< यशायाह 42 >

1 “मेरे इस सेवक को देखो, जिससे मैं खुश हूं, वह मेरा चुना हुआ है मेरा प्रिय; उस पर मैंने अपना आत्मा रखा है, वही देशों का निष्पक्ष न्याय करेगा.
Иаков Отрок Мой, восприиму и: Израиль избранный Мой, прият Его душа Моя, дах дух Мой Нань, суд языком возвестит:
2 वह न तो चिल्लाएगा और न ऊंचे शब्द से बोलेगा, और न सड़क में उसका शब्द सुनाई देगा.
не возопиет ниже ослабит, ниже услышится вне глас Его:
3 कुचले हुए नरकट को वह तोड़ न फेंकेगा, और न ही वह टिमटिमाती बत्ती को बुझा देगा. वह सच्चाई से न्याय करेगा;
трости сокрушены не сотрет и льна курящася не угасит, но во истину изнесет суд:
4 जब तक वह न्याय को पृथ्वी पर स्थिर न करे वह न तो निराश होगा न थकेगा. द्वीप उसकी व्यवस्था की प्रतीक्षा करेंगे.”
возсияет и не потухнет, дондеже положит на земли суд, и на имя Его языцы уповати имут.
5 परमेश्वर, जो याहवेह हैं— जिन्होंने आकाश बनाया तथा पृथ्वी को बढ़ाया और फैलाया, जो पृथ्वी पर पाए जाते हैं, जिन्होंने पृथ्वी के लोगों को श्वास और जीवन उस पर चलने वालों को दिया:
Тако глаголет Господь Бог, сотворивый небо и водрузивый е, утверждей землю и яже на ней, и даяй дыхание людем, иже на ней, и дух ходящым на ней:
6 “मैं ही, वह याहवेह हूं, मैंने धर्म से तुम्हें बुलाया है; मैं तुम्हारा हाथ थाम कर तुम्हारी देखभाल करूंगा. मैं तुम्हें लोगों के लिए वाचा और देशों के लिए ज्योति ठहराऊंगा,
Аз Господь Бог призвах Тя в правде, и удержу за руку Твою и укреплю Тя: и дах Тя в завет рода Израилева, во свет языков,
7 ताकि अंधे देख पाएं, बंदी कारागार से बाहर लाया जाए जो कारागार के अंधकार में रहता है.
отверсти очи слепых, извести от уз связанныя и из дому темницы и седящыя во тме.
8 “मैं ही वह याहवेह हूं; यही मेरा नाम है! किसी और को मैं अपनी महिमा न दूंगा, और मेरी स्तुति खुदी हुई मूर्ति को न दूंगा.
Аз Господь Бог, сие Мое есть имя, славы Моея иному не дам, ниже добродетелей Моих истуканным.
9 देखो, पुरानी बातें बीत चुकी हैं, अब मैं नई बात बताता हूं. अब वे बातें पहले ही बताऊंगा जो आगे चलकर घटने वालीं हैं.”
Иже из начала, се, приидоша, и новая, яже Аз возвещу, и прежде неже возвестити, явишася вам.
10 हे समुद्र पर चलने वालो, हे समुद्र के रहनेवालो, हे द्वीपो और उनमें रहनेवालो, तुम सब याहवेह की स्तुति में एक नया गीत गाओ, पृथ्वी के छोर से उनकी स्तुति करो.
Воспойте Господеви песнь нову: началство Его, прославите имя Его от конец земли, сходящии в море и плавающии по нему, острови и живущии на них.
11 मरुस्थल एवं उसमें स्थित नगर नारे लगाओ; बस्तियां और गुफा में भी बसे हुए जय जयकार करो. सेला के निवासी नारे लगाओ; पर्वत शिखरों पर से खुशी के नारे लगाएं.
Возвеселися, пустыне, и веси ея, придвория, и живущии в Кидаре: возвеселятся живущии на камени, от края гор возопиют,
12 वे याहवेह की महिमा को प्रकट करें तथा द्वीपों में उसका गुणगान करें.
дадят Богу славу, добродетели Его во островех возвестят.
13 याहवेह वीर के समान निकलेगा, योद्धा के समान अपनी जलन दिखाएगा; वह ऊंचे शब्द से ललकारेगा और शत्रुओं पर विजयी होगा.
Господь Бог Сил изыдет и сокрушит рать, воздвигнет рвение и возопиет на враги Своя со крепостию.
14 “बहुत समय से मैंने अपने आपको चुप रखा, अपने आपको रोकता रहा. अब जच्चा के समान चिल्लाऊंगा, अब मैं हांफ रहा हूं और मेरा श्वास फूल रहा है.
