< उत्पत्ति 41 >

1 पूरे दो साल बाद फ़रोह ने एक स्वप्न देखा: वे नील नदी के किनारे खड़े हैं.
সম্পূর্ণ দুই বছর যখন পার হয়ে গেল, তখন ফরৌণ একটি স্বপ্ন দেখলেন: তিনি নীলনদের কূলে দাঁড়িয়েছিলেন,
2 नदी में से सात सुंदर एवं मोटी गायें निकली और घास चरने लगीं.
পরে নদী থেকে সাতটি মসৃণ ও হৃষ্টপুষ্ট গরু উঠে এল, এবং সেগুলি নলখাগড়ার বনে চরছিল।
3 फिर और सात गायें नील नदी में से निकलीं, जो कुरूप तथा पतली थीं. ये नदी के किनारे उन मोटी गायों के पास आकर खड़ी हो गईं.
এগুলির পরে অন্য আরও সাতটি কুৎসিতদর্শন ও অস্থিচর্মসার গরু, নীলনদ থেকে উঠে এল ও নদীর কূলে চরা সেই গরুগুলির পাশে এসে দাঁড়াল।
4 और कुरूप एवं दुर्बल गायों ने उन सुंदर एवं मोटी गायों को खा लिया. इससे फ़रोह की नींद खुल गई.
আর যে গরুগুলি কুৎসিত ও অস্থিচর্মসার ছিল, সেগুলি মসৃণ ও হৃষ্টপুষ্ট গরুগুলিকে গিলে ফেলল। পরে ফরৌণ জেগে উঠলেন।
5 जब उन्हें फिर नींद आई, तब उन्होंने एक और स्वप्न देखा: एक ही तने में से सात बालें उगीं, जो अच्छी और मोटी मोटी थीं.
তিনি আবার ঘুমিয়ে পড়লেন ও দ্বিতীয় একটি স্বপ্ন দেখলেন: সাতটি স্বাস্থ্যকর ও সুন্দর শস্যদানার শিষ একটিমাত্র বৃন্তে বেড়ে উঠছিল।
6 फिर सात और बालें उगीं जो पतली और मुरझाई हुई थीं,
সেগুলির পরে, আরও সাতটি শস্যদানার শিষ—কৃষকায় ও পূর্বীয় বায়ু দ্বারা ঝলসিত শিষ অঙ্কুরিত হল।
7 तब पतली बालों ने मोटी बालों को निगल लिया. इससे फ़रोह की नींद खुल गई और वह समझ गये कि यह स्वप्न था.
সেই সাতটি কৃষকায় শিষ সাতটি স্বাস্থ্যকর, পূর্ণ শিষকে গিলে ফেলল। পরে ফরৌণ জেগে উঠলেন; তা এক স্বপ্ন ছিল।
8 सुबह होने पर राजा मन में बेचैन हुए, इसलिये इनका अर्थ जानने के लिए मिस्र देश के सब ज्योतिषियों एवं पंडितों को बुलवाया और फ़रोह ने उन्हें अपने दोनों स्वप्न बताये लेकिन कोई भी उनका अर्थ नहीं बता पाया.
সকালবেলায় তাঁর মন অস্থির হয়ে পড়ল, তাই তিনি মিশরের সব জাদুকর ও জ্ঞানীগুণী মানুষজনকে ডেকে পাঠালেন। ফরৌণ তাঁর স্বপ্নের কথা তাঁদের বললেন, কিন্তু কেউই সেগুলি তাঁর জন্য ব্যাখ্যা করে দিতে পারলেন না।
9 तब प्रधान पिलाने वाले ने फ़रोह से कहा, “आज मुझे अपनी गलती याद आ रही है.
তখন সেই প্রধান পানপাত্র বহনকারী ফরৌণকে বলল, “আমার ত্রুটি-বিচ্যূতির কথা আজ আমার মনে পড়ছে।
10 एक बार फ़रोह अपने नौकरों से क्रुद्ध हुए और मुझे और प्रधान खानसामे को अंगरक्षकों के नायक के घर के बंदीगृह में डाला.
ফরৌণ একবার তাঁর দাসদের উপর ক্রুদ্ধ হয়েছিলেন, এবং তিনি আমাকে ও প্রধান রুটিওয়ালাকে পাহারাদারদের দলপতির বাড়িতে বন্দি করে রেখেছিলেন।
11 हमने उस कारावास में स्वप्न देखा, और दोनों ही स्वप्न का अपना अलग अर्थ था.
