< उत्पत्ति 31 >

1 याकोब के कानों में यह समाचार पड़ा कि लाबान के पुत्र बड़बड़ा रहे थे, “याकोब ने तो वह सब हड़प लिया है, जो हमारे पिता का था और अब वह हमारे पिता ही की संपत्ति के आधार पर समृद्ध बना बैठा है.”
וַיִּשְׁמַע אֶת־דִּבְרֵי בְנֵֽי־לָבָן לֵאמֹר לָקַח יַעֲקֹב אֵת כׇּל־אֲשֶׁר לְאָבִינוּ וּמֵאֲשֶׁר לְאָבִינוּ עָשָׂה אֵת כׇּל־הַכָּבֹד הַזֶּֽה׃
2 यहां याकोब ने पाया कि लाबान की अभिवृत्ति उनके प्रति अब पहले जैसी नहीं रह गई थी.
וַיַּרְא יַעֲקֹב אֶת־פְּנֵי לָבָן וְהִנֵּה אֵינֶנּוּ עִמּוֹ כִּתְמוֹל שִׁלְשֽׁוֹם׃
3 इस स्थिति के प्रकाश में याहवेह ने याकोब को आदेश दिया, “अपने पिता एवं अपने संबंधियों के देश को लौट जाओ. मैं इसमें तुम्हारे पक्ष में हूं.”
וַיֹּאמֶר יְהֹוָה אֶֽל־יַעֲקֹב שׁוּב אֶל־אֶרֶץ אֲבוֹתֶיךָ וּלְמוֹלַדְתֶּךָ וְאֶֽהְיֶה עִמָּֽךְ׃
4 इसलिये याकोब ने राहेल तथा लियाह को वहीं बुला लिया, जहां वे भेड़-बकरियों के साथ थे.
וַיִּשְׁלַח יַעֲקֹב וַיִּקְרָא לְרָחֵל וּלְלֵאָה הַשָּׂדֶה אֶל־צֹאנֽוֹ׃
5 उन्होंने उनसे कहा, “मैं तुम्हारे पिता की अभिवृत्ति स्पष्ट देख रहा हूं; अब यह मेरे प्रति पहले जैसी सौहार्दपूर्ण नहीं रह गई; किंतु मेरे पिता के परमेश्वर मेरे साथ रहे हैं.
וַיֹּאמֶר לָהֶן רֹאֶה אָנֹכִי אֶת־פְּנֵי אֲבִיכֶן כִּֽי־אֵינֶנּוּ אֵלַי כִּתְמֹל שִׁלְשֹׁם וֵֽאלֹהֵי אָבִי הָיָה עִמָּדִֽי׃
6 तुम दोनों को ही यह उत्तम रीति से ज्ञात है कि मैंने यथाशक्ति तुम्हारे पिता की सेवा की है.
וְאַתֵּנָה יְדַעְתֶּן כִּי בְּכׇל־כֹּחִי עָבַדְתִּי אֶת־אֲבִיכֶֽן׃
7 इतना होने पर भी तुम्हारे पिता ने मेरे साथ छल किया और दस अवसरों पर मेरे पारिश्रमिक में परिवर्तन किए हैं; फिर भी परमेश्वर ने उन्हें मेरी कोई हानि न करने दी.
וַאֲבִיכֶן הֵתֶל בִּי וְהֶחֱלִף אֶת־מַשְׂכֻּרְתִּי עֲשֶׂרֶת מֹנִים וְלֹֽא־נְתָנוֹ אֱלֹהִים לְהָרַע עִמָּדִֽי׃
8 यदि उन्होंने कहा, ‘चित्तीयुक्त पशु तुम्हारे पारिश्रमिक होंगे,’ तो सभी भेड़ चित्तीयुक्त मेमने ही पैदा करने लगे; यदि उन्होंने कहा, ‘अच्छा, धारीयुक्त पशु तुम्हारा पारिश्रमिक होंगे,’ तो भेड़ धारीयुक्त मेमने उत्पन्‍न करने लगे.
