< यशायाह 37 >
1 जब राजा हिज़किय्याह ने यह सब सुना, उसने अपने वस्त्र फाड़ दिए, टाट पहन लिया और याहवेह के भवन में चला गया.
καὶ ἐγένετο ἐν τῷ ἀκοῦσαι τὸν βασιλέα Εζεκιαν ἔσχισεν τὰ ἱμάτια καὶ σάκκον περιεβάλετο καὶ ἀνέβη εἰς τὸν οἶκον κυρίου
2 राजा ने गृह प्रबंधक एलियाकिम, सचिव शेबना, पुरनियों और पुरोहितों को, जो टाट धारण किए हुए थे, आमोज़ के पुत्र भविष्यद्वक्ता यशायाह के पास भेजा.
καὶ ἀπέστειλεν Ελιακιμ τὸν οἰκονόμον καὶ Σομναν τὸν γραμματέα καὶ τοὺς πρεσβυτέρους τῶν ἱερέων περιβεβλημένους σάκκους πρὸς Ησαιαν υἱὸν Αμως τὸν προφήτην
3 उन्होंने जाकर यशायाह से विनती की, “हिज़किय्याह की यह विनती है, ‘आज का दिन संकट, फटकार और अपमान का दिन है. प्रसव का समय आ पहुंचा है मगर प्रसूता में प्रसव के लिए शक्ति ही नहीं रह गई.
καὶ εἶπαν αὐτῷ τάδε λέγει Εζεκιας ἡμέρα θλίψεως καὶ ὀνειδισμοῦ καὶ ἐλεγμοῦ καὶ ὀργῆς ἡ σήμερον ἡμέρα ὅτι ἥκει ἡ ὠδὶν τῇ τικτούσῃ ἰσχὺν δὲ οὐκ ἔχει τοῦ τεκεῖν
4 संभव है याहवेह, आपके परमेश्वर राबशाकेह द्वारा कहे गए सभी शब्द सुन लें, जो उसके स्वामी, अश्शूर के राजा ने जीवित परमेश्वर की निंदा में उससे कहलवाए थे. संभव है इन शब्दों को सुनकर याहवेह, आपके परमेश्वर उसे फटकार लगाएं. इसलिये कृपा कर यहां प्रजा के बचे हुओं के लिए आकर प्रार्थना कीजिए.’”
εἰσακούσαι κύριος ὁ θεός σου τοὺς λόγους Ραψακου οὓς ἀπέστειλεν βασιλεὺς Ἀσσυρίων ὀνειδίζειν θεὸν ζῶντα καὶ ὀνειδίζειν λόγους οὓς ἤκουσεν κύριος ὁ θεός σου καὶ δεηθήσῃ πρὸς κύριον τὸν θεόν σου περὶ τῶν καταλελειμμένων τούτων
5 जब राजा हिज़किय्याह के सेवक यशायाह के पास पहुंचे,
καὶ ἦλθον οἱ παῖδες τοῦ βασιλέως πρὸς Ησαιαν
6 यशायाह ने उनसे कहा, “अपने स्वामी से कहना, ‘याहवेह का संदेश यह है, उन शब्दों के कारण जो तुमने सुने हैं, जिनके द्वारा अश्शूर के राजा के सेवकों ने मेरी निंदा की है, तुम डरना मत.
καὶ εἶπεν αὐτοῖς Ησαιας οὕτως ἐρεῖτε πρὸς τὸν κύριον ὑμῶν τάδε λέγει κύριος μὴ φοβηθῇς ἀπὸ τῶν λόγων ὧν ἤκουσας οὓς ὠνείδισάν με οἱ πρέσβεις βασιλέως Ἀσσυρίων
7 तुम देख लेना मैं उसमें एक ऐसी आत्मा ड़ाल दूंगा कि उसे उड़ते-उड़ते समाचार सुनाई देने लगेंगे और वह अपने देश को लौट जाएगा और ऐसा कुछ करूंगा कि वह अपने ही देश में तलवार का कौर हो जाएगा.’”
ἰδοὺ ἐγὼ ἐμβαλῶ εἰς αὐτὸν πνεῦμα καὶ ἀκούσας ἀγγελίαν ἀποστραφήσεται εἰς τὴν χώραν αὐτοῦ καὶ πεσεῖται μαχαίρᾳ ἐν τῇ γῇ αὐτοῦ
8 जब प्रमुख सेनापति अपने देश लौटा, उसने पाया कि अश्शूर राजा लाकीश छोड़कर जा चुका था और वह लिबनाह से युद्ध कर रहा था.
