< यशायाह 47 >

1 याहवेह कहते हैं, “बाबेल की कुंवारी बेटी, आओ, धूल में बैठ जाओ; कसदियों की बेटी सिंहासन पर नहीं, अब धूल में बैठो. क्योंकि अब तुम्हें कोई कोमल तथा सुकुमारी नहीं कहेगा.
רְדִ֣י ׀ וּשְׁבִ֣י עַל־עָפָ֗ר בְּתוּלַת֙ בַּת־בָּבֶ֔ל שְׁבִי־לָאָ֥רֶץ אֵין־כִּסֵּ֖א בַּת־כַּשְׂדִּ֑ים כִּ֣י לֹ֤א תוֹסִ֙יפִי֙ יִקְרְאוּ־לָ֔ךְ רַכָּ֖ה וַעֲנֻגָּֽה׃
2 चक्की लेकर आटा पीसो; अपना घूंघट हटा दो. बाह्य वस्त्र उतार दो, कि नंगे पैर नदियां पार कर सको.
קְחִ֥י רֵחַ֖יִם וְטַ֣חֲנִי קָ֑מַח גַּלִּ֨י צַמָּתֵ֧ךְ חֶשְׂפִּי־שֹׁ֛בֶל גַּלִּי־שׁ֖וֹק עִבְרִ֥י נְהָרֽוֹת׃
3 तुम्हारी नग्नता सामने आ जायेगी तुम्हारी लज्जा बाहर दिखेगी. मैं तुमसे बदला लूंगा; और एक भी व्यक्ति छूट न सकेगा.”
תִּגָּל֙ עֶרְוָתֵ֔ךְ גַּ֥ם תֵּרָאֶ֖ה חֶרְפָּתֵ֑ךְ נָקָ֣ם אֶקָּ֔ח וְלֹ֥א אֶפְגַּ֖ע אָדָֽם׃ ס
4 हमें छुटकारा देनेवाले का नाम है सर्वशक्तिमान याहवेह इस्राएल के पवित्र परमेश्वर है.
גֹּאֲלֵ֕נוּ יְהוָ֥ה צְבָא֖וֹת שְׁמ֑וֹ קְד֖וֹשׁ יִשְׂרָאֵֽל׃
5 “हे कसदियों की पुत्री, अंधकार में जाकर शांत बैठ जाओ; क्योंकि अब तुम महलों की रानी नहीं कहलाओगी.
שְׁבִ֥י דוּמָ֛ם וּבֹ֥אִי בַחֹ֖שֶׁךְ בַּת־כַּשְׂדִּ֑ים כִּ֣י לֹ֤א תוֹסִ֙יפִי֙ יִקְרְאוּ־לָ֔ךְ גְּבֶ֖רֶת מַמְלָכֽוֹת׃
6 मैं अपनी प्रजा से अप्रसन्‍न था, मैंने अपने निज भाग को अपवित्र किया; और तुम्हें सौंप दिया, तुमने उन पर दया नहीं की. बूढ़ों पर भारी बोझ रख दिया.
קָצַ֣פְתִּי עַל־עַמִּ֗י חִלַּ֙לְתִּי֙ נַחֲלָתִ֔י וָאֶתְּנֵ֖ם בְּיָדֵ֑ךְ לֹא־שַׂ֤מְתְּ לָהֶם֙ רַחֲמִ֔ים עַל־זָקֵ֕ן הִכְבַּ֥דְתְּ עֻלֵּ֖ךְ מְאֹֽד׃
7 फिर भी तुम ज़िद करती रही कि, ‘रानी तो सदैव मैं ही बनी रहूंगी!’ न तो तुमने इन बातों का ध्यान रखा और न ही इसके बारे में सोचा.
וַתֹּ֣אמְרִ֔י לְעוֹלָ֖ם אֶהְיֶ֣ה גְבָ֑רֶת עַ֣ד לֹא־שַׂ֥מְתְּ אֵ֙לֶּה֙ עַל־לִבֵּ֔ךְ לֹ֥א זָכַ֖רְתְּ אַחֲרִיתָֽהּ׃ ס
8 “इसलिये, अब सुन, तुम जो इस समय सुरक्षित रह रही हो, जो मन ही मन सोच रही हो कि, ‘मेरे सिवाय ऐसा कोई भी नहीं है. मैं विधवा के समान न बैठूंगी न मेरे बच्‍चे मिटेंगे.’
וְעַתָּ֞ה שִׁמְעִי־זֹ֤את עֲדִינָה֙ הַיּוֹשֶׁ֣בֶת לָבֶ֔טַח הָאֹֽמְרָה֙ בִּלְבָ֔בָהּ אֲנִ֖י וְאַפְסִ֣י ע֑וֹד לֹ֤א אֵשֵׁב֙ אַלְמָנָ֔ה וְלֹ֥א אֵדַ֖ע שְׁכֽוֹל׃
9 किंतु ये दोनों दुःख अचानक एक ही दिन में तुम पर आ पड़ेंगे: बालकों की मृत्यु तथा विधवा हो जाना. तुम्हारे अनेक टोन्हों के होने पर भी तथा जादू की शक्ति होते हुए भी यह होगा.
