< यशायाह 4 >

1 उस दिन सात स्त्रियां एक पुरुष को रोक कर कहेंगी, “हम अपने भोजन और वस्त्रों की व्यवस्था स्वयं कर लेंगी; सिर्फ हमें अपना नाम दे दो. और हमारा तिरस्कार दूर कर दो!”
Seven women shall take hold of one man in that day, saying, “We will eat our own bread, and wear our own clothing. Just let us be called by your name. Take away our reproach.”
2 उस दिन याहवेह की मनोहरता भूषण और महिमा ठहरेगी और बचे हुओं के लिए भूमि की उपज गर्व और सम्मान का विषय होगी.
In that day, the LORD’s branch will be beautiful and glorious, and the fruit of the land will be the beauty and glory of the survivors of Israel.
3 ज़ियोन के बचे हुए और येरूशलेम में, वे जो बच गए हैं, वे पवित्र कहलाएंगे, जिनका नाम जीवन की पुस्तक में लिखा गया है.
It will happen that he who is left in Zion and he who remains in Jerusalem shall be called holy, even everyone who is written among the living in Jerusalem,
4 जब प्रभु न्याय और भस्म करनेवाली आत्मा के द्वारा ज़ियोन की पुत्रियों की गंदगी धो देंगे और खून से भरे हुए येरूशलेम को दूर कर देंगे.
when the Lord shall have washed away the filth of the daughters of Zion, and shall have purged the blood of Jerusalem from within it, by the spirit of justice and by the spirit of burning.
5 तब याहवेह ज़ियोन पर्वत और सभी लोगों पर दिन के समय धुएं का बादल तथा रात में तेज आग की रोशनी दिखाएगा और इन सबके ऊपर याहवेह का तेज मंडराता रहेगा.
The LORD will create over the whole habitation of Mount Zion and over her assemblies, a cloud and smoke by day, and the shining of a flaming fire by night, for over all the glory will be a canopy.
6 दिन की उष्णता, आंधी, पानी और हवा से बचने के लिये आड़ बनकर सुरक्षित रहे.
There will be a pavilion for a shade in the daytime from the heat, and for a refuge and for a shelter from storm and from rain.

< यशायाह 4 >