< यहेजकेल 44 >

1 तब वह व्यक्ति मुझे पवित्र स्थान के बाहरी द्वार पर वापस ले आया, जिसका मुंह पूर्व की ओर था, और वह बंद था.
And he brought me back by the way of the outer gate of the sanctuary which looked toward the east: and it was locked.
2 याहवेह ने मुझसे कहा, “यह द्वार बंद रहे. यह खोला न जाय; कोई भी इसमें से प्रवेश न करे. यह बंद रहे क्योंकि याहवेह इस्राएल के परमेश्वर इस द्वार से प्रवेश किए हैं.
Then said the Lord unto me, This gate shall remain locked, it shall not be opened, and no man shall enter in by it; because the Lord, the God of Israel, hath entered in by it, therefore shall it remain locked.
3 स्वयं राजकुमार ही द्वार के भीतर याहवेह के सामने भोजन करने के लिए बैठे. वह द्वार के मंडप के रास्ते भीतर आये और उसी रास्ते से बाहर जाये.”
As for the prince, being the prince, he shall sit in it to eat bread before the Lord: by the way of the porch of that gate shall he enter, and by the way of the same shall he go out.
4 तब वह व्यक्ति मुझे मंदिर के सामने उत्तरी द्वार के रास्ते पर ले आया. तब मैंने याहवेह के मंदिर को याहवेह के महिमा से भरते देखा, और मैं मुंह के बल गिरा.
Then brought he me by the way of the north gate before the house; and I looked, and, behold, the glory of the Lord filled the house of the Lord: and I fell upon my face.
5 याहवेह ने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, ध्यान से देखो, पास जाकर सुनो और याहवेह के मंदिर के बारे में, जो विधि और नियम मैं तुम्हें बताता हूं, उन सब बातों पर ध्यान दो. मंदिर के प्रवेश और पवित्र स्थान के सब निकास द्वारों पर ध्यान दो.
And the Lord said unto me, Son of man, direct thy mind, and see with thy eyes, and hear with thy ears all that I am speaking with thee concerning all the ordinances of the house of the Lord, and of all its laws; and direct thy mind to the entrance of the house, with every place of egress of the sanctuary.
6 इस्राएल के विद्रोही लोगों से कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: हे इस्राएल के लोगों! बहुत हो गये तुम्हारे घृणित काम.
And thou shalt say to the rebellious, to the house of Israel, Thus hath said the Lord Eternal, Ye have done enough with all your abominations, O house of Israel!
7 दूसरे सब घृणित कार्यों के अलावा, जब तुम भोजन, चर्बी और खून चढ़ाये, तब तुम मेरे पवित्र स्थान में मन और शरीर से खतना-रहित विदेशियों को ले आये और इस प्रकार तुमने मेरे मंदिर को अपवित्र किया और मेरी वाचा को तोड़ा.
In your having brought the sons of the stranger, uncircumcised in heart, and uncircumcised in flesh, to be in my sanctuary, to pollute it, even my house, while you were offering my food, the fat and the blood: so that they broke my covenant because of all your abominations.
8 मेरे पवित्र चीज़ों के बारे में स्वयं अपना काम करने के बदले, तुमने दूसरों को मेरे पवित्र स्थान की ज़िम्मेदारी दे दी.
And [because] ye have not kept the charge of my holy things; but ye have set [those unworthy ones] as keepers of my charge in my sanctuary at your own pleasure.
9 परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मन और शरीर से खतना-रहित कोई भी विदेशी मेरे पवित्र स्थान पर प्रवेश करने न पाए, इस्राएलियों के बीच रहनेवाले विदेशी भी नहीं.
Thus hath said the Lord Eternal, No son of the stranger, uncircumcised in heart, or uncircumcised in flesh, shall enter into my sanctuary, of all the sons of the stranger that are in the midst of the children of Israel.
10 “‘वे लेवी, जो मुझसे उस समय दूर हो गए, जब इस