< उत्पत्ति 43 >
1 देश में अब भी अकाल बहुत भयंकर था.
The famine continued to be really bad in Canaan,
2 जब उनके द्वारा मिस्र देश से लाया हुआ अन्न खत्म होने लगा, तब उनके पिता ने कहा, “जाओ, थोड़ा और अनाज खरीद कर लाओ.”
so once they had finished the grain they'd brought from Egypt, their father told them, “You have to go back and buy some more grain for us.”
3 किंतु यहूदाह ने उनसे कहा, “बड़ी गंभीरता पूर्वक उस प्रशासक ने हमें चेतावनी दी थी, ‘यदि तुम अपने साथ अपने भाई को न लाओ तो मुझे अपना मुख न दिखाना.’
But Judah responded, “The man was adamant when he warned us, ‘I won't even see you unless your brother is with you.’
4 अन्न मोल लेने हम तब ही वहां जायेंगे, जब आप हमारे साथ हमारे भाई को भी भेजेंगे.
If you send our brother Benjamin with us then we'll go and buy food for you.
5 यदि आप उसे हमारे साथ नहीं भेजेंगे, तो हम भी नहीं जाएंगे. क्योंकि उस अधिपति ने कहा था, ‘मेरे सामने ही न आना, यदि तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ न होगा.’”
But if you won't send him, then we won't go, because the man was very clear, ‘I won't even see you unless your brother is with you.’”
6 इस्राएल ने कहा, “क्यों तुम लोगों ने उसे यह बताकर मेरा अनर्थ कर दिया कि तुम्हारा एक भाई और भी है?”
“Why have you made things so bad for me by telling the man you had another brother?” Israel asked.
7 किंतु उन्होंने अपने पिता को यह बताया, “वह व्यक्ति ही हमसे हमारे विषय में तथा हमारे संबंधियों के विषय में पूछ रहा था, ‘क्या तुम्हारा पिता अब भी जीवित है? क्या तुम्हारा कोई अन्य भाई भी है?’ हम केवल उसके प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे. हमें क्या मालूम था कि वह हमसे ऐसा कहेंगे ‘अपने उस भाई को यहां ले आओ?’”
“The man kept on asking direct questions about us and our family like ‘Is your father still alive?’ and ‘Do you have another brother?’” they replied. “We just answered his questions. How were we to know he'd say, ‘Bring your brother here!’?”
8 यहूदाह ने अपने पिता इस्राएल से कहा, “इस लड़के को मेरे साथ भेज दीजिए, तब हम यहां से जाएंगे, ताकि अकाल में हमारी मृत्यु न हो जाए और आप, और हमारे बच्चे नहीं मरें और सब जीवित रह सकें.
Judah said to his father Israel, “Send the boy in my care, and we'll leave immediately, so that we can stay alive and not die—and that includes you and us and our children!
9 मैं इस लड़के की जवाबदारी अपने ऊपर लेता हूं; अगर उसे आपके पास लौटा न लाऊं, तो मैं सदा-सर्वदा आपका दोषी बना रहूंगा.
I promise to take care of him—I'll be personally responsible for bringing him back to you. If I don't, then I will always carry the blame!
10 यदि हम देरी न करते तो हम वहां दो बार जाकर आ गए होते.”
Now let's go, because if we hadn't hesitated, we could have gone there and come back twice by now.”
11 यह सुन उनके पिता इस्राएल ने उनसे कहा, “अगर यही बात है, तो ठीक है, यही करो. लेकिन आप लोग अपने-अपने बोरों में उस व्यक्ति के लिए उपहार स्वरूप बलसान, मधु, गोंद, गन्धरस, पिस्ता तथा बादाम ले जाओ.
“If it has to be, then this is what you'll do,” Israel replied. “Take with you the best our country produces. Pack your bags with gifts for the man—balm, a little honey, spices, myrrh, pistachios, and almonds.
12 दो गुणा रुपया भी ले जाओ और जो रुपया तुम्हारे बोरे में वहां से आया था वह भी वापस कर देना, शायद भूल हो गई होगी.
Take double the money that was returned to you in your sacks—maybe it was a mistake.
13 अपने भाई को अपने साथ ले जाओ, देरी न करो.
Take your brother and go back to the man right away.
14 प्रार्थना है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर उस व्यक्ति के दिल में दया डाले ताकि वह तुम्हारे उस भाई बिन्यामिन को छोड़ दे. अगर बिछड़ना ही है, तो ऐसा ही होने दो.”
May God Almighty make the man treat you kindly so when you come before him he'll release your other brother and send Benjamin back. As for me, if I am to lose all my children, then so be it.”
15 तब उन्होंने उपहार, दो गुणा रुपया तथा अपने साथ बिन्यामिन को लिया और मिस्र के लिए रवाना हुए, और योसेफ़ के पास पहुंचे.
So they packed the gifts, took double the money, and set off, accompanied by Benjamin. They arrived in Egypt and went to have an audience with Joseph.
16 जब योसेफ़ ने अपने भाइयों के साथ बिन्यामिन को देखा, तब उन्होंने अपने घर के सेवक से कहा, “इन लोगों को मेरे घर ले जाओ, एक पशु का वध कर भोजन तैयार करो. ये सभी दोपहर का भोजन मेरे साथ करेंगे.”
When Joseph saw Benjamin was with them, he told his household supervisor, “Take these men to my house. Slaughter an animal and make a meal, for they are going to eat with me at noon.”
17 सेवक से जैसा कहा गया उसने वैसा ही किया और इन भाइयों को योसेफ़ के घर पर ले गए.
The man did as Joseph ordered and took them to Joseph's house.
