< यशायाह 25 >

1 याहवेह, आप ही मेरे परमेश्वर हैं; मैं आपकी प्रशंसा करूंगा और आपके नाम की महिमा करूंगा, क्योंकि आपने बड़े अद्भुत काम किए हैं, और उन सनातन योजनाओं को पूरी विश्वस्तता एवं सच्चाई से आपने पूरा किया है.
Domine Deus meus es tu exaltabo te confitebor nomini tuo quoniam fecisti mirabilia cogitationes antiquas fideles amen
2 आपने नगरों को गिरा दिया, और खंडहर कर दिया, परदेशियों का अब कोई नगर नहीं; और न ही उन्हें फिर बसाया जाएगा.
quia posuisti civitatem in tumulum urbem fortem in ruinam domum alienorum ut non sit civitas et in sempiternum non aedificetur
3 इसलिये बलवंत प्रजा आपकी महिमा करेगी; और निर्दयी आपका भय मानेंगे.
super hoc laudabit te populus fortis civitas gentium robustarum timebit te
4 दीनों के लिए आप शरणस्थान, और विपत्ति के समय आप उनके लिए ढाल होंगे, दरिद्रों के लिये उनके शरण और रक्षक होंगे.
quia factus es fortitudo pauperi fortitudo egeno in tribulatione sua spes a turbine umbraculum ab aestu spiritus enim robustorum quasi turbo inpellens parietem
5 जैसे निर्जल देश में बादल से ठंडक होती है; वैसे ही परदेशियों का कोलाहल, और निर्दयी लोगों का जय जयकार शांत हो जाएगा.
sicut aestum in siti tumultum alienorum humiliabis et quasi calore sub nube torrente propaginem fortium marcescere facies
6 इसी पर्वत पर सर्वशक्तिमान याहवेह सब लोगों को भोजन खिलाएंगे, जिसमें पुराना दाखरस— और उत्तम से उत्तम चिकना भोजन जो अच्छा और स्वादिष्ट होगा.
et faciet Dominus exercituum omnibus populis in monte hoc convivium pinguium convivium vindemiae pinguium medullatorum vindemiae defecatae
7 इस पर्वत पर आकर सब जातियों और देशों के बीच जो पर्दा, और दीवार है तोड़ देगा;
et praecipitabit in monte isto faciem vinculi conligati super omnes populos et telam quam orditus est super universas nationes
8 वह सदा-सर्वदा के लिए मृत्यु को नाश करेंगे. और प्रभु याहवेह सभी के चेहरों से आंसुओं को पोंछ देंगे; वह अपने लोगों की निंदा को दूर कर देंगे. याहवेह का यह संदेश है.
praecipitabit mortem in sempiternum et auferet Dominus Deus lacrimam ab omni facie et obprobrium populi sui auferet de universa terra quia Dominus locutus est
9 उस दिन लोग यह कहेंगे, “कि, यही हैं हमारे परमेश्वर; यही हैं वह याहवेह जिनका हमने इंतजार किया. आओ, हम उनके उद्धार में आनंद मनाएं और प्रसन्‍न रहेंगे.”
et dicet in die illa ecce Deus noster iste expectavimus eum et salvabit nos iste Dominus sustinuimus eum exultabimus et laetabimur in salutari eius
10 क्योंकि याहवेह का हाथ सदा बना रहेगा; मोआब उनके द्वारा रौंद दिया जाएगा जिस प्रकार गोबर-कुण्ड में एक तिनके को रौंद दिया जाता है.
quia requiescet manus Domini in monte isto et triturabitur Moab sub eo sicuti teruntur paleae in plaustro
11 जिस प्रकार एक तैराक अपने हाथों को फैलाता है, उसी प्रकार मोआब भी अपने हाथों को फैलाएगा. किंतु याहवेह उसके घमंड को चूर-चूर और उसके हाथों की कुशलता को कमजोर कर देंगे.
et extendet manus suas sub eo sicut extendit natans ad natandum et humiliabit gloriam eius cum adlisione manuum eius
12 याहवेह उसकी दृढ़ शहरपनाह को गिरा देंगे वह उन्हें भूमि पर फेंक देंगे; उन्हें मिट्टी में मिला देंगे.
et munimenta sublimium murorum tuorum concident et humiliabuntur et detrahentur in terram usque ad pulverem

< यशायाह 25 >