< उत्पत्ति 24 >
1 अब्राहाम बहुत बूढ़े हो गये थे, और याहवेह ने उन्हें सब प्रकार से आशीषित किया था.
১সেইদিনের অব্রাহাম বৃদ্ধ ও তাঁর অনেক বয়স হয়েছিল এবং সদাপ্রভু অব্রাহামকে সব বিষয়ে আশীর্বাদ করেছিলেন।
2 अब्राहाम ने अपने पुराने सेवक से, जो घर की और पूरे संपत्ति की देखभाल करता था, कहा, “तुम अपना हाथ मेरी जांघ के नीचे रखो.
২তখন অব্রাহাম নিজের দাসকে, তাঁর সমস্ত বিষয়ের অধ্যক্ষ, গৃহের প্রাচীনকে বললেন, “অনুরোধ করি, তুমি আমার উরুর নীচে হাত দাও;
3 मैं चाहता हूं कि तुम स्वर्ग एवं पृथ्वी के परमेश्वर याहवेह की शपथ खाओ कि तुम इन कनानियों की पुत्रियों में से, जिनके बीच हम रह रहे हैं, मेरे बेटे की शादी नहीं कराओगे,
৩আমি তোমাকে স্বর্গ মর্ত্ত্যের ঈশ্বর সদাপ্রভুর নামে এই শপথ করাই, যে কনানীয় লোকদের মধ্যে আমি বাস করছি, তুমি আমার ছেলের বিয়ের জন্য তাঁদের কোনো মেয়ে গ্রহণ করব না,
4 परंतु तुम मेरे देश में मेरे रिश्तेदारों में से मेरे बेटे यित्सहाक के लिए पत्नी लाओगे.”
৪কিন্তু আমার দেশে আমার আত্মীয়দের কাছে গিয়ে আমার পুত্র ইস্হাকের জন্য মেয়ে আনবে।”
5 उस सेवक ने अब्राहाम से पूछा, “उस स्थिति में मैं क्या करूं, जब वह स्त्री इस देश में आना ही न चाहे; क्या मैं आपके पुत्र को उस देश में ले जाऊं, जहां से आप आए हैं?”
৫তখন সেই দাস তাঁকে বললেন, “কি জানি, আমার সঙ্গে এই দেশে আসতে কোনো মেয়ে রাজি হবে না; আপনি যে দেশ ছেড়ে এসেছেন, আপনার ছেলেকে কি আবার সেই দেশে নিয়ে যাব?”
6 इस पर अब्राहाम ने कहा, “तुम मेरे पुत्र को वहां कभी नहीं ले जाना.
৬তখন অব্রাহাম তাঁকে বললেন, “সাবধান, কোনোভাবে আমার ছেলেকে আবার সেখানে নিয়ে যেও না।
7 याहवेह, जो स्वर्ग के परमेश्वर हैं, जो मुझे मेरे पिता के परिवार और मेरी जन्मभूमि से लाये हैं और जिन्होंने शपथ खाकर मुझसे यह वायदा किया, ‘यह देश मैं तुम्हारे वंश को दूंगा’—वे ही स्वर्गदूत को तुम्हारे आगे-आगे भेजेंगे और तुम मेरे पुत्र के लिए वहां से एक पत्नी लेकर आओगे.
৭সদাপ্রভু, স্বর্গের ঈশ্বর, যিনি আমাকে বাবার বাড়ি ও আত্মীয়দের মধ্য থেকে এনেছেন, আমার সঙ্গে আলাপ করেছেন এবং এমন শপথ করেছেন যে, আমি তোমার বংশকে এই দেশ দেব, তিনিই তোমার আগে নিজের দূত পাঠাবেন; তাতে তুমি আমার ছেলের জন্য সেখান থেকে একটি মেয়ে নিয়ে আসতে পারবে।
8 अगर कन्या तुम्हारे साथ आने के लिए मना करे, तब तुम मेरी इस शपथ से मुक्त हो जाओगे. लेकिन ध्यान रखना कि तुम मेरे पुत्र को वापस वहां न ले जाना.”