একই রাতে আমরা দুজনেই একটি করে স্বপ্ন দেখেছিলাম, এবং প্রত্যেকটি স্বপ্নেরই নিজস্ব এক অর্থ ছিল।
12 एक इब्री युवक वहां था, वह अंगरक्षकों के नायक का सेवक था. जब हमने उसे अपना स्वप्न बताया उसने हमारे हर एक के स्वप्न की व्याख्या की.
সেখানে পাহারাদারদের দলপতির দাস, এক হিব্রু যুবক আমাদের সঙ্গেই ছিল। আমরা তাকে আমাদের স্বপ্নগুলি বলেছিলাম, এবং সে আমাদের জন্য সেগুলি ব্যাখ্যা করে দিয়েছিল, প্রত্যেককে তার স্বপ্নের অর্থ জানিয়েছিল।
13 जैसा उसने बताया था वैसा ही हुआ: फ़रोह ने मुझे तो अपना पद सौंप दिया, और खानसामें को प्राण-दंड दे दिया.”
আর যেভাবে সে আমাদের কাছে সেগুলি ব্যাখ্যা করে দিয়েছিল, ঠিক সেভাবেই তা ঘটল: আমি আমার পদে পুনর্বহাল হলাম, এবং অন্যজনকে শূলে চড়ানো হল।”
14 यह सुनकर फ़रोह ने कहा कि योसेफ़ को मेरे पास लाओ. उन्होंने जल्दी योसेफ़ को कारागार से बाहर निकाला. और उसके बाल कटाकर उसके कपड़े बदलकर फ़रोह के पास लेकर आये.
অতএব ফরৌণ যোষেফকে ডেকে পাঠালেন, এবং তাঁকে তাড়াতাড়ি অন্ধকূপ থেকে নিয়ে আসা হল। চুল-দাড়ি কামিয়ে ও পোশাক পরিবর্তন করে তিনি ফরৌণের সামনে এলেন।
15 फ़रोह ने योसेफ़ से कहा, “मैंने एक स्वप्न देखा है, उसका अर्थ कोई नहीं बता पा रहे हैं, लेकिन मैंने तुम्हारे बारे में सुना है कि तुम स्वप्न का अर्थ बता सकते हो.”
ফরৌণ যোষেফকে বললেন, “আমি একটি স্বপ্ন দেখেছি, এবং কেউই সেটির ব্যাখ্যা করতে পারছে না। কিন্তু আমি তোমার বিষয়ে শুনেছি যে তুমি যখন কোনও স্বপ্নের কথা শোনো, তখন তা ব্যাখ্যা করে দিতে পারো।”
16 योसेफ़ ने यह सुनकर फ़रोह से कहा, “अर्थ मैं नहीं, बल्कि स्वयं परमेश्वर ही देंगे.”
“আমি তা করতে পারি না,” যোষেফ ফরৌণকে উত্তর দিলেন, “কিন্তু ফরৌণের ইচ্ছানুসারে ঈশ্বরই তাঁকে উত্তর দেবেন।”
17 तब फ़रोह ने कहा, “मैंने स्वप्न में देखा कि मैं नील नदी के किनारे खड़ा हूं.
তখন ফরৌণ যোষেফকে বললেন, “আমার স্বপ্নে আমি যখন নীলনদের কূলে দাঁড়িয়েছিলাম,
18 वहां मैंने सात मोटी एवं सुंदर गायों को नील नदी से निकलते देखा. और वे घास चर रही थीं.
তখন নদী থেকে সাতটি হৃষ্টপুষ্ট ও মসৃণ গরু উঠে এল, এবং সেগুলি নলখাগড়ার বনে চরছিল।
19 तभी मैंने देखा कि सात और गायें निकलीं—जो दुबली, पतली और कुरूप थीं. ऐसी कुरूप गायें मैंने मिस्र देश में कभी नहीं देखीं.
সেগুলির পিছু পিছু, অন্য সাতটি গরু উঠে এল—অস্থিসার ও খুব কুৎসিত এবং কৃষকায়। সমগ্র মিশর দেশে আমি এরকম কুৎসিত গরু কখনও দেখিনি।
20 दुर्बल एवं कुरूप गायों ने उन सात मोटी एवं सुंदर गायों को खा लिया.
