< यशायाह 21 >

1 समुद्र किनारे की मरुभूमि के विरुद्ध भविष्यवाणी: जिस प्रकार दक्षिण के भूमि में आंधी आती है, उसी प्रकार बंजर भूमि से, अर्थात् आतंक का देश से निकलकर आक्रमणकारी आ रहा है.
The prophecy concerning the desert of the sea. As storms which rush along through the south, So it cometh from the desert, From the terrible land.
2 मुझे एक दर्शन मिला जो दुःख का था कि: विश्वासघाती विश्वासघात करता है और नाशक नाश करता है. हे एलाम, चढ़ाई करो! हे मेदिया, सबको घेर लो! मैं उन सबके दुःख को खत्म कर दूंगा जो उसके कारण हुए हैं.
A grievous vision was revealed to me; The plunderer plundereth, and the destroyer destroyeth. “Go up, O Elam! Besiege, O Media! All sighing do I make to cease.”
3 इस कारण मेरे शरीर में दर्द है, मैं इतना घबरा गया हूं, कि मुझे सुनाई नहीं देता; मैं इतना डर गया हूं, कि मुझे दिखाई नहीं देता.
Therefore are my loins full of pain; Pangs have seized me, as the pangs of a woman in travail; For convulsions I cannot hear; For anguish I cannot see.
4 मेरा हृदय कांपता है, डर ने मुझे घेर लिया है; वह शाम जिसकी मुझे चाह थी वह डर में बदल गई है.
My heart panteth, Terror hath seized upon me; The evening of my desire is changed into horror.
5 भोजन की तैयारी हो गई और मेहमानों को बिठाया जा रहा है, शासकों उठो, ढालों पर तेल लगाओ!
The table is prepared; the watch is set; They eat; they drink; “Arise, ye princes! Anoint the shield!”
6 प्रभु ने मुझसे कहा है: “जाओ, एक पहरेदार को खड़ा करो और जो कुछ वह देखे उसे बताने दो.
For thus said the Lord unto me: “Go, set a watchman, Who shall declare what he seeth.”
7 जब घोड़ों, गधों और ऊंटों पर सवारी आता देखे तब उन पर खास दे.”
And he saw a troop, horsemen in pairs, Riders on asses, and riders on camels, And he watched with the utmost heed.
8 तब वह पहरेदार सिंह के समान गुर्राते हुए कहेगा, “हे स्वामी, मैं दिन भर खड़ा पहरा देता रहता हूं; और पूरी रात जागता हूं.
Then he cried like a lion: “My Lord, I stand continually upon the watch-tower in the daytime, And keep my post all the night;
9 और देखो रथ में एक आदमी आता है, दो-दो घोड़ों के रथ में सवार होकर आ रहे हैं. उसने कहा: ‘गिर गया, बाबेल गिर गया! सभी मूर्तियां गिरकर चूर-चूर हो गई हैं!’”
And behold, there cometh a troop, Horsemen in pairs.” Again also he lifted up his voice, and said: “Fallen, fallen is Babylon, And all the graven images of her gods are cast broken to the ground.”
10 हे मेरे कुचले गए पुत्र, हे मेरे खलिहान के पुत्र सर्वशक्तिमान याहवेह इस्राएल के परमेश्वर ने, मुझसे जो कुछ कहा, वह मैंने तुम्हें बता दिया.
O my threshing, and the corn of my floor! What I have heard from Jehovah of hosts, the God of Israel, That have I declared to you.
11 दूमाह के विरोध में भविष्यवाणी: सेईर से मुझे कोई बुला रहा है, “हे पहरेदार, रात की क्या ख़बर है?”
The prophecy concerning Dumah. A voice came to me from Seir: “Watchman, what of the night? Watchman, what of the night?”
12 पहरेदार ने कहा, “सुबह होती है, और रात भी. और जो कुछ आप पूछना चाहते हैं, पूछिए; और पूछने के लिये आईये.”
The watchman saith: “Morning cometh, and also night. If ye will inquire, inquire! Return, come!”
13 अराबिया के खिलाफ़ एक भविष्यवाणी: ददान के यात्री संघो, अराबिया के बंजर भूमि में तुम रात बिताओगे,
The prophecy against the Arabians. In the thickets of Arabia shall ye lodge, O ye caravans of Dedan!
14 तेमा देश के लोगों को पानी पिलाओगे; भागे हुओं को खाना दो.
The inhabitants of the land of Tema Bring water to the thirsty; They come to meet the fugitive with bread.
15 क्योंकि वे युद्ध से भागे हुए हैं, और तलवार और धनुष के सामने से भागे हुए हैं.
For they flee from swords, From the drawn sword, And from the bent bow, And from the fury of war.
16 क्योंकि प्रभु ने मुझसे ऐसा कहा है: “मज़दूर के अनुसार एक ही वर्ष में, केदार की शान खत्म हो जाएगी.
For thus saith the Lord to me: Within one year, according to the years of a hireling, Shall all the glory of Kedar be consumed.
17 केदार के तीर चलानेवालों की गिनती कम हो जाएगी.” यह याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर, का वचन है.
The remainder of the mighty bowmen of the sons of Kedar shall be diminished; For Jehovah, the God of Israel, hath said it.

< यशायाह 21 >