৮যদি কোনো মেয়ে তোমার সঙ্গে আসতে রাজি না হয়, তবে তুমি আমার এই শপথ থেকে মুক্ত হবে; কিন্তু কোনো ভাবে আমার ছেলেকে আবার সে দেশে নিয়ে যেও না।”
9 इसलिये उस सेवक ने अपने स्वामी अब्राहाम की जांघ के नीचे अपना हाथ रखा और इस बारे में शपथ खाकर अब्राहाम से वायदा किया.
৯তাতে সেই দাস নিজের প্রভু অব্রাহামের উরুর নীচে হাত দিয়ে সেই বিষয়ে শপথ করলেন।
10 तब उस सेवक ने अपने स्वामी के ऊंट के झुंड में से दस ऊंटों को लिया और उन पर अपने स्वामी की ओर से विभिन्न उपहार लादा और नाहोर के गृहनगर उत्तर-पश्चिम मेसोपोतामिया की ओर प्रस्थान किया.
১০পরে সেই দাস নিজের প্রভুর উটেদের মধ্য থেকে দশটা উট ও নিজের প্রভুর সব রকমের ভালো জিনিসপত্র হাতে নিয়ে চলে গেলেন, অরাম-নহরয়িম দেশে, নাহোরের নগরে যাত্রা করলেন।
11 नगर के बाहर पहुंचकर उसने ऊंटों को कुएं के पास बैठा दिया; यह शाम का समय था. इसी समय स्त्रियां पानी भरने बाहर आया करती थीं.
১১আর সন্ধ্যাবেলায় যে দিনের স্ত্রীলোকের জল তুলতে বের হয়, সেই দিনের তিনি নগরের বাইরে কুয়োর কাছে উটদেরকে বসিয়ে রাখলেন
12 तब सेवक ने प्रार्थना की, “याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, मेरे काम को सफल करें और मेरे स्वामी अब्राहाम पर दया करें.
১২তিনি বললেন, “হে সদাপ্রভু, আমার কর্তা অব্রাহামের ঈশ্বর, অনুরোধ করি, আজ আমার সামনে শুভফল উপস্থিত কর, আমার প্রভু অব্রাহামের প্রতি দয়া কর।
13 आप देख रहे हैं कि मैं इस पानी के सोते के निकट खड़ा हूं, और इस नगरवासियों की कन्याएं पानी भरने के लिए निकलकर आ रही हैं.
১৩দেখ, আমি এই সজল কুয়োর কাছে দাঁড়িয়ে আছি এবং এই নগরবাসীদের মেয়েরা জল তুলতে বাইরে আসছে;
14 आप कुछ ऐसा कीजिए कि जिस कन्या से मैं यह कहूं, ‘अपना घड़ा झुकाकर कृपया मुझे पानी पिला दे,’ और वह कन्या कहे, ‘आप पानी पी लीजिए, और फिर मैं आपके ऊंटों को भी पानी पिला दूंगी’—यह वही कन्या हो जिसे आपने अपने सेवक यित्सहाक के लिए चुना है. इसके द्वारा मुझे यह विश्वास हो जाएगा कि आपने मेरे स्वामी पर अपनी करुणा दिखाई है.”
১৪অতএব যে মেয়েকে আমি বলব, আপনার কলসি নামিয়ে আমাকে জল পান করান, সে যদি বলে, পান কর, তোমার উটদেরকেও পান করাব, তবে তোমার দাস ইস্হাকের জন্য তোমার নিরূপিত মেয়ে সেই হোক; এতে আমি জানব যে, তুমি আমার প্রভুর প্রতি দয়া করলে।”
15 इसके पूर्व कि उसकी प्रार्थना खत्म होती, रेबेकाह नगर के बाहर अपने कंधे पर घड़ा लेकर पानी भरने आई. वह मिलकाह के पुत्र बेथुएल की पुत्री थी और मिलकाह अब्राहाम के भाई नाहोर की पत्नी थी.