אִם־כֹּה יֹאמַר נְקֻדִּים יִהְיֶה שְׂכָרֶךָ וְיָלְדוּ כׇל־הַצֹּאן נְקֻדִּים וְאִם־כֹּה יֹאמַר עֲקֻדִּים יִהְיֶה שְׂכָרֶךָ וְיָלְדוּ כׇל־הַצֹּאן עֲקֻדִּֽים׃
9 यह तो परमेश्वर का ही कृत्य था, जो उन्होंने तुम्हारे पिता के ये पशु मुझे दे दिए हैं.
וַיַּצֵּל אֱלֹהִים אֶת־מִקְנֵה אֲבִיכֶם וַיִּתֶּן־לִֽי׃
10 “तब पशुओं के समागम के अवसर पर मैंने एक स्वप्न देखा कि वे बकरे, जो संभोग कर रहे थे, वे धारीयुक्त, चित्तीयुक्त एवं धब्बे युक्त थे.
וַיְהִי בְּעֵת יַחֵם הַצֹּאן וָאֶשָּׂא עֵינַי וָאֵרֶא בַּחֲלוֹם וְהִנֵּה הָֽעַתֻּדִים הָעֹלִים עַל־הַצֹּאן עֲקֻדִּים נְקֻדִּים וּבְרֻדִּֽים׃
11 परमेश्वर के दूत ने स्वप्न में मुझसे कहा, ‘याकोब,’ मैंने कहा, ‘क्या आज्ञा है, प्रभु?’
וַיֹּאמֶר אֵלַי מַלְאַךְ הָאֱלֹהִים בַּחֲלוֹם יַֽעֲקֹב וָאֹמַר הִנֵּֽנִי׃
12 और उसने कहा, ‘याकोब, देखो-देखो, जितने भी बकरे इस समय संभोग कर रहे हैं, वे धारीयुक्त हैं, चित्तीयुक्त हैं तथा धब्बे युक्त हैं; क्योंकि मैंने वह सब देख लिया है, जो लाबान तुम्हारे साथ करता रहा है.
וַיֹּאמֶר שָׂא־נָא עֵינֶיךָ וּרְאֵה כׇּל־הָֽעַתֻּדִים הָעֹלִים עַל־הַצֹּאן עֲקֻדִּים נְקֻדִּים וּבְרֻדִּים כִּי רָאִיתִי אֵת כׇּל־אֲשֶׁר לָבָן עֹשֶׂה לָּֽךְ׃
13 मैं बेथेल का परमेश्वर हूं, जहां तुमने उस शिलाखण्ड का अभ्यंजन किया था, जहां तुमने मेरे समक्ष संकल्प लिया था; अब उठो. छोड़ दो इस स्थान को और अपने जन्मस्थान को लौट जाओ.’”
אָנֹכִי הָאֵל בֵּֽית־אֵל אֲשֶׁר מָשַׁחְתָּ שָּׁם מַצֵּבָה אֲשֶׁר נָדַרְתָּ לִּי שָׁם נֶדֶר עַתָּה קוּם צֵא מִן־הָאָרֶץ הַזֹּאת וְשׁוּב אֶל־אֶרֶץ מוֹלַדְתֶּֽךָ׃
14 राहेल तथा लियाह ने उनसे कहा, “क्या अब भी हमारे पिता की संपत्ति में हमारा कोई अंश अथवा उत्तराधिकार शेष रह गया है?
וַתַּעַן רָחֵל וְלֵאָה וַתֹּאמַרְנָה לוֹ הַעוֹד לָנוּ חֵלֶק וְנַחֲלָה בְּבֵית אָבִֽינוּ׃
15 क्या अब हम उनके आंकलन में विदेशी नहीं हो गई हैं? उन्होंने हमें बेच दिया है, तथा हमारे अंश की धनराशि भी हड़प ली है.