καὶ ἀπέστρεψεν Ραψακης καὶ κατέλαβεν πολιορκοῦντα τὸν βασιλέα Λομναν καὶ ἤκουσεν βασιλεὺς Ἀσσυρίων ὅτι
9 जब सेनहेरीब ने कूश के राजा तिरहाकाह से यह सुना कि वह तुमसे युद्ध करने निकल पड़ा है तब उसने अपने दूत हिज़किय्याह के पास यह कहकर भेजा:
ἐξῆλθεν Θαρακα βασιλεὺς Αἰθιόπων πολιορκῆσαι αὐτόν καὶ ἀκούσας ἀπέστρεψεν καὶ ἀπέστειλεν ἀγγέλους πρὸς Εζεκιαν λέγων
10 “तुम यहूदिया के राजा हिज़किय्याह से यह कहना, ‘जिस परमेश्वर पर तुम भरोसा करते हो, वह तुमसे यह प्रतिज्ञा करते हुए छल न करने पाए, कि येरूशलेम अश्शूर के राजा के अधीन नहीं किया जाएगा.
οὕτως ἐρεῖτε Εζεκια βασιλεῖ τῆς Ιουδαίας μή σε ἀπατάτω ὁ θεός σου ἐφ’ ᾧ πεποιθὼς εἶ ἐπ’ αὐτῷ λέγων οὐ μὴ παραδοθῇ Ιερουσαλημ εἰς χεῖρας βασιλέως Ἀσσυρίων
11 तुम यह सुन ही चुके हो, कि अश्शूर के राजाओं ने सारे राष्ट्रों को कैसे नाश कर दिया है. क्या तुम बचकर सुरक्षित रह सकोगे?
ἢ οὐκ ἤκουσας ἃ ἐποίησαν βασιλεῖς Ἀσσυρίων πᾶσαν τὴν γῆν ὡς ἀπώλεσαν
12 जब मेरे पूर्वजों ने गोज़ान, हारान, रेत्सेफ़ और तेलास्सार में एदेन की प्रजा को खत्म कर डाला था, क्या उनके देवता उनको बचा सके थे?
μὴ ἐρρύσαντο αὐτοὺς οἱ θεοὶ τῶν ἐθνῶν οὓς οἱ πατέρες μου ἀπώλεσαν τήν τε Γωζαν καὶ Χαρραν καὶ Ραφες αἵ εἰσιν ἐν χώρᾳ Θεμαδ
13 कहां है हामाथ का राजा, अरपाद का राजा, सेफरवाइम नगर का राजा और हेना और इव्वाह के राजा?’”
ποῦ εἰσιν οἱ βασιλεῖς Αιμαθ καὶ Αρφαθ καὶ πόλεως Σεπφαριμ Αναγ Ουγαυα
14 इसके बाद हिज़किय्याह ने उन पत्र ले आनेवाले दूतों से वह पत्र लेकर उसे पढ़ा और याहवेह के भवन को चला गया और उस पत्र को खोलकर याहवेह के सामने रख दिया.
καὶ ἔλαβεν Εζεκιας τὸ βιβλίον παρὰ τῶν ἀγγέλων καὶ ἤνοιξεν αὐτὸ ἐναντίον κυρίου
15 हिज़किय्याह ने याहवेह से यह प्रार्थना की:
καὶ προσεύξατο Εζεκιας πρὸς κύριον λέγων
16 “सर्वशक्तिमान याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर, आप, जो करूबों से भी ऊपर सिंहासन पर विराजमान हैं. परमेश्वर आप ही ने स्वर्ग और पृथ्वी को बनाया.
κύριε σαβαωθ ὁ θεὸς Ισραηλ ὁ καθήμενος ἐπὶ τῶν χερουβιν σὺ θεὸς μόνος εἶ πάσης βασιλείας τῆς οἰκουμένης σὺ ἐποίησας τὸν οὐρανὸν καὶ τὴν γῆν
17 अपने कान मेरी ओर कीजिए, याहवेह, मेरी प्रार्थना सुन लीजिए. अपनी आंखें खोल दीजिए और याहवेह, देख लीजिए और उन शब्दों को सुन लीजिए, जो सेनहेरीब ने जीवित परमेश्वर का मज़ाक उड़ाते हुए कहे हैं.