১৫এই কথা বলতে না বলতে, দেখ, রিবিকা কলসি কাঁধে করে বাইরে আসলেন; তিনি অব্রাহামের নাহর নামক ভাইয়ের স্ত্রী মিল্কার ছেলে বথূয়েলের মেয়ে।
16 रेबेकाह बहुत सुंदर थी, कुंवारी थी; अब तक किसी पुरुष से उसका संसर्ग नहीं हुआ था. वह नीचे सोते पर गई, अपना घड़ा पानी से भरा और फिर ऊपर आ गई.
১৬সেই মেয়ে দেখতে বড়ই সুন্দরী এবং অবিবাহিতা ও পুরুষের পরিচয় অপ্রাপ্তা ছিলেন। তিনি কূপে নেমে কলসিতে জল ভরে উঠে আসছেন,
17 सेवक दौड़कर उसके निकट आया और उससे कहा, “कृपया अपने घड़े से मुझे थोड़ा पानी पिला दो.”
১৭এমন দিনের সেই দাস দৌড়িয়ে এসে তাঁর সঙ্গে দেখা করে বললেন, “অনুরোধ করি, আপনার কলসি থেকে আমাকে কিছু জল পান করতে দিন।”
18 रेबेकाह ने कहा, “हे मेरे प्रभु लीजिए, पीजिये” और उसने तुरंत घड़े को नीचे करके उसे पानी पिलाया.
১৮তিনি বললেন, “মহাশয়, পান করুন;” এই বলে তিনি শীঘ্র কলশি হাতের ওপরে নামিয়ে তাঁকে পান করতে দিলেন।
19 जब वह सेवक को पानी पिला चुकी, तब रेबेकाह ने उससे कहा, “मैं आपके ऊंटों के लिए भी पानी लेकर आती हूं, जब तक वे पूरे तृप्त न हो जाएं.”
১৯আর তাঁকে পান করাবার পর বললেন, “যতক্ষণ আপনার উটেদের জল পান শেষ না হয়, ততক্ষণ আমি ওদের জন্যও জল তুলব।”
20 उसने बिना देर किए घड़े का पानी हौदे में उंडेलकर वापस सोते पर और पानी भरने गई, और उसके सारे ऊंटों के लिये पर्याप्त पानी ले आई.
২০পরে তিনি শীঘ্র পাত্রে কলশির জল ঢেলে আবার জল তুলতে কুয়োর কাছে দৌড়ে গিয়ে তাঁর উটদের জন্য জল তুললেন।
21 जब यह सब हो रहा था, बिना एक शब्द कहे, उस सेवक ध्यान से रेबेकाह को देखकर सोच रहा था कि याहवेह ने उसकी यात्रा को सफल किया है या नहीं.
২১তাতে সেই পুরুষ তাঁর প্রতি এক নজরে চেয়ে, সদাপ্রভু তাঁর যাত্রা সফল করেন কি না, তা জানার জন্য নীরব থাকলেন।
22 जब ऊंटों ने पानी पी लिया, तब सेवक ने आधा शेकेल सोने की एक नथ और दस शेकेल सोने के दो कंगन निकाला.
২২উটেরা জল পান করার পর সেই পুরুষ অর্ধেক শেকল পরিমিত দুই হাতের সোনার নথ এবং দশ তোলা পরিমিত দুই হাতের সোনার বালা নিয়ে বললেন,
23 और रेबेकाह को देकर उससे पूछा, “तुम किसकी बेटी हो? कृपया मुझे बताओ, क्या तुम्हारे पिता के घर में इस रात ठहरने के लिए जगह है?”
২৩“আপনি কার মেয়ে? অনুরোধ করি, আমাকে বলুন, আপনার বাবার বাড়িতে কি আমাদের রাত কাটানোর জায়গা আছে?”
24 रेबेकाह ने उत्तर दिया, “मैं नाहोर तथा मिलकाह के पुत्र बेथुएल की बेटी हूं.”
২৪তিনি উত্তর করলেন, “আমি সেই বথূয়েলের মেয়ে, যিনি মিল্কার ছেলে, যাঁকে তিনি নাহোরের জন্য জন্ম দিয়েছিলেন।”
25 और उसने यह भी कहा, “हमारे यहां घास और चारा बहुत है, और रात में ठहरने के लिये जगह भी है.”
