< उत्पत्ति 31 >
1 याकोब के कानों में यह समाचार पड़ा कि लाबान के पुत्र बड़बड़ा रहे थे, “याकोब ने तो वह सब हड़प लिया है, जो हमारे पिता का था और अब वह हमारे पिता ही की संपत्ति के आधार पर समृद्ध बना बैठा है.”
ἤκουσεν δὲ Ιακωβ τὰ ῥήματα τῶν υἱῶν Λαβαν λεγόντων εἴληφεν Ιακωβ πάντα τὰ τοῦ πατρὸς ἡμῶν καὶ ἐκ τῶν τοῦ πατρὸς ἡμῶν πεποίηκεν πᾶσαν τὴν δόξαν ταύτην
2 यहां याकोब ने पाया कि लाबान की अभिवृत्ति उनके प्रति अब पहले जैसी नहीं रह गई थी.
καὶ εἶδεν Ιακωβ τὸ πρόσωπον τοῦ Λαβαν καὶ ἰδοὺ οὐκ ἦν πρὸς αὐτὸν ὡς ἐχθὲς καὶ τρίτην ἡμέραν
3 इस स्थिति के प्रकाश में याहवेह ने याकोब को आदेश दिया, “अपने पिता एवं अपने संबंधियों के देश को लौट जाओ. मैं इसमें तुम्हारे पक्ष में हूं.”
εἶπεν δὲ κύριος πρὸς Ιακωβ ἀποστρέφου εἰς τὴν γῆν τοῦ πατρός σου καὶ εἰς τὴν γενεάν σου καὶ ἔσομαι μετὰ σοῦ
4 इसलिये याकोब ने राहेल तथा लियाह को वहीं बुला लिया, जहां वे भेड़-बकरियों के साथ थे.
ἀποστείλας δὲ Ιακωβ ἐκάλεσεν Ραχηλ καὶ Λειαν εἰς τὸ πεδίον οὗ τὰ ποίμνια
5 उन्होंने उनसे कहा, “मैं तुम्हारे पिता की अभिवृत्ति स्पष्ट देख रहा हूं; अब यह मेरे प्रति पहले जैसी सौहार्दपूर्ण नहीं रह गई; किंतु मेरे पिता के परमेश्वर मेरे साथ रहे हैं.
καὶ εἶπεν αὐταῖς ὁρῶ ἐγὼ τὸ πρόσωπον τοῦ πατρὸς ὑμῶν ὅτι οὐκ ἔστιν πρὸς ἐμοῦ ὡς ἐχθὲς καὶ τρίτην ἡμέραν ὁ δὲ θεὸς τοῦ πατρός μου ἦν μετ’ ἐμοῦ
6 तुम दोनों को ही यह उत्तम रीति से ज्ञात है कि मैंने यथाशक्ति तुम्हारे पिता की सेवा की है.
καὶ αὐταὶ δὲ οἴδατε ὅτι ἐν πάσῃ τῇ ἰσχύι μου δεδούλευκα τῷ πατρὶ ὑμῶν
7 इतना होने पर भी तुम्हारे पिता ने मेरे साथ छल किया और दस अवसरों पर मेरे पारिश्रमिक में परिवर्तन किए हैं; फिर भी परमेश्वर ने उन्हें मेरी कोई हानि न करने दी.
ὁ δὲ πατὴρ ὑμῶν παρεκρούσατό με καὶ ἤλλαξεν τὸν μισθόν μου τῶν δέκα ἀμνῶν καὶ οὐκ ἔδωκεν αὐτῷ ὁ θεὸς κακοποιῆσαί με
8 यदि उन्होंने कहा, ‘चित्तीयुक्त पशु तुम्हारे पारिश्रमिक होंगे,’ तो सभी भेड़ चित्तीयुक्त मेमने ही पैदा करने लगे; यदि उन्होंने कहा, ‘अच्छा, धारीयुक्त पशु तुम्हारा पारिश्रमिक होंगे,’ तो भेड़ धारीयुक्त मेमने उत्पन्न करने लगे.
