< यशायाह 30 >

1 याहवेह ने कहा, “हाय उन विद्रोही लड़कों पर! वे योजनाएं बनाते हैं किंतु मेरी सहायता से नहीं, वाचा तो बांधते हैं, परंतु मेरी आत्मा से नहीं. इस प्रकार वे पाप करते हैं;
ה֣וֹי בָּנִ֤ים סֽוֹרְרִים֙ נְאֻם־יְהוָ֔ה לַעֲשׂ֤וֹת עֵצָה֙ וְלֹ֣א מִנִּ֔י וְלִנְסֹ֥ךְ מַסֵּכָ֖ה וְלֹ֣א רוּחִ֑י לְמַ֛עַן סְפ֥וֹת חַטָּ֖את עַל־חַטָּֽאת׃
2 वे मुझसे बिना पूछे मिस्र जाते हैं; कि फ़रोह के साथ में रहे और मिस्र की छाया की शरण लें.
הַהֹלְכִים֙ לָרֶ֣דֶת מִצְרַ֔יִם וּפִ֖י לֹ֣א שָׁאָ֑לוּ לָעוֹז֙ בְּמָע֣וֹז פַּרְעֹ֔ה וְלַחְס֖וֹת בְּצֵ֥ל מִצְרָֽיִם׃
3 इस कारण फ़रोह की सुरक्षा ही तुम्हारी लज्जा का कारण, और मिस्र की छाया की शरण तुम्हारा अपमान होगी.
וְהָיָ֥ה לָכֶ֛ם מָע֥וֹז פַּרְעֹ֖ה לְבֹ֑שֶׁת וְהֶחָס֥וּת בְּצֵל־מִצְרַ֖יִם לִכְלִמָּֽה׃
4 क्योंकि उनके अधिकारी ज़ोअन में हैं और उनके संदेश देनेवाले हानेस तक आ पहुंचे हैं,
כִּֽי־הָי֥וּ בְצֹ֖עַן שָׂרָ֑יו וּמַלְאָכָ֖יו חָנֵ֥ס יַגִּֽיעוּ׃
5 हर व्यक्ति को उन लोगों के कारण लज्जित किया जाएगा जिनसे उन्हें कोई लाभ नहीं है, ये वे हैं जो किसी लाभ या सहायता के लिए नहीं, बल्कि लज्जा और अपमान करने के लिए ही है.”
כֹּ֣ל הבאיש עַל־עַ֖ם לֹא־יוֹעִ֣ילוּ לָ֑מוֹ לֹ֤א לְעֵ֙זֶר֙ וְלֹ֣א לְהוֹעִ֔יל כִּ֥י לְבֹ֖שֶׁת וְגַם־לְחֶרְפָּֽה׃ ס
6 नेगेव के पशु के बारे में कहा कि; विपत्ति और वेदना के देश से होकर, जहां से सिंह और सिंहनी, सांप और वे सांप जो उड़ते हैं, वे अपनी धन-संपत्ति अपने गधों पर और अपना खजाना ऊंटों पर, रखकर उन लोगों के पास ले जाते हैं, जिनसे उनको कोई फायदा नहीं,
מַשָּׂ֖א בַּהֲמ֣וֹת נֶ֑גֶב בְּאֶרֶץ֩ צָרָ֨ה וְצוּקָ֜ה לָבִ֧יא וָלַ֣יִשׁ מֵהֶ֗ם אֶפְעֶה֙ וְשָׂרָ֣ף מְעוֹפֵ֔ף יִשְׂאוּ֩ עַל־כֶּ֨תֶף עֲיָרִ֜ים חֵֽילֵהֶ֗ם וְעַל־דַּבֶּ֤שֶׁת גְּמַלִּים֙ אֽוֹצְרֹתָ֔ם עַל־עַ֖ם לֹ֥א יוֹעִֽילוּ׃
7 मिस्र की सहायता व्यर्थ और झूठी है. इसलिये मैंने उसका नाम राहाब जो व्यर्थ रखा है.
וּמִצְרַ֕יִם הֶ֥בֶל וָרִ֖יק יַעְזֹ֑רוּ לָכֵן֙ קָרָ֣אתִי לָזֹ֔את רַ֥הַב הֵ֖ם שָֽׁבֶת׃
8 अब जाओ, इस बात को उनके सामने एक पत्थर पर खोदकर, और एक पुस्तक में लिखकर दो, जिससे यह संदेश हमेशा के लिए एक साक्ष्य रहे.