২৫তিনি আরও বললেন, “খড় ও কলাই আমাদের কাছে যথেষ্ট আছে এবং রাত কাটাবার জায়গাও আছে।”
26 तब उस सेवक ने झुककर और यह कहकर याहवेह की आराधना की,
২৬তখন সে ব্যক্তি মাথা নিচু করে সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে প্রার্থনা করলেন,
27 “धन्य हैं याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, जिन्होंने मेरे स्वामी के प्रति अपने प्रेम और करुणा को नहीं हटाया. याहवेह मुझे सही जगह पर लाये जो मेरे स्वामी के रिश्तेदारों का ही घर है.”
২৭তিনি বললেন, “আমার কর্তা অব্রাহামের ঈশ্বর সদাপ্রভু ধন্য হোন, তিনি আমার কর্তার সঙ্গে নিজের দয়া ও সত্য ব্যবহার অস্বীকার করেননি; সদাপ্রভু আমাকেও পথঘটনাতে আমার কর্তার আত্মীয়দের বাড়িতে আনলেন।”
28 वह कन्या दौड़कर अपने घर गई और अपनी माता के घर के लोगों को सब बातें बताई.
২৮পরে সেই মেয়ে দৌড়ে গিয়ে নিজের মায়ের ঘরের লোকদেরকে এই সব কথা জানালেন।
29 रेबेकाह के भाई लाबान दौड़कर कुएं के पास गए जहां सेवक था.
২৯আর রিবিকার এক ভাই ছিলেন, তাঁর নাম লাবন; সেই লাবন বাইরে ঐ ব্যক্তির উদ্দেশ্যে কূপের কাছে দৌড়ে গেলেন।
30 जब उसने नथ और अपनी बहन के हाथों में कंगन देखा और जो बात सेवक ने कही थी, उसे सुनी, तब वह उस सेवक के पास गया, और देखा कि वह सेवक सोते के निकट ऊंटों के बाजू में खड़ा है.
৩০নথ ও বোনের হাতে বালা দেখে এবং সেই ব্যক্তি আমাকে এই কথা বললেন, নিজের বোন রিবিকার মুখে এই শুনে, তিনি সেই পুরুষের কাছে গেলেন, আর দেখ, তিনি কুয়োর কাছে উটদের সঙ্গে দাঁড়িয়ে ছিলেন;
31 लाबान ने सेवक से कहा, “हे याहवेह के आशीषित जन, मेरे साथ चलिए! आप यहां बाहर क्यों खड़े हैं? मैंने घर को, और ऊंटों के ठहरने के लिये भी जगह तैयार की है.”
৩১আর লাবন বললেন, “হে সদাপ্রভুর আশীর্বাদপাত্র, আসুন, কেন বাইরে দাঁড়িয়ে আছেন? আমি তো ঘর এবং উটদের জন্যও জায়গা তৈরী করেছি।”
32 वह सेवक लाबान के साथ घर आया और ऊंटों पर से सामान उतारा गया. ऊंटों के लिये पैंरा और चारा लाया गया. सेवक तथा उसके साथ के लोगों के लिये पैर धोने हेतु पानी दिया गया.
৩২তখন ঐ লোক বাড়িতে ঢুকে উটদের সজ্জা খুললে তিনি উটদের জন্য খড় ও কলাই দিলেন এবং তাঁর ও তার সঙ্গী লোকদের পা ধোবার জল দিলেন।
33 तब सेवक को खाना दिया गया, पर उसने कहा, “मैं तब तक भोजन न करूंगा, जब तक कि मैं अपने आने का प्रयोजन न बता दूं.” लाबान ने कहा, “ठीक है, बता दें.”
৩৩পরে তাঁর সামনে আহারের জিনিস রাখা হল, কিন্তু তিনি বললেন, “যা বলার না বলে আমি আহার করব না।” লাবন বললেন, “বলুন।”
34 तब उसने कहा, “मैं अब्राहाम का सेवक हूं.