הֲלוֹא נׇכְרִיּוֹת נֶחְשַׁבְנוּ לוֹ כִּי מְכָרָנוּ וַיֹּאכַל גַּם־אָכוֹל אֶת־כַּסְפֵּֽנוּ׃
16 निःसंदेह अब तो, जो संपत्ति परमेश्वर ने हमारे पिता से छीन ली है, हमारी तथा हमारी संतान की हो चुकी है. तो आप वही कीजिए, जिसका निर्देश आपको परमेश्वर दे चुके हैं.”
כִּי כׇל־הָעֹשֶׁר אֲשֶׁר הִצִּיל אֱלֹהִים מֵֽאָבִינוּ לָנוּ הוּא וּלְבָנֵינוּ וְעַתָּה כֹּל אֲשֶׁר אָמַר אֱלֹהִים אֵלֶיךָ עֲשֵֽׂה׃
17 तब याकोब ने अपने बालकों एवं पत्नियों को ऊंटों पर बैठा दिया,
וַיָּקׇם יַעֲקֹב וַיִּשָּׂא אֶת־בָּנָיו וְאֶת־נָשָׁיו עַל־הַגְּמַלִּֽים׃
18 याकोब ने अपने समस्त पशुओं को, अपनी समस्त संपत्ति को, जो उनके वहां रहते हुए संकलित होती गई थी तथा वह पशु धन, जो पद्दन-अराम में उनके प्रवासकाल में संकलित होता चला गया था, इन सबको लेकर अपने पिता यित्सहाक के आवास कनान की ओर प्रस्थान किया.
וַיִּנְהַג אֶת־כׇּל־מִקְנֵהוּ וְאֶת־כׇּל־רְכֻשׁוֹ אֲשֶׁר רָכָשׁ מִקְנֵה קִנְיָנוֹ אֲשֶׁר רָכַשׁ בְּפַדַּן אֲרָם לָבוֹא אֶל־יִצְחָק אָבִיו אַרְצָה כְּנָֽעַן׃
19 जब लाबान ऊन कतरने के लिए बाहर गया हुआ था, राहेल ने अपने पिता के गृहदेवता—प्रतिमाओं की चोरी कर ली.
וְלָבָן הָלַךְ לִגְזֹז אֶת־צֹאנוֹ וַתִּגְנֹב רָחֵל אֶת־הַתְּרָפִים אֲשֶׁר לְאָבִֽיהָ׃
20 तब याकोब ने भी अरामी लाबान के साथ प्रवंचना की; याकोब ने लाबान को सूचित ही नहीं किया कि वे पलायन कर रहे थे.
וַיִּגְנֹב יַעֲקֹב אֶת־לֵב לָבָן הָאֲרַמִּי עַל־בְּלִי הִגִּיד לוֹ כִּי בֹרֵחַ הֽוּא׃
21 इसलिये याकोब अपनी समस्त संपत्ति को लेकर पलायन कर गए. उन्होंने फरात नदी पार की और पर्वतीय प्रदेश गिलआद की दिशा में आगे बढ़ गए.
וַיִּבְרַח הוּא וְכׇל־אֲשֶׁר־לוֹ וַיָּקׇם וַיַּעֲבֹר אֶת־הַנָּהָר וַיָּשֶׂם אֶת־פָּנָיו הַר הַגִּלְעָֽד׃
22 तीसरे दिन जब लाबान को यह सूचना दी गई कि याकोब पलायन कर चुके हैं,
וַיֻּגַּד לְלָבָן בַּיּוֹם הַשְּׁלִישִׁי כִּי בָרַח יַעֲקֹֽב׃
23 तब लाबान ने अपने संबंधियों को साथ लेकर याकोब का पीछा किया. सात दिन पीछा करने के बाद वे गिलआद के पर्वतीय प्रदेश में उनके निकट पहुंच गए.