עַתָּ֗ה בּ֣וֹא כָתְבָ֥הּ עַל־ל֛וּחַ אִתָּ֖ם וְעַל־סֵ֣פֶר חֻקָּ֑הּ וּתְהִי֙ לְי֣וֹם אַחֲר֔וֹן לָעַ֖ד עַד־עוֹלָֽם׃
9 क्योंकि यह एक विद्रोही प्रजा, धोखेबाज संतान है, वह संतान जो याहवेह की आज्ञा को नहीं मानती है.
כִּ֣י עַ֤ם מְרִי֙ ה֔וּא בָּנִ֖ים כֶּחָשִׁ֑ים בָּנִ֕ים לֹֽא־אָב֥וּ שְׁמ֖וֹעַ תּוֹרַ֥ת יְהוָֽה׃
10 कौन दर्शकों को कहता है, “तुम दर्शन मत देखो!” भविष्यवक्ताओं से, “तुम हमें इस विषय में भविष्यवाणी मत बताओ कि सही क्या है और हमसे चिकनी-चुपड़ी बातें करो, झूठी भविष्यवाणी करो.
אֲשֶׁ֨ר אָמְר֤וּ לָֽרֹאִים֙ לֹ֣א תִרְא֔וּ וְלַ֣חֹזִ֔ים לֹ֥א תֶחֱזוּ־לָ֖נוּ נְכֹח֑וֹת דַּבְּרוּ־לָ֣נוּ חֲלָק֔וֹת חֲז֖וּ מַהֲתַלּֽוֹת׃
11 तुम रास्ता छोड़ दो, मार्ग से हट जाओ, इस्राएल के पवित्र परमेश्वर के विषय में और कुछ न सुनाओ!”
ס֚וּרוּ מִנֵּי־דֶ֔רֶךְ הַטּ֖וּ מִנֵּי־אֹ֑רַח הַשְׁבִּ֥יתוּ מִפָּנֵ֖ינוּ אֶת־קְד֥וֹשׁ יִשְׂרָאֵֽל׃ ס
12 इस कारण इस्राएल के पवित्र परमेश्वर ने कहा: “क्योंकि तुमने इस बात को नहीं माना और तुमने विश्वास झूठ और कपट में किया है और तुम उन्हीं पर आश्रित रहे हो,
לָכֵ֗ן כֹּ֤ה אָמַר֙ קְד֣וֹשׁ יִשְׂרָאֵ֔ל יַ֥עַן מָֽאָסְכֶ֖ם בַּדָּבָ֣ר הַזֶּ֑ה וַֽתִּבְטְחוּ֙ בְּעֹ֣שֶׁק וְנָל֔וֹז וַתִּֽשָּׁעֲנ֖וּ עָלָֽיו׃
13 इसलिये यह अपराध तुम्हारे ऊपर ऐसे आया, जैसे एक दीवार टूटकर अचानक गिर जाती है.
לָכֵ֗ן יִֽהְיֶ֤ה לָכֶם֙ הֶעָוֺ֣ן הַזֶּ֔ה כְּפֶ֣רֶץ נֹפֵ֔ל נִבְעֶ֖ה בְּחוֹמָ֣ה נִשְׂגָּבָ֑ה אֲשֶׁר־פִּתְאֹ֥ם לְפֶ֖תַע יָב֥וֹא שִׁבְרָֽהּ׃
14 इसका टूटकर गिरना वैसा जैसे कुम्हार के एक बर्तन को, चूर-चूर कर दिया जाता है जिसके कारण इसके टुकड़ों में कुछ भी न बचेगा इससे न चूल्हे में से राख निकाली जा सके या जल कुंड में से पानी.”
וּ֠שְׁבָרָהּ כְּשֵׁ֨בֶר נֵ֧בֶל יוֹצְרִ֛ים כָּת֖וּת לֹ֣א יַחְמֹ֑ל וְלֹֽא־יִמָּצֵ֤א בִמְכִתָּתוֹ֙ חֶ֔רֶשׂ לַחְתּ֥וֹת אֵשׁ֙ מִיָּק֔וּד וְלַחְשֹׂ֥ף מַ֖יִם מִגֶּֽבֶא׃ פ
15 क्योंकि प्रभु याहवेह इस्राएल के पवित्र परमेश्वर याहवेह यों कहते हैं: “अगर तुम चुप रहते और लौट आते तो उद्धार पाते, तथा शांत रहकर विश्वास करते तो सफल होते, परंतु तुमने ऐसा नहीं किया.
