< यशायाह 66 >

1 याहवेह यों कहते हैं: “स्वर्ग मेरा सिंहासन है, तथा पृथ्वी मेरे चरणों की चौकी है. तुम मेरे लिये कैसा भवन बनाओगे? कहां है वह जगह जहां मैं आराम कर सकूंगा?
So spricht der Herr: "Der Himmel ist mein Thron, die Erde meiner Füße Schemel. Was für ein Haus ist das, das ihr mir bauen könntet? Was für ein Ort, der mir zur Ruhestätte paßt?
2 क्योंकि ये सब मेरे ही हाथों से बने, और ये सब मेरे ही हैं.” यह याहवेह का वचन है. “परंतु मैं उसी का ध्यान रखूंगा: जो व्यक्ति दीन और दुःखी हो, तथा जो मेरे आदेशों का पालन सच्चाई से करेगा.
Die ganze Welt hat meine Hand gemacht; mein ist das alles." - Ein Spruch des Herrn: "Ich sehe gnädig nur auf den, der demutsvoll ist und zerknirscht, der gegen meine Vorschrift Ehrfurcht hegt.
3 जो बैल की बलि करता है वह उस व्यक्ति के समान है जो किसी मनुष्य को मार डालता है, और जो मेमने की बलि चढ़ाता है वह उस व्यक्ति के समान है जो किसी कुत्ते की गर्दन काटता है; जो अन्‍नबलि चढ़ाता है वह उस व्यक्ति के समान है जो सूअर का लहू चढ़ाता है, और जो धूप जलाता है उस व्यक्ति के समान है जो किसी मूर्ति की उपासना करता है. क्योंकि उन्होंने तो अपना अपना मार्ग चुन लिया है, और वे अपने आपको संतुष्ट करते हैं;
Wer Stiere schlachtet, der erschlägt auch Männer; wer Schafe opfert, bricht auch Hunden das Genick. Wer Speiseopfer darbringt, tut es auch mit Schweineblut. Verbrennt er Weihrauch, tut er's auch zu Ehren eines Abgotts. Ja, diese haben ihre eignen Wege sich erwählt, ergötzen sich an ihren Scheusalen.
4 अतः उनके लिए दंड मैं निर्धारित करके उन्हें वही दंड दूंगा, जो उनके लिए कष्ट से भरा होगा. क्योंकि जब मैंने बुलाया, तब किसी ने उत्तर नहीं दिया, जब मैंने उनसे बात की, तब उन्होंने सुनना न चाहा. उन्होंने वही किया जो मेरी दृष्टि में बुरा है, और उन्होंने वही चुना जो मुझे अच्छा नहीं लगता.”
Und so gefällt es mir, auch ihnen übel mitzuspielen. Ich laß sie treffen, was sie fürchten. Ich rief, und niemand gab mehr Antwort; ich sprach, und niemand hörte, und sie verübten, was mir nicht gefiel. Was ich nicht wollte, wählten sie."
5 तुम सभी जो याहवेह के वचन को मानते हो सुनो: “तुम्हारे भाई बंधु जो तुमसे नफरत करते हैं, जो तुम्हें मेरे नाम के कारण अलग कर देते हैं, ‘वे यह कह रहे हैं कि याहवेह की महिमा तो बढ़े, जिससे हम देखें कि कैसा है तुम्हारा आनंद.’ किंतु वे लज्जित किए जाएंगे.
Nun hört auch ihr des Herren Wort, ihr, die ihr Ehrfurcht hegt vor seinem Worte! "So sprechen eure Brüder, die euch hassen und euch um meines Namens willen ächten: 'Mög sich der Herr verherrlichen, daß wir auch eure Freude miterleben!' Die werden recht beschämt."
6 नगर से हलचल तथा मंदिर से एक आवाज सुनाई दे रही है! यह आवाज याहवेह की है जो अपने शत्रुओं को उनके कामों का बदला दे रहे हैं.
Horch! Aus der Stadt Getöse! Vom Tempel her Getöse! Horch nur! Der Herr zahlt seinen Feinden heim.
7 “प्रसववेदना शुरू होने के पहले ही, उसका प्रसव हो गया; पीड़ा शुरू होने के पहले ही, उसे एक पुत्र पैदा हो गया.
Bevor noch Wehen kommen, ist schon die Geburt erfolgt; bevor noch Schmerzen kommen, ist der Knabe da.