Молчах, еда и всегда умолчу и потерплю? Терпех яко раждающая, истреблю и изсушу вкупе,
15 मैं पर्वतों तथा घाटियों को उजाड़ दूंगा सब हरियाली को सुखा दूंगा; नदियों को द्वीपों में बदल दूंगा तथा नालों को सुखा दूंगा.
опустошу горы и холмы, и всяку траву их изсушу, и положу реки во островы, и луги изсушу:
16 अंधों को मैं ऐसे मार्ग से ले जाऊंगा जिसे वे जानते नहीं, उन अनजान रास्तों पर मैं उन्हें अपने साथ साथ ले चलूंगा; मैं उनके अंधियारे को दूर करूंगा उनके टेढ़े रास्ते को सीधा कर दूंगा. मैं यह सब कर दिखाऊंगा; इसमें कोई कमी न होगी.
и наведу слепыя на путь, егоже не видеша, и по стезям, ихже не знаша, ходити сотворю им: сотворю им тму во свет и стропотная в правая: сия глаголголы сотворю, и не оставлю их.
17 वे बहुत लज्जित होंगे, जो मूर्तियों पर भरोसा रखते, और खुदी हुई मूर्तियों से कहते हैं, ‘तुम ही हमारे ईश्वर हो.’
Тии же возвратишася вспять: посрамитеся стыдением, уповающии на изваянная, глаголющии слиянным: вы есте бози наши.
18 “हे बहरो सुनो; हे अंधो, इधर देखो, तुम समझ सको!
Глусии, услышите, и слепии, прозрите видети.
19 कौन है अंधा, किंतु सिवाय मेरे सेवक के, अथवा कौन है बहरा, सिवाय मेरे उस भेजे हुए दूत के? अंधा कौन है जिसके साथ मैंने वाचा बांधी, अंधा कौन है सिवाय याहवेह का दास?
И кто слеп, разве раби Мои? И глуси, разве владеющии ими? И ослепоша раби Божии.
20 अनेक परिस्थितियां तुम्हारे आंखों के सामने हुईं अवश्य, किंतु तुमने उन पर ध्यान नहीं दिया; तुम्हारे कान खुले तो थे, किंतु तुमने सुना ही नहीं.”
Видесте многажды, и не сохранисте: отверсты ушы (имуще), и не слышасте.
21 याहवेह अपनी धार्मिकता के लिये अपनी व्यवस्था की प्रशंसा ज्यादा करवाना चाहा.
Господь Бог восхоте, да оправдится и возвеличит хвалу.
22 किंतु ये ऐसे लोग हैं जो लूट लिए गए हैं, तथा जिनकी वस्तुएं छीनी जा चुकी हैं और सभी गड्ढों में जा फंसे हैं, तथा सभी को जेल में बंद कर दिया गया है. वे ऐसे फंस चुके हैं, जिन्हें कोई निकाल नहीं सकता; और उनसे जो सामान लूटा गया है, उसे लौटाने को कोई नहीं कहता.
И видех, и быша людие расхищени и разграблени: пругло бо в ложах везде, и в домех вкупе, идеже скрыша я, быша в плен: и не бысть изимаяй разграбления и не бе глаголющаго: отдаждь.
23 तुममें से ऐसा कौन है, जो यह सब सुनने के लिए तैयार है? और कौन सुलझाएगा?
Кто в вас, иже внушит сия? И услышит во грядущая.
24 किसने याकोब को लुटेरों के हाथों में सौंप दिया, तथा इस्राएल को लुटेरों के अधीन कर दिया? क्या याहवेह ने यह नहीं किया, जिनके विरुद्ध हमने पाप किया है? जिसके मार्ग पर उन्होंने चलना न चाहा; और उनकी व्यवस्था का उन्होंने पालन नहीं किया.
Кто даде на разграбление Иакова, и Израиля пленяющым его? Не Бог ли, Емуже согрешиша и не восхотеша в путех Его ходити, ни слушати закона Его?
25 इस कारण याहवेह ने उन्हें अपने क्रोध की आग में, और युद्ध की भीड़ में डाल दिया. उसे चारों ओर से आग ने घेर लिया! फिर भी वह यह सब समझ न सका; इसने उसे भस्म कर दिया, तब भी उसने ध्यान नहीं दिया.
И наведе на ня гнев ярости Своея, и укрепися на ня рать, и палящии их окрест, и не уведеша кийждо их, ниже положиша на уме.

< यशायाह 42 >