כִּ֣י כֹֽה־אָמַר֩ אֲדֹנָ֨י יְהוִ֜ה קְד֣וֹשׁ יִשְׂרָאֵ֗ל בְּשׁוּבָ֤ה וָנַ֙חַת֙ תִּוָּ֣שֵׁע֔וּן בְּהַשְׁקֵט֙ וּבְבִטְחָ֔ה תִּהְיֶ֖ה גְּבֽוּרַתְכֶ֑ם וְלֹ֖א אֲבִיתֶֽם׃
16 लेकिन तुमने कहा कि, ‘हम तो घोड़ों पर चढ़कर भाग जाएंगे.’ इसलिये तुम भाग जाओगे! और घोड़े को तेज भगाकर चले जायेंगे, इसलिये जो तुम्हारा पीछा करेंगे, वे भी तेज होंगे!
וַתֹּ֨אמְר֥וּ לֹא־כִ֛י עַל־ס֥וּס נָנ֖וּס עַל־כֵּ֣ן תְּנוּס֑וּן וְעַל־קַ֣ל נִרְכָּ֔ב עַל־כֵּ֖ן יִקַּ֥לּוּ רֹדְפֵיכֶֽם׃
17 एक व्यक्ति के भय से एक हजार भागेंगे; पांच के डराने से तुम ऐसा भागोगे कि भागते भागते पहाड़ की आखिरी ऊंचाई पर जहां निशानी के लिये झंडा गाड़ा जाता है वहां तक पहुंच जाओ.”
אֶ֣לֶף אֶחָ֗ד מִפְּנֵי֙ גַּעֲרַ֣ת אֶחָ֔ד מִפְּנֵ֛י גַּעֲרַ֥ת חֲמִשָּׁ֖ה תָּנֻ֑סוּ עַ֣ד אִם־נוֹתַרְתֶּ֗ם כַּתֹּ֙רֶן֙ עַל־רֹ֣אשׁ הָהָ֔ר וְכַנֵּ֖ס עַל־הַגִּבְעָֽה׃
18 याहवेह तुम पर कृपा करने के लिए उठ गए हैं; क्योंकि याहवेह न्यायी परमेश्वर हैं. धन्य हैं वे सब, जो उस पर आशा लगाये रहते हैं!
וְלָכֵ֞ן יְחַכֶּ֤ה יְהוָה֙ לַֽחֲנַנְכֶ֔ם וְלָכֵ֥ן יָר֖וּם לְרַֽחֶמְכֶ֑ם כִּֽי־אֱלֹהֵ֤י מִשְׁפָּט֙ יְהוָ֔ה אַשְׁרֵ֖י כָּל־ח֥וֹכֵי לֽוֹ׃ ס
19 हे ज़ियोन के लोगो, येरूशलेम के वासियो, तुम अब और न रोओगे. याहवेह तुम्हारे रोने को सुनकर तुम पर दयालु होंगे और तुम्हें उत्तर देंगे.
כִּי־עַ֛ם בְּצִיּ֥וֹן יֵשֵׁ֖ב בִּירֽוּשָׁלִָ֑ם בָּכ֣וֹ לֹֽא־תִבְכֶּ֗ה חָנ֤וֹן יָחְנְךָ֙ לְק֣וֹל זַעֲקֶ֔ךָ כְּשָׁמְעָת֖וֹ עָנָֽךְ׃
20 यद्यपि प्रभु ने तुम्हें विपत्ति की रोटी और दुःख का जल दिया है, वह, तुमसे अब दूर नहीं जायेंगे. तुम्हें उपदेश देंगे और तुम अपनी आंखों से उपदेशक को देखोगे.
וְנָתַ֨ן לָכֶ֧ם אֲדֹנָ֛י לֶ֥חֶם צָ֖ר וּמַ֣יִם לָ֑חַץ וְלֹֽא־יִכָּנֵ֥ף עוֹד֙ מוֹרֶ֔יךָ וְהָי֥וּ עֵינֶ֖יךָ רֹא֥וֹת אֶת־מוֹרֶֽיךָ׃
21 जब कभी भी तुम दायें अथवा बायें मुड़ो तुम्हें पीछे से एक आवाज सुनाई देगी, “यही है वह मार्ग; इसी पर चला करो.”
