< हबक्कूक 2 >

1 मैं पहरे के लिये खड़ा रहूंगा और मैं गढ़ की ऊंची दीवार पर खड़ा रहूंगा; मैं देखता रहूंगा कि वे मुझसे क्या कहेंगे, और मैं अपने विरुद्ध शिकायत का क्या उत्तर दूं.
Auf meine Warte will ich treten und auf den Turm mich stellen, und will spähen, um zu sehen, was er mit mir reden wird, und was ich erwidern soll auf meine Klage [Eig. meine Einrede [Kap. 1,12-17].] -
2 तब याहवेह ने उत्तर दिया: “इस दिव्य-प्रकाशन को सरल रूप में पटिया पर लिख दो ताकि घोषणा करनेवाला दौड़ते हुए भी इसे पढ़कर घोषणा कर सके.
Da antwortete mir Jehova und sprach: Schreibe das Gesicht auf, und grabe es in Tafeln ein, damit man es geläufig lesen könne;
3 क्योंकि यह दिव्य-प्रकाशन एक नियत समय में पूरा होगा; यह अंत के समय के बारे में बताता है और यह गलत साबित नहीं होगा. चाहे इसमें देरी हो, पर तुम इसका इंतजार करना; यह निश्चित रूप से पूरा होगा और इसमें देरी न होगी.
denn das Gesicht geht noch auf die bestimmte Zeit, und es strebt nach dem Ende hin [d. h. nach der Zeit des Endes hin; vergl. Dan. 8,19] und lügt nicht. Wenn es verzieht, so harre sein; denn kommen wird es, es wird nicht ausbleiben.
4 “देखो, शत्रु का मन फूला हुआ है; उसकी इच्छाएं बुरी हैं; पर धर्मी जन अपनी विश्वासयोग्यता के कारण जीवित रहेगा,
Siehe, aufgeblasen, nicht aufrichtig ist in ihm seine Seele. Der Gerechte aber wird durch seinen Glauben leben.
5 वास्तव में, दाखमधु उसे धोखा देता है; वह अहंकारी होता है और उतावला रहता है. वह कब्र की तरह लालची और मृत्यु की तरह कभी संतुष्ट नहीं होता, वह सब जाति के लोगों को अपने पास इकट्ठा करता है और सब लोगों को बंधुआ करके ले जाता है. (Sheol h7585)
Und überdies: Der Wein ist treulos [O. tückisch; ] der übermütige Mann, der bleibt [And. üb.: rastet] nicht, er, der seinen Schlund weit aufsperrt wie der Scheol, und er ist wie der Tod und wird nicht satt; und er rafft an sich alle Nationen und sammelt zu sich alle Völker. (Sheol h7585)
6 “क्या वे सब यह कहकर उसका उपहास और बेइज्जती करके ताना नहीं मारेंगे, “‘उस पर हाय, जो चोरी किए गये सामानों का ढेर लगाता है और अवैध काम करके अपने आपको धनी बनाता है! यह कब तक चलता रहेगा?’
Werden nicht diese alle über ihn einen Spruch und eine Spottrede anheben, Rätsel auf ihn? Und man wird sagen: Wehe dem, der aufhäuft, was nicht sein ist! -auf wie lange? -und der Pfandlast [Hier und in v 7 liegt im Hebr. ein Wortspiel vor, indem "Pfandlast" auch "Kotmasse" bedeuten kann und das Wort für "beißen" an "Wucherzins fordern" anklingt] auf sich ladet!
7 क्या तुम्हें कर्ज़ देनेवाले अचानक तुम्हारे सामने आ खड़े न होंगे? क्या वे तुम्हें उठाकर आतंकित नहीं करेंगे? तब तुम लूट लिये जाओगे.
Und werden nicht plötzlich aufstehen, die dich beißen, und aufwachen, die dich fortscheuchen [Eig. aufrütteln [aus deinem Besitztum]] werden? und du wirst ihnen zur Beute werden.
8 क्योंकि तुमने बहुत सी जाति के लोगों को लूटा है, सब बचे हुए लोग अब तुम्हें लूटेंगे. क्योंकि तुमने मनुष्यों का खून बहाया है; तुमने देशों, शहरों और उनके निवासियों को नाश किया है.
Denn du, du hast viele Nationen beraubt; und so werden alle übriggebliebenen Völker dich berauben wegen des Blutes der Menschen und der Gewalttat an Land und Stadt und an allen ihren Bewohnern.
9 “उस पर हाय, जो अन्याय की कमाई से अपना घर बनाता है, और विनाश से बचने के लिये अपने घोंसले को ऊंचे पर रखता है!
Wehe dem, der bösen Gewinn macht für sein Haus, um sein Nest hoch zu setzen, um sich zu retten aus der Hand des Unglücks!
