< यशायाह 3 >

1 प्रभु सर्वशक्तिमान याहवेह येरूशलेम और यहूदिया से उनका सहारा और उनके अन्‍न और जल का स्रोत सब दूर कर देगा,
כִּי֩ הִנֵּ֨ה הָאָדֹ֜ון יְהוָ֣ה צְבָאֹ֗ות מֵסִ֤יר מִירוּשָׁלַ֙͏ִם֙ וּמִ֣יהוּדָ֔ה מַשְׁעֵ֖ן וּמַשְׁעֵנָ֑ה כֹּ֚ל מִשְׁעַן־לֶ֔חֶם וְכֹ֖ל מִשְׁעַן־מָֽיִם׃
2 वीर योद्धा तथा सैनिक, न्यायी तथा भविष्यद्वक्ता, भावी बोलनेवाले तथा बूढ़े,
גִּבֹּ֖ור וְאִ֣ישׁ מִלְחָמָ֑ה שֹׁופֵ֥ט וְנָבִ֖יא וְקֹסֵ֥ם וְזָקֵֽן׃
3 मंत्री और प्रतिष्ठित व्यक्ति, सलाहकार, कारीगर और जादूगर को भी दूर करेंगे.
שַׂר־חֲמִשִּׁ֖ים וּנְשׂ֣וּא פָנִ֑ים וְיֹועֵ֛ץ וַחֲכַ֥ם חֲרָשִׁ֖ים וּנְבֹ֥ון לָֽחַשׁ׃
4 “मैं लड़कों को शासक बना दूंगा; और वे उन पर शासन करेंगे.”
וְנָתַתִּ֥י נְעָרִ֖ים שָׂרֵיהֶ֑ם וְתַעֲלוּלִ֖ים יִמְשְׁלוּ־בָֽם׃
5 लोग एक दूसरे पर अत्याचार करेंगे— सब अपने साथी, पड़ोसी पर, और लड़के, बूढ़ों से बुरा व्यवहार करेंगे.
וְנִגַּ֣שׂ הָעָ֔ם אִ֥ישׁ בְּאִ֖ישׁ וְאִ֣ישׁ בְּרֵעֵ֑הוּ יִרְהֲב֗וּ הַנַּ֙עַר֙ בַּזָּקֵ֔ן וְהַנִּקְלֶ֖ה בַּנִּכְבָּֽד׃
6 जब एक व्यक्ति अपने पिता के घर में अपने भाई से ही यह कहने लगे, “तुम्हारे पास तो अच्छा वस्त्र है, तुम्हें हमारा न्यायी होना चाहिए; और यह देश जो उजड़ा हुआ है अपने अधीन कर लो!”
כִּֽי־יִתְפֹּ֨שׂ אִ֤ישׁ בְּאָחִיו֙ בֵּ֣ית אָבִ֔יו שִׂמְלָ֣ה לְכָ֔ה קָצִ֖ין תִּֽהְיֶה־לָּ֑נוּ וְהַמַּכְשֵׁלָ֥ה הַזֹּ֖את תַּ֥חַת יָדֶֽךָ׃
7 उस दिन कहेगा, “मैं चंगा करनेवाला नहीं हूं. क्योंकि मेरे घर में न तो भोजन है और न वस्त्र; ऐसा व्यक्ति प्रजा का शासक नहीं बन सकता.”
יִשָּׂא֩ בַיֹּ֨ום הַה֤וּא ׀ לֵאמֹר֙ לֹא־אֶהְיֶ֣ה חֹבֵ֔שׁ וּבְבֵיתִ֕י אֵ֥ין לֶ֖חֶם וְאֵ֣ין שִׂמְלָ֑ה לֹ֥א תְשִׂימֻ֖נִי קְצִ֥ין עָֽם׃
8 येरूशलेम लड़खड़ाया और यहूदिया गिर गया है; क्योंकि उनके वचन और उनके काम याहवेह के विरुद्ध हैं, जो याहवेह के तेजोमय आंखों के सामने बुराई करनेवाले हो गये.