וַיִּקַּח אֶת־אֶחָיו עִמּוֹ וַיִּרְדֹּף אַחֲרָיו דֶּרֶךְ שִׁבְעַת יָמִים וַיַּדְבֵּק אֹתוֹ בְּהַר הַגִּלְעָֽד׃
24 परमेश्वर ने अरामी लाबान पर रात्रि में स्वप्न में प्रकट होकर उसे चेतावनी दी, “सावधान रहना कि तुम याकोब से कुछ प्रिय-अप्रिय न कह बैठो.”
וַיָּבֹא אֱלֹהִים אֶל־לָבָן הָאֲרַמִּי בַּחֲלֹם הַלָּיְלָה וַיֹּאמֶר לוֹ הִשָּׁמֶר לְךָ פֶּן־תְּדַבֵּר עִֽם־יַעֲקֹב מִטּוֹב עַד־רָֽע׃
25 लाबान याकोब तक जा पहुंचा. याकोब के शिविर पर्वतीय क्षेत्र में थे तथा लाबान ने भी अपने शिविर अपने संबंधियों सदृश गिलआद के पर्वतीय क्षेत्र में खड़े किए हुए थे.
וַיַּשֵּׂג לָבָן אֶֽת־יַעֲקֹב וְיַעֲקֹב תָּקַע אֶֽת־אׇהֳלוֹ בָּהָר וְלָבָן תָּקַע אֶת־אֶחָיו בְּהַר הַגִּלְעָֽד׃
26 लाबान ने याकोब से कहा, “यह क्या कर रहे हो तुम? यह तो मेरे साथ छल है! तुम तो मेरी पुत्रियों को ऐसे लिए जा रहे हो, जैसे युद्धबन्दियों को तलवार के आतंक में ले जाया जाता है.
וַיֹּאמֶר לָבָן לְיַעֲקֹב מֶה עָשִׂיתָ וַתִּגְנֹב אֶת־לְבָבִי וַתְּנַהֵג אֶת־בְּנֹתַי כִּשְׁבֻיוֹת חָֽרֶב׃
27 क्या आवश्यकता थी ऐसे छिपकर भागने की, मुझसे छल करने की? यदि तुमने मुझे इसकी सूचना दी होती, तो मैं तुम्हें डफ तथा किन्‍नोर की संगत पर गीतों के साथ सहर्ष विदा करता!
לָמָּה נַחְבֵּאתָ לִבְרֹחַ וַתִּגְנֹב אֹתִי וְלֹא־הִגַּדְתָּ לִּי וָֽאֲשַׁלֵּחֲךָ בְּשִׂמְחָה וּבְשִׁרִים בְּתֹף וּבְכִנּֽוֹר׃
28 तुमने तो मुझे सुअवसर ही न दिया कि मैं अपने पुत्र-पुत्रियों को चुंबन के साथ विदा कर सकता. तुम्हारा यह कृत्य मूर्खतापूर्ण है.
וְלֹא נְטַשְׁתַּנִי לְנַשֵּׁק לְבָנַי וְלִבְנֹתָי עַתָּה הִסְכַּלְתָּֽ עֲשֽׂוֹ׃
29 मुझे यह अधिकार है कि तुम्हें इसके लिए प्रताड़ित करूं; किंतु तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने कल रात्रि मुझ पर प्रकट होकर मुझे आदेश दिया है कि मैं तुमसे कुछ भी प्रिय-अप्रिय न कहूं.
יֶשׁ־לְאֵל יָדִי לַעֲשׂוֹת עִמָּכֶם רָע וֵֽאלֹהֵי אֲבִיכֶם אֶמֶשׁ ׀ אָמַר אֵלַי לֵאמֹר הִשָּׁמֶר לְךָ מִדַּבֵּר עִֽם־יַעֲקֹב מִטּוֹב עַד־רָֽע׃
30 ठीक है, तुम्हें अपने पिता के निकट रहने की इच्छा है, मान लिया; किंतु क्या आवश्यकता थी तुम्हें मेरे गृह-देवताओं की चोरी करने की?”
