< उत्पत्ति 45 >

1 यहां तक आकर योसेफ़ का नियंत्रण टूट गया. वह वहां उपस्थित सभी व्यक्तियों के समक्ष चिल्ला उठे, “सब यहां से बाहर चले जाएं.” सब वहां से बाहर चले गए. तब योसेफ़ ने स्वयं को अपने भाइयों पर अपने वास्तविक रूप में प्रकट किया.
Da konnte Joseph nicht länger an sich halten, wie er bisher aus Rücksicht auf seine Umgebung gethan, und rief: Laßt jedermann hinausgehen! So war niemand weiter zugegen, als sich Joseph seinen Brüdern zu erkennen gab.
2 योसेफ़ का क्रंदन इतना प्रबल था कि बाहर मिस्री अधिकारियों ने इसे सुन लिया तथा इसके विषय में फ़रोह के परिवार ने भी सुन लिया.
Da brach er in lautes Weinen aus, so daß es die Ägypter und die Höflinge des Pharao hörten.
3 तब योसेफ़ ने अपने भाइयों से कहा, “मैं योसेफ़ हूं! क्या मेरा पिताजी अब भी जीवित हैं?” किंतु उनके भाई अवाक रह गए थे, उनके लिए योसेफ़ के समक्ष कुछ भी कहना असंभव हो गया था.
Da sprach Joseph zu seinen Brüdern: Ich bin Joseph! Lebt mein Vater noch? Aber seine Brüder vermochten ihm nicht zu antworten, so bestürzt waren sie ihm gegenüber.
4 तब योसेफ़ ने अपने भाइयों से अनुरोध किया, “मेरे निकट आइए” वे उनके निकट गए तब योसेफ़ ने उनसे कहा, मैं आपका भाई योसेफ़ हूं, जिसे आप लोगों ने मिस्र देश से आनेवाले व्यापारियों के हाथों में बेच दिया था!
Da sprach Joseph zu seinen Brüdern: Tretet doch her zu mir! Und als sie herzutraten, sprach er: Ich bin euer Bruder Joseph, den ihr nach Ägypten verkauft habt!
5 अब आप न तो स्वयं के लिए शोकित हों और न ही क्रुद्ध, कि आपने मुझे यहां के लिए विक्रीत कर दिया था; क्योंकि परमेश्वर ही मुझे आपके पूर्व यहां ले आए हैं, कि जीवन बचाए जाएं.
Nun aber laßt euch das nicht anfechten und geratet nicht in Unmut darüber, daß ihr mich hierher verkauft habt; denn um euch am Leben zu erhalten, hat mich Gott euch vorausgesandt.
6 क्योंकि दो वर्ष से संपूर्ण देश में अकाल व्याप्‍त है तथा यह पांच वर्ष और भी व्याप्‍त रहेगा. तब इन वर्षों में न तो हल चलाए जा सकेंगे और न ही किसी प्रकार की कटनी संभव हो सकेगी.
Zwei Jahre lastet nun schon die Hungersnot auf dem Lande, und noch stehen fünf Jahre bevor, in denen es kein Pflügen und kein Ernten geben wird.
7 परमेश्वर ने मुझे आप लोगों के पूर्व ही यहां भेज दिया था, कि वह आप लोगों के लिए पृथ्वी पर एक शेषांश बचा रखें, आपको एक बड़ा बचाव द्वारा जीवित रखा जा सके.
Gott aber schickte mich euch voraus, um Sorge zu tragen für den Fortbestand eures Stammes, und daß welche von euch am Leben blieben, daß es zu einer großen Errettung käme.
8 “इसलिये, वास्तव में, मुझे यहां आप लोगों के द्वारा नहीं, परंतु परमेश्वर द्वारा भेजा गया था. परमेश्वर ने ही मुझे फ़रोह के पिता का स्थान दिया है, मुझे फ़रोह की समस्त गृहस्थी का प्रभारी तथा पूरे मिस्र देश पर प्रशासक नियुक्त कर दिया है.
Somit habt nicht ihr mich hierher geschickt, sondern Gott; er machte mich zum vertrauten Ratgeber des Pharao und zum Obersten über seinen ganzen Hof und zum Gebieter über ganz Ägypten.