εἰσάκουσον κύριε εἴσβλεψον κύριε καὶ ἰδὲ τοὺς λόγους οὓς ἀπέστειλεν Σενναχηριμ ὀνειδίζειν θεὸν ζῶντα
18 “याहवेह, यह सच है कि अश्शूर के राजाओं ने राष्ट्रों को और उनकी भूमि को उजाड़ कर छोड़ा हैं.
ἐπ’ ἀληθείας γὰρ ἠρήμωσαν βασιλεῖς Ἀσσυρίων τὴν οἰκουμένην ὅλην καὶ τὴν χώραν αὐτῶν
19 और उनके देवताओं को आग में डाल दिया है, सिर्फ इसलिये कि वे देवता थे ही नहीं, वे तो सिर्फ मनुष्य के बनाए हुए थे, सिर्फ लकड़ी और पत्थर. इसलिये वे नाश कर दिए गए.
καὶ ἐνέβαλον τὰ εἴδωλα αὐτῶν εἰς τὸ πῦρ οὐ γὰρ θεοὶ ἦσαν ἀλλὰ ἔργα χειρῶν ἀνθρώπων ξύλα καὶ λίθοι καὶ ἀπώλεσαν αὐτούς
20 अब, हे याहवेह, हमारे परमेश्वर, हमें उनके हाथ से बचा ताकि पूरी पृथ्वी को यह मालूम हो जाए कि याहवेह, केवल आप ही परमेश्वर हैं.”
σὺ δέ κύριε ὁ θεὸς ἡμῶν σῶσον ἡμᾶς ἐκ χειρὸς αὐτῶν ἵνα γνῷ πᾶσα βασιλεία τῆς γῆς ὅτι σὺ εἶ ὁ θεὸς μόνος
21 तब आमोज़ के पुत्र यशायाह ने हिज़किय्याह को यह संदेश भेजा: “याहवेह, इस्राएल का परमेश्वर यों कहते हैं; इसलिये कि तुमने अश्शूर के राजा सेनहेरीब के संबंध में मुझसे विनती की.
καὶ ἀπεστάλη Ησαιας υἱὸς Αμως πρὸς Εζεκιαν καὶ εἶπεν αὐτῷ τάδε λέγει κύριος ὁ θεὸς Ισραηλ ἤκουσα ἃ προσηύξω πρός με περὶ Σενναχηριμ βασιλέως Ἀσσυρίων
22 उसके विरुद्ध कहे गए याहवेह के शब्द ये है: “ज़ियोन की कुंवारी कन्या ने तुम्हें तुच्छ समझा है, तुम्हारा मज़ाक उड़ाया है. येरूशलेम की पुत्री तुम्हारी पीठ पीछे सिर हिलाती है.
οὗτος ὁ λόγος ὃν ἐλάλησεν περὶ αὐτοῦ ὁ θεός ἐφαύλισέν σε καὶ ἐμυκτήρισέν σε παρθένος θυγάτηρ Σιων ἐπὶ σοὶ κεφαλὴν ἐκίνησεν θυγάτηρ Ιερουσαλημ
23 तुमने किसका अपमान और निंदा की है? किसके विरुद्ध तुमने आवाज ऊंची की है? और किसके विरुद्ध तुम्हारी दृष्टि घमण्ड़ से उठी है? इस्राएल के महा पवित्र की ओर!
τίνα ὠνείδισας καὶ παρώξυνας ἢ πρὸς τίνα ὕψωσας τὴν φωνήν σου καὶ οὐκ ἦρας εἰς ὕψος τοὺς ὀφθαλμούς σου εἰς τὸν ἅγιον τοῦ Ισραηλ
24 तुमने अपने दूतों के द्वारा याहवेह की निंदा की है. तुमने कहा, ‘अपने रथों की बड़ी संख्या लेकर मैं पहाड़ों की ऊंचाइयों पर चढ़ आया हूं, हां, लबानोन के दुर्गम, दूर के स्थानों तक; मैंने सबसे ऊंचे देवदार के पेड़ काट गिराए हैं, इसके सबसे उत्तम सनोवरों को भी; मैंने इसके दूर-दूर के घरों में प्रवेश किया, हां, इसके घने वनों में भी.