সেই কৃষকায়, কুৎসিত গরুগুলি সেই সাতটি হৃষ্টপুষ্ট গরুকে খেয়ে ফেলল।
21 इतना होने पर भी यह समझ नहीं पाये कि इन्होंने उन सात मोटी गायों को कैसे खा लिया; लेकिन वे अब भी वैसी ही कुरूप बनी हुई थीं. और मेरी नींद खुल गई.
কিন্তু সেগুলি খেয়ে ফেলার পরও, কেউই বলতে পারেনি যে তারাই এ কাজ করেছিল; আগের মতো তখনও সেগুলিকে কুৎসিতই দেখাচ্ছিল। পরে আমি জেগে উঠলাম।
22 “मैंने एक और स्वप्न देखा: एक ही तने में से सात मोटी एवं अच्छी बालें उगीं.
“আমার স্বপ্নে আমি একই বৃন্তে বেড়ে ওঠা শস্যদানার সাতটি পূর্ণ ও স্বাস্থ্যকর শিষ দেখেছিলাম।
23 तभी मैंने देखा कि कमजोर और मुरझाई, और पूर्वी वायु से झुलसी बालें उगीं.
সেগুলির পিছু পিছু, আরও সাতটি শিষ অঙ্কুরিত হল—শুকনো ও কৃষকায় ও পূর্বীয় বায়ু দ্বারা ঝলসিত।
24 तथा कमजोर बालों ने उन मोटी बालों को निगल लिया. मैंने अपने ज्योतिषियों से ये स्वप्न बताये, लेकिन अर्थ कोई नहीं बता पाया.”
শস্যদানার সেই কৃষকায় শিষগুলি সেই সাতটি সুন্দর শিষকে গিলে ফেলল। আমি একথা জাদুকরদের বললাম, কিন্তু তাদের মধ্যে কেউই আমার কাছে তা ব্যাখ্যা করে দিতে পারেনি।”
25 तब योसेफ़ ने फ़रोह से कहा, “आपके दोनों स्वप्न एक ही हैं. इनमें परमेश्वर ने फ़रोह को बताया हैं कि परमेश्वर क्या करने जा रहे हैं.
তখন যোষেফ ফরৌণকে বললেন, “ফরৌণের স্বপ্নগুলি এক ও অনুরূপ। ঈশ্বর ফরৌণের কাছে প্রকাশ করে দিয়েছেন তিনি কী করতে চলেছেন।
26 सात सुंदर और मोटी गायें सात वर्ष हैं, सात अच्छी बालें भी सात वर्ष हैं; दोनों ही स्वप्न एक ही हैं.
সাতটি সুন্দর গরু হল সাত বছর এবং সাতটি সুন্দর শস্যদানার শিষ হল সাত বছর; এ হল এক ও অনুরূপ স্বপ্ন।
27 कमजोर एवं कुरूप गायें, सात वर्ष हैं, और मुरझाई हुई बालें जो देखी वे भी सात वर्ष; वे अकाल के होंगे.
যে সাতটি কৃষকায়, কুৎসিত গরু পরে উঠে এল সেগুলি সাত বছর, এবং পূর্বীয় বায়ু দ্বারা ঝলসিত শস্যদানার সাতটি রুগ্ন অখাদ্য শিষও তাই: সেগুলি হল সাত বছরের দুর্ভিক্ষ।
28 “जैसा मैंने फ़रोह को बताया, ठीक वैसा ही होगा; परमेश्वर ने आपको यह दिखा दिया है कि जल्दी ही क्या होनेवाला है.
“আমি ফরৌণকে যেমনটি বললাম তা ঠিক এরকম: ঈশ্বর যা করতে চলেছেন তা তিনি ফরৌণকে দেখিয়েছেন।
29 मिस्र देश में सात वर्ष बहुत ही अच्छी फसल होगी,
মিশর দেশে অতিপ্রাচুর্যময় সাতটি বছর আসতে চলেছে,
30 और उसके बाद सात वर्ष का अकाल होगा. तब मिस्र देश के लोग सारी उपज को भूल जायेंगे, और अकाल से देश का नाश होगा.
কিন্তু তার পিছু পিছু দুর্ভিক্ষকবলিত সাতটি বছর আসবে। তখন মিশরের সব প্রাচুর্য মানুষ ভুলে যাবে, এবং দুর্ভিক্ষ দেশটিকে ধ্বংস করে দেবে।
31 अकाल इतना भयानक होगा कि अच्छी फसल और उपज किसी को याद तक नहीं रहेगी.
