< याकूब 5 >
1 अब तुम, जो धनी हो, सुनो! तुम लोग अपने पास आ रही विपत्तियों पर रोओ और करुण आवाज में सहायता की पुकार करो.
Go to now, ye rich men, weep and howl in your miseries, which shall come upon you.
2 तुम्हारी संपत्ति गल चुकीं तथा तुम्हारे वस्त्रों में कीड़े पड़ गए हैं.
Your riches are corrupted: and your garments are motheaten.
3 तुम्हारे सोने और चांदी के आभूषण के रंग उड़ गए हैं. यही उड़ी रंगत तुम्हारे विरुद्ध गवाह होगी और तुम्हारे शरीर को आग के समान राख कर देगी. यह युग का अंत है और तुम धन पर धन इकट्ठा कर रहे हो!
Your gold and silver is cankered: and the rust of them shall be for a testimony against you, and shall eat your flesh like fire. You have stored up to yourselves wrath against the last days.
4 वे मज़दूर, जिन्होंने तुम्हारे खेत काटे थे, उनका रोका गया वेतन तुम्हारे विरुद्ध पुकार-पुकारकर गवाही दे रहा है. उन मज़दूरों की दोहाई, जिन्होंने तुम्हारी उपज इकट्ठा की, स्वर्गीय सेनाओं के प्रभु के कानों तक पहुंच चुकी है.
Behold the hire of the labourers, who have reaped down your fields, which by fraud has been kept back by you, crieth: and the cry of them hath entered into the ears of the Lord of Sabaoth.
5 पृथ्वी पर तुम्हारा जीवन बहुत आरामदायक रहा है तथा यहां तुमने भोग विलास का जीवन जिया है और हृदय की अभिलाषाओं की निरंतर पूर्ति से तुम ऐसे मोटे-ताज़े हो गए हो, जैसे बलि पशु.
You have feasted upon earth: and in riotousness you have nourished your hearts, in the day of slaughter.
6 तुमने धर्मी व्यक्ति को तिरस्कार कर उसकी हत्या कर दी, जबकि वह तुम्हारा सामना नहीं कर रहा था.
You have condemned and put to death the Just One, and he resisted you not.
7 इसलिये प्रिय भाई बहनो, प्रभु के दोबारा आगमन तक धीरज रखो. एक किसान, जब तक प्रारंभिक और अंतिम वृष्टि न हो जाए, अपने खेत से कीमती उपज के लिए कैसे धीरज के साथ प्रतीक्षा करता रहता है!
Be patient therefore, brethren, until the coming of the Lord. Behold, the husbandman waiteth for the precious fruit of the earth: patiently bearing till he receive the early and latter rain.
8 तुम भी धीरज रखो, अपने हृदय को दृढ़ बनाए रखो क्योंकि प्रभु का दूसरा आगमन नज़दीक है.
Be you therefore also patient, and strengthen your hearts: for the coming of the Lord is at hand.
9 प्रिय भाई बहनो, एक दूसरे पर दोष न लगाओ कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए. वास्तव में न्यायाध्यक्ष द्वार पर आ पहुंचे हैं!
Grudge not, brethren, one against another, that you may not be judged. Behold the judge standeth before the door.
10 प्रिय भाई बहनो, उन भविष्यद्वक्ताओं को अपना आदर्श समझो, जिन्होंने प्रभु के नाम में बातें करते हुए कष्ट सहे है और धीरज बनाए रहे.
Take, my brethren, for an example of suffering evil, of labour and patience, the prophets, who spoke in the name of the Lord.
11 वे सब, जो धीरज के साथ सहते हैं, हमारी दृष्टि में प्रशंसनीय हैं. तुमने अय्योब की सहनशीलता के विषय में सुना ही है और इस विषय में प्रभु के उद्देश्य की पूर्ति से परिचित भी हो कि प्रभु करुणामय और दया के भंडार हैं.
Behold, we account them blessed who have endured. You have heard of the patience of Job, and you have seen the end of the Lord, that the Lord is merciful and compassionate.
12 प्रिय भाई बहनो, इन सबसे अधिक महत्वपूर्ण है कि तुम शपथ ही न खाओ, न तो स्वर्ग की और न ही पृथ्वी की और न ही कोई अन्य शपथ. इसके विपरीत तुम्हारी “हां” का मतलब हां हो तथा “न” का न, जिससे तुम दंड के भागी न बनो.
But above all things, my brethren, swear not, neither by heaven, nor by the earth, nor by any other oath. But let your speech be, yea, yea: no, no: that you fall not under judgment.
13 यदि तुममें से कोई मुसीबत में है, तो वह प्रार्थना करे; यदि आनंदित है, तो वह स्तुति गीत गाए.
Is any of you sad? Let him pray. Is he cheerful in mind? Let him sing.
14 यदि तुममें कोई बीमार है, तो वह कलीसिया के पुरनियों को बुलाए और वे प्रभु के नाम में उस पर तेल मलते हुए उसके लिए प्रार्थना करें.
Is any man sick among you? Let him bring in the priests of the church, and let them pray over him, anointing him with oil in the name of the Lord.
15 विश्वास से भरी प्रार्थना के द्वारा रोगी स्वस्थ हो जाएगा—प्रभु उसे स्वास्थ्य प्रदान करेंगे. यदि उसने पाप किए हैं, वे भी क्षमा कर दिए जाएंगे.
And the prayer of faith shall save the sick man: and the Lord shall raise him up: and if he be in sins, they shall be forgiven him.
16 सही है कि तुम सब एक दूसरे के सामने अपने पाप स्वीकार करो तथा एक दूसरे के लिए प्रार्थना करो, जिससे तुम स्वस्थ हो जाओ. धर्मी व्यक्ति की प्रार्थना प्रभावशाली तथा परिणामकारक होती है.
Confess therefore your sins one to another: and pray one for another, that you may be saved. For the continual prayer of a just man availeth much.
17 भविष्यद्वक्ता एलियाह हमारे ही समान मनुष्य थे. उन्होंने भक्ति के साथ प्रार्थना की कि वर्षा न हो और पृथ्वी पर तीन वर्ष छः महीने तक वर्षा नहीं हुई.
Elias was a man passible like unto us: and with prayer he prayed that it might not rain upon the earth, and it rained not for three years and six months.
18 फिर उन्होंने वर्षा के लिए प्रार्थना की और आकाश से मूसलाधार वर्षा हुई तथा पृथ्वी से उपज उत्पन्न हुई.
And he prayed again: and the heaven gave rain, and the earth brought forth her fruit.
19 मेरे प्रिय भाई बहनो, याद रखो, यदि तुममें से कोई भी सच्चाई से भटक जाए और तुममें से कोई उसे दोबारा वापस ले आए,
My brethren, if any of you err from the truth, and one convert him:
20 तब वह जो भटके हुए पापी को फेर लाता है, उसके प्राण को मृत्यु से बचाता और उसके अनेक पापों पर पर्दा डाल देता है.
He must know that he who causeth a sinner to be converted from the error of his way, shall save his soul from death, and shall cover a multitude of sins.