18 योसेफ़ के घर आकर सब डर गए. सबने सोचा, “जो रुपया हम सबके बोरे में था, वे हम लोगों को अपराधी सिद्ध करने लिए उनका उपयोग करेंगे. तब वे हम लोगों के गधों को ले लेंगे और हम लोगों को दास बनाएंगे.”
They were really worried that they were being taken to Joseph's house. “It's because of the money that was put in our sacks the first time we came,” they said to each other. “That's why we're being brought in—so he can accuse us and attack us! He'll make us his slaves and take our donkeys!”
19 इसलिये घर के पास आकर उन्होंने योसेफ़ के गृह सेवक से कहा,
So they went and spoke to Joseph's household supervisor at the entrance to the house.
20 “महोदय, विश्वास कीजिए, जब हम पिछले बार भी मात्र अनाज खरीदने ही आये थे
“Please excuse us, my lord,” they said. “We came down the first time to buy food,
21 तब हमने धर्मशाला पहुंचकर अपने-अपने बोरे खोले, तो हमने देखा कि जो रुपया हमने यहां अनाज के लिए दिया था वह वापस हमारे बोरे में रखा गया; तब हम वह रुपया अपने साथ लाए हैं.
and when we stopped for the night, we opened our sacks and each of us found our money—the exact amount—at the top of our sacks. So we've brought it back with us.
22 दुबारा खरीदने के लिए भी रुपया लाए हैं. हमें कुछ भी नहीं पता कि किसने रुपया हमारे बोरों में रखा था.”
We've also brought more money to buy food. We've no idea who put our money in our sacks!”
23 उस सेवक ने उनसे कहा, “शांत हो जाइए, डरिये नहीं, आपके परमेश्वर, तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने आपके बोरों में रुपया रखा होगा. मुझे तो रुपया मिल चुका है.” यह कहते हुए वह शिमओन को उनके पास बाहर लाए.
“Everything's fine!” he told them. “Don't worry! Your God, the God of your father, must have given you the treasure hidden in your sacks. I got your money.” Then he brought Simeon out to meet them.
24 जब सेवक उन्हें योसेफ़ के घर के भीतर ले गये, उसने उन्हें पांव धोने के लिए पानी दिया, सबने अपने पांव धोए, सेवक ने उनके गधों को चारा भी दिया.
The steward took them inside Joseph's house, gave them water to wash their feet, and supplied food for their donkeys.
25 दोपहर में योसेफ़ के घर पहुंचने से पहले योसेफ़ को देने के लिए जो भेंट वे लाए थे उन्हें तैयार किया क्योंकि योसेफ़ इन सबके साथ खाना खाने आनेवाले थे.
They got their gifts ready for when Joseph would come at noon, because they had found out that they were going to eat there.
26 योसेफ़ के घर पहुंचते ही जो भेंट वे उनके लिए लाए थे उन्हें उनको दिया और प्रणाम किया.
When Joseph arrived at the house they gave him the gifts they had brought for him, and bowed low to the ground before him.
27 योसेफ़ ने सबका हाल पूछा और कहा, “क्या तुम्हारे बूढ़े पिता जिनके विषय में तुमने मुझे बताया था वह जीवित हैं?”
He asked how they were, and then he asked, “How is your elderly father doing that you spoke of? Is he still alive?”
28 उन्होंने कहा, “हमारे पिता ठीक हैं, अभी तक जीवित हैं.” और आदर के साथ सिर झुकाकर प्रणाम किया.
“Yes, your servant our father is still alive, and is well,” they replied and bowed low in respect.
29 तब योसेफ़ ने बिन्यामिन को देखा, योसेफ़ ने पूछा, “क्या यही तुम्हारा छोटा भाई है, जिसके विषय में तुमने मुझसे बताया था?” योसेफ़ ने कहा, “मेरे पुत्र, तुम पर परमेश्वर की कृपा बनी रहे.”
Then Joseph looked over at his brother Benjamin, the son of his own mother. “Is this your youngest brother that you told me about?” he asked. “God be gracious to you, my son,” he said.
30 यह कहकर योसेफ़ एकदम उठकर चले गए, क्योंकि अपने भाई को देखकर प्यार से उनकी आंखें भर आईं और एकांत में जाकर रोने लगे.
Joseph had to run out quickly because he was becoming so emotional at seeing his brother. He looked for a place to cry, and went to his room to weep there.
31 वे अपना मुंह धोकर वापस बाहर आये और अपने आपको संभाला और कहा, “खाना परोसो.”
Then he washed his face, got his emotions under control, and went back out. “Serve the food,” he ordered.
32 योसेफ़ खाना खाने अलग बैठ गए और भाइयों को दूसरी ओर अलग बिठाया, क्योंकि मिस्री और इब्री एक साथ भोजन नहीं कर सकते.
Joseph was served at a table by himself, and his brothers were served at a separate table. The Egyptians were also served at another table, because Egyptians cannot eat with Hebrews because they find this repulsive.
33 योसेफ़ के भाइयों को उनके सामने ही अपनी-अपनी आयु के क्रम से पंक्ति में बैठा गया; सबके पहले सबसे बड़ा, फिर उसका छोटा, फिर उसका छोटा. सभी भाई एक दूसरे को आश्चर्य से देखते रहे.
The brothers had been seated in front of him in order by age, from the firstborn, the oldest, down to the youngest, and they looked at each other in complete surprise.
34 योसेफ़ ने अपने लिए परोसे गए भोजन में से सबको दिया, लेकिन बिन्यामिन को पांच गुणा ज्यादा दिया गया. सबने योसेफ़ के साथ भरपेट खाया और पिया.
The food was served to them from Joseph's table, and Benjamin received five times as much as anyone else. So they ate and drank plenty with him.