ὅτι δῑ ἀγγέλων ὠνείδισας κύριον σὺ γὰρ εἶπας τῷ πλήθει τῶν ἁρμάτων ἐγὼ ἀνέβην εἰς ὕψος ὀρέων καὶ εἰς τὰ ἔσχατα τοῦ Λιβάνου καὶ ἔκοψα τὸ ὕψος τῆς κέδρου αὐτοῦ καὶ τὸ κάλλος τῆς κυπαρίσσου καὶ εἰσῆλθον εἰς ὕψος μέρους τοῦ δρυμοῦ
25 मैंने कुएं खोदे और परदेश का जल पिया, अपने पांवों के तलवों से मैंने मिस्र की सभी नदियां सुखा दीं.’
καὶ ἔθηκα γέφυραν καὶ ἠρήμωσα ὕδατα καὶ πᾶσαν συναγωγὴν ὕδατος
26 “‘क्या तुमने सुना नहीं? इसका निश्चय मैंने बहुत साल पहले कर लिया था? इसकी योजना मैंने बहुत पहले ही बना ली थी, जिसको मैं अब पूरा कर रहा हूं, कि तुम गढ़ नगरों को खंडहरों का ढेर बना दो.
οὐ ταῦτα ἤκουσας πάλαι ἃ ἐγὼ ἐποίησα ἐξ ἀρχαίων ἡμερῶν συνέταξα νῦν δὲ ἐπέδειξα ἐξερημῶσαι ἔθνη ἐν ὀχυροῖς καὶ ἐνοικοῦντας ἐν πόλεσιν ὀχυραῖς
27 तब जब नगरवासियों का बल जाता रहा, उनमें निराशा और लज्जा फैल गई. वे मैदान की वनस्पति और जड़ी-बूटी के समान हरे हो गए. वैसे ही, जैसे छत पर उग आई घास बढ़ने के पहले ही मुरझा जाती है.
ἀνῆκα τὰς χεῖρας καὶ ἐξηράνθησαν καὶ ἐγένοντο ὡς χόρτος ξηρὸς ἐπὶ δωμάτων καὶ ὡς ἄγρωστις
28 “‘मगर तुम्हारा उठना-बैठना मेरी दृष्टि में है, तुम्हारा भीतर आना और बाहर जाना भी और मेरे विरुद्ध तुम्हारा तेज गुस्सा भी!
νῦν δὲ τὴν ἀνάπαυσίν σου καὶ τὴν ἔξοδόν σου καὶ τὴν εἴσοδόν σου ἐγὼ ἐπίσταμαι
29 मेरे विरुद्ध तुम्हारे तेज गुस्से के कारण और इसलिये कि मैंने तुम्हारे घमण्ड़ के विषय में सुन लिया है, मैं तुम्हारी नाक में अपनी नकेल डालूंगा और तुम्हारे मुख में लगाम और तब मैं तुम्हें मोड़कर उसी मार्ग पर चलाऊंगा जिससे तुम आए थे.’
ὁ δὲ θυμός σου ὃν ἐθυμώθης καὶ ἡ πικρία σου ἀνέβη πρός με καὶ ἐμβαλῶ φιμὸν εἰς τὴν ῥῖνά σου καὶ χαλινὸν εἰς τὰ χείλη σου καὶ ἀποστρέψω σε τῇ ὁδῷ ᾗ ἦλθες ἐν αὐτῇ
30 “तब तुम्हारे लिए यह चिन्ह होगा: “इस साल तुम्हारा भोजन उस उपज का होगा, जो अपने आप उगती है; अगले साल वह, जो इसी से उपजेगी; तीसरे साल तुम बीज बोओगे, उपज काटोगे, अंगूर के बगीचे लगाओगे और उनके फल खाओगे.
τοῦτο δέ σοι τὸ σημεῖον φάγε τοῦτον τὸν ἐνιαυτὸν ἃ ἔσπαρκας τῷ δὲ ἐνιαυτῷ τῷ δευτέρῳ τὸ κατάλειμμα τῷ δὲ τρίτῳ σπείραντες ἀμήσατε καὶ φυτεύσατε ἀμπελῶνας καὶ φάγεσθε τὸν καρπὸν αὐτῶν
31 तब यहूदाह गोत्र का बचा हुआ भाग दोबारा अपनी जड़ें भूमि में गहरे जा मजबूत करता जाएगा और ऊपर वृक्ष फलवंत होता जाएगा.