ἐὰν οὕτως εἴπῃ τὰ ποικίλα ἔσται σου μισθός καὶ τέξεται πάντα τὰ πρόβατα ποικίλα ἐὰν δὲ εἴπῃ τὰ λευκὰ ἔσται σου μισθός καὶ τέξεται πάντα τὰ πρόβατα λευκά
9 यह तो परमेश्वर का ही कृत्य था, जो उन्होंने तुम्हारे पिता के ये पशु मुझे दे दिए हैं.
καὶ ἀφείλατο ὁ θεὸς πάντα τὰ κτήνη τοῦ πατρὸς ὑμῶν καὶ ἔδωκέν μοι αὐτά
10 “तब पशुओं के समागम के अवसर पर मैंने एक स्वप्न देखा कि वे बकरे, जो संभोग कर रहे थे, वे धारीयुक्त, चित्तीयुक्त एवं धब्बे युक्त थे.
καὶ ἐγένετο ἡνίκα ἐνεκίσσων τὰ πρόβατα καὶ εἶδον τοῖς ὀφθαλμοῖς αὐτὰ ἐν τῷ ὕπνῳ καὶ ἰδοὺ οἱ τράγοι καὶ οἱ κριοὶ ἀναβαίνοντες ἦσαν ἐπὶ τὰ πρόβατα καὶ τὰς αἶγας διάλευκοι καὶ ποικίλοι καὶ σποδοειδεῖς ῥαντοί
11 परमेश्वर के दूत ने स्वप्न में मुझसे कहा, ‘याकोब,’ मैंने कहा, ‘क्या आज्ञा है, प्रभु?’
καὶ εἶπέν μοι ὁ ἄγγελος τοῦ θεοῦ καθ’ ὕπνον Ιακωβ ἐγὼ δὲ εἶπα τί ἐστιν
12 और उसने कहा, ‘याकोब, देखो-देखो, जितने भी बकरे इस समय संभोग कर रहे हैं, वे धारीयुक्त हैं, चित्तीयुक्त हैं तथा धब्बे युक्त हैं; क्योंकि मैंने वह सब देख लिया है, जो लाबान तुम्हारे साथ करता रहा है.
καὶ εἶπεν ἀνάβλεψον τοῖς ὀφθαλμοῖς σου καὶ ἰδὲ τοὺς τράγους καὶ τοὺς κριοὺς ἀναβαίνοντας ἐπὶ τὰ πρόβατα καὶ τὰς αἶγας διαλεύκους καὶ ποικίλους καὶ σποδοειδεῖς ῥαντούς ἑώρακα γὰρ ὅσα σοι Λαβαν ποιεῖ
13 मैं बेथेल का परमेश्वर हूं, जहां तुमने उस शिलाखण्ड का अभ्यंजन किया था, जहां तुमने मेरे समक्ष संकल्प लिया था; अब उठो. छोड़ दो इस स्थान को और अपने जन्मस्थान को लौट जाओ.’”
ἐγώ εἰμι ὁ θεὸς ὁ ὀφθείς σοι ἐν τόπῳ θεοῦ οὗ ἤλειψάς μοι ἐκεῖ στήλην καὶ ηὔξω μοι ἐκεῖ εὐχήν νῦν οὖν ἀνάστηθι καὶ ἔξελθε ἐκ τῆς γῆς ταύτης καὶ ἄπελθε εἰς τὴν γῆν τῆς γενέσεώς σου καὶ ἔσομαι μετὰ σοῦ
14 राहेल तथा लियाह ने उनसे कहा, “क्या अब भी हमारे पिता की संपत्ति में हमारा कोई अंश अथवा उत्तराधिकार शेष रह गया है?
καὶ ἀποκριθεῖσα Ραχηλ καὶ Λεια εἶπαν αὐτῷ μὴ ἔστιν ἡμῖν ἔτι μερὶς ἢ κληρονομία ἐν τῷ οἴκῳ τοῦ πατρὸς ἡμῶν
15 क्या अब हम उनके आंकलन में विदेशी नहीं हो गई हैं? उन्होंने हमें बेच दिया है, तथा हमारे अंश की धनराशि भी हड़प ली है.