দেশের প্রাচুর্যকে কেউ মনে রাখবে না, কারণ যে দুর্ভিক্ষ সেটির পিছু পিছু আসতে চলেছে তা খুব ভয়াবহ হবে।
32 फ़रोह आपने एक ही बात के विषय दो बार स्वप्न देखे; यह इस बात को दिखाता है कि परमेश्वर निश्चय ही ऐसा होने देंगे और परमेश्वर जल्दी ही इसे पूरा करेंगे.
ফরৌণকে দুটি আকারে স্বপ্নটি দেওয়ার কারণ হল এই যে বিষয়টি ঈশ্বর দ্বারা অটলভাবে নিশ্চিত হয়ে আছে, এবং অচিরেই ঈশ্বর তা বাস্তবায়িত করবেন।
33 “इसलिये फ़रोह जल्दी किसी समझदार एवं बुद्धिमान व्यक्ति को मिस्र देश का अधिकारी बनाएं.
“আর এখন ফরৌণ একজন বিচক্ষণ ও বুদ্ধিমান লোক খুঁজে বের করুন এবং তার হাতে মিশর দেশের দায়িত্ব তুলে দিন।
34 और फ़रोह सारे मिस्र देश में सर्वेक्षकों को नियुक्त करे और सात वर्ष जो अच्छी फसल और उपज का है, उस समय भूमि की उपज का पंचमांश इकट्ठा करें.
প্রাচুর্যময় সাত বছর ধরে মিশরে উৎপন্ন শস্যের এক-পঞ্চমাংশ আদায় করার জন্য ফরৌণ সারা দেশে ভারপ্রাপ্ত কর্মকর্তাদের নিয়োগ করুন।
35 तब अच्छी फसल के सात वर्षों में सारी भोजन वस्तु एकत्रित की जाये और अनाज को फ़रोह के अधिकार में भंडार नगरों में सुरक्षित रखते जायें.
তাঁরা আগামী এই সুন্দর বছরগুলিতে যেন খাদ্যশস্য সংগ্রহ করেন এবং ফরৌণের কতৃর্ত্বের অধীনে সেই শস্য মজুত করে যেন নগরগুলিতে খাদ্যভাণ্ডার গড়ে রাখেন।
36 और यह भोजन सात वर्ष के अकाल से बचने के लिए पूरे मिस्र देश को देने के लिए इकट्ठा करे ताकि लोग भोजन के अभाव में नहीं मरें.”
মিশরের উপর দুর্ভিক্ষকবলিত যে সাতটি বছর নেমে আসতে চলেছে, সেই সময় ব্যবহারের উপযোগী করে দেশের জন্য এই খাদ্যশস্য মজুত করে রাখতে হবে, যেন দেশটি সেই দুর্ভিক্ষ দ্বারা ধ্বংস হয়ে না যায়।”
37 फ़रोह तथा सब कर्मचारियों को लगा कि यह जवाबदारी योसेफ़ को ही दी जाये.
ফরৌণের ও তাঁর সব কর্মকর্তার কাছে সেই পরিকল্পনাটি বেশ ভালো বলে মনে হল।
38 फ़रोह ने अपने सेवकों से पूछा, “क्या हमें ऐसा कोई व्यक्ति मिल सकता है जिसमें परमेश्वर का आत्मा हो?”
অতএব ফরৌণ তাঁদের জিজ্ঞাসা করলেন, “এই লোকটির মতো কাউকে কি আমরা খুঁজে পাব, যার অন্তরে ঈশ্বরের আত্মা আছে?”
39 फिर फ़रोह ने योसेफ़ से कहा, “इसलिये कि परमेश्वर ने ही तुम पर यह सब प्रकट किया है, तुम यह जवाबदारी लो क्योंकि तुम जैसा समझदार तथा बुद्धिमान कोई नहीं.
পরে ফরৌণ যোষেফকে বললেন, “যেহেতু ঈশ্বর এসব কিছু তোমাকেই জানিয়ে দিয়েছেন, তাই তোমার মতো এত বিচক্ষণ ও জ্ঞানীগুণী আর কেউ নেই।
40 और तुम मेरे महल के अधिकारी होंगे तथा मेरी प्रजा तुम्हारे ही आदेश का पालन करेगी. मैं सिंहासन पर बैठने के कारण राजा होकर तुमसे बड़ा रहूंगा.”
