלֵ֖חַ בֵּינֹתָֽם׃
17 मैंने याहवेह के हाथ से वह प्याला ले लिया और याहवेह ने मुझे जिन-जिन राष्ट्रों में भेजा उन्हें पिला दिया:
וָאֶקַּ֥ח אֶת־הַכֹּ֖וס מִיַּ֣ד יְהוָ֑ה וָֽאַשְׁקֶה֙ אֶת־כָּל־הַגֹּויִ֔ם אֲשֶׁר־שְׁלָחַ֥נִי יְהוָ֖ה אֲלֵיהֶֽם׃
18 येरूशलेम तथा यहूदिया के नगर, उनके राजा एवं उनके उच्चाधिकारियों को वे अवशेष, आतंक, उपहास तथा शाप बने रह जाएं, जैसा कि आज भी देखा जा सकता है;
אֶת־יְרוּשָׁלַ֙͏ִם֙ וְאֶת־עָרֵ֣י יְהוּדָ֔ה וְאֶת־מְלָכֶ֖יהָ אֶת־שָׂרֶ֑יהָ לָתֵ֨ת אֹתָ֜ם לְחָרְבָּ֧ה לְשַׁמָּ֛ה לִשְׁרֵקָ֥ה וְלִקְלָלָ֖ה כַּיֹּ֥ום הַזֶּֽה׃
19 मिस्र का राजा फ़रोह, उसके सेवक, उसके उच्च अधिकारी तथा उसकी सारी प्रजा,
אֶת־פַּרְעֹ֧ה מֶֽלֶךְ־מִצְרַ֛יִם וְאֶת־עֲבָדָ֥יו וְאֶת־שָׂרָ֖יו וְאֶת־כָּל־עַמֹּֽו׃
20 सभी विदेशी नागरिक; उज़ देश के सभी राजा; फिलिस्तिया देश के सभी राजा, यहां तक कि अश्कलोन, अज्जाह, एक्रोन, तथा अशदोद के लोग;
וְאֵת֙ כָּל־הָעֶ֔רֶב וְאֵ֕ת כָּל־מַלְכֵ֖י אֶ֣רֶץ הָע֑וּץ וְאֵ֗ת כָּל־מַלְכֵי֙ אֶ֣רֶץ פְּלִשְׁתִּ֔ים וְאֶת־אַשְׁקְלֹ֤ון וְאֶת־עַזָּה֙ וְאֶת־עֶקְרֹ֔ון וְאֵ֖ת שְׁאֵרִ֥ית אַשְׁדֹּֽוד׃
21 एदोम, मोआब तथा अम्मोन के वंशज;
אֶת־אֱדֹ֥ום וְאֶת־מֹואָ֖ב וְאֶת־בְּנֵ֥י עַמֹּֽון׃
22 सोर के सभी राजा, सीदोन के सभी राजा, तथा उन तटवर्ती क्षेत्रों के राजा जो सागर के परे हैं;
וְאֵת֙ כָּל־מַלְכֵי־צֹ֔ר וְאֵ֖ת כָּל־מַלְכֵ֣י צִידֹ֑ון וְאֵת֙ מַלְכֵ֣י הָאִ֔י אֲשֶׁ֖ר בְּעֵ֥בֶר הַיָּֽם׃
23 देदान, तेमा, बुज़ तथा वे सभी जो अपनी कनपटी के बाल क़तर लेते हैं;
וְאֶת־דְּדָ֤ן וְאֶת־תֵּימָא֙ וְאֶת־בּ֔וּז וְאֵ֖ת כָּל־קְצוּצֵ֥י פֵאָֽה׃
24 अरेबिया के सभी राजा तथा विदेशियों के सभी राजा जो मरुस्थल में निवास करते हैं;
וְאֵ֖ת כָּל־מַלְכֵ֣י עֲרָ֑ב וְאֵת֙ כָּל־מַלְכֵ֣י הָעֶ֔רֶב הַשֹּׁכְנִ֖ים בַּמִּדְבָּֽר׃
25 ज़िमरी के सभी राजा, एलाम के सभी राजा, मेदिया के सभी राजा;
וְאֵ֣ת ׀ כָּל־מַלְכֵ֣י זִמְרִ֗י וְאֵת֙ כָּל־מַלְכֵ֣י עֵילָ֔ם וְאֵ֖ת כָּל־מַלְכֵ֥י מָדָֽי׃
26 उत्तर के सभी राजा दूर अथवा निकट के, एक के बाद एक, तथा पृथ्वी के सभी राज्य, जो पृथ्वी तल पर हैं, और इन सबके बाद शेशाख का राजा भी यह द्राक्षारस पिएगा.