10 अपने ही घर के लोगों को लज्जित करके और अपने प्राण को जोखिम में डालकर तुमने बहुत से लोगों के विनाश का उपाय किया है.
Du hast Schande beratschlagt für dein Haus, die Vertilgung vieler Völker, und hast dein Leben verschuldet [O. und so verschuldest du usw.]
11 दीवार के पत्थर चिल्ला उठेंगे, और लकड़ी की बल्लियां इसका उत्तर देंगी.
Denn der Stein wird schreien aus der Mauer, und der Sparren aus dem Holzwerk ihm antworten.
12 “उस पर हाय, जो रक्तपात के द्वारा शहर का निर्माण करता है और अन्याय से नगर बसाता है!
Wehe dem, der Städte mit Blut baut, und Städte mit Ungerechtigkeit gründet!
13 क्या सर्वशक्तिमान याहवेह ने यह निश्चय नहीं किया है कि लोगों की मेहनत सिर्फ उस लकड़ी जैसी है, जो आग जलाने के काम आती है, और जाति-जाति के लोग अपने लिये बेकार का परिश्रम करते हैं?
Siehe, ist es nicht von Jehova der Heerscharen, daß Völker fürs Feuer sich abmühen, und Völkerschaften vergebens sich plagen?
14 क्योंकि पृथ्वी याहवेह की महिमा के ज्ञान से भर जाएगी, जैसे समुद्र जल से भर जाता है.
Denn die Erde wird voll werden von der Erkenntnis der Herrlichkeit Jehovas, gleichwie die Wasser den Meeresgrund bedecken. [Vergl. Jes. 11,9]
15 “उस पर हाय, जो अपने पड़ोसियों को पीने के लिए दाखमधु देता है, और उन्हें तब तक पिलाता है, जब तक कि वे मतवाले नहीं हो जाते, ताकि वह उनके नंगे शरीर को देख सके!
Wehe dem, der seinem Nächsten zu trinken gibt, indem du deinen Zorn beimischest [And. üb. mit veränderten Vokalen: indem du deinen Schlauch ausgießest, ] und sie auch trunken machst, um ihre Blöße anzuschauen!
16 तुम महिमा के बदले लज्जा से भर जाओगे. अब तुम्हारी पारी है! पियो और अपने नंगेपन को दिखाओ! याहवेह के दाएं हाथ का दाखमधु का कटोरा तुम्हारे पास आ रहा है, और कलंक तुम्हारे महिमा को ढंक देगा.
Du hast mit Schande dich gesättigt anstatt mit Ehre: trinke auch du und zeige dein Unbeschnittensein; der Becher der Rechten Jehovas wird sich zu dir wenden, und schimpfliche Schande über deine Herrlichkeit kommen.
17 तुमने लबानोन के प्रति जो हिंसा के काम किए हैं, वे तुम्हें व्याकुल करेंगे, और तुमने पशुओं को जो नाश किया है, वह तुम्हें भयभीत करेगा. क्योंकि तुमने मनुष्यों का खून बहाया है; तुमने देश, शहर और वहां के निवासियों को नाश किया है.
Denn die Gewalttat am Libanon wird dich bedecken, und die Zerstörung der Tiere, welche sie [nämlich die Tiere] in Schrecken setzte [and. l.: wird dich in Schrecken setzen]: wegen des Blutes der Menschen und der Gewalttat an Land und Stadt und an allen ihren Bewohnern.
18 “एक मूर्तिकार के द्वारा बनाई गई मूर्ति का क्या मूल्य? या उस मूर्ति से क्या लाभ जो झूठ बोलना सिखाती है? क्योंकि जो इसे बनाता है वह अपनी ही रचना पर भरोसा करता है; वह मूर्तियों को बनाता है जो बोल नहीं सकती.
Was nützt ein geschnitztes Bild, daß sein Bildner es geschnitzt hat? ein gegossenes Bild, und welches Lügen lehrt, daß der Bildner seines Bildes darauf vertraut, um stumme Götzen zu machen?
19 उस पर हाय, जो लकड़ी से कहता है, ‘ज़िंदा हो जा!’ या निर्जीव पत्थर से कहता है, ‘उठ!’ क्या यह सिखा सकता है? यह सोना-चांदी से मढ़ा होता है; किंतु उनमें तो श्वास नहीं होता.”
Wehe dem, der zum Holze spricht: Wache auf! zum schweigenden Steine: Erwache! Er sollte lehren? siehe, er ist mit Gold und Silber überzogen, und gar kein Odem ist in seinem Innern.
20 परंतु याहवेह अपने पवित्र मंदिर में हैं; सारी पृथ्वी उनके सामने शांत रहे.
Aber Jehova ist in seinem heiligen Palast-schweige [O. still] vor ihm, ganze Erde!

< हबक्कूक 2 >