οὐχ ὡς αἱ ἀλλότριαι λελογίσμεθα αὐτῷ πέπρακεν γὰρ ἡμᾶς καὶ κατέφαγεν καταβρώσει τὸ ἀργύριον ἡμῶν
16 निःसंदेह अब तो, जो संपत्ति परमेश्वर ने हमारे पिता से छीन ली है, हमारी तथा हमारी संतान की हो चुकी है. तो आप वही कीजिए, जिसका निर्देश आपको परमेश्वर दे चुके हैं.”
πάντα τὸν πλοῦτον καὶ τὴν δόξαν ἣν ἀφείλατο ὁ θεὸς τοῦ πατρὸς ἡμῶν ἡμῖν ἔσται καὶ τοῖς τέκνοις ἡμῶν νῦν οὖν ὅσα εἴρηκέν σοι ὁ θεός ποίει
17 तब याकोब ने अपने बालकों एवं पत्नियों को ऊंटों पर बैठा दिया,
ἀναστὰς δὲ Ιακωβ ἔλαβεν τὰς γυναῖκας αὐτοῦ καὶ τὰ παιδία αὐτοῦ ἐπὶ τὰς καμήλους
18 याकोब ने अपने समस्त पशुओं को, अपनी समस्त संपत्ति को, जो उनके वहां रहते हुए संकलित होती गई थी तथा वह पशु धन, जो पद्दन-अराम में उनके प्रवासकाल में संकलित होता चला गया था, इन सबको लेकर अपने पिता यित्सहाक के आवास कनान की ओर प्रस्थान किया.
καὶ ἀπήγαγεν πάντα τὰ ὑπάρχοντα αὐτοῦ καὶ πᾶσαν τὴν ἀποσκευὴν αὐτοῦ ἣν περιεποιήσατο ἐν τῇ Μεσοποταμίᾳ καὶ πάντα τὰ αὐτοῦ ἀπελθεῖν πρὸς Ισαακ τὸν πατέρα αὐτοῦ εἰς γῆν Χανααν
19 जब लाबान ऊन कतरने के लिए बाहर गया हुआ था, राहेल ने अपने पिता के गृहदेवता—प्रतिमाओं की चोरी कर ली.
Λαβαν δὲ ᾤχετο κεῖραι τὰ πρόβατα αὐτοῦ ἔκλεψεν δὲ Ραχηλ τὰ εἴδωλα τοῦ πατρὸς αὐτῆς
20 तब याकोब ने भी अरामी लाबान के साथ प्रवंचना की; याकोब ने लाबान को सूचित ही नहीं किया कि वे पलायन कर रहे थे.
ἔκρυψεν δὲ Ιακωβ Λαβαν τὸν Σύρον τοῦ μὴ ἀναγγεῖλαι αὐτῷ ὅτι ἀποδιδράσκει
21 इसलिये याकोब अपनी समस्त संपत्ति को लेकर पलायन कर गए. उन्होंने फरात नदी पार की और पर्वतीय प्रदेश गिलआद की दिशा में आगे बढ़ गए.
καὶ ἀπέδρα αὐτὸς καὶ πάντα τὰ αὐτοῦ καὶ διέβη τὸν ποταμὸν καὶ ὥρμησεν εἰς τὸ ὄρος Γαλααδ
22 तीसरे दिन जब लाबान को यह सूचना दी गई कि याकोब पलायन कर चुके हैं,
ἀνηγγέλη δὲ Λαβαν τῷ Σύρῳ τῇ τρίτῃ ἡμέρᾳ ὅτι ἀπέδρα Ιακωβ
23 तब लाबान ने अपने संबंधियों को साथ लेकर याकोब का पीछा किया. सात दिन पीछा करने के बाद वे गिलआद के पर्वतीय प्रदेश में उनके निकट पहुंच गए.