וְאֵ֣ת ׀ כָּל־מַלְכֵ֣י הַצָּפֹ֗ון הַקְּרֹבִ֤ים וְהָֽרְחֹקִים֙ אִ֣ישׁ אֶל־אָחִ֔יו וְאֵת֙ כָּל־הַמַּמְלְכֹ֣ות הָאָ֔רֶץ אֲשֶׁ֖ר עַל־פְּנֵ֣י הָאֲדָמָ֑ה וּמֶ֥לֶךְ שֵׁשַׁ֖ךְ יִשְׁתֶּ֥ה אַחֲרֵיהֶֽם׃
27 “तुम्हें उनसे कहना होगा, ‘इस्राएल के परमेश्वर, सेनाओं के याहवेह का आदेश यह है: पियो, मतवाले हो जाओ, उल्टी करो, गिर पड़ो, फिर खड़े ही न होओ, उस तलवार के कारण जो मैं तुम्हारे मध्य तैयार करने पर हूं.’
וְאָמַרְתָּ֣ אֲלֵיהֶ֡ם ס כֹּֽה־אָמַר֩ יְהוָ֨ה צְבָאֹ֜ות אֱלֹהֵ֣י יִשְׂרָאֵ֗ל שְׁת֤וּ וְשִׁכְרוּ֙ וּקְי֔וּ וְנִפְל֖וּ וְלֹ֣א תָק֑וּמוּ מִפְּנֵ֣י הַחֶ֔רֶב אֲשֶׁ֛ר אָנֹכִ֥י שֹׁלֵ֖חַ בֵּינֵיכֶֽם׃
28 यदि वे तुम्हारे हाथ से वह प्याला लेकर पीना अस्वीकार कर दें, तब तुम्हें उनसे यह कहना होगा, ‘सेनाओं के याहवेह का संदेश यह है: निश्चयतः पीना तो तुम्हें पड़ेगा ही!
וְהָיָ֗ה כִּ֧י יְמָאֲנ֛וּ לָקַֽחַת־הַכֹּ֥וס מִיָּדְךָ֖ לִשְׁתֹּ֑ות וְאָמַרְתָּ֣ אֲלֵיהֶ֗ם כֹּ֥ה אָמַ֛ר יְהוָ֥ה צְבָאֹ֖ות שָׁתֹ֥ו תִשְׁתּֽוּ׃
29 क्योंकि यह देखना, इस नगर में जो मेरे नाम से प्रतिष्ठित हैं, मैं घोर संकट प्रारंभ करने पर हूं, कैसे संभव है कि तुम दंड से बचे रहोगे? तुम दंड से बच न सकोगे, क्योंकि मैंने सारी पृथ्वी के निवासियों के विरुद्ध तलवार का आह्वान किया हुआ है, यह सेनाओं के याहवेह की वाणी है.’
כִּי֩ הִנֵּ֨ה בָעִ֜יר אֲשֶׁ֧ר נִֽקְרָא־שְׁמִ֣י עָלֶ֗יהָ אָֽנֹכִי֙ מֵחֵ֣ל לְהָרַ֔ע וְאַתֶּ֖ם הִנָּקֵ֣ה תִנָּק֑וּ לֹ֣א תִנָּק֔וּ כִּ֣י חֶ֗רֶב אֲנִ֤י קֹרֵא֙ עַל־כָּל־יֹשְׁבֵ֣י הָאָ֔רֶץ נְאֻ֖ם יְהוָ֥ה צְבָאֹֽות׃
30 “इसलिये तुम्हें उन सबके विरुद्ध यह भविष्यवाणी करनी होगी और तुम उनसे यह कहोगे: “‘याहवेह की गर्जना उनके उच्च स्थान से होगी; तथा उनके पवित्र आवास से उनका स्वरोच्चार होगा वह अपनी भेड़-बकरियों पर उच्च स्वर में गरजेंगे. उनका उच्च स्वर पृथ्वी के सारे निवासियों के विरुद्ध, उनके सदृश होगा जो द्राक्षा को रौंद रहे हैं.
וְאַתָּה֙ תִּנָּבֵ֣א אֲלֵיהֶ֔ם אֵ֥ת כָּל־הַדְּבָרִ֖ים הָאֵ֑לֶּה וְאָמַרְתָּ֣ אֲלֵיהֶ֗ם יְהוָ֞ה מִמָּרֹ֤ום יִשְׁאָג֙ וּמִמְּעֹ֤ון קָדְשֹׁו֙ יִתֵּ֣ן קֹולֹ֔ו שָׁאֹ֤ג יִשְׁאַג֙ עַל־נָוֵ֔הוּ הֵידָד֙ כְּדֹרְכִ֣ים יַֽעֲנֶ֔ה אֶ֥ל כָּל־יֹשְׁבֵ֖י הָאָֽרֶץ׃
31 पृथ्वी के छोर तक यह आवाज गूंज उठेगी, क्योंकि याहवेह ने राष्ट्रों पर आरोप लगाया है; वह सारे मनुष्यों का न्याय करने पर हैं, जहां तक बुराइयों का प्रश्न है, याहवेह ने उन्हें तलवार से घात होने के लिए तैयार कर दिया है,’” यह याहवेह की वाणी है.