וְעַתָּה הָלֹךְ הָלַכְתָּ כִּֽי־נִכְסֹף נִכְסַפְתָּה לְבֵית אָבִיךָ לָמָּה גָנַבְתָּ אֶת־אֱלֹהָֽי׃
31 तब याकोब ने लाबान को उत्तर दिया, “मेरे इस प्रकार आने का कारण थी मेरी यह आशंका, कि आप मुझसे अपनी पुत्रियां बलात छीन लेते.
וַיַּעַן יַעֲקֹב וַיֹּאמֶר לְלָבָן כִּי יָרֵאתִי כִּי אָמַרְתִּי פֶּן־תִּגְזֹל אֶת־בְּנוֹתֶיךָ מֵעִמִּֽי׃
32 किंतु आपको जिस किसी के पास से वे गृहदेवता प्राप्‍त होंगे, उसे जीवित न छोड़ा जाएगा. आपके ही संबंधियों की उपस्थिति में आप हमारी संपत्ति में से जो कुछ आपका है, ले लीजिए.” याकोब को इस तथ्य का कोई संज्ञान न था कि राहेल ने उन गृह-देवताओं की मूर्तियों को चुराई हैं.
עִם אֲשֶׁר תִּמְצָא אֶת־אֱלֹהֶיךָ לֹא יִֽחְיֶה נֶגֶד אַחֵינוּ הַֽכֶּר־לְךָ מָה עִמָּדִי וְקַֽח־לָךְ וְלֹֽא־יָדַע יַעֲקֹב כִּי רָחֵל גְּנָבָֽתַם׃
33 इसलिये लाबान याकोब के शिविर के भीतर गया, उसके बाद लियाह के शिविर में, और उसके बाद परिचारिकाओं के शिविर में. किंतु वह देवता उसे वहां प्राप्‍त न हुआ. तब वह लियाह के शिविर से निकलकर राहेल के शिविर में गया.
וַיָּבֹא לָבָן בְּאֹהֶל יַעֲקֹב ׀ וּבְאֹהֶל לֵאָה וּבְאֹהֶל שְׁתֵּי הָאֲמָהֹת וְלֹא מָצָא וַיֵּצֵא מֵאֹהֶל לֵאָה וַיָּבֹא בְּאֹהֶל רָחֵֽל׃
34 राहेल ने ही वे गृहदेवता छिपाए हुए थे, जिन्हें उसने ऊंट की काठी में रखा हुआ था. वह स्वयं उन पर बैठ गई थी. लाबान ने समस्त शिविर में खोज कर ली थी, किंतु उसे कुछ प्राप्‍त न हुआ था.
וְרָחֵל לָקְחָה אֶת־הַתְּרָפִים וַתְּשִׂמֵם בְּכַר הַגָּמָל וַתֵּשֶׁב עֲלֵיהֶם וַיְמַשֵּׁשׁ לָבָן אֶת־כׇּל־הָאֹהֶל וְלֹא מָצָֽא׃
35 उसने अपने पिता से आग्रह किया, “पिताजी, आप क्रुद्ध न हों. मैं आपके समक्ष खड़ी होने के असमर्थ हूं; क्योंकि इस समय मैं रजस्वला हूं.” तब लाबान के खोजने पर भी उसे वे गृह-देवताओं की मूर्तियां नहीं मिलीं.
וַתֹּאמֶר אֶל־אָבִיהָ אַל־יִחַר בְּעֵינֵי אֲדֹנִי כִּי לוֹא אוּכַל לָקוּם מִפָּנֶיךָ כִּי־דֶרֶךְ נָשִׁים לִי וַיְחַפֵּשׂ וְלֹא מָצָא אֶת־הַתְּרָפִֽים׃
36 तब याकोब का क्रोध उद्दीप्‍त हो उठा. वह लाबान से तर्क-वितर्क करने लगे, “क्या अपराध है मेरा?” क्या पाप किया है मैंने, जो आप इस प्रकार मेरा पीछा करते हुए आ रहे हैं?