তুমিই আমার প্রাসাদের দায়িত্ব সামলাবে, এবং আমার সব প্রজাকে তোমার আদেশের অধীন হতে হবে। শুধুমাত্র সিংহাসনের ক্ষেত্রে আমি তোমার চেয়ে মহত্তর হব।”
41 और फ़रोह ने योसेफ़ से कहा, “मैंने तुम्हें सारे मिस्र देश पर अधिकार दे दिया है.”
অতএব ফরৌণ যোষেফকে বললেন, “আমি এতদ্বারা তোমার হাতে সম্পূর্ণ মিশর দেশের দায়িত্ব সমর্পণ করে দিলাম।”
42 यह कहते हुए फ़रोह ने अपनी राजमुद्रा वाली अंगूठी उतारकर योसेफ़ को पहना दी, और मलमल के वस्त्र तथा गले में सोने की माला भी पहना दी.
পরে ফরৌণ নিজের আঙুল থেকে তাঁর সিলমোহরের আংটিটি খুলে যোষেফের আঙুলে পরিয়ে দিলেন। তিনি তাঁকে মিহি মসিনার আলখাল্লা দিয়ে সুসজ্জিত করলেন এবং তাঁর গলায় সোনার এক হার পরিয়ে দিলেন।
43 फिर फ़रोह ने योसेफ़ को अपने दूसरे रथ में चढ़ाकर सम्मान दिया. रथों के आगे-आगे चल रहे अधिकारी बोल रहे थे, “घुटने टेको!” इस प्रकार फ़रोह ने योसेफ़ को संपूर्ण मिस्र का अधिकार सौंप दिया.
তিনি তাঁকে পদমর্যাদায় তাঁর দ্বিতীয় প্রধান করে একটি রথে চড়িয়ে দিলেন এবং লোকজন তাঁর সামনে চিৎকার করতে লাগল, “রাস্তা করে দাও!” এভাবে তিনি যোষেফের হাতে সম্পূর্ণ মিশর দেশের দায়িত্ব তুলে দিলেন।
44 और फ़रोह ने योसेफ़ से कहा, “फ़रोह तो मैं हूं, किंतु अब से सारे मिस्र देश में बिना तुम्हारी आज्ञा के कोई भी न तो हाथ उठा सकेगा और न ही पांव.”
পরে ফরৌণ যোষেফকে বললেন, “আমি ফরৌণ, কিন্তু তোমার আদেশ ছাড়া সমগ্র মিশরে কেউ হাত বা পা ওঠাবে না।”
45 फ़रोह ने योसेफ़ का नया नाम ज़ाफेनाथ-पानियाह रखा तथा उनका विवाह ओन के पुरोहित पोतिफेरा की पुत्री असेनाथ से कर दिया. इस प्रकार अब योसेफ़ समस्त मिस्र देश के प्रशासक हो गए.
ফরৌণ যোষেফের নাম রাখলেন সাফনৎ-পানেহ এবং তাঁর স্ত্রী হওয়ার জন্য তিনি ওনের যাজক পোটীফেরের মেয়ে আসনৎকে দান করলেন। আর যোষেফ সমগ্র মিশর দেশ জুড়ে ঘুরে বেড়ালেন।
46 जब योसेफ़ को मिस्र के राजा फ़रोह के पास लाया गया, तब वे तीस वर्ष के थे. फ़रोह से अधिकार पाकर योसेफ़ समस्त मिस्र देश का निरीक्षण करने के लिए निकले.
ত্রিশ বছর বয়সে যোষেফ মিশরের রাজা ফরৌণের কাজে যোগ দিলেন। আর যোষেফ ফরৌণের সামনে থেকে চলে গেলেন এবং সমগ্র মিশর জুড়ে ঘুরে বেড়ালেন।
47 पहले सात वर्षों में बहुत उपज हुई.
প্রাচুর্যময় সাত বছর জমিতে প্রচুর ফসল উৎপন্ন হল।
48 और योसेफ़ ने इन सात वर्षों में बहुत भोजन वस्तुएं जमा की, जो मिस्र देश में उत्पन्‍न हो रही थीं. वह सब अन्‍न योसेफ़ नगरों में जमा करते गए. जिस नगर के पास खेत था उसकी उपज वहीं जमा करते गए.
প্রাচুর্যময় সেই সাত বছর ধরে মিশরে যত খাদ্যশস্য উৎপন্ন হল, যোষেফ সেসব সংগ্রহ করলেন ও নগরগুলিতে মজুত করে রাখলেন। প্রত্যেকটি নগরের চারপাশের জমিতে উৎপন্ন খাদ্যশস্য তিনি সেইসব নগরেই রেখে দিলেন।
49 इस तरह योसेफ़ ने सागर तट के बालू समान अनाज जमा कर लिया कि उसको गिनना ही छोड़ दिया, क्योंकि उपज असंख्य हो चुकी थी.
