< यशायाह 18 >

1 हाय कूश नदी के दूसरी ओर के देश पर जहां पंखों की फड़फड़ाहट की आवाज सुनाई देती है,
Горе корабелным крилам земли, яже об ону страну рек Ефиопских.
2 वह जो पानी में पपीरस नौकाओं में समुद्र के द्वारा दूत भेजता है, तुम जो स्वस्थ और लंबे डीलडौल के हो, उस देश में उन लोगों के पास जाओ, जहां दूर-दूर तक जिनका डर मन में है, तथा जो देश सिद्ध एवं सुंदर है, और जिनके बीच से नदियां बहती हैं.
Посылаяй по морю послы в залог и послания книжная верху воды: пойдут бо вестницы легцы ко языку высоку и к людем странным и строптивым. Кто далее их? Язык безнадежен и попран.
3 हे सारी पृथ्वी के लोगों सुनो, जब पर्वतों पर झंडा ऊंचा किया जाए और जब तुरही फूंकी जायेगी,
Ныне реки земныя вся аки страна населена населится, страна их аки знамение от горы воздвигнется, аки глас трубы услышан будет.
4 तब याहवेह ने मुझसे कहा, “सूर्य की तेज धूप तथा कटनी के समय ओस के बादल में रहकर मैं चुपचाप देखूंगा.”
Яко тако ми рече Господь: утверждение будет в Моем граде, аки свет зноя полуденнаго и аки облак росный в день жатвы будет.
5 क्योंकि जैसे ही कलियां खिल जाएं और फूल पके हुए दाख बन जाएं, तब याहवेह टहनी से वह अंकुरों को छांटेंगे, और बढ़ती हुई डालियों को काटकर अलग कर देंगे.
Прежде жатвы, егда совершится цвет, и грезн произыдет по цвете недозрел: и отимет гроздие малое серпами и лозие отимет и посечет,
6 जो मांसाहारी पक्षियों और पृथ्वी के पशुओं के लिए होगा; मांसाहारी पक्षी इन पर धूप में, तथा पृथ्वी के पशु इस पर सर्दी में बैठेंगे.
и оставит вкупе птицам небесным и зверем земным: и соберутся на ня птицы небесныя, и вси зверие земли нань приидут.
7 स्वस्थ और लंबे डीलडौल के लोग जो अजीब भाषा का, आक्रामक राष्ट्र हैं, जिन्हें दूर और पास के सब लोग डरते हैं, और जो देश सिद्ध एवं सुंदर है, जिसके बीच से नदियां बहती हैं— उनकी ओर से उस समय सेनाओं के याहवेह के नाम में प्रतिष्ठित ज़ियोन पर्वत पर भेंट लाई जाएगी.
В то время принесутся дары Господу Саваофу от людий оскорбленых и отторженых и от людий великих, отныне и в вечное время: язык надеющься и попран, иже есть в части речней страны своея, на место, идеже имя Господа Саваофа, на гору Сионю.

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