וַיִּחַר לְיַעֲקֹב וַיָּרֶב בְּלָבָן וַיַּעַן יַעֲקֹב וַיֹּאמֶר לְלָבָן מַה־פִּשְׁעִי מַה חַטָּאתִי כִּי דָלַקְתָּ אַחֲרָֽי׃
37 आपने मेरी समस्त वस्तुओं में उन देवताओं की खोज कर ली है, किंतु आपको कोई भी अपनी वस्तु प्राप्‍त हुई है? आपके तथा मेरे संबंधियों के समक्ष यह स्पष्ट हो जाए, कि वे हम दोनों के मध्य अपना निर्णय दे सकें.
כִּֽי־מִשַּׁשְׁתָּ אֶת־כׇּל־כֵּלַי מַה־מָּצָאתָ מִכֹּל כְּלֵי־בֵיתֶךָ שִׂים כֹּה נֶגֶד אַחַי וְאַחֶיךָ וְיוֹכִיחוּ בֵּין שְׁנֵֽינוּ׃
38 “इन बीस वर्षों तक मैं आपके साथ रहा हूं. आपकी भेड़ों एवं बकरियों में कभी गर्भपात नहीं हुआ. अपने भोजन के लिए मैंने कभी आपके पशुवृन्द में से मेढ़े नहीं उठाए.
זֶה עֶשְׂרִים שָׁנָה אָנֹכִי עִמָּךְ רְחֵלֶיךָ וְעִזֶּיךָ לֹא שִׁכֵּלוּ וְאֵילֵי צֹאנְךָ לֹא אָכָֽלְתִּי׃
39 जब कभी किसी वन्य पशु ने हमारे पशु को फाड़ा, मैंने उसे कभी आपके वृन्द में सम्मिलित नहीं किया; इसे मैंने अपनी ही हानि में सम्मिलित किया था. चाहे कोई पशु दिन में चोरी हुआ अथवा रात्रि में, आपने मुझसे भुगतान की मांग की.
טְרֵפָה לֹא־הֵבֵאתִי אֵלֶיךָ אָנֹכִי אֲחַטֶּנָּה מִיָּדִי תְּבַקְשֶׁנָּה גְּנֻֽבְתִי יוֹם וּגְנֻֽבְתִי לָֽיְלָה׃
40 मेरी स्थिति तो ऐसी रही कि दिन में मुझ पर ऊष्मा का प्रहार होता रहा तथा रात्रि में ठंड का. मेरे नेत्रों से निद्रा दूर ही दूर रही.
הָיִיתִי בַיּוֹם אֲכָלַנִי חֹרֶב וְקֶרַח בַּלָּיְלָה וַתִּדַּד שְׁנָתִי מֵֽעֵינָֽי׃
41 इन बीस वर्षों में मैं आपके परिवार में रहा हूं; चौदह वर्ष आपकी पुत्रियों के लिए तथा छः वर्ष आपके भेड़-बकरियों के लिए. इन वर्षों में आपने दस बार मेरा पारिश्रमिक परिवर्तित किया है.
זֶה־לִּי עֶשְׂרִים שָׁנָה בְּבֵיתֶךָ עֲבַדְתִּיךָ אַרְבַּֽע־עֶשְׂרֵה שָׁנָה בִּשְׁתֵּי בְנֹתֶיךָ וְשֵׁשׁ שָׁנִים בְּצֹאנֶךָ וַתַּחֲלֵף אֶת־מַשְׂכֻּרְתִּי עֲשֶׂרֶת מֹנִֽים׃
42 यदि मेरे पिता के परमेश्वर, अब्राहाम तथा यित्सहाक के परमेश्वर का भय मेरे साथ न होता, तो आपने तो मुझे रिक्त हस्त ही विदा कर दिया होता. परमेश्वर ने मेरे कष्ट एवं मेरे हाथों के परिश्रम को देखा है, और उसका प्रतिफल उन्होंने मुझे कल रात में प्रदान कर दिया है.”
