< यिर्मयाह 21 >
1 जब राजा सीदकियाहू ने येरेमियाह के पास मालखियाह के पुत्र पशहूर तथा मआसेइयाह के पुत्र पुरोहित ज़ेफनियाह को भेजा था, येरेमियाह को यह संदेश याहवेह की ओर से भेजा गया:
Verbum, quod factum est ad Ieremiam a Domino, quando misit ad eum rex Sedechias Phassur filium Melchiae, et Sophoniam filium Maasiae sacerdotem, dicens:
2 “कृपया हमारी ओर से याहवेह से पूछताछ कर दीजिए क्योंकि बाबेल का राजा नबूकदनेज्ज़र हमारे विरुद्ध युद्ध के लिए तैयार है. संभव है याहवेह अपने सामर्थ्य में अलौकिक कार्य के प्रदर्शन के द्वारा नबूकदनेज्ज़र को पीछे हटने के लिए विवश कर दें.”
Interroga pro nobis Dominum, quia Nabuchodonosor rex Babylonis praeliatur adversum nos: si forte faciat Dominus nobiscum secundum omnia mirabilia sua, et recedat a nobis.
3 यह सुन येरेमियाह ने उन्हें उत्तर दिया, “सीदकियाहू से तुम्हें यह कहना होगा,
Et dixit Ieremias ad eos: Sic dicetis Sedechiae:
4 ‘याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर का संदेश यह है: यह देखना कि मैं उन शस्त्रों को जो इस समय तुम्हारे हाथों में हैं, जिनसे तुम बाबेल तथा कसदियों के राजा पर प्रहार करने पर हो, जिन्होंने तुम्हारी शहरपनाह के बाहर घेरा डाल रखा है, तुम्हारे ही विरुद्ध अधीन करने पर हूं. अंततः मैं नगर के मध्य में इन शस्त्रों का ढेर लगा दूंगा.
Haec dicit Dominus Deus Israel: Ecce ego convertam vasa belli, quae in manibus vestris sunt, et quibus vos pugnatis adversum regem Babylonis, et Chaldaeos, qui obsident vos in circuitu murorum: et congregabo ea in medio civitatis huius.
5 मैं स्वयं अपने क्रोध, कोप एवं उग्र आक्रोश में विस्तीर्ण शक्तिशाली भुजा के द्वारा तुमसे युद्धरत हो जाऊंगा.
Et debellabo ego vos in manu extenta, et in brachio forti, et in furore, et in indignatione, et in ira grandi.
6 मैं इस नगर के निवासियों का संहार करूंगा, चाहे वे मनुष्य हों अथवा पशु वे सभी अत्यंत विकट महामारी में नष्ट हो जाएंगे.
Et percutiam habitatores civitatis huius, homines et bestiae pestilentia magna morientur.
7 तत्पश्चात, यह याहवेह की वाणी है, मैं यहूदिया के राजा सीदकियाहू को, उसके सेवकों को, उसकी प्रजा को, यहां तक कि, जो इस नगर में महामारी, तलवार तथा अकाल से जीवित बच जाएंगे, उन्हें भी बाबेल के राजा नबूकदनेज्ज़र के, उनके शत्रुओं के तथा उनके अधीन कर दूंगा, जो उनके प्राण लेने को तैयार हैं. वह उन्हें अपनी तलवार की धार के प्रहार से वध कर देगा; न तो वह किसी को जीवित छोड़ेगा, न किसी पर कृपा करेगा और न किसी पर सहानुभूति ही प्रदर्शित करेगा.’
Et post haec ait Dominus: dabo Sedechiam regem Iuda, et servos eius, et populum eius, et qui derelicti sunt in civitate hac a peste et gladio, et fame, in manu Nabuchodonosor regis Babylonis, et in manu inimicorum eorum, et in manu quaerentium animam eorum, et percutiet eos in ore gladii, et non flectetur, neque parcet, nec miserebitur.
8 “तुम्हें इन लोगों को यह भी सूचित करना होगा, ‘याहवेह का कहना यह है: यह समझ लो, मैंने तुम्हारे समक्ष जीवन की नीति भी प्रस्तुत कर दी है तथा मृत्यु की नीति भी.
Et ad populum hunc dices: Haec dicit Dominus: Ecce ego do coram vobis viam vitae, et viam mortis.
9 वह जो इस नगर में निवास कर रहा है उसकी मृत्यु तलवार, अकाल अथवा महामारी से हो जाएगी. किंतु वह जो नगर के बाहर निकलेगा तथा कसदियों के हाथों में जा पड़ेगा जिन्होंने नगर को घेर रखा है; वह जीवित रहेगा, उसका जीवन ही उसकी लूट सामग्री सदृश उपहार प्रमाणित होगा.
Qui habitaverit in urbe hac, morietur gladio, et fame, et peste: qui autem egressus fuerit, et transfugerit ad Chaldaeos, qui obsident vos, vivet, et erit ei anima sua, quasi spolium.
10 कारण यह है कि मैंने इस नगर पर संकट लाने का निश्चय कर लिया है, कल्याण का नहीं, यह याहवेह की वाणी है. यह नगर बाबेल के राजा को सौंप दिया जाएगा, जो इसे भस्म कर डालेगा.’
Posui enim faciem meam super civitatem hanc in malum, et non in bonum, ait Dominus: in manu regis Babylonis dabitur, et exuret eam igni.
11 “तत्पश्चात यहूदिया के राजा के परिवार से यह कहना, ‘याहवेह का संदेश सुनो.
Et domui regis Iuda: Audite verba Domini,
12 दावीद वंशजों, यह याहवेह का आदेश है: “‘प्रति प्रातःकाल यह ध्यान रखना कि लोगों को निरसहायक न्याय प्राप्त हो; उस व्यक्ति को विमुक्त कर दो जिसे अत्याचारियों के दमन के कारण लूट लिया गया है, कि उनके दुष्कर्मों के कारण मेरा कोप अग्नि-सदृश प्रसार करता न जाए, वह ऐसा प्रज्वलित न हो जाए कि इसे अलग करना असंभव हो जाए.
domus David, haec dicit Dominus: Iudicate mane iudicium, et eruite vi oppressum de manu calumniantis: ne forte egrediatur ut ignis indignatio mea, et succendatur, et non sit qui extinguat propter malitiam studiorum vestrorum.
13 सुनो, घाटी के निवासियो, सुनो, चट्टानी पठार के निवासियो, अब मैं तुम्हारे विरुद्ध हूं, यह याहवेह की वाणी है— तुम लोग भी सुनो जो इस आश्वासन में संतुष्ट हो, “हम पर कौन आक्रमण कर सकता है? अथवा कौन हमारे आवास में प्रवेश कर सकता है?”
Ecce ego ad te habitatricem vallis solidae atque campestris, ait Dominus: qui dicitis: Quis percutiet nos? et quis ingredietur domos nostras?
14 किंतु मैं तुम्हारे कार्यों के परिणामों के अनुरूप ही तुम्हें दंड दूंगा, यह याहवेह की वाणी है. मैं तुम्हारे वनों में अग्नि प्रज्वलित कर दूंगा कि इसके सारे मंडल ही नष्ट हो जाएं.’”
Et visitabo super vos iuxta fructum studiorum vestrorum, dicit Dominus: et succendam ignem in saltu eius: et devorabit omnia in circuitu eius.