9 अब आप लोग अविलम्ब मेरे पिता के पास जाकर उनसे कहें, ‘आपके पुत्र योसेफ़ का यह आग्रह है: परमेश्वर ने मुझे समग्र मिस्र देश का प्रशासक नियुक्त किया है. आप यहां मेरे पास आ जाएं. अब विलंब न करें.
Zieht nun eilends hin zu meinem Vater und sagt ihm: So läßt dir dein Sohn Joseph sagen: Gott hat mich zum Herrn über ganz Ägypten gemacht; komm zu mir, säume nicht!
10 आप लोग आकर गोशेन प्रदेश में बस जाएं और मेरे निकट ही आप, आपकी संतान, आपकी संतान की संतान, आपके पशुवृन्द, आपकी भेड़-बकरी तथा आपकी संपूर्ण संपत्ति भी.
In der Provinz Gosen sollst du wohnen und du sollst in meiner Nähe sein, samt deinen Söhnen und deinen Enkeln, deinen Schafen und Rindern und deinem ganzen Hausstand.
11 वहां मैं आपके लिए भोजन की व्यवस्था करता रहूंगा, क्योंकि अकाल अभी पांच वर्ष और रहेगा, जिसके कारण आप वहां आपकी संपूर्ण गृहस्थी के साथ पूर्णतः साधन विहीन हो जाएंगे.’
Und ich werde daselbst für deinen Unterhalt sorgen. Denn noch fünf Jahre wird die Hungersnot währen; da könntest du verarmen samt deiner Familie und deinem ganzen Hausstand.
12 “अब आप लोग स्वयं देख लीजिए और यहां स्वयं मेरा भाई बिन्यामिन भी यह देख रहा है कि यह स्वयं मैं आपसे कह रहा हूं.
Ihr seht es ja mit leiblichen Augen, und mein Bruder Benjamin sieht es mit leiblichen Augen, daß ich in eigner Person zu euch rede.
13 अब आप लोग जाइए और जाकर मिस्र में मेरे इस वैभव का उल्लेख वहां मेरे पिता से कीजिए तथा उस सबका भी, जो स्वयं आपने यहां देखा है. आवश्यक है कि अब आप अति शीघ्र जाएं और मेरे पिता को यहां ले आएं.”
Meinem Vater müßt ihr ausführlich berichten über meine hohe Würde in Ägypten und über alles, was ihr gesehen habt, und müßt eilends meinen Vater hierher bringen.
14 तब योसेफ़ अपने भाई बिन्यामिन को गले लगाकर रोते रहे तथा बिन्यामिन भी उनसे गले लगकर रोते रहे.
Hierauf fiel er seinem Bruder Benjamin um den Hals und weinte, und Benjamin weinte an seinem Halse.
15 फिर योसेफ़ ने अपने सभी भाइयों का चुंबन लिया और उनके साथ रोते रहे; इसके बाद ही उनके भाइयों ने योसेफ़ के साथ बात करना आरंभ किया.
Sodann küßte er alle seine Brüder und weinte, indem er sie umarmt hielt; darnach besprachen sich seine Brüder mit ihm.
16 फ़रोह के परिवार में भी यह समाचार सुना गया कि योसेफ़ के भाई आए हुए हैं, जिसे सुनकर फ़रोह तथा उसके दासों में उल्लास की लहर दौड़ गई.
Und die Kunde drang an den Hof des Pharao: die Brüder Josephs sind angekommen! Und der Pharao und seine Umgebung waren erfreut darüber.
17 तब फ़रोह ने योसेफ़ के समक्ष प्रस्ताव रखा, “अपने भाइयों से यह कहो, ‘अपने-अपने गधों पर सामान रखें और कनान देश चले जाएं,
Da sprach der Pharao zu Joseph: Sage deinen Brüdern: beladet also nun eure Lasttiere, zieht hin nach Kanaan,
18 वहां से अपने पिता एवं समस्त गृहस्थी लेकर यहां मेरे पास आ जाएं, मैं उन्हें मिस्र देश का सर्वोत्तम ही प्रदान करूंगा और उनका भोजन इस देश की प्रचुरता में से ही होगा.’
holt euren Vater und eure Familien und kommt her zu mir, so will ich euch zur Verfügung stellen, was Ägypten irgend Gutes bietet; so sollt ihr vom Besten genießen, was das Land erzeugt.