καὶ παραλαβὼν πάντας τοὺς ἀδελφοὺς αὐτοῦ μεθ’ ἑαυτοῦ ἐδίωξεν ὀπίσω αὐτοῦ ὁδὸν ἡμερῶν ἑπτὰ καὶ κατέλαβεν αὐτὸν ἐν τῷ ὄρει τῷ Γαλααδ
24 परमेश्वर ने अरामी लाबान पर रात्रि में स्वप्न में प्रकट होकर उसे चेतावनी दी, “सावधान रहना कि तुम याकोब से कुछ प्रिय-अप्रिय न कह बैठो.”
ἦλθεν δὲ ὁ θεὸς πρὸς Λαβαν τὸν Σύρον καθ’ ὕπνον τὴν νύκτα καὶ εἶπεν αὐτῷ φύλαξαι σεαυτόν μήποτε λαλήσῃς μετὰ Ιακωβ πονηρά
25 लाबान याकोब तक जा पहुंचा. याकोब के शिविर पर्वतीय क्षेत्र में थे तथा लाबान ने भी अपने शिविर अपने संबंधियों सदृश गिलआद के पर्वतीय क्षेत्र में खड़े किए हुए थे.
καὶ κατέλαβεν Λαβαν τὸν Ιακωβ Ιακωβ δὲ ἔπηξεν τὴν σκηνὴν αὐτοῦ ἐν τῷ ὄρει Λαβαν δὲ ἔστησεν τοὺς ἀδελφοὺς αὐτοῦ ἐν τῷ ὄρει Γαλααδ
26 लाबान ने याकोब से कहा, “यह क्या कर रहे हो तुम? यह तो मेरे साथ छल है! तुम तो मेरी पुत्रियों को ऐसे लिए जा रहे हो, जैसे युद्धबन्दियों को तलवार के आतंक में ले जाया जाता है.
εἶπεν δὲ Λαβαν τῷ Ιακωβ τί ἐποίησας ἵνα τί κρυφῇ ἀπέδρας καὶ ἐκλοποφόρησάς με καὶ ἀπήγαγες τὰς θυγατέρας μου ὡς αἰχμαλώτιδας μαχαίρᾳ
27 क्या आवश्यकता थी ऐसे छिपकर भागने की, मुझसे छल करने की? यदि तुमने मुझे इसकी सूचना दी होती, तो मैं तुम्हें डफ तथा किन्नोर की संगत पर गीतों के साथ सहर्ष विदा करता!
καὶ εἰ ἀνήγγειλάς μοι ἐξαπέστειλα ἄν σε μετ’ εὐφροσύνης καὶ μετὰ μουσικῶν τυμπάνων καὶ κιθάρας
28 तुमने तो मुझे सुअवसर ही न दिया कि मैं अपने पुत्र-पुत्रियों को चुंबन के साथ विदा कर सकता. तुम्हारा यह कृत्य मूर्खतापूर्ण है.
οὐκ ἠξιώθην καταφιλῆσαι τὰ παιδία μου καὶ τὰς θυγατέρας μου νῦν δὲ ἀφρόνως ἔπραξας
29 मुझे यह अधिकार है कि तुम्हें इसके लिए प्रताड़ित करूं; किंतु तुम्हारे पिता के परमेश्वर ने कल रात्रि मुझ पर प्रकट होकर मुझे आदेश दिया है कि मैं तुमसे कुछ भी प्रिय-अप्रिय न कहूं.
καὶ νῦν ἰσχύει ἡ χείρ μου κακοποιῆσαί σε ὁ δὲ θεὸς τοῦ πατρός σου ἐχθὲς εἶπεν πρός με λέγων φύλαξαι σεαυτόν μήποτε λαλήσῃς μετὰ Ιακωβ πονηρά
30 ठीक है, तुम्हें अपने पिता के निकट रहने की इच्छा है, मान लिया; किंतु क्या आवश्यकता थी तुम्हें मेरे गृह-देवताओं की चोरी करने की?”
