< यिर्मयाह 2 >
1 तब मुझे याहवेह का यह संदेश प्राप्त हुआ:
Et la parole de l’Éternel vint à moi, disant:
2 “जाओ, येरूशलेम की प्रजा के कानों में वाणी करो: “यह याहवेह का संदेश है: “‘तुम्हारे विषय में मुझे स्मरण है: जवानी की तुम्हारी निष्ठा, दुल्हिन सा तुम्हारा प्रेम और निर्जन प्रदेश में तुम्हारे द्वारा मेरा अनुसरण, ऐसे देश में, जहां बीज बोया नहीं जाता था.
Va, et crie aux oreilles de Jérusalem, disant: Ainsi dit l’Éternel: Je me souviens de toi, de la grâce de ta jeunesse, de l’amour de tes fiançailles, quand tu marchais après moi dans le désert, dans un pays non semé.
3 इस्राएल याहवेह के लिए पवित्र किया हुआ था, याहवेह की पहली उपज; जिस किसी ने इस उपज का उपभोग किया, वे दोषी हो गए; वे संकट से ग्रसित हो गए,’” यह याहवेह की वाणी है.
Israël était saint à l’Éternel, les prémices de ses fruits. Tous ceux qui le dévorent sont coupables; il viendra sur eux du mal, dit l’Éternel.
4 याकोब के वंशजों, याहवेह का संदेश सुनो, इस्राएल के सारे गोत्रों, तुम भी.
Écoutez la parole de l’Éternel, maison de Jacob, et [vous], toutes les familles de la maison d’Israël!
5 याहवेह का संदेश यह है: “तुम्हारे पूर्वजों ने मुझमें कौन सा अन्याय पाया, कि वे मुझसे दूर हो गए? निकम्मी वस्तुओं के पीछे होकर वे स्वयं निकम्मे बन गए.
Ainsi dit l’Éternel: Quelle iniquité vos pères ont-ils trouvée en moi, qu’ils se soient éloignés de moi, et soient allés après la vanité, et soient devenus vains?
6 उन्होंने यह प्रश्न ही न किया, ‘कहां हैं याहवेह, जिन्होंने हमें मिस्र देश से मुक्त किया और जो हमें निर्जन प्रदेश में होकर यहां लाया. मरुभूमि तथा गड्ढों की भूमि में से, उस भूमि में से, जहां निर्जल तथा अंधकार व्याप्त था, उस भूमि में से जिसके पार कोई नहीं गया था, जिसमें कोई निवास नहीं करता था?’
Et ils n’ont pas dit: Où est l’Éternel qui nous a fait monter du pays d’Égypte, qui nous a fait marcher dans le désert, dans un pays stérile et plein de fosses, dans un pays aride et d’ombre de mort, dans un pays où personne ne passe et où aucun homme n’habite?
7 मैं तुम्हें उपजाऊ भूमि पर ले आया कि तुम इसकी उपज का सेवन करो और इसकी उत्तम वस्तुओं का उपयोग करो. किंतु तुमने आकर मेरी भूमि को अशुद्ध कर दिया और तुमने मेरे इस निज भाग को घृणास्पद बना दिया.
Et je vous ai amenés dans un pays fertile, pour en manger les fruits et les biens; et vous y êtes venus, et vous avez rendu impur mon pays, et de mon héritage vous avez fait une abomination.
8 पुरोहितों ने यह समझने का प्रयास कभी नहीं किया, ‘याहवेह कहां हैं?’ आचार्य तो मुझे जानते ही न थे; उच्च अधिकारी ने मेरे विरोध में विद्रोह किया. भविष्यवक्ताओं ने बाल के द्वारा भविष्यवाणी की, तथा उस उपक्रम में लग गए जो निरर्थक है.
Les sacrificateurs n’ont pas dit: Où est l’Éternel? et ceux qui s’occupaient de la loi ne m’ont point connu, et les pasteurs se sont rebellés contre moi, et les prophètes ont prophétisé par Baal et ont marché après des choses qui ne profitent pas.
9 “तब मैं पुनः तुम्हारे समक्ष अपना सहायक प्रस्तुत करूंगा,” यह याहवेह की वाणी है. “मैं तुम्हारी संतान की संतान के समक्ष अपना सहायक प्रस्तुत करूंगा.
C’est pourquoi je contesterai encore avec vous, dit l’Éternel, et je contesterai avec les fils de vos fils.