וְאָזְנֶ֙יךָ֙ תִּשְׁמַ֣עְנָה דָבָ֔ר מֵֽאַחֲרֶ֖יךָ לֵאמֹ֑ר זֶ֤ה הַדֶּ֙רֶךְ֙ לְכ֣וּ ב֔וֹ כִּ֥י תַאֲמִ֖ינוּ וְכִ֥י תַשְׂמְאִֽילוּ׃
22 तुम्हारे सोने और चांदी जिसमें मूर्तियां खुदी हुई है; उसे अशुद्ध करोगे और उसे पुराने कपड़ों के समान उठाकर फेंक दोगे, “दूर हो जाओ!”
וְטִמֵּאתֶ֗ם אֶת־צִפּוּי֙ פְּסִילֵ֣י כַסְפֶּ֔ךָ וְאֶת־אֲפֻדַּ֖ת מַסֵּכַ֣ת זְהָבֶ֑ךָ תִּזְרֵם֙ כְּמ֣וֹ דָוָ֔ה צֵ֖א תֹּ֥אמַר לֽוֹ׃
23 तब याहवेह उस बीज के लिए तुम्हें बारिश देंगे जो तुमने भूमि में लगाई है, और भोजन अर्थात् वह उपज जो भूमि से मिलती है उत्तम और भरपूर होगी.
וְנָתַן֩ מְטַ֨ר זַרְעֲךָ֜ אֲשֶׁר־תִּזְרַ֣ע אֶת־הָאֲדָמָ֗ה וְלֶ֙חֶם֙ תְּבוּאַ֣ת הָֽאֲדָמָ֔ה וְהָיָ֥ה דָשֵׁ֖ן וְשָׁמֵ֑ן יִרְעֶ֥ה מִקְנֶ֛יךָ בַּיּ֥וֹם הַה֖וּא כַּ֥ר נִרְחָֽב׃
24 बैल और गधे जो खेतों के लिए काम में लाए जाते हैं, वे सूप और डलिया से फटकी हुई भूसी खाकर तृप्‍त होंगे.
וְהָאֲלָפִ֣ים וְהָעֲיָרִ֗ים עֹֽבְדֵי֙ הָֽאֲדָמָ֔ה בְּלִ֥יל חָמִ֖יץ יֹאכֵ֑לוּ אֲשֶׁר־זֹרֶ֥ה בָרַ֖חַת וּבַמִּזְרֶֽה׃
25 उस महा संहार के समय जब दुर्ग गिरेंगे, तब पहाड़ों और हर ऊंची पहाड़ियों से सोते बहेंगे.
וְהָיָ֣ה ׀ עַל־כָּל־ הַ֣ר גָּבֹ֗הַ וְעַל֙ כָּל־גִּבְעָ֣ה נִשָּׂאָ֔ה פְּלָגִ֖ים יִבְלֵי־מָ֑יִם בְּיוֹם֙ הֶ֣רֶג רָ֔ב בִּנְפֹ֖ל מִגְדָּלִֽים׃
26 उस समय जब याहवेह अपने लोगों के घाव पर पट्टी बांधेंगे और उन खरोचों को ठीक करेंगे, जो उन्होंने उन्हें पहुंचाई थी, उस दिन चंद्रमा का तेज सूर्य के तेज के समान होगा और सूर्य का प्रकाश सात गुणा अर्थात् वह सात दिन के प्रकाश के समान होगा.
וְהָיָ֤ה אֽוֹר־הַלְּבָנָה֙ כְּא֣וֹר הַֽחַמָּ֔ה וְא֤וֹר הַֽחַמָּה֙ יִהְיֶ֣ה שִׁבְעָתַ֔יִם כְּא֖וֹר שִׁבְעַ֣ת הַיָּמִ֑ים בְּי֗וֹם חֲבֹ֤שׁ יְהוָה֙ אֶת־שֶׁ֣בֶר עַמּ֔וֹ וּמַ֥חַץ מַכָּת֖וֹ יִרְפָּֽא׃ ס
27 देखो, याहवेह अपनी महिमा में दूर से आ रहे हैं, उनका क्रोध भड़क उठा है और धुंए का बादल उठ रहा है; उसके होंठ क्रोध से भरे हैं, और उनकी जीभ भस्म करनेवाली आग के समान है.