প্রচুর খাদ্যশস্য, সমুদ্রের বালুকণার মতো করে যোষেফ মজুত করে ফেললেন; তা পরিমাণে এত বেশি ছিল যে তিনি হিসেব রাখা বন্ধ করে দিলেন, কারণ তা অসম্ভব হয়ে পড়েছিল।
50 इससे पहले कि अकाल के वर्ष शुरू हों, ओन के पुरोहित पोतिफेरा की पुत्री असेनाथ से योसेफ़ के दो पुत्र पैदा हुए.
দুর্ভিক্ষকবলিত বছরগুলি এসে পড়ার আগেই, ওনের যাজক পোটীফেরের মেয়ে আসনতের মাধ্যমে যোষেফের দুই ছেলে জন্মেছিল।
51 पहले बेटे का नाम योसेफ़ ने मनश्शेह रखा क्योंकि उन्होंने विचार किया, “परमेश्वर ने सभी कष्टों एवं मेरे पिता के परिवार को भुलाने में मेरी सहायता की है.”
যোষেফ তাঁর বড়ো ছেলের নাম রাখলেন মনঃশি এবং বললেন, “যেহেতু ঈশ্বর আমাকে আমার সব দুঃখকষ্ট ও আমার বাবার পুরো পরিবারকেই ভুলিয়ে দিয়েছেন।”
52 उन्होंने दूसरे पुत्र का नाम एफ्राईम रखा, क्योंकि उनका कहना था, “दुःख मिलने की जगह इस देश में परमेश्वर ने मुझे फलवंत किया.”
দ্বিতীয় ছেলের নাম তিনি রাখলেন ইফ্রয়িম এবং বললেন “যেহেতু ঈশ্বর আমাকে আমার দুঃখের দেশে ফলপ্রসূ করেছেন।”
53 जब मिस्र देश में फसल के वे सात वर्ष खत्म हुए,
মিশরে প্রাচুর্যময় সাত বছর সমাপ্ত হল,
54 तब अकाल के सात वर्षों की शुरुआत हुई, जैसा योसेफ़ ने कहा था. सभी देशों में अकाल था, किंतु मिस्र देश में अन्‍न की कोई कमी न थी.
এবং দুর্ভিক্ষকবলিত সাত বছর শুরু হল, যোষেফ ঠিক যেমনটি বলেছিলেন। অন্যান্য দেশেও দুর্ভিক্ষ হল, কিন্তু সমগ্র মিশর দেশে খাদ্যদ্রব্য ছিল।
55 जब मिस्र देश में भोजन की कमी होने लगी तब लोग फ़रोह से भोजन मांगने लगे. फ़रोह ने मिस्र की प्रजा से कहा, “तुम योसेफ़ के पास जाओ. वह जो कुछ कहे, वही करना.”
সমগ্র মিশরে যখন দুর্ভিক্ষের অনুভূতি শুরু হল, তখন প্রজারা ফরৌণের কাছে খাদ্যদ্রব্যের জন্য কান্নাকাটি করল। তখন ফরৌণ সব মিশরবাসীকে বললেন, “যোষেফের কাছে যাও ও সে যা বলবে তাই করো।”
56 जब पूरे देश में अकाल पड़ा, तब योसेफ़ ने अपने भंडार खोलकर मिस्रवासियों को अन्‍न बेचना शुरू किया, क्योंकि अकाल भयानक था.
দুর্ভিক্ষ যখন সমগ্র দেশে ছড়িয়ে পড়ল, তখন যোষেফ সব আড়ত খুলে দিলেন ও মিশরীয়দের কাছে খাদ্যশস্য বিক্রি করলেন, কারণ সমগ্র মিশর জুড়ে দুর্ভিক্ষ ভয়াবহ রূপ ধারণ করল।
57 पृथ्वी के अलग-अलग देश से लोग योसेफ़ से अन्‍न खरीदने आने लगे, क्योंकि सारी पृथ्वी पर अकाल भयंकर हो चुका था.
সমগ্র জগৎ মিশরে যোষেফের কাছে খাদ্যশস্য কিনতে এল, কারণ দুর্ভিক্ষ সর্বত্র ভয়াবহ রূপ ধারণ করল।

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