10 सागर पार कर कित्तिम के तटवर्ती क्षेत्रों में देखो, किसी को केदार देश भेजकर सूक्ष्म अवलोकन करो; और ज्ञात करो कि कभी ऐसा हुआ है:
Car passez par les îles de Kittim, et voyez; et envoyez en Kédar, et considérez bien, et voyez s’il y a eu rien de tel.
11 क्या किसी राष्ट्र ने अपने देवता परिवर्तित किए हैं? (जबकि देवता कुछ भी नहीं हुआ करते.) किंतु मेरी प्रजा ने अपने गौरव का विनिमय उससे कर लिया है जो सर्वथा निरर्थक है.
Y a-t-il une nation qui ait changé de dieux? – et ce ne sont pas des dieux. Mais mon peuple a changé sa gloire contre ce qui n’est d’aucun profit.
12 आकाश, इस पर अपना भय अभिव्यक्त करो, कांप जाओ और अत्यंत सुनसान हो जाओ,” यह याहवेह की वाणी है.
Cieux, soyez étonnés de ceci, frissonnez, et soyez extrêmement confondus, dit l’Éternel.
13 “मेरी प्रजा ने दो बुराइयां की हैं: उन्होंने मुझ जीवन्त स्रोत का परित्याग कर दिया है, उन्होंने ऐसे हौद बना लिए हैं, जो टूटे हुए हैं, जो पानी को रोक नहीं सकते.
Car mon peuple a fait deux maux: ils m’ont abandonné, moi, la source des eaux vives, pour se creuser des citernes, des citernes crevassées qui ne retiennent pas l’eau.
14 क्या इस्राएल दास है, अथवा घर में ही जन्मा सेवक? तब उसका शिकार क्यों किया जा रहा है?
Israël est-il un serviteur? Est-il un [esclave] né dans la maison? Pourquoi est-il mis au pillage?
15 जवान सिंह उस पर दहाड़ते रहे हैं; अत्यंत सशक्त रही है उनकी दहाड़. उन्होंने उसके देश को उजाड़ बना दिया है; उसके नगरों को नष्ट कर दिया है और उसके नगर निर्जन रह गए हैं.
Les jeunes lions ont rugi contre lui, ils ont fait retentir leur voix, et ils ont mis son pays en désolation; ses villes sont brûlées, de sorte qu’il n’y a plus d’habitant.
16 मैमफिस तथा ताहपनहेस के लोगों ने तुम्हारी उपज की बालें नोच डाली हैं.
Même les fils de Noph et de Takhpanès te brouteront le sommet de la tête.
17 क्या यह स्वयं तुम्हारे ही द्वारा लाई हुई स्थिति नहीं है, जब याहवेह तुम्हें लेकर आ रहे थे, तुमने याहवेह अपने परमेश्वर का परित्याग कर दिया?
N’est-ce pas toi qui t’es fait cela, en ce que tu as abandonné l’Éternel, ton Dieu, dans le temps où il te faisait marcher dans le chemin?
18 किंतु अब तुम मिस्र की ओर क्यों देखते हो? नील नदी के जल पीना तुम्हारा लक्ष्य है? अथवा तुम अश्शूर के मार्ग पर क्या कर रहे हो? क्या तुम्हारा लक्ष्य है, फरात नदी के जल का सेवन करना?
Et maintenant, qu’as-tu affaire d’aller en Égypte pour boire les eaux du Shikhor? Et qu’as-tu affaire d’aller vers l’Assyrie pour boire les eaux du fleuve?
19 तुम्हारी अपनी बुराई ही तुम्हें सुधारेगी; याहवेह के प्रति श्रद्धा से तुम्हारा भटक जाना ही तुम्हें प्रताड़ित करेगा. तब यह समझ लो तथा यह बात पहचान लो याहवेह अपने परमेश्वर का परित्याग करना हानिकर एवं पीड़ादायी है, तुममें मेरे प्रति भय-भाव है ही नहीं,” यह सेनाओं के प्रभु परमेश्वर की वाणी है.
Ton iniquité te châtie, et tes rébellions te reprennent; et connais, et vois, que c’est une chose mauvaise et amère que tu aies abandonné l’Éternel, ton Dieu, et que ma crainte ne soit pas en toi, dit le Seigneur, l’Éternel des armées.
20 “वर्षों पूर्व मैंने तुम्हारा जूआ भंग कर दिया तथा तुम्हारे बंधन तोड़ डाले; किंतु तुमने कह दिया, ‘सेवा मैं नहीं करूंगा!’ क्योंकि, हर एक उच्च पर्वत पर और हर एक हरे वृक्ष के नीचे तुमने वेश्या-सदृश मेरे साथ विश्वासघात किया है.