וְתָבֹאנָה֩ לָּ֨ךְ שְׁתֵּי־אֵ֥לֶּה רֶ֛גַע בְּי֥וֹם אֶחָ֖ד שְׁכ֣וֹל וְאַלְמֹ֑ן כְּתֻמָּם֙ בָּ֣אוּ עָלַ֔יִךְ בְּרֹ֣ב כְּשָׁפַ֔יִךְ בְּעָצְמַ֥ת חֲבָרַ֖יִךְ מְאֹֽד׃
10 अपनी गलती में सुरक्षा का अनुभव करते हुए तुमने यही सोचा कि, ‘कोई मुझे नहीं देख सकता.’ तुम्हारे ही ज्ञान तथा तुम्हारी बुद्धि ने तुम्हें भटका दिया है क्योंकि तुमने मन ही मन सोचा था, ‘मैं जो हूं, मेरे सिवाय ऐसा कोई भी नहीं है.’
וַתִּבְטְחִ֣י בְרָעָתֵ֗ךְ אָמַרְתְּ֙ אֵ֣ין רֹאָ֔נִי חָכְמָתֵ֥ךְ וְדַעְתֵּ֖ךְ הִ֣יא שׁוֹבְבָ֑תֶךְ וַתֹּאמְרִ֣י בְלִבֵּ֔ךְ אֲנִ֖י וְאַפְסִ֥י עֽוֹד׃
11 किंतु कष्ट तो तुम पर आएगा ही, अपने जादू-टोने से इसे दूर कर पाना मुश्किल होगा. तुम पर तो घोर विपत्ति टूट ही पड़ेगी जिसका सामना करना तुम्हारे लिए संभव न होगा; यह ऐसी घोर विपत्ति होगी, जिसके विषय में तुम्हें मालूम न होगा यह तुम पर अचानक आ पड़ेगी.
וּבָ֧א עָלַ֣יִךְ רָעָ֗ה לֹ֤א תֵדְעִי֙ שַׁחְרָ֔הּ וְתִפֹּ֤ל עָלַ֙יִךְ֙ הֹוָ֔ה לֹ֥א תוּכְלִ֖י כַּפְּרָ֑הּ וְתָבֹ֨א עָלַ֧יִךְ פִּתְאֹ֛ם שׁוֹאָ֖ה לֹ֥א תֵדָֽעִי׃
12 “अपने जादू-टोन्हों, जिसका तुमने बचपन से अभ्यास किया है, कदाचित उससे तुमको फायदा होगा या शायद उनके बल से स्थिर रह सकोगी!
עִמְדִי־נָ֤א בַחֲבָרַ֙יִךְ֙ וּבְרֹ֣ב כְּשָׁפַ֔יִךְ בַּאֲשֶׁ֥ר יָגַ֖עַתְּ מִנְּעוּרָ֑יִךְ אוּלַ֛י תּוּכְלִ֥י הוֹעִ֖יל אוּלַ֥י תַּעֲרֽוֹצִי׃
13 तू तो कोशिश करते-करते थक गई है, अब ज्योतिषी, जो तारों और नये चांद को देखकर होनहार बताते हैं, वे तुम्हें उससे बचाएं जो तुम पर घटने वाली है.
נִלְאֵ֖ית בְּרֹ֣ב עֲצָתָ֑יִךְ יַעַמְדוּ־נָ֨א וְיוֹשִׁיעֻ֜ךְ הֹבְרֵ֣י שָׁמַ֗יִם הַֽחֹזִים֙ בַּכּ֣וֹכָבִ֔ים מֽוֹדִיעִם֙ לֶחֳדָשִׁ֔ים מֵאֲשֶׁ֥ר יָבֹ֖אוּ עָלָֽיִךְ׃
14 देख वे भूसे के समान आग में जल जायेंगे, वे अपने आपको आग से न बचा पायेंगे. यह तापने के लिए अंगार नहीं, और न ही सेंकने के लिए आग!
הִנֵּ֨ה הָי֤וּ כְקַשׁ֙ אֵ֣שׁ שְׂרָפָ֔תַם לֹֽא־יַצִּ֥ילוּ אֶת־נַפְשָׁ֖ם מִיַּ֣ד לֶֽהָבָ֑ה אֵין־גַּחֶ֣לֶת לַחְמָ֔ם א֖וּר לָשֶׁ֥בֶת נֶגְדּֽוֹ׃
15 जिनके साथ तुम मेहनत करती रही हो— बचपन से ही जिनसे तुम्हारा लेनदेन होता रहा है. उनमें से हर एक अपने ही रास्ते पर भटक रहा है; तुम्हारी रक्षा के लिए कोई भी नहीं बचा.
כֵּ֥ן הָיוּ־לָ֖ךְ אֲשֶׁ֣ר יָגָ֑עַתְּ סֹחֲרַ֣יִךְ מִנְּעוּרַ֗יִךְ אִ֤ישׁ לְעֶבְרוֹ֙ תָּע֔וּ אֵ֖ין מוֹשִׁיעֵֽךְ׃ ס

< यशायाह 47 >