νῦν οὖν πεπόρευσαι ἐπιθυμίᾳ γὰρ ἐπεθύμησας ἀπελθεῖν εἰς τὸν οἶκον τοῦ πατρός σου ἵνα τί ἔκλεψας τοὺς θεούς μου
31 तब याकोब ने लाबान को उत्तर दिया, “मेरे इस प्रकार आने का कारण थी मेरी यह आशंका, कि आप मुझसे अपनी पुत्रियां बलात छीन लेते.
ἀποκριθεὶς δὲ Ιακωβ εἶπεν τῷ Λαβαν εἶπα γάρ μήποτε ἀφέλῃς τὰς θυγατέρας σου ἀπ’ ἐμοῦ καὶ πάντα τὰ ἐμά
32 किंतु आपको जिस किसी के पास से वे गृहदेवता प्राप्त होंगे, उसे जीवित न छोड़ा जाएगा. आपके ही संबंधियों की उपस्थिति में आप हमारी संपत्ति में से जो कुछ आपका है, ले लीजिए.” याकोब को इस तथ्य का कोई संज्ञान न था कि राहेल ने उन गृह-देवताओं की मूर्तियों को चुराई हैं.
ἐπίγνωθι τί ἐστιν τῶν σῶν παρ’ ἐμοί καὶ λαβέ καὶ οὐκ ἐπέγνω παρ’ αὐτῷ οὐθέν καὶ εἶπεν αὐτῷ Ιακωβ παρ’ ᾧ ἐὰν εὕρῃς τοὺς θεούς σου οὐ ζήσεται ἐναντίον τῶν ἀδελφῶν ἡμῶν οὐκ ᾔδει δὲ Ιακωβ ὅτι Ραχηλ ἡ γυνὴ αὐτοῦ ἔκλεψεν αὐτούς
33 इसलिये लाबान याकोब के शिविर के भीतर गया, उसके बाद लियाह के शिविर में, और उसके बाद परिचारिकाओं के शिविर में. किंतु वह देवता उसे वहां प्राप्त न हुआ. तब वह लियाह के शिविर से निकलकर राहेल के शिविर में गया.
εἰσελθὼν δὲ Λαβαν ἠρεύνησεν εἰς τὸν οἶκον Λειας καὶ οὐχ εὗρεν καὶ ἐξελθὼν ἐκ τοῦ οἴκου Λειας ἠρεύνησεν τὸν οἶκον Ιακωβ καὶ ἐν τῷ οἴκῳ τῶν δύο παιδισκῶν καὶ οὐχ εὗρεν εἰσῆλθεν δὲ καὶ εἰς τὸν οἶκον Ραχηλ
34 राहेल ने ही वे गृहदेवता छिपाए हुए थे, जिन्हें उसने ऊंट की काठी में रखा हुआ था. वह स्वयं उन पर बैठ गई थी. लाबान ने समस्त शिविर में खोज कर ली थी, किंतु उसे कुछ प्राप्त न हुआ था.
Ραχηλ δὲ ἔλαβεν τὰ εἴδωλα καὶ ἐνέβαλεν αὐτὰ εἰς τὰ σάγματα τῆς καμήλου καὶ ἐπεκάθισεν αὐτοῖς
35 उसने अपने पिता से आग्रह किया, “पिताजी, आप क्रुद्ध न हों. मैं आपके समक्ष खड़ी होने के असमर्थ हूं; क्योंकि इस समय मैं रजस्वला हूं.” तब लाबान के खोजने पर भी उसे वे गृह-देवताओं की मूर्तियां नहीं मिलीं.
καὶ εἶπεν τῷ πατρὶ αὐτῆς μὴ βαρέως φέρε κύριε οὐ δύναμαι ἀναστῆναι ἐνώπιόν σου ὅτι τὸ κατ’ ἐθισμὸν τῶν γυναικῶν μοί ἐστιν ἠρεύνησεν δὲ Λαβαν ἐν ὅλῳ τῷ οἴκῳ καὶ οὐχ εὗρεν τὰ εἴδωλα
36 तब याकोब का क्रोध उद्दीप्त हो उठा. वह लाबान से तर्क-वितर्क करने लगे, “क्या अपराध है मेरा?” क्या पाप किया है मैंने, जो आप इस प्रकार मेरा पीछा करते हुए आ रहे हैं?