לוּלֵי אֱלֹהֵי אָבִי אֱלֹהֵי אַבְרָהָם וּפַחַד יִצְחָק הָיָה לִי כִּי עַתָּה רֵיקָם שִׁלַּחְתָּנִי אֶת־עׇנְיִי וְאֶת־יְגִיעַ כַּפַּי רָאָה אֱלֹהִים וַיּוֹכַח אָֽמֶשׁ׃
43 यह सब सुनकर लाबान ने याकोब को उत्तर दिया, “ये स्त्रियां मेरी पुत्रियां हैं, ये बालक मेरे बालक हैं, ये भेड़-बकरियां भी मेरी ही हैं, तथा जो कुछ तुम्हें दिखाई दे रहा है, वह मेरा ही है; किंतु अब मैं अपनी पुत्रियों एवं इन बालकों का क्या करूं, जो इनकी सन्तति हैं?
וַיַּעַן לָבָן וַיֹּאמֶר אֶֽל־יַעֲקֹב הַבָּנוֹת בְּנֹתַי וְהַבָּנִים בָּנַי וְהַצֹּאן צֹאנִי וְכֹל אֲשֶׁר־אַתָּה רֹאֶה לִי־הוּא וְלִבְנֹתַי מָֽה־אֶעֱשֶׂה לָאֵלֶּה הַיּוֹם אוֹ לִבְנֵיהֶן אֲשֶׁר יָלָֽדוּ׃
44 इसलिये आओ, हम परस्पर यह वाचा स्थापित कर लें, तुम और मैं, और यही हमारे मध्य साक्ष्य हो जाए.”
וְעַתָּה לְכָה נִכְרְתָה בְרִית אֲנִי וָאָתָּה וְהָיָה לְעֵד בֵּינִי וּבֵינֶֽךָ׃
45 इसलिये याकोब ने एक शिलाखण्ड को स्तंभ स्वरूप खड़ा किया.
וַיִּקַּח יַעֲקֹב אָבֶן וַיְרִימֶהָ מַצֵּבָֽה׃
46 याकोब ने अपने संबंधियों से कहा, “पत्थर एकत्र करो.” इसलिये उन्होंने पत्थर एकत्र कर एक ढेर बना दिया तथा उस ढेर के निकट बैठ उन्होंने भोजन किया.
וַיֹּאמֶר יַעֲקֹב לְאֶחָיו לִקְטוּ אֲבָנִים וַיִּקְחוּ אֲבָנִים וַיַּֽעֲשׂוּ־גָל וַיֹּאכְלוּ שָׁם עַל־הַגָּֽל׃
47 लाबान ने तो इसे नाम दिया येगर-सहदूथा किंतु याकोब ने इसे गलएद कहकर पुकारा.
וַיִּקְרָא־לוֹ לָבָן יְגַר שָׂהֲדוּתָא וְיַֽעֲקֹב קָרָא לוֹ גַּלְעֵֽד׃
48 लाबान ने कहा, “पत्थरों का यह ढेर आज मेरे तथा तुम्हारे मध्य एक साक्ष्य है.” इसलिये इसे गलएद तथा मिज़पाह नाम दिया गया,
וַיֹּאמֶר לָבָן הַגַּל הַזֶּה עֵד בֵּינִי וּבֵינְךָ הַיּוֹם עַל־כֵּן קָרָֽא־שְׁמוֹ גַּלְעֵֽד׃
49 क्योंकि उनका कथन था, “जब हम एक दूसरे की दृष्टि से दूर हों, याहवेह ही तुम्हारे तथा मेरे मध्य चौकसी बनाए रखें.