בָּ֤א שָׁאֹון֙ עַד־קְצֵ֣ה הָאָ֔רֶץ כִּ֣י רִ֤יב לַֽיהוָה֙ בַּגֹּויִ֔ם נִשְׁפָּ֥ט ה֖וּא לְכָל־בָּשָׂ֑ר הָרְשָׁעִ֛ים נְתָנָ֥ם לַחֶ֖רֶב נְאֻם־יְהוָֽה׃ ס
32 सेनाओं के याहवेह की यह वाणी है: “इस ओर ध्यान दो एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र में घोर विपत्ति प्रसारित होती चली जा रही है; और पृथ्वी के दूर-दूर के क्षेत्रों से एक विशाल बवंडर स्वरूप ले रहा है.”
כֹּ֤ה אָמַר֙ יְהוָ֣ה צְבָאֹ֔ות הִנֵּ֥ה רָעָ֛ה יֹצֵ֖את מִגֹּ֣וי אֶל־גֹּ֑וי וְסַ֣עַר גָּדֹ֔ול יֵעֹ֖ור מִיַּרְכְּתֵי־אָֽרֶץ׃
33 उस अवसर पर याहवेह द्वारा घात किए हुए लोग पृथ्वी के एक छोर से दूसरे छोर तक देखे जाएंगे. उनके लिए विलाप नहीं किया जाएगा न ही उन्हें एकत्र करके गाड़ा जाएगा, वे भूमि के ऊपर मल सदृश पड़े रहेंगे.
וְהָי֞וּ חַֽלְלֵ֤י יְהוָה֙ בַּיֹּ֣ום הַה֔וּא מִקְצֵ֥ה הָאָ֖רֶץ וְעַד־קְצֵ֣ה הָאָ֑רֶץ לֹ֣א יִסָּפְד֗וּ וְלֹ֤א יֵאָֽסְפוּ֙ וְלֹ֣א יִקָּבֵ֔רוּ לְדֹ֛מֶן עַל־פְּנֵ֥י הָאֲדָמָ֖ה יִֽהְיֽוּ׃
34 चरवाहो, विलाप करो, विलाप करो; तुम जो भेड़-बकरियों के स्वामी हो, भस्म में लोटते रहो. क्योंकि तुम्हारे मारे जाने तथा तुम्हारे तितर-बितर होने के दिन आ पहुंचे हैं; तुम उत्कृष्ट बर्तन के सदृश गिरकर चूर-चूर हो जाओगे.
הֵילִ֨ילוּ הָרֹעִ֜ים וְזַעֲק֗וּ וְהִֽתְפַּלְּשׁוּ֙ אַדִּירֵ֣י הַצֹּ֔אן כִּֽי־מָלְא֥וּ יְמֵיכֶ֖ם לִטְבֹ֑וחַ וּתְפֹוצֹ֣ותִיכֶ֔ם וּנְפַלְתֶּ֖ם כִּכְלִ֥י חֶמְדָּֽה׃
35 चरवाहों के समक्ष पलायन करने का कोई स्थान न होगा, वही स्थिति होगी पशुओं के झुंड के स्वामियों की.
וְאָבַ֥ד מָנֹ֖וס מִן־הֽ͏ָרֹעִ֑ים וּפְלֵיטָ֖ה מֵאַדִּירֵ֥י הַצֹּֽאן׃
36 चरवाहों के रोने की ध्वनि सुन लो, साथ ही भेड़-बकरियों के स्वामियों का विलाप भी, क्योंकि याहवेह उनके चरवाहों को नष्ट कर रहे हैं.
קֹ֚ול צַעֲקַ֣ת הָֽרֹעִ֔ים וִֽילְלַ֖ת אַדִּירֵ֣י הַצֹּ֑אן כִּֽי־שֹׁדֵ֥ד יְהוָ֖ה אֶת־מַרְעִיתָֽם׃
37 उनकी शान्तिपूर्ण चरागाहें याहवेह के प्रचंड कोप के कारण निस्तब्ध हो गई हैं.
וְנָדַ֖מּוּ נְאֹ֣ות הַשָּׁלֹ֑ום מִפְּנֵ֖י חֲרֹ֥ון אַף־יְהוָֽה׃
38 सिंह के सदृश याहवेह अपनी मांद से निकल पड़े हैं, याहवेह के प्रचंड कोप के कारण तथा दमनकारी तलवार की प्रचंडता के कारण उनका देश भयावह हो चुका है.
עָזַ֥ב כַּכְּפִ֖יר סֻכֹּ֑ו כִּֽי־הָיְתָ֤ה אַרְצָם֙ לְשַׁמָּ֔ה מִפְּנֵי֙ חֲרֹ֣ון הַיֹּונָ֔ה וּמִפְּנֵ֖י חֲרֹ֥ון אַפֹּֽו׃ פ

< यिर्मयाह 25 >