כִּ֤י כָשְׁלָה֙ יְר֣וּשָׁלַ֔͏ִם וִיהוּדָ֖ה נָפָ֑ל כִּֽי־לְשֹׁונָ֤ם וּמַֽעַלְלֵיהֶם֙ אֶל־יְהוָ֔ה לַמְרֹ֖ות עֵנֵ֥י כְבֹודֹֽו׃
9 उनका मुंह ही उनके विरुद्ध गवाही देता हैं; और वे सदोम के समान अपने ही पापों को बताते हैं; वे उन्हें छिपाते नहीं हाय उन पर. क्योंकि उन्होंने अपना ही नुकसान किया है.
הַכָּרַ֤ת פְּנֵיהֶם֙ עָ֣נְתָה בָּ֔ם וְחַטָּאתָ֛ם כִּסְדֹ֥ם הִגִּ֖ידוּ לֹ֣א כִחֵ֑דוּ אֹ֣וי לְנַפְשָׁ֔ם כִּֽי־גָמְל֥וּ לָהֶ֖ם רָעָֽה׃
10 धर्मियों को यह बताओ कि उनका अच्छा ही होगा, क्योंकि उन्हें उनके कामों का प्रतिफल मिलेगा.
אִמְר֥וּ צַדִּ֖יק כִּי־טֹ֑וב כִּֽי־פְרִ֥י מַעַלְלֵיהֶ֖ם יֹאכֵֽלוּ׃
11 हाय है दुष्ट पर! उनके साथ बुरा ही होगा! क्योंकि उनके बुरे कामों का फल उन्हें बुरा ही मिलेगा.
אֹ֖וי לְרָשָׁ֣ע רָ֑ע כִּֽי־גְמ֥וּל יָדָ֖יו יֵעָ֥שֶׂה לֹּֽו׃
12 मेरे लोगों को बच्‍चे दुःख देते हैं, और स्त्रियां उन पर अधिकार करती हैं. हे मेरी प्रजा, जो तुम्हारे मार्ग बताते हैं; वे ही तुम्हें भटकाते हैं तथा वे तुम्हारे रास्ते को भूला देते हैं.
עַמִּי֙ נֹגְשָׂ֣יו מְעֹולֵ֔ל וְנָשִׁ֖ים מָ֣שְׁלוּ בֹ֑ו עַמִּי֙ מְאַשְּׁרֶ֣יךָ מַתְעִ֔ים וְדֶ֥רֶךְ אֹֽרְחֹתֶ֖יךָ בִּלֵּֽעוּ׃ ס
13 याहवेह तुम्हें बचाने और लोगों के न्याय निष्पादन के लिए तैयार हैं.
נִצָּ֥ב לָרִ֖יב יְהוָ֑ה וְעֹמֵ֖ד לָדִ֥ין עַמִּֽים׃
14 याहवेह न्याय के लिए शासन करनेवालों तथा बूढ़ों के साथ मिल गए हैं: “तुम ही ने खेत से अंगूर खा लिये; और गरीबों से लूटा गया सामान अपने घर में रखा.
יְהוָה֙ בְּמִשְׁפָּ֣ט יָבֹ֔וא עִם־זִקְנֵ֥י עַמֹּ֖ו וְשָׂרָ֑יו וְאַתֶּם֙ בִּֽעַרְתֶּ֣ם הַכֶּ֔רֶם גְּזֵלַ֥ת הֶֽעָנִ֖י בְּבָתֵּיכֶֽם׃
15 क्यों मेरी प्रजा को परेशान और दुःखी करते हो?” प्रभु सर्वशक्तिमान याहवेह कहता है!
מַלָּכֶם (מַּה־ לָּכֶם֙) תְּדַכְּא֣וּ עַמִּ֔י וּפְנֵ֥י עֲנִיִּ֖ים תִּטְחָ֑נוּ נְאֻם־אֲדֹנָ֥י יְהוִ֖ה צְבָאֹֽות׃ ס
16 याहवेह कहता है, “ज़ियोन की पुत्रियां घमंड करती हैं, वे सिर ऊंचा कर आंखों को मटकाती, घुंघरूओं को छमछमाती हुई पायल पहनकर चलती हैं.