καὶ ἔσονται οἱ καταλελειμμένοι ἐν τῇ Ιουδαίᾳ φυήσουσιν ῥίζαν κάτω καὶ ποιήσουσιν σπέρμα ἄνω
32 क्योंकि येरूशलेम से एक बचा हुआ भाग ही विकसित होगा, और ज़ियोन पर्वत से भागे हुए लोग. सेनाओं के याहवेह अपनी जलन के कारण ऐसा करेंगे.
ὅτι ἐξ Ιερουσαλημ ἐξελεύσονται οἱ καταλελειμμένοι καὶ οἱ σῳζόμενοι ἐξ ὄρους Σιων ὁ ζῆλος κυρίου σαβαωθ ποιήσει ταῦτα
33 “इसलिये अश्शूर के राजा के बारे में याहवेह का यह संदेश है: “वह न तो इस नगर में प्रवेश करेगा, न वह वहां बाण चलाएगा. न वह इसके सामने ढाल लेकर आएगा और न ही वह इसकी घेराबंदी के लिए ढलान ही बना पाएगा.
διὰ τοῦτο οὕτως λέγει κύριος ἐπὶ βασιλέα Ἀσσυρίων οὐ μὴ εἰσέλθῃ εἰς τὴν πόλιν ταύτην οὐδὲ μὴ βάλῃ ἐπ’ αὐτὴν βέλος οὐδὲ μὴ ἐπιβάλῃ ἐπ’ αὐτὴν θυρεὸν οὐδὲ μὴ κυκλώσῃ ἐπ’ αὐτὴν χάρακα
34 वह तो उसी मार्ग से लौट जाएगा जिससे वह आया था. वह इस नगर में प्रवेश ही न करेगा.” यह याहवेह का संदेश है.
ἀλλὰ τῇ ὁδῷ ᾗ ἦλθεν ἐν αὐτῇ ἀποστραφήσεται τάδε λέγει κύριος
35 “क्योंकि अपनी और अपने सेवक दावीद की महिमा के लिए मैं इसके नगर की रक्षा करूंगा!”
ὑπερασπιῶ ὑπὲρ τῆς πόλεως ταύτης τοῦ σῶσαι αὐτὴν δῑ ἐμὲ καὶ διὰ Δαυιδ τὸν παῖδά μου
36 उसी रात ऐसा हुआ कि याहवेह के एक स्वर्गदूत ने अश्शूरी सेना के शिविर में जाकर एक लाख पचासी हज़ार सैनिकों को मार दिया. सुबह जागने पर लोगों ने पाया कि सारे सैनिक मर चुके थे.
καὶ ἐξῆλθεν ἄγγελος κυρίου καὶ ἀνεῖλεν ἐκ τῆς παρεμβολῆς τῶν Ἀσσυρίων ἑκατὸν ὀγδοήκοντα πέντε χιλιάδας καὶ ἐξαναστάντες τὸ πρωὶ εὗρον πάντα τὰ σώματα νεκρά
37 यह होने पर अश्शूर का राजा सेनहेरीब अपने देश लौट गया और नीनवेह नगर में रहने लगा.
καὶ ἀποστραφεὶς ἀπῆλθεν βασιλεὺς Ἀσσυρίων καὶ ᾤκησεν ἐν Νινευη
38 एक बार, जब वह अपने देवता निसरोक के भवन में उसकी उपासना कर रहा था, उसी के पुत्रों, अद्राम्मेलेख और शारेज़र ने तलवार से उस पर वार किया और वे अरारात प्रदेश में जाकर छिप गए. उसके स्थान पर उसके पुत्र एसारहद्दन ने शासन करना शुरू किया.
καὶ ἐν τῷ αὐτὸν προσκυνεῖν ἐν τῷ οἴκῳ Νασαραχ τὸν παταχρον αὐτοῦ Αδραμελεχ καὶ Σαρασαρ οἱ υἱοὶ αὐτοῦ ἐπάταξαν αὐτὸν μαχαίραις αὐτοὶ δὲ διεσώθησαν εἰς Ἀρμενίαν καὶ ἐβασίλευσεν Ασορδαν ὁ υἱὸς αὐτοῦ ἀντ’ αὐτοῦ