Car d’ancienneté tu as rompu ton joug, arraché tes liens, et tu as dit: Je ne servirai pas. Car, sur toute haute colline et sous tout arbre vert tu t’inclines, tu te prostitues.
21 फिर भी मैंने तुम्हें एक उत्कृष्ट द्राक्षलता सदृश, पूर्णतः, विशुद्ध बीज सदृश रोपित किया. तब ऐसा क्या हो गया जो तुम विकृत हो गए और वन्य लता के निकृष्ट अंकुर में, परिवर्तित हो गए?
Et moi je t’avais plantée, un cep exquis, une toute vraie semence; comment t’es-tu changée pour moi en sarments dégénérés d’une vigne étrangère?
22 यद्यपि तुम साबुन के साथ स्वयं को स्वच्छ करते हो तथा भरपूरी से साबुन का प्रयोग करते हो, फिर भी तुम्हारा अधर्म मेरे समक्ष बना हुआ है,” यह प्रभु याहवेह की वाणी है.
Quand tu te laverais avec du nitre, et que tu emploierais beaucoup de potasse, ton iniquité reste marquée devant moi, dit le Seigneur, l’Éternel.
23 “तुम यह दावा कैसे कर सकते हो, ‘मैं अशुद्ध नहीं हुआ हूं; मैं बाल देवताओं के प्रति निष्ठ नहीं हुआ हूं’? उस घाटी में अपने आचार-व्यवहार को स्मरण करो; यह पहचानो कि तुम क्या कर बैठे हो. तुम तो उस ऊंटनी सदृश हो जो दिशाहीन लक्ष्य की ओर तीव्र गति से दौड़ती हुई उत्तरोत्तर उलझती जा रही है,
Comment dis-tu: Je ne me suis pas rendue impure, je n’ai pas marché après les Baals? Regarde ton chemin dans la vallée, reconnais ce que tu as fait, dromadaire légère, qui vas çà et là croisant tes chemins.
24 तुम वनों में पली-बढ़ी उस वन्य गधी के सदृश हो, जो अपनी लालसा में वायु की गंध लेती रहती है— उत्तेजना के समय में कौन उसे नियंत्रित कर सकता है? वे सब जो उसे खोजते हैं व्यर्थ न हों; उसकी उस समागम ऋतु में वे उसे पा ही लेंगे.
Ânesse sauvage accoutumée au désert, dans le désir de son âme elle hume le vent: dans son ardeur, qui la détournera? Tous ceux qui la cherchent ne se fatigueront point; ils la trouveront en son mois.
25 तुम्हारे पांव जूते-विहीन न रहें और न तुम्हारा गला प्यास से सूखने पाए. किंतु तुमने कहा, ‘निरर्थक होगा यह प्रयास! नहीं! मैंने अपरिचितों से प्रेम किया है, मैं तो उन्हीं के पास जाऊंगी.’
Retiens ton pied de se laisser déchausser; et ton gosier d’avoir soif. Mais tu dis: C’est en vain; non, car j’aime les étrangers, et j’irai après eux.
26 “जैसे चोर चोरी पकड़े जाने पर लज्जित हो जाता है, वैसे ही इस्राएल वंशज लज्जित हुए हैं— वे, उनके राजा, उनके उच्च अधिकारी, उनके पुरोहित और उनके भविष्यद्वक्ता.
Comme un voleur est confus quand il est trouvé, ainsi sera confuse la maison d’Israël, eux, leurs rois, leurs princes, et leurs sacrificateurs, et leurs prophètes;
27 वे वृक्ष से कहते हैं, ‘तुम मेरे पिता हो,’ तथा पत्थर से, ‘तुमने मुझे जन्म दिया है.’ यह इसलिये कि उन्होंने अपनी पीठ मेरी ओर कर दी है अपना मुख नहीं; किंतु अपने संकट के समय, वे कहेंगे, ‘उठिए और हमारी रक्षा कीजिए!’
ils disent à un bois: Tu es mon père; et à une pierre: Tu m’as engendré. Car ils m’ont tourné le dos, et non la face; et, dans le temps de leur malheur, ils diront: Lève-toi, et délivre-nous!
28 किंतु वे देवता जो तुमने अपने लिए निर्मित किए हैं, कहां हैं? यदि उनमें तुम्हारी रक्षा करने की क्षमता है तो वे तुम्हारे संकट के समय तैयार हो जाएं! क्योंकि यहूदिया, जितनी संख्या तुम्हारे नगरों की है उतने ही हैं तुम्हारे देवता.
