< यशायाह 11 >
1 यिशै के जड़ से एक कोंपल निकलेगी; और एक डाली फलवंत होगी.
And there shall come forth a rod out of the root of Jesse, and a flower shall rise up out of his root.
2 याहवेह का आत्मा, बुद्धि और समझ का आत्मा, युक्ति और सामर्थ्य का आत्मा, ज्ञान और समझ की आत्मा—
And the spirit of the Lord shall rest upon him: the spirit of wisdom, and of understanding, the spirit of counsel, and of fortitude, the spirit of knowledge, and of godliness.
3 उनकी खुशी याहवेह के प्रति ज्यादा होगी. वे मुंह देखकर न्याय नहीं करेंगे, न सुनकर करेंगे;
And he shall be filled with the spirit of the fear of the Lord. He shall not judge according to the sight of the eyes, nor reprove according to the hearing of the ears.
4 वे तो कंगालों का न्याय धर्म से, और पृथ्वी के नम्र लोगों का न्याय सच्चाई से करेंगे. वे अपने मुंह के शब्द से पृथ्वी पर हमला करेंगे; और अपनी फूंक से दुष्टों का नाश कर देंगे.
But he shall judge the poor with justice, and shall reprove with equity for the meek of the earth: land he shall strike the earth with the rod of his mouth, and with the breath of his lips he shall slay the wicked.
5 धर्म उनका कटिबंध और सच्चाई उनकी कमर होगी.
And justice shall be the girdle of his loins: and faith the girdle of his reins.
6 भेड़िया मेमने के साथ रहेगा, चीता बकरी के बच्चों के पास लेटेगा, बछड़ा, सिंह और एक पुष्ट पशु साथ साथ रहेंगे; और बालक उनको संभालेगा.
The wolf shall dwell with the lamb: and the leopard shall lie down with the kid: the calf and the lion, and the sheep shall abide together, and a little child shall lead them.
7 गाय और रीछ मिलकर चरेंगे, उनके बच्चे पास-पास रहेंगे, और सिंह बैल समान भूसा खाएगा.
The calf and the bear shall feed: their young ones shall rest together: and the lion shall eat straw like the ox.
8 दूध पीता शिशु नाग के बिल से खेलेगा, तथा दूध छुड़ाया हुआ बालक काला सांप के बिल में हाथ डालेगा.
And the sucking child shall play on the hole of the asp: and the weaned child shall thrust his hand into the den of the basilisk.
9 मेरे पूरे पवित्र पर्वत पर वे न किसी को दुःख देंगे और न किसी को नष्ट करेंगे, क्योंकि समस्त पृथ्वी याहवेह के ज्ञान से ऐसे भर जाएगी जैसे पानी से समुद्र भरा रहता है.
They shall not hurt, nor shall they kill in all my holy mountain, for the earth is filled with the knowledge of the Lord, as the covering waters of the sea.
10 उस दिन यिशै का मूल जो देशों के लिए झंडा समान प्रतिष्ठित होंगे और देश उनके विषय में पूछताछ करेंगे, तथा उनका विश्राम स्थान भव्य होगा.
In that day the root of Jesse, who standeth for an ensign of the people, him the Gentiles shall beseech, and his sepulchre shall be glorious.
11 उस दिन प्रभु उस बचे हुओं को लाने के लिए अपना हाथ बढ़ाएंगे, जिसे उन्होंने अश्शूर, मिस्र, पथरोस, कूश, एलाम, शीनार, हामाथ और समुद्री द्वीपों से मोल लिया है.
And it shall come to pass in that day, that the Lord shall set his hand the second time to possess the remnant of his people, which shall be left from the Assyrians, and from Egypt, and from Phetros, and from Ethiopia, and from Elam, and from Sennaar, and from Emath, and from the islands of the sea.
12 वे देशों के लिए एक झंडा खड़ा करेंगे इस्राएल में रहनेवाले; और यहूदाह के बिखरे लोगों को पृथ्वी के चारों कोनों से इकट्ठा करेंगे.
And he shall set up a standard unto the nations, and shall assemble the fugitives of Israel, and shall gather together the dispersed of Juda from the four quarters of the earth.
13 तब एफ्राईम की नफरत खत्म हो जाएगी, और यहूदाह के परेशान करनेवाले काट दिए जाएंगे; फिर एफ्राईम यहूदाह से नफरत नहीं करेगा, और न ही यहूदाह एफ्राईम को तंग करेगा.
And the envy of Ephraim shall be taken away, and the enemies of Juda shall perish: Ephraim shall not envy Juda, and Juda shall not fight against Ephraim.
14 वे पश्चिम दिशा में फिलिस्तीनियों पर टूट पड़ेंगे; और वे सब एकजुट होकर पूर्व के लोगों को लूट लेंगे. वे एदोम और मोआब को अपने अधिकार में कर लेंगे, और अम्मोनी उनके अधीन हो जाएंगे.
But they shall fly upon the shoulders of the Philistines by the sea, they together shall spoil the children of the east: Edom, and Moab shall be under the rule of their hand, and the children of Ammon shall be obedient.
15 याहवेह मिस्र के समुद्र की खाड़ी को विनष्ट कर देंगे; वे अपने सामर्थ्य का हाथ बढ़ाकर फरात नदी को सात धाराओं में बांट देंगे, ताकि मनुष्य इसे पैदल ही पार कर सकें.
And the Lord shall lay waste the tongue of the sea of Egypt, and shall lift up his hand over the river in the strength of his spirit: and he shall strike it in the seven streams, so that men may pass through it in their shoes.
16 उनके बचे हुए लोगों के लिए अश्शूर से एक राजमार्ग होगा, जैसे इस्राएल के लिए हुआ था जब वे मिस्र से निकले थे.
And there shall be a highway for the remnant of my people, which shall be left from the Assyrians: as there was for Israel in the day that he came up out of the land of Egypt.