৩৪তখন তিনি বলতে লাগলেন, “আমি অব্রাহামের দাস;”
35 याहवेह ने मेरे स्वामी को बहुत आशीष दी हैं, जिससे वे धनवान हो गए हैं. याहवेह ने उन्हें बहुत भेड़-बकरी और पशु, सोना और चांदी, सेवक और सेविकाएं तथा ऊंट और गधे दिये हैं.
৩৫সদাপ্রভু আমার কর্তাকে প্রচুর আশীর্বাদ করেছেন, আর তিনি বড় মানুষ হয়েছেন এবং [সদাপ্রভু] তাঁকে ভেড়া ও পশুপাল এবং রূপা ও সোনা এবং দাস ও দাসী এবং উট ও গাধা দিয়েছেন।
36 मेरे स्वामी की पत्नी साराह को वृद्धावस्था में एक बेटा पैदा हुआ, और अब्राहाम ने उसे अपना सब कुछ दे दिया है.
৩৬আর আমার কর্তার স্ত্রী সারা বৃদ্ধ বয়সে তাঁর জন্য এক ছেলের জন্ম দিয়েছেন, তাঁকেই তিনি আপনার সব কিছু দিয়েছেন।
37 और मेरे स्वामी ने मुझे शपथ दिलाकर कहा, ‘तुम मेरे पुत्र की पत्नी बनने के लिए कनानियों की किसी बेटी को, जिनके बीच मैं रहता हूं, न लाना,
৩৭আর আমার কর্তা আমাকে শপথ করিয়ে বললেন, “আমি যাদের দেশে বাস করছি, তুমি আমার ছেলের জন্য সেই কনানীয়দের কোনো মেয়ে এন না;
38 पर तुम मेरे पिता के परिवार, मेरे अपने वंश में जाना, और मेरे पुत्र के लिए एक पत्नी लाना.’
৩৮কিন্তু আমার বাবার বংশের ও আমার আত্মীয়ের কাছে গিয়ে আমার ছেলের জন্য মেয়ে এন।”
39 “तब मैंने अपने स्वामी से पूछा, ‘यदि वह युवती मेरे साथ आना नहीं चाहेगी, तब क्या?’
৩৯তখন আমি কর্তাকে বললাম, “কি জানি, কোনো মেয়ে আমার সঙ্গে আসবে না।”
40 “मेरे स्वामी ने कहा, ‘याहवेह, जिनके सामने मैं ईमानदारी से चलता आया हूं, वे अपने स्वर्गदूत को तुम्हारे साथ भेजेंगे और तुम्हारी यात्रा को सफल करेंगे, ताकि तुम मेरे पुत्र के लिए मेरे अपने वंश और मेरे पिता के परिवार से एक पत्नी ला सको.
৪০তিনি বললেন, “আমি যাঁর সামনে চলাফেরা করি সেই সদাপ্রভু তোমার সঙ্গে নিজের দূত পাঠিয়ে তোমার যাত্রা সফল করবেন; এবং তুমি আমার আত্মীয় ও আমার বাবার বংশ থেকে আমার ছেলের জন্য মেয়ে আনবে।
41 तुम मेरे इस शपथ से तब ही छूट पाओगे, जब तुम मेरे वंश के लोगों के पास जाओगे, और यदि वे उस कन्या को तुम्हारे साथ भेजने के लिए मना करें—तब तुम मेरे शपथ से छूट जाओगे.’
৪১তা করলে এই শপথ থেকে মুক্ত হবে; আমার আত্মীয়ের কাছে গেলে যদি তারা [মেয়ে] না দেয়, তবে তুমি এই শপথ থেকে মুক্ত হবে।”
42 “आज जब मैं कुएं के पास पहुंचा, तो मैंने यह प्रार्थना की, ‘याहवेह, मेरे स्वामी अब्राहाम के परमेश्वर, मैं जिस उद्देश्य से यहां आया हूं, वह काम पूरा हो जाये.