19 “और अब, योसेफ़ तुम्हारे लिए आदेश यह है; ‘ऐसा करो: यहां मिस्र देश से स्त्रियों एवं बालकों के लिए वाहन ले जाओ और अपने पिता को यहां ले आओ.
Du aber gebiete ihnen: Thut also! Nehmt euch aus Ägypten Wagen mit für eure kleinen Kinder und eure Weiber und laßt euren Vater aufsteigen und kommt her.
20 अपने सामान की चिंता न करना, क्योंकि मिस्र देश में जो कुछ सर्वोत्तम है, वह सब तुम्हारा ही है.’”
Laßt euch's aber nicht leid sein um euren Hausrat; denn was Ägypten irgend Gutes bietet, das soll euer sein.
21 इस्राएल के पुत्रों ने ठीक यही किया. फ़रोह के आदेश के अनुरूप योसेफ़ ने उन्हें वाहन प्रदान कर दिए तथा यात्रा के लिए आवश्यक सामग्री भी दी.
Und die Söhne Israels thaten also, und Joseph gab ihnen Wagen gemäß dem Befehl des Pharao und gab ihnen Zehrung für die Reise.
22 योसेफ़ ने हर एक को एक-एक जोड़ी वस्त्र भी दिया, किंतु बिन्यामिन को तीन सौ चांदी मुद्राएं और पांच जोड़ी वस्त्र दिये.
Ihnen allen, Mann für Mann, schenkte er Ehrenkleider, und Benjamin schenkte er 300 Silbersekel und fünf Ehrenkleider.
23 अपने पिता के लिए योसेफ़ ने ये सभी वस्तुएं भेजीं: दस गधे, जिन पर मिस्र की सर्वोत्तम वस्तुएं रख दी गई थीं, दस गधियां, जिन पर भोज्य सामग्री तथा अन्‍न रख दिया गया था, कि यात्रा के समय उनके पिता का भरण-पोषण होता रहे.
Seinem Vater aber sandte er gleichfalls zehn Esel, beladen mit den besten Erzeugnissen des Landes, sowie zehn Eselinnen, beladen mit Getreide, Brot und Zehrung für seinen Vater auf die Reise.
24 इस प्रकार योसेफ़ ने अपने भाइयों को कनान देश के लिए भेज दिया. जब वे विदा हो ही रहे थे, तब योसेफ़ ने उनसे आग्रह किया, “यात्रा मध्य आपस में झगड़ना नहीं.”
Alsdann verabschiedete er seine Brüder, und sie zogen ab, nachdem er sie noch ermahnt hatte: Ereifert euch nicht unterwegs!
25 इसलिये वे मिस्र देश से अपने पिता के पास कनान में पहुंच गए,
So zogen sie fort aus Ägypten und gelangten nach Kanaan zu ihrem Vater Jakob.
26 उन्होंने अपने पिता को सूचित किया, “योसेफ़ जीवित है! और सत्य तो यह है कि वह समस्त मिस्र देश का प्रशासक है.” यह सुन याकोब अवाक रह गए—उन्हें अपने पुत्रों की बातों पर विश्वास ही न हुआ.
Da berichteten sie ihm: Joseph ist noch am Leben, ja er ist sogar Gebieter über ganz Ägypten. Da wurde er ganz starr, denn er konnte ihnen nicht glauben.
27 तब उन्होंने अपने पिता को योसेफ़ की कही हुई वह सारी बातें बताई जो उन्होंने उनसे कही थीं. जब उन्होंने योसेफ़ द्वारा भेजें वाहन देखे, जो उनको ले जाने के लिए भेजे गए थे, तब उनके पिता याकोब के जी में जी आया.
Als sie ihm aber alles berichteten, was Joseph ihnen aufgetragen hatte, und als er die Wagen erblickte, die Joseph gesandt, um ihn hinzubringen, da kam wieder Leben in ihren Vater Jakob.
28 तब इस्राएल ने कहा, “मैं आश्वस्त हूं! मेरा पुत्र योसेफ़ जीवित है, अपनी मृत्यु के पूर्व वहां जाकर मैं उसे देखूंगा.”
Da sprach Israel: Genug - mein Sohn Joseph ist noch am Leben! ich will hin und ihn sehen, bevor ich sterbe.

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