וַיֹּ֣אמֶר יְהוָ֗ה יַ֚עַן כִּ֤י גָֽבְהוּ֙ בְּנֹ֣ות צִיֹּ֔ון וַתֵּלַ֙כְנָה֙ נְטוֹּות (נְטוּיֹ֣ות) גָּרֹ֔ון וּֽמְשַׂקְּרֹ֖ות עֵינָ֑יִם הָלֹ֤וךְ וְטָפֹף֙ תֵּלַ֔כְנָה וּבְרַגְלֵיהֶ֖ם תְּעַכַּֽסְנָה׃
17 इसलिये प्रभु याहवेह ज़ियोन की पुत्रियों के सिर को गंजा कर देंगे; और उनके तन को विवस्त्र करेंगे.”
וְשִׂפַּ֣ח אֲדֹנָ֔י קָדְקֹ֖ד בְּנֹ֣ות צִיֹּ֑ון וַיהוָ֖ה פָּתְהֵ֥ן יְעָרֶֽה׃ ס
18 उस दिन प्रभु उनकी पायल, ललाट पट्टिका, झूमर,
בַּיֹּ֨ום הַה֜וּא יָסִ֣יר אֲדֹנָ֗י אֵ֣ת תִּפְאֶ֧רֶת הָעֲכָסִ֛ים וְהַשְּׁבִיסִ֖ים וְהַשַּׂהֲרֹנִֽים׃
19 झुमके, कंगन, झीना मुखावरण,
הַנְּטִיפֹ֥ות וְהַשֵּׁירֹ֖ות וְהָֽרְעָלֹֽות׃
20 सुंदर वस्त्र, भुजबन्द, करधनी, ईत्रदान, कवच,
הַפְּאֵרִ֤ים וְהַצְּעָדֹות֙ וְהַקִּשֻּׁרִ֔ים וּבָתֵּ֥י הַנֶּ֖פֶשׁ וְהַלְּחָשִֽׁים׃
21 अंगूठी, नथ,
הַטַּבָּעֹ֖ות וְנִזְמֵ֥י הָאָֽף׃
22 मख़मल के वस्त्र, कुरती, बुन्दियों, ओढ़नी;
הַמַּֽחֲלָצֹות֙ וְהַמַּ֣עֲטָפֹ֔ות וְהַמִּטְפָּחֹ֖ות וְהָחֲרִיטִֽים׃
23 बटूवा, अधोवस्त्र, पगड़ी और ओढ़नी की सुंदरता को हटा देंगे.
וְהַגִּלְיֹנִים֙ וְהַסְּדִינִ֔ים וְהַצְּנִיפֹ֖ות וְהָרְדִידִֽים׃
24 और खुशबू की जगह बदबू; करधनी के स्थान पर रस्सी; बालों की जगह गंजापन; बहुमूल्य वस्त्रों के स्थान पर टाट; और सुंदरता की जगह बदसूरती होगी.
וְהָיָה֩ תַ֨חַת בֹּ֜שֶׂם מַ֣ק יִֽהְיֶ֗ה וְתַ֨חַת חֲגֹורָ֤ה נִקְפָּה֙ וְתַ֨חַת מַעֲשֶׂ֤ה מִקְשֶׁה֙ קָרְחָ֔ה וְתַ֥חַת פְּתִיגִ֖יל מַחֲגֹ֣רֶת שָׂ֑ק כִּי־תַ֖חַת יֹֽפִי׃
25 तुम्हारे पुरुष तलवार से, और तुम्हारे योद्धा युद्ध में मारे जाएंगे.
מְתַ֖יִךְ בַּחֶ֣רֶב יִפֹּ֑לוּ וּגְבוּרָתֵ֖ךְ בַּמִּלְחָמָֽה׃
26 तुम्हारे फाटक रोएंगे और शोक मनाएंगे; वह अकेली भूमि पर बैठी रहेगी.
וְאָנ֥וּ וְאָבְל֖וּ פְּתָחֶ֑יהָ וְנִקָּ֖תָה לָאָ֥רֶץ תֵּשֵֽׁב׃

< यशायाह 3 >