8 क्या कभी किसी ने ऐसा सुना है? किसकी दृष्टि में कभी ऐसा देखा गया है? क्या यह हो सकता है कि एक ही दिन में एक देश उत्पन्‍न हो जाए? क्या यह संभव है कि एक क्षण में ही राष्ट्र बन जायें? जैसे ही ज़ियोन को प्रसव पीड़ा शुरू हुई उसने अपने पुत्रों को जन्म दे दिया.
Wer hörte je, wer sah dergleichen? Dauern Wehen für ein Land nur einen Tag? Wird sonst ein Volk in einem Augenblick geboren? Doch kaum ist Sion wehe, sind seine Kinder da.
9 क्या मैं प्रसव बिंदु तक लाकर प्रसव को रोक दूं?” याहवेह यह पूछते हैं! “अथवा क्या मैं जो गर्भ देता हूं, क्या मैं गर्भ को बंद कर दूं?” तुम्हारा परमेश्वर कहते हैं!
"Ja, sollte ich nicht zur Geburt verhelfen und gebären lassen?" So spricht der Herr. "Ja, sollte ich, der ich gebären lasse, selbst das Gebären hemmen?" So spricht dein Gott.
10 “तुम सभी जिन्हें येरूशलेम से प्रेम है, येरूशलेम के साथ खुश होओ, उसके लिए आनंद मनाओ; तुम सभी जो उसके लिए रोते थे, अब खुश हो जाओ.
Erfreut euch mit Jerusalem! Frohlocket mit ihm allesamt, die ihr es liebt! In großer Freude freuet euch mit ihm, die ihr darüber trauert!
11 कि तुम उसके सांत्वना देनेवाले स्तनों से स्तनपान कर तृप्‍त हो सको; तुम पियोगे तथा उसकी बहुतायत तुम्हारे आनंद का कारण होगा.”
Denn satt dürft ihr an seines Trostes Mutterherz euch trinken. Ihr dürfet trinken, euch erlabend, an seiner schweren Brust.
12 क्योंकि याहवेह यों कहते हैं: “तुम यह देखोगे, कि मैं उसमें शांति नदी के समान, और अन्यजातियों के धन को बाढ़ के समान बहा दूंगा; और तुम उसमें से पियोगे तथा तुम गोद में उठाए जाओगे तुम्हें घुटनों पर बैठाकर पुचकारा जाएगा.
Denn also spricht der Herr: "Ich lenke stromgleich Wohlfahrt zu ihm hin und einem Wildbach gleich der Heiden Schätze. Ja, trinken sollet ihr, getragen werden auf den Hüften und auf den Knien spielen.
13 तुम्हें मेरे द्वारा उसी तरह तसल्ली दी जाएगी, जिस तरह माता तसल्ली देती है; यह तसल्ली येरूशलेम में ही दी जाएगी.”
Wie einen Knaben, den die Mutter tröstet, so werde ich euch trösten, und in Jerusalem sollt ihr getröstet sein."
14 तुम यह सब देखोगे, तथा तुम्हारा मन आनंद से भर जाएगा और तुम्हारी हड्डियां नई घास के समान हो जाएंगी; याहवेह का हाथ उनके सेवकों पर प्रकट होगा, किंतु वह अपने शत्रुओं से क्रोधित होंगे.
Erfahrt ihr dies, alsdann erfreut sich euer Herz. Mark strömt in die Gebeine ein wie Saft in grünes Gras. Des Herren Macht wird offenbar an seinen Dienern, sein Zorn an seinen Feinden.
15 याहवेह आग में प्रकट होंगे, तथा उनके रथ आंधी के समान होंगे; उनका क्रोध जलजलाहट के साथ, तथा उनकी डांट अग्नि ज्वाला में प्रकट होगी.
Denn seht! Im Feuer kommt der Herr und seine Wagen wie im Sturme, in Hitze auszuhauchen seinen Zorn und seinen Grimm in Feuerflammen.
16 क्योंकि आग के द्वारा ही याहवेह का न्याय निष्पक्ष होगा उनकी तलवार की मार सब प्राणियों पर होगी, याहवेह द्वारा संहार किए गये अनेक होंगे.
Denn richten wird der Herr mit Feuer, mit seinem Schwerte alles Fleisch, und zahlreich sind des Herrn Erschlagene.
