< यशायाह 32 >
1 देखो, राजा धर्म से शासन करेंगे और अधिकारी न्याय से शासन करेंगे.
Behold, a king shall reign in righteousness, and princes shall rule in judgment.
2 सब मानो आंधी से छिपने का स्थान और बौछार के लिये आड़ के समान होगा, मरुभूमि में झरने एक विशाल चट्टान की छाया के समान होंगे.
And a man shall be as an hiding place from the wind, and a covert from the tempest; as rivers of water in a dry place, as the shadow of a great rock in a weary land.
3 तब जो देखते हैं, उनकी आंख कमजोर न होगी, और जो सुनते हैं वे सुनेंगे.
And the eyes of them that see shall not be dim, and the ears of them that hear shall hearken.
4 उतावले लोगों के मन ज्ञान की बातें समझेंगे, और जो हकलाते हैं वे साफ़ बोलेंगे.
The heart also of the rash shall understand knowledge, and the tongue of the stammerers shall be ready to speak plainly.
5 मूर्ख फिर उदार न कहलायेगा न कंजूस दानी कहलायेगा.
The vile person shall be no more called liberal, nor the churl said to be bountiful.
6 क्योंकि एक मूर्ख मूढ़ता की बातें ही करता है, और उसका मन व्यर्थ बातों पर ही लगा रहता है: वह कपट और याहवेह के विषय में झूठ बोलता है जिससे वह भूखे को भूखा और प्यासे को प्यासा ही रख सके.
For the vile person will speak villany, and his heart will work iniquity, to practise hypocrisy, and to utter error against YHWH, to make empty the soul of the hungry, and he will cause the drink of the thirsty to fail.
7 दुष्ट गलत बात सोचता है, और सीधे लोगों को भी अपनी बातों में फंसा देता है.
The instruments also of the churl are evil: he deviseth wicked devices to destroy the poor with lying words, even when the needy speaketh right.
8 किंतु सच्चा व्यक्ति तो अच्छा ही करता है, और अच्छाईयों पर स्थिर रहता है.
But the liberal deviseth liberal things; and by liberal things shall he stand.
9 हे आलसी स्त्रियों तुम जो निश्चिंत हो, मेरी बात को सुनो; हे निश्चिंत पुत्रियो उठो, मेरे वचन पर ध्यान दो!
Rise up, ye women that are at ease; hear my voice, ye careless daughters; give ear unto my speech.
10 हे निश्चिंत पुत्रियो एक वर्ष और कुछ ही दिनों में तुम व्याकुल कर दी जाओगी; क्योंकि दाख का समय खत्म हो गया है, और फल एकत्र नहीं किए जाएंगे.
Many days and years shall ye be troubled, ye careless women: for the vintage shall fail, the gathering shall not come.
11 हे निश्चिंत स्त्रियो, कांपो; कांपो, हे निश्चिंत पुत्रियो! अपने वस्त्र उतारकर अपनी कमर पर टाट बांध लो.
Tremble, ye women that are at ease; be troubled, ye careless ones: strip you, and make you bare, and gird sackcloth upon your loins.
12 अच्छे खेतों के लिए और फलदार अंगूर के लिये रोओ,
They shall lament for the teats, for the pleasant fields, for the fruitful vine.
13 क्योंकि मेरी प्रजा, जो बहुत खुश और आनंदित है, उनके खेत में झाड़ और कांटे उग रहे हैं.
Upon the land of my people shall come up thorns and briers; yea, upon all the houses of joy in the joyous city:
14 क्योंकि राजमहल छोड़ दिया जायेगा, और नगर सुनसान हो जायेगा; पर्वत और उनके पहरेदारों के घर जहां है, वहां जंगली गधे मौज करेंगे, पालतू पशुओं की चराई बन जाएंगे.
Because the palaces shall be forsaken; the multitude of the city shall be left; the forts and towers shall be for dens for ever, a joy of wild asses, a pasture of flocks;
15 जब तक हम पर ऊपर से आत्मा न उंडेला जाए, और मरुभूमि फलदायक खेत न बन जाए, और फलदायक खेत वन न बन जाए.
Until the spirit be poured upon us from on high, and the wilderness be a fruitful field, and the fruitful field be counted for a forest.
16 तब तक उस बंजर भूमि में याहवेह का न्याय रहेगा, और फलदायक खेत में धर्म रहेगा.
Then judgment shall dwell in the wilderness, and righteousness remain in the fruitful field.
17 धार्मिकता का फल है शांति, उसका परिणाम चैन; और हमेशा के लिए साहस!
And the work of righteousness shall be peace; and the effect of righteousness quietness and assurance for ever.
18 तब मेरे लोग शांति से, और सुरक्षित एवं स्थिर रहेंगे.
And my people shall dwell in a peaceable habitation, and in sure dwellings, and in quiet resting places;
19 और वन विनाश होगा और उस नगर का घमंड चूर-चूर किया जाएगा,
When it shall hail, coming down on the forest; and the city shall be low in a low place.
20 क्या ही धन्य हो तुम, जो जल के स्रोतों के पास बीज बोते हो, और गधे और बैल को आज़ादी से चराते हो.
Blessed are ye that sow beside all waters, that send forth thither the feet of the ox and the ass.