< इब्रानियों 13 >
1 भाईचारे का प्रेम लगातार बना रहे.
Let the charity of the brotherhood abide in you.
2 अपरिचितों का अतिथि-सत्कार करना न भूलो. ऐसा करने के द्वारा कुछ ने अनजाने ही स्वर्गदूतों का अतिथि-सत्कार किया था.
And hospitality do not forget; for by this some, being not aware of it, have entertained angels.
3 बंदियों के प्रति तुम्हारा व्यवहार ऐसा हो मानो तुम स्वयं उनके साथ बंदीगृह में हो. सताए जाने वालों को न भूलना क्योंकि तुम सभी एक शरीर के अंग हो.
Remember them that are in bands, as if you were bound with them; and them that labour, as being yourselves also in the body.
4 विवाह की बात सम्मानित रहे तथा विवाह का बिछौना कभी अशुद्ध न होने पाए क्योंकि परमेश्वर व्यभिचारियों तथा परस्त्रीगामियों को दंडित करेंगे.
Marriage honourable in all, and the bed undefiled. For fornicators and adulterers God will judge.
5 यह ध्यान रहे कि तुम्हारा चरित्र धन के लोभ से मुक्त हो. जो कुछ तुम्हारे पास है, उसी में संतुष्ट रहो क्योंकि स्वयं उन्होंने कहा है, “मैं न तो तुम्हारा त्याग करूंगा और न ही कभी तुम्हें छोड़ूंगा.”
Let your manners be without covetousness, contented with such things as you have; for he hath said: I will not leave thee, neither will I forsake thee.
6 इसलिये हम निश्चयपूर्वक यह कहते हैं, “प्रभु मेरे सहायक हैं, मैं डरूंगा नहीं. मनुष्य मेरा क्या कर लेगा?”
So that we may confidently say: The Lord is my helper: I will not fear what man shall do to me.
7 उनको याद रखो, जो तुम्हारे अगुए थे, जिन्होंने तुम्हें परमेश्वर के वचन की शिक्षा दी और उनके स्वभाव के परिणाम को याद करते हुए उनके विश्वास का अनुसरण करो.
Remember your prelates who have spoken the word of God to you; whose faith follow, considering the end of their conversation,
8 मसीह येशु एक सा हैं—कल, आज तथा युगानुयुग. (aiōn )
Jesus Christ, yesterday, and today; and the same for ever. (aiōn )
9 बदली हुई विचित्र प्रकार की शिक्षाओं के बहाव में न बह जाना. हृदय के लिए सही है कि वह अनुग्रह द्वारा दृढ़ किया जाए न कि खाने की वस्तुओं द्वारा. खान-पान संबंधी प्रथाओं द्वारा किसी का भला नहीं हुआ है.
Be not led away with various and strange doctrines. For it is best that the heart be established with grace, not with meats; which have not profited those that walk in them.
10 हमारी एक वेदी है, जिस पर से उन्हें, जो मंदिर में सेवा करते हैं, खाने का कोई अधिकार नहीं है.
We have an altar, whereof they have no power to eat who serve the tabernacle.
11 क्योंकि उन पशुओं का शरीर, जिनका लहू महापुरोहित द्वारा पापबलि के लिए परम पवित्र स्थान में लाया जाता है, छावनी के बाहर ही जला दिए जाते हैं.
For the bodies of those beasts, whose blood is brought into the holies by the high priest for sin, are burned without the camp.
12 मसीह येशु ने भी नगर के बाहर दुःख सहे कि वह स्वयं अपने लहू से लोगों को शुद्ध करें.
Wherefore Jesus also, that he might sanctify the people by his own blood, suffered without the gate.
13 इसलिये हम भी उनसे भेंट करने छावनी के बाहर वैसी ही निंदा उठाने चलें, जैसी उन्होंने उठाई
Let us go forth therefore to him without the camp, bearing his reproach.
14 क्योंकि यहां हमारा घर स्थाई नगर में नहीं है—हम उस नगर की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो अनंत काल का है.
For we have not here a lasting city, but we seek one that is to come.
15 इसलिये हम उनके द्वारा परमेश्वर को लगातार आराधना की बलि भेंट करें अर्थात् उन होंठों का फल, जो उनके प्रति धन्यवाद प्रकट करते हैं.
By him therefore let us offer the sacrifice of praise always to God, that is to say, the fruit of lips confessing to his name.
16 भलाई करना और वस्तुओं का आपस में मिलकर बांटना समाप्त न करो क्योंकि ये ऐसी बलि हैं, जो परमेश्वर को प्रसन्न करती हैं.
And do not forget to do good, and to impart; for by such sacrifices God’s favour is obtained.
17 अपने अगुओं का आज्ञापालन करो, उनके अधीन रहो. वे तुम्हारी आत्माओं के पहरेदार हैं. उन्हें तुम्हारे विषय में हिसाब देना है. उनके लिए यह काम आनंद का विषय बना रहे न कि एक कष्टदायी बोझ. यह तुम्हारे लिए भी लाभदायक होगा.
Obey your prelates, and be subject to them. For they watch as being to render an account of your souls; that they may do this with joy, and not with grief. For this is not expedient for you.
18 हमारे लिए निरंतर प्रार्थना करते रहो, क्योंकि हमें हमारे निर्मल विवेक का निश्चय है. हमारा लगातार प्रयास यही है कि हमारा जीवन हर एक बात में आदरयोग्य हो.
Pray for us. For we trust we have a good conscience, being willing to behave ourselves well in all things.
19 तुमसे मेरी विशेष विनती है कि प्रार्थना करो कि मैं तुमसे भेंट करने शीघ्र आ सकूं.
And I beseech you the more to do this, that I may be restored to you the sooner.
20 शांति के परमेश्वर, जिन्होंने भेड़ों के महान चरवाहे अर्थात् मसीह येशु, हमारे प्रभु को अनंत वाचा के लहू के द्वारा मरे हुओं में से जीवित किया, (aiōnios )
And may the God of peace, who brought again from the dead the great pastor of the sheep, our Lord Jesus Christ, in the blood of the everlasting testament, (aiōnios )
21 तुम्हें हर एक भले काम में अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए सुसज्जित करें तथा हमें मसीह येशु के द्वारा वह करने के लिए प्रेरित करें, जो उनकी दृष्टि में सुखद है. उन्हीं की महिमा सदा-सर्वदा होती रहे. आमेन. (aiōn )
Fit you in all goodness, that you may do his will; doing in you that which is well pleasing in his sight, through Jesus Christ, to whom is glory for ever and ever. Amen. (aiōn )
22 प्रिय भाई बहनो, मेरी विनती है कि इस उपदेश-पत्र को धीरज से सहन करना क्योंकि यह मैंने संक्षेप में लिखा है.
And I beseech you, brethren, that you suffer this word of consolation. For I have written to you in a few words.
23 याद रहे कि हमारे भाई तिमोथियॉस को छोड़ दिया गया है. यदि वह यहां शीघ्र आएं तो, उनके साथ आकर मैं तुमसे भेंट कर सकूंगा.
Know ye that our brother Timothy is set at liberty: with whom (if he come shortly) I will see you.
24 अपने सभी अगुओं तथा सभी पवित्र लोगों को मेरा नमस्कार. इतालिया वासियों का तुम्हें नमस्कार.
Salute all your prelates, and all the saints. The brethren from Italy salute you.
25 तुम सब पर अनुग्रह बना रहे.
Grace be with you all. Amen.