৪২আর আজ আমি ঐ কূপের কাছে পৌছালাম, আর বললাম, “হে সদাপ্রভু, আমার কর্তা অব্রাহামের ঈশ্বর, তুমি যদি আমার এই যাত্রা সফল কর,
43 देखिये, मैं इस कुएं के किनारे खड़ा हूं. यदि कोई कन्या निकलकर पानी भरने के लिये आती है और मैं उससे कहता हूं, “कृपा करके मुझे अपने घड़े से थोड़ा पानी पिला दे,”
৪৩তবে দেখ, আমি এই কুয়োর কাছে দাঁড়িয়ে আছি; অতএব জল তুলতে আসার জন্য যে মেয়েকে আমি বলব, নিজের কলসি থেকে আমাকে কিছু জল পান করতে দিন,”
44 और यदि वह मुझसे कहती है, “पीजिये, और मैं आपके ऊंटों के लिये भी पानी लेकर आती हूं,” तो वह वही कन्या हो, जिसे याहवेह ने मेरे मालिक के बेटे के लिये चुना है.’
৪৪তিনি যদি বলেন, “তুমিও পান কর এবং তোমার উটেদের জন্যও আমি জল তুলে দেব; তবে তিনি সেই মেয়ে হোন, যাঁকে সদাপ্রভু আমার কর্তার ছেলের জন্য মনোনীত করেছেন।”
45 “इसके पहले कि मैं अपने मन में यह प्रार्थना खत्म करता, रेबेकाह अपने कंधे पर घड़ा लिये निकलकर आई. वह नीचे सोते के पास जाकर पानी भरने लगी, और मैंने उससे कहा, ‘कृपया मुझे थोड़ा पानी पिला दो.’
৪৫এই কথা আমি মনে মনে বলতে না বলতে, দেখ, রিবিকা কলসি কাঁধে করে বাইরে আসলেন; পরে তিনি কূপে নেমে জল তুললে আমি বললাম, “অনুরোধ করি, আমাকে জল পান করান।”
46 “तब उसने तुरंत अपने कंधे में से घड़े को झुकाकर कहा, ‘पी लीजिये, और फिर मैं आपके ऊंटों को भी पानी पिला दूंगी.’ तब मैंने पानी पिया, और उसने ऊंटों को भी पानी पिलाया.
৪৬তখন তিনি তাড়াতাড়ি কাঁধ থেকে কলসি নামিয়ে বললেন “পান করুন, আমি আপনার উটদেরকেও পান করাব।” তখন আমি পান করলাম; আর তিনি উটদেরকেও পান করালেন।
47 “तब मैंने उससे पूछा, ‘तुम किसकी बेटी हो?’ “उसने कहा, ‘मैं बेथुएल की बेटी हूं, जो नाहोर तथा मिलकाह के पुत्र है.’ “तब मैंने उसके नाक में नथ तथा उसके हाथों में कंगन पहना दिए,
৪৭পরে আমি তাঁকে জিজ্ঞাসা করলাম, “আপনি কার মেয়ে?” তিনি উত্তর করলেন, “আমি বথূয়েলের মেয়ে, তিনি নাহোরের ছেলে, যাঁকে মিল্কা তাঁর জন্য জন্ম দিয়েছিলেন।” তখন আমি তাঁর নাকে নথ ও হাতে বালা পরিয়ে দিলাম।
48 और मैंने झुककर याहवेह की आराधना की. मैंने याहवेह, अपने मालिक अब्राहाम के परमेश्वर की महिमा की, जिन्होंने मुझे सही मार्ग में अगुवाई की, ताकि मैं अपने मालिक के भाई की नतनिन को अपने मालिक के बेटे के लिये पत्नी के रूप में ले जा सकूं.
৪৮আর মাথা নিচু করে সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে প্রার্থনা করলাম এবং যিনি আমার কর্তার ছেলের জন্য তাঁর ভাইয়ের মেয়ে গ্রহণের জন্য আমাকে প্রকৃত পথে আনলেন, আমার কর্তা অব্রাহামের ঈশ্বর সেই সদাপ্রভুকে ধন্যবাদ করলাম।
49 इसलिये अब, यदि आप मेरे मालिक के प्रति दया और सच्चाई दिखाना चाहते हैं, तो मुझे बताईये; और यदि नहीं, तो वह भी बताईये, कि किस रास्ते पर मुड़ना है.”