17 याहवेह ने कहा, “वे जो अपने आपको पवित्र और शुद्ध करते हैं ताकि वे उन बागों में जाएं, और जो छुपकर सूअर या चूहे का मांस तथा घृणित वस्तुएं खाते हैं उन सभी का अंत निश्चित है.
"Die sich in Gärten, hinter einem in der Mitte, reinigen und heiligen, die Schweinefleisch verzehren und Ungeziefer, Mäuse, sollen miteinander enden." Ein Spruch des Herrn.
18 “क्योंकि मैं, उनके काम एवं उनके विचार जानता हूं; और मैं सब देशों तथा भाषा बोलने वालों को इकट्ठा करूंगा, वे सभी आएंगे तथा वे मेरी महिमा देखेंगे.
"Ich kenne ihre Taten, ihre Pläne. Die Zeit erscheint, wo alle Heiden, alle Zungen sich versammeln. Sie kommen her und schauen meine Herrscherwürde.
19 “उनके बीच मैं एक चिन्ह प्रकट करूंगा, तथा उनमें से बचे हुओं को अन्यजातियों के पास भेजूंगा. तरशीश, पूत, लूद, मेशेख, तूबल तथा यावन के देशों में, जिन्होंने न तो मेरा नाम सुना है, न ही उन्होंने मेरे प्रताप को देखा है, वहां वे मेरी महिमा को दिखाएंगे.
Ich stelle dann ein Beispiel auf an jenen und schicke einige von ihnen, die noch übrig, zu den Heidenvölkern nach Tarsis, Phul und Lud, und zu den Bogenspannern, Tubal und zu Javan nach fernen Küstenländern, die nie etwas von mir gehört, die meine Herrlichkeit noch nie geschaut. Sie sollen meine Herrlichkeit auch bei den Heiden künden.
20 तब वे सब देशों में से तुम्हारे भाई-बन्धु याहवेह के लिए अर्पण समान अश्वों, रथों, पालकियों, खच्चरों एवं ऊंटों को लेकर येरूशलेम में मेरे पवित्र पर्वत पर आएंगे. जिस प्रकार इस्राएल वंश याहवेह के भवन में शुद्ध पात्रों में अन्‍नबलि लेकर आएंगे.” याहवेह की यही वाणी है.
Dann bringt man alle eure Brüder aus allen Heidenvölkern her als Opfergabe für den Herrn auf Rossen, Wagen und in Sänften, auf Maultieren und Dromedaren zu meinem heiligen Berge nach Jerusalem", so spricht der Herr, "so wie die Söhne Israels das Speiseopfer in reinem Topf nur in das Haus des Herrn eintragen.
21 “तब उनमें से मैं कुछ को पुरोहित तथा कुछ को लेवी होने के लिए अलग करूंगा,” यह याहवेह की घोषणा है.
Ich nehme einige von ihnen selbst zu Priestern und Leviten", so spricht der Herr.
22 “क्योंकि ठीक जिस प्रकार नया आकाश और नई पृथ्वी जो मैं बनाने पर हूं मेरे सम्मुख बनी रहेगी,” याहवेह की यही वाणी है, “उसी प्रकार तुम्हारा वंश और नाम भी बना रहेगा.
Solang der neue Himmel und die neue Erde stehn, die ich erschaffe, solange ich bestehe", ein Spruch des Herrn, "soll euer Stamm und euer Name dauern.
23 यह ऐसा होगा कि एक नये चांद से दूसरे नये चांद के दिन तक और एक विश्राम दिन से दूसरे विश्राम दिन तक सभी लोग मेरे सामने दंडवत करने आएंगे,” यह याहवेह का वचन है.
An jedem Neumond und an jedem Sabbat erscheint zur Anbetung vor mir die ganze Welt", so spricht der Herr.
24 “तब वे बाहर जाएंगे तथा उन व्यक्तियों के शवों को देखेंगे, जिन्होंने मेरे विरुद्ध अत्याचार किया था; क्योंकि उनके कीड़े नहीं मरेंगे और उनकी आग कभी न बुझेगी, वे सभी मनुष्यों के लिए घृणित बन जाएंगे.”
"Und gehen sie hinaus, dann schauen sie die Leichen derer, die mir untreu wurden, sie, deren Wurm nicht stirbt und deren Feuer nicht erlischt. Für alle Welt sind sie ein Schauder."

< यशायाह 66 >