הִנֵּ֤ה שֵׁם־יְהוָה֙ בָּ֣א מִמֶּרְחָ֔ק בֹּעֵ֣ר אַפּ֔וֹ וְכֹ֖בֶד מַשָּׂאָ֑ה שְׂפָתָיו֙ מָ֣לְאוּ זַ֔עַם וּלְשׁוֹנ֖וֹ כְּאֵ֥שׁ אֹכָֽלֶת׃
28 उनकी श्वास उमड़ती हुई धारा के समान है, जो गले तक पहुंचती है. वह सब जनताओं को छलनी में आगे-पीछे हिला देंगे; और लोगों के जबड़ों में ऐसी लगाम कस देंगे जो नाश की ओर ले जाती है.
וְרוּח֞וֹ כְּנַ֤חַל שׁוֹטֵף֙ עַד־צַוָּ֣אר יֶֽחֱצֶ֔ה לַהֲנָפָ֥ה גוֹיִ֖ם בְּנָ֣פַת שָׁ֑וְא וְרֶ֣סֶן מַתְעֶ֔ה עַ֖ל לְחָיֵ֥י עַמִּֽים׃
29 तुम्हारे गीत पवित्र पर्व पर रात में गाए गीतों के समान होंगे; और तुम्हारा दिल ऐसे आनंदित होगा जैसे कोई याहवेह के पर्वत इस्राएल की चट्टान पर, बांसुरी की आवाज के साथ आगे बढ़ता जाता है.
הַשִּׁיר֙ יִֽהְיֶ֣ה לָכֶ֔ם כְּלֵ֖יל הִתְקַדֶּשׁ־חָ֑ג וְשִׂמְחַ֣ת לֵבָ֗ב כַּֽהוֹלֵךְ֙ בֶּֽחָלִ֔יל לָב֥וֹא בְהַר־יְהוָ֖ה אֶל־צ֥וּר יִשְׂרָאֵֽל׃
30 तब याहवेह अपनी प्रतापमय वाणी सुनायेंगे और स्वर्ग से उनका बल उनके प्रचंड क्रोध, भस्म करनेवाली आग, भारी वर्षा और ओलों के द्वारा दिखाई देगा.
וְהִשְׁמִ֨יעַ יְהוָ֜ה אֶת־ה֣וֹד קוֹל֗וֹ וְנַ֤חַת זְרוֹעוֹ֙ יַרְאֶ֔ה בְּזַ֣עַף אַ֔ף וְלַ֖הַב אֵ֣שׁ אוֹכֵלָ֑ה נֶ֥פֶץ וָזֶ֖רֶם וְאֶ֥בֶן בָּרָֽד׃
31 क्योंकि याहवेह की शक्ति पर अश्शूर डर जाएगा; जब याहवेह उनको दंड देंगे.
כִּֽי־מִקּ֥וֹל יְהוָ֖ה יֵחַ֣ת אַשּׁ֑וּר בַּשֵּׁ֖בֶט יַכֶּֽה׃
32 उस समय खंजरी और नेबेल की आवाज सुनाई देगी, याहवेह हथियार से उनसे युद्ध करेंगे.
וְהָיָ֗ה כֹּ֤ל מַֽעֲבַר֙ מַטֵּ֣ה מֽוּסָדָ֔ה אֲשֶׁ֨ר יָנִ֤יחַ יְהוָה֙ עָלָ֔יו בְּתֻפִּ֖ים וּבְכִנֹּר֑וֹת וּבְמִלְחֲמ֥וֹת תְּנוּפָ֖ה נִלְחַם־בה׃
33 क्योंकि पहले से ही एक अग्निकुण्ड तैयार किया गया है; यह राजा के लिए तैयार किया गया है. अनेक लकड़ियों से बनाई गयी एक चिता; गंधक की धारा के समान, याहवेह अपनी श्वास इसमें डाल देते हैं.
כִּֽי־עָר֤וּךְ מֵֽאֶתְמוּל֙ תָּפְתֶּ֔ה גַּם־הוא לַמֶּ֥לֶךְ הוּכָ֖ן הֶעְמִ֣יק הִרְחִ֑ב מְדֻרָתָ֗הּ אֵ֤שׁ וְעֵצִים֙ הַרְבֵּ֔ה נִשְׁמַ֤ת יְהוָה֙ כְּנַ֣חַל גָּפְרִ֔ית בֹּעֲרָ֖ה בָּֽהּ׃ ס

< यशायाह 30 >