৪৯অতএব আপনারা যদি এখন আমার কর্তার সঙ্গে দয়া ও সত্য ব্যবহার করতে রাজি হন, তা বলুন; আর যদি না হন, তাও বলুন; তাতে আমি ডান দিকে কিম্বা বাম দিকে ফিরতে পারব।
50 यह सब सुनकर लाबान एवं बेथुएल ने कहा, “यह सब याहवेह की ओर से हुआ है; हम तुमसे अच्छा या बुरा कुछ नहीं कह सकते.
৫০তখন লাবন ও বথুয়েল উত্তর করলেন, বললেন, “সদাপ্রভু থেকে এই ঘটনা হল, আমরা ভাল মন্দ কিছুই বলতে পারি না।
51 रेबेकाह तुम्हारे सामने है; इसे अपने साथ ले जाओ, ताकि वह तुम्हारे स्वामी के पुत्र की पत्नी हो जाए, जैसा कि याहवेह ने निर्देश दिया है.”
৫১ঐ দেখুন, রিবিকা আপনার সামনে আছে; ওকে নিয়ে চলে যান; এ আপনার কর্তার ছেলের স্ত্রী হোক, যেমন সদাপ্রভু বলেছেন।”
52 उनकी बातों को सुनकर अब्राहाम के सेवक ने भूमि पर झुककर याहवेह को दंडवत किया.
৫২তাঁদের কথা শোনামাত্র অব্রামের দাস সদাপ্রভুর উদ্দেশ্যে মাটিতে নত হলেন।
53 तब सेवक ने सोने और चांदी के गहने तथा वस्त्र निकालकर रेबेकाह को दिए; उसने रेबेकाह के भाई और उसकी माता को भी बहुमूल्य वस्तुएं दी.
৫৩পরে সেই দাস রূপার সোনার গয়না ও বস্ত্র বের করে রিবিকাকে দিলেন এবং তাঁর ভাইকে ও মাকে বহুমূল্য দ্রব্য দিলেন।
54 फिर उसने तथा उसके साथ के लोगों ने खाया पिया और वहां रात बिताई. अगले दिन सुबह जब वे सोकर उठे तो सेवक ने कहा, “मुझे अपने स्वामी के पास वापस जाने के लिए विदा कीजिये.”
৫৪আর তিনি ও তাঁর সাথীরা ভোজন পান করে সেখানে রাত কাটালেন; পরে তাঁরা সকালে উঠলে তিনি বললেন, “আমার কর্তার কাছে আমাকে যেতে দিন।”
55 पर रेबेकाह के भाई और उसकी मां ने कहा, “कन्या को हमारे साथ कुछ दिन अर्थात् कम से कम दस दिन रहने दो; तब उसे ले जाना.”
৫৫তাতে রিবিকার ভাই ও মা বললেন, “মেয়েটী আমাদের কাছে কিছু দিন থাকুক, কমপক্ষে দশ দিন থাকুক, পরে যাবে।”
56 पर सेवक ने उनसे कहा, “मुझे मत रोकिए; क्योंकि याहवेह ने मेरी इस यात्रा को सफल किया है. मुझे अपने स्वामी के पास लौट जाने के लिये विदा कीजिए.”
৫৬কিন্তু তিনি তাঁদেরকে বললেন, “আমাকে দেরী করাবেন না কারণ সদাপ্রভু আমার যাত্রা সফল করলেন; আমাকে বিদায় করুন; আমি নিজ কর্তার কাছে যাই।”
57 तब उन्होंने कहा, “हम रेबेकाह को बुलाकर इसके बारे में उससे पूछते हैं.”
৫৭তাকে তাঁরা বললেন, “আমার মেয়েকে ডেকে তাকে সামনে জিজ্ঞাসা করি।”
58 तब उन्होंने रेबेकाह को बुलाकर उससे पूछा, “क्या तुम इस व्यक्ति के साथ जाओगी?” उसने कहा, “हां, मैं जाऊंगी.”