Et où sont tes dieux que tu t’es faits? Qu’ils se lèvent, s’ils peuvent te sauver au temps de ton malheur! Car le nombre de tes dieux est celui de tes villes, ô Juda!
29 “तुम मुझसे वाद-विवाद क्यों कर रहे हो? तुम सभी ने मेरे विरुद्ध बलवा किया है,” यह याहवेह की वाणी है.
Pourquoi contesteriez-vous avec moi? Vous vous êtes tous rebellés contre moi, dit l’Éternel.
30 “व्यर्थ हुई मेरे द्वारा तुम्हारी संतान की ताड़ना; उन्होंने इसे स्वीकार ही नहीं किया. हिंसक सिंह सदृश तुम्हारी ही तलवार तुम्हारे भविष्यवक्ताओं को निगल कर गई.
J’ai frappé vos fils en vain, ils ne reçoivent pas la correction; votre épée a dévoré vos prophètes, comme un lion destructeur.
31 “इस पीढ़ी के लोगो, याहवेह के वचन पर ध्यान दो: “क्या इस्राएल के लिए मैं निर्जन प्रदेश सदृश रहा हूं अथवा गहन अंधकार के क्षेत्र सदृश? क्या कारण है कि मेरी प्रजा यह कहती है, ‘हम ध्यान करने के लिए स्वतंत्र हैं; क्या आवश्यकता है कि हम आपकी शरण में आएं’?
Ô génération! voyez la parole de l’Éternel! Ai-je été un désert pour Israël, ou un pays de ténèbres? Pourquoi mon peuple a-t-il dit: Nous sommes maîtres, nous ne viendrons plus à toi?
32 क्या कोई नवयुवती अपने आभूषणों की उपेक्षा कर सकती है, अथवा क्या किसी वधू के लिए उसका श्रृंगार महत्वहीन होता है? फिर भी मेरी प्रजा ने मुझे भूलना पसंद कर दिया है, वह भी दीर्घ काल से.
La vierge oublie-t-elle sa parure? l’épouse, ses atours? Mais mon peuple m’a oublié pendant des jours sans nombre.
33 अपने प्रिय बर्तन तक पहुंचने के लिए तुम कैसी कुशलतापूर्वक युक्ति कर लेते हो! तब तुमने तो बुरी स्त्रियों को भी अपनी युक्तियां सिखा दी हैं.
Comme tu es habile dans tes voies pour chercher l’amour! C’est pourquoi aussi tu as accoutumé tes voies aux choses iniques.
34 तुम्हारे वस्त्र पर तो निर्दोष गरीब का जीवन देनेवाला रक्त पाया गया है, तुम्हें तो पता ही न चला कि वे कब तुम्हारे आवास में घुस आए.
Même dans les pans de ta robe a été trouvé le sang des pauvres innocents, que tu n’avais point trouvés faisant effraction; mais [il y a été trouvé] à cause de toutes ces choses-là.
35 यह सब होने पर भी तुमने दावा किया, ‘मैं निस्सहाय हूं; निश्चय उनका क्रोध मुझ पर से टल चुका है.’ किंतु यह समझ लो कि मैं तुम्हारा न्याय कर रहा हूं क्योंकि तुमने दावा किया है, ‘मैं निस्सहाय हूं.’
Et tu dis: Oui, je suis innocente, sa colère se détournera de moi. Voici, j’entrerai en jugement avec toi sur ce que tu as dit: Je n’ai point péché.
36 तुम अपनी नीतियां परिवर्तित क्यों करते रहते हो, यह भी स्मरण रखना? तुम जिस प्रकार अश्शूर के समक्ष लज्जित हुए थे उसी प्रकार ही तुम्हें मिस्र के समक्ष भी लज्जित होना पड़ेगा.
Pourquoi te donnes-tu tant de mouvement pour changer de chemin? Tu auras honte aussi de l’Égypte, comme tu as eu honte de l’Assyrie.
37 इस स्थान से भी तुम्हें निराश होना होगा. उस समय तुम्हारे हाथ तुम्हारे सिर पर होंगे, क्योंकि जिन पर तुम्हारा भरोसा था उन्हें याहवेह ने अस्वीकृत कर दिया है; उनके साथ तुम्हारी समृद्धि संभव नहीं है.
De celle-là aussi tu sortiras avec tes mains sur ta tête, car l’Éternel a rejeté ceux en qui tu as eu confiance, et tu ne réussiras pas par eux.