וְהַמִּצְפָּה אֲשֶׁר אָמַר יִצֶף יְהֹוָה בֵּינִי וּבֵינֶךָ כִּי נִסָּתֵר אִישׁ מֵרֵעֵֽהוּ׃
50 यदि तुम मेरी पुत्रियों के साथ दुर्व्यवहार करो अथवा मेरी पुत्रियों के अतिरिक्त पत्नियां ले आओ, यद्यपि कोई मनुष्य यह देख न सकेगा, किंतु स्मरण रहे, तुम्हारे तथा मेरे मध्य परमेश्वर साक्ष्य हैं.”
אִם־תְּעַנֶּה אֶת־בְּנֹתַי וְאִם־תִּקַּח נָשִׁים עַל־בְּנֹתַי אֵין אִישׁ עִמָּנוּ רְאֵה אֱלֹהִים עֵד בֵּינִי וּבֵינֶֽךָ׃
51 लाबान ने याकोब से कहा, “इस ढेर को तथा इस स्तंभ को देखो, जो मैंने तुम्हारे तथा मेरे मध्य में स्थापित किया है.
וַיֹּאמֶר לָבָן לְיַעֲקֹב הִנֵּה ׀ הַגַּל הַזֶּה וְהִנֵּה הַמַּצֵּבָה אֲשֶׁר יָרִיתִי בֵּינִי וּבֵינֶֽךָ׃
52 यह स्तंभ तथा पत्थरों का ढेर साक्ष्य है, कि मैं इसके निकट से होकर तुम्हारी हानि करने के लक्ष्य से आगे नहीं बढ़ूंगा, वैसे ही तुम भी इस ढेर तथा इस स्तंभ के निकट से होकर मेरी हानि के उद्देश्य से आगे नहीं बढ़ोगे.
עֵד הַגַּל הַזֶּה וְעֵדָה הַמַּצֵּבָה אִם־אָנִי לֹֽא־אֶעֱבֹר אֵלֶיךָ אֶת־הַגַּל הַזֶּה וְאִם־אַתָּה לֹא־תַעֲבֹר אֵלַי אֶת־הַגַּל הַזֶּה וְאֶת־הַמַּצֵּבָה הַזֹּאת לְרָעָֽה׃
53 इसके लिए अब्राहाम के परमेश्वर, नाहोर के परमेश्वर तथा उनके पिता के परमेश्वर हमारा न्याय करें.” इसलिये याकोब ने अपने पिता यित्सहाक के प्रति भय-भाव में शपथ ली.
אֱלֹהֵי אַבְרָהָם וֵֽאלֹהֵי נָחוֹר יִשְׁפְּטוּ בֵינֵינוּ אֱלֹהֵי אֲבִיהֶם וַיִּשָּׁבַע יַעֲקֹב בְּפַחַד אָבִיו יִצְחָֽק׃
54 फिर याकोब ने उस पर्वत पर ही बलि अर्पित की तथा अपने संबंधियों को भोज के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने भोजन किया तथा पर्वत पर ही रात्रि व्यतीत की.
וַיִּזְבַּח יַעֲקֹב זֶבַח בָּהָר וַיִּקְרָא לְאֶחָיו לֶאֱכׇל־לָחֶם וַיֹּאכְלוּ לֶחֶם וַיָּלִינוּ בָּהָֽר׃
55 बड़े तड़के लाबान उठा, अपने पुत्र-पुत्रियों का चुंबन लिया तथा उन्हें आशीर्वाद दिया. फिर लाबान स्वदेश लौट गया.
וַיַּשְׁכֵּם לָבָן בַּבֹּקֶר וַיְנַשֵּׁק לְבָנָיו וְלִבְנוֹתָיו וַיְבָרֶךְ אֶתְהֶם וַיֵּלֶךְ וַיָּשׇׁב לָבָן לִמְקֹמֽוֹ׃

< उत्पत्ति 31 >