৫৮পরে তাঁরা রিবিকাকে ডেকে বললেন, “তুমি কি এই ব্যক্তির সঙ্গে যাবে?” তিনি বললেন, “যাব।”
59 इसलिये उन्होंने अपनी बहन रेबेकाह को उसकी परिचारिका और अब्राहाम के सेवक और उसके लोगों के साथ विदा किया.
৫৯তখন তাঁরা নিজেদের বোন রিবিকার কাছে ও তাঁর ধাত্রীকে এবং অব্রাহামের দাসকে ও তাঁর লোকদেরকে বিদায় করলেন।
60 और उन्होंने रेबेकाह को आशीर्वाद देते हुए कहा, “हे हमारी बहन, तुम्हारा वंश हजारों हजार की संख्या में बढ़े; तुम्हारा वंश अपने शत्रुओं के नगर पर अधिकार करने पाये.”
৬০আর রিবিকাকে আশীর্বাদ করে বললেন, “তুমি আমাদের বোন, হাজার হাজার অযুতের মা হও; তোমার বংশ নিজের শত্রুর পুরদ্বার অধিকার করুক।”
61 तब रेबेकाह और उसकी परिचारिकाएं तैयार हुईं और ऊंटों पर चढ़कर उस व्यक्ति के साथ गईं और वह सेवक रेबेकाह को लेकर रवाना हो गया.
৬১পরে রিবিকা ও তাঁর দাসীরা উঠলেন এবং উটে চড়ে সেই মানুষের পিছনে গেলেন। এই ভাবে সেই দাস রিবিকাকে নিয়ে চলে গেলেন।
62 यित्सहाक बएर-लहाई-रोई से आकर अब नेगेव में निवास कर रहे थे.
৬২আর ইসহাক বের-লহয়-রয়ী নামক জায়গায় গিয়ে ফিরে এসেছিলেন, কারণ তিনি দক্ষিণ দেশে বাস করছিলেন।
63 एक शाम जब वे चिंतन करने मैदान में गये थे, तब उन्होंने ऊंटों को आते हुए देखा.
৬৩ইসহাক সন্ধ্যাবেলায় ধ্যান করতে ক্ষেত্রে গিয়েছিলেন, পরে চোখ তুলে দেখলেন, আর দেখ, উট আসছে।
64 रेबेकाह ने भी आंख उठाकर यित्सहाक को देखा और वह अपने ऊंट पर से नीचे उतरी
৬৪আর রিবিকা চোখ তুলে যখন ইসহাককে দেখলেন, তখন উট থেকে নামলেন।
65 और सेवक से पूछा, “मैदान में वह कौन व्यक्ति है, जो हमसे मिलने आ रहे हैं?” सेवक ने उत्तर दिया, “वे मेरे स्वामी हैं.” यह सुनकर रेबेकाह ने अपना घूंघट लिया और अपने आपको ढांप लिया.
৬৫সেই দাসকে জিজ্ঞাসা করলেন, “আমাদের সঙ্গে দেখা করতে ক্ষেত্রের মধ্য দিয়ে আসছেন, ঐ লোকটি কে?” দাস বললেন, “উনি আমার কর্তা” তখন রিবিকা ঘোমটা দিয়ে নিজেকে ঢাকলেন।
66 तब सेवक ने यित्सहाक को वे सब बातें बताई, जो उसने किया था.
৬৬পরে সেই দাস ইসহাককে আপনার করা সমস্ত কাজের বিবরণ বললেন।
67 तब यित्सहाक रेबेकाह को अपनी मां साराह के तंबू में ले आया, और उसने रेबेकाह से शादी की. वह उसकी पत्नी हो गई, और उसने उससे प्रेम किया; इस प्रकार यित्सहाक को उसकी माता की मृत्यु के बाद सांत्वना मिली.
৬৭তখন ইসহাক রিবিকাকে গ্রহণ করে সারা মায়ের তাঁবুতে নিয়ে গিয়ে তাকে বিয়ে করলেন এবং তাকে প্রেম করলেন। তাতে ইসহাক মায়ের মৃত্যুর শোক থেকে সান্ত্বনা পেলেন।