ὠργίσθη δὲ Ιακωβ καὶ ἐμαχέσατο τῷ Λαβαν ἀποκριθεὶς δὲ Ιακωβ εἶπεν τῷ Λαβαν τί τὸ ἀδίκημά μου καὶ τί τὸ ἁμάρτημά μου ὅτι κατεδίωξας ὀπίσω μου
37 आपने मेरी समस्त वस्तुओं में उन देवताओं की खोज कर ली है, किंतु आपको कोई भी अपनी वस्तु प्राप्त हुई है? आपके तथा मेरे संबंधियों के समक्ष यह स्पष्ट हो जाए, कि वे हम दोनों के मध्य अपना निर्णय दे सकें.
καὶ ὅτι ἠρεύνησας πάντα τὰ σκεύη μου τί εὗρες ἀπὸ πάντων τῶν σκευῶν τοῦ οἴκου σου θὲς ὧδε ἐναντίον τῶν ἀδελφῶν μου καὶ τῶν ἀδελφῶν σου καὶ ἐλεγξάτωσαν ἀνὰ μέσον τῶν δύο ἡμῶν
38 “इन बीस वर्षों तक मैं आपके साथ रहा हूं. आपकी भेड़ों एवं बकरियों में कभी गर्भपात नहीं हुआ. अपने भोजन के लिए मैंने कभी आपके पशुवृन्द में से मेढ़े नहीं उठाए.
ταῦτά μοι εἴκοσι ἔτη ἐγώ εἰμι μετὰ σοῦ τὰ πρόβατά σου καὶ αἱ αἶγές σου οὐκ ἠτεκνώθησαν κριοὺς τῶν προβάτων σου οὐ κατέφαγον
39 जब कभी किसी वन्य पशु ने हमारे पशु को फाड़ा, मैंने उसे कभी आपके वृन्द में सम्मिलित नहीं किया; इसे मैंने अपनी ही हानि में सम्मिलित किया था. चाहे कोई पशु दिन में चोरी हुआ अथवा रात्रि में, आपने मुझसे भुगतान की मांग की.
θηριάλωτον οὐκ ἀνενήνοχά σοι ἐγὼ ἀπετίννυον παρ’ ἐμαυτοῦ κλέμματα ἡμέρας καὶ κλέμματα νυκτός
40 मेरी स्थिति तो ऐसी रही कि दिन में मुझ पर ऊष्मा का प्रहार होता रहा तथा रात्रि में ठंड का. मेरे नेत्रों से निद्रा दूर ही दूर रही.
ἐγινόμην τῆς ἡμέρας συγκαιόμενος τῷ καύματι καὶ παγετῷ τῆς νυκτός καὶ ἀφίστατο ὁ ὕπνος ἀπὸ τῶν ὀφθαλμῶν μου
41 इन बीस वर्षों में मैं आपके परिवार में रहा हूं; चौदह वर्ष आपकी पुत्रियों के लिए तथा छः वर्ष आपके भेड़-बकरियों के लिए. इन वर्षों में आपने दस बार मेरा पारिश्रमिक परिवर्तित किया है.
ταῦτά μοι εἴκοσι ἔτη ἐγώ εἰμι ἐν τῇ οἰκίᾳ σου ἐδούλευσά σοι δέκα τέσσαρα ἔτη ἀντὶ τῶν δύο θυγατέρων σου καὶ ἓξ ἔτη ἐν τοῖς προβάτοις σου καὶ παρελογίσω τὸν μισθόν μου δέκα ἀμνάσιν
42 यदि मेरे पिता के परमेश्वर, अब्राहाम तथा यित्सहाक के परमेश्वर का भय मेरे साथ न होता, तो आपने तो मुझे रिक्त हस्त ही विदा कर दिया होता. परमेश्वर ने मेरे कष्ट एवं मेरे हाथों के परिश्रम को देखा है, और उसका प्रतिफल उन्होंने मुझे कल रात में प्रदान कर दिया है.”
εἰ μὴ ὁ θεὸς τοῦ πατρός μου Αβρααμ καὶ ὁ φόβος Ισαακ ἦν μοι νῦν ἂν κενόν με ἐξαπέστειλας τὴν ταπείνωσίν μου καὶ τὸν κόπον τῶν χειρῶν μου εἶδεν ὁ θεὸς καὶ ἤλεγξέν σε ἐχθές
43 यह सब सुनकर लाबान ने याकोब को उत्तर दिया, “ये स्त्रियां मेरी पुत्रियां हैं, ये बालक मेरे बालक हैं, ये भेड़-बकरियां भी मेरी ही हैं, तथा जो कुछ तुम्हें दिखाई दे रहा है, वह मेरा ही है; किंतु अब मैं अपनी पुत्रियों एवं इन बालकों का क्या करूं, जो इनकी सन्तति हैं?
ἀποκριθεὶς δὲ Λαβαν εἶπεν τῷ Ιακωβ αἱ θυγατέρες θυγατέρες μου καὶ οἱ υἱοὶ υἱοί μου καὶ τὰ κτήνη κτήνη μου καὶ πάντα ὅσα σὺ ὁρᾷς ἐμά ἐστιν καὶ τῶν θυγατέρων μου τί ποιήσω ταύταις σήμερον ἢ τοῖς τέκνοις αὐτῶν οἷς ἔτεκον
44 इसलिये आओ, हम परस्पर यह वाचा स्थापित कर लें, तुम और मैं, और यही हमारे मध्य साक्ष्य हो जाए.”
νῦν οὖν δεῦρο διαθώμεθα διαθήκην ἐγὼ καὶ σύ καὶ ἔσται εἰς μαρτύριον ἀνὰ μέσον ἐμοῦ καὶ σοῦ εἶπεν δὲ αὐτῷ ἰδοὺ οὐθεὶς μεθ’ ἡμῶν ἐστιν ἰδὲ ὁ θεὸς μάρτυς ἀνὰ μέσον ἐμοῦ καὶ σοῦ
45 इसलिये याकोब ने एक शिलाखण्ड को स्तंभ स्वरूप खड़ा किया.
λαβὼν δὲ Ιακωβ λίθον ἔστησεν αὐτὸν στήλην
46 याकोब ने अपने संबंधियों से कहा, “पत्थर एकत्र करो.” इसलिये उन्होंने पत्थर एकत्र कर एक ढेर बना दिया तथा उस ढेर के निकट बैठ उन्होंने भोजन किया.
εἶπεν δὲ Ιακωβ τοῖς ἀδελφοῖς αὐτοῦ συλλέγετε λίθους καὶ συνέλεξαν λίθους καὶ ἐποίησαν βουνόν καὶ ἔφαγον καὶ ἔπιον ἐκεῖ ἐπὶ τοῦ βουνοῦ καὶ εἶπεν αὐτῷ Λαβαν ὁ βουνὸς οὗτος μαρτυρεῖ ἀνὰ μέσον ἐμοῦ καὶ σοῦ σήμερον
47 लाबान ने तो इसे नाम दिया येगर-सहदूथा किंतु याकोब ने इसे गलएद कहकर पुकारा.
καὶ ἐκάλεσεν αὐτὸν Λαβαν Βουνὸς τῆς μαρτυρίας Ιακωβ δὲ ἐκάλεσεν αὐτὸν Βουνὸς μάρτυς
48 लाबान ने कहा, “पत्थरों का यह ढेर आज मेरे तथा तुम्हारे मध्य एक साक्ष्य है.” इसलिये इसे गलएद तथा मिज़पाह नाम दिया गया,
εἶπεν δὲ Λαβαν τῷ Ιακωβ ἰδοὺ ὁ βουνὸς οὗτος καὶ ἡ στήλη αὕτη ἣν ἔστησα ἀνὰ μέσον ἐμοῦ καὶ σοῦ μαρτυρεῖ ὁ βουνὸς οὗτος καὶ μαρτυρεῖ ἡ στήλη αὕτη διὰ τοῦτο ἐκλήθη τὸ ὄνομα αὐτοῦ Βουνὸς μαρτυρεῖ
49 क्योंकि उनका कथन था, “जब हम एक दूसरे की दृष्टि से दूर हों, याहवेह ही तुम्हारे तथा मेरे मध्य चौकसी बनाए रखें.
καὶ ἡ ὅρασις ἣν εἶπεν ἐπίδοι ὁ θεὸς ἀνὰ μέσον ἐμοῦ καὶ σοῦ ὅτι ἀποστησόμεθα ἕτερος ἀπὸ τοῦ ἑτέρου
50 यदि तुम मेरी पुत्रियों के साथ दुर्व्यवहार करो अथवा मेरी पुत्रियों के अतिरिक्त पत्नियां ले आओ, यद्यपि कोई मनुष्य यह देख न सकेगा, किंतु स्मरण रहे, तुम्हारे तथा मेरे मध्य परमेश्वर साक्ष्य हैं.”
εἰ ταπεινώσεις τὰς θυγατέρας μου εἰ λήμψῃ γυναῖκας ἐπὶ ταῖς θυγατράσιν μου ὅρα οὐθεὶς μεθ’ ἡμῶν ἐστιν
51 लाबान ने याकोब से कहा, “इस ढेर को तथा इस स्तंभ को देखो, जो मैंने तुम्हारे तथा मेरे मध्य में स्थापित किया है.
52 यह स्तंभ तथा पत्थरों का ढेर साक्ष्य है, कि मैं इसके निकट से होकर तुम्हारी हानि करने के लक्ष्य से आगे नहीं बढ़ूंगा, वैसे ही तुम भी इस ढेर तथा इस स्तंभ के निकट से होकर मेरी हानि के उद्देश्य से आगे नहीं बढ़ोगे.
ἐάν τε γὰρ ἐγὼ μὴ διαβῶ πρὸς σὲ μηδὲ σὺ διαβῇς πρός με τὸν βουνὸν τοῦτον καὶ τὴν στήλην ταύτην ἐπὶ κακίᾳ
53 इसके लिए अब्राहाम के परमेश्वर, नाहोर के परमेश्वर तथा उनके पिता के परमेश्वर हमारा न्याय करें.” इसलिये याकोब ने अपने पिता यित्सहाक के प्रति भय-भाव में शपथ ली.
ὁ θεὸς Αβρααμ καὶ ὁ θεὸς Ναχωρ κρινεῖ ἀνὰ μέσον ἡμῶν καὶ ὤμοσεν Ιακωβ κατὰ τοῦ φόβου τοῦ πατρὸς αὐτοῦ Ισαακ
54 फिर याकोब ने उस पर्वत पर ही बलि अर्पित की तथा अपने संबंधियों को भोज के लिए आमंत्रित किया. उन्होंने भोजन किया तथा पर्वत पर ही रात्रि व्यतीत की.
καὶ ἔθυσεν Ιακωβ θυσίαν ἐν τῷ ὄρει καὶ ἐκάλεσεν τοὺς ἀδελφοὺς αὐτοῦ καὶ ἔφαγον καὶ ἔπιον καὶ ἐκοιμήθησαν ἐν τῷ ὄρει
55 बड़े तड़के लाबान उठा, अपने पुत्र-पुत्रियों का चुंबन लिया तथा उन्हें आशीर्वाद दिया. फिर लाबान स्वदेश लौट गया.
ἀναστὰς δὲ Λαβαν τὸ πρωὶ κατεφίλησεν τοὺς υἱοὺς αὐτοῦ καὶ τὰς θυγατέρας αὐτοῦ καὶ εὐλόγησεν αὐτούς καὶ ἀποστραφεὶς Λαβαν ἀπῆλθεν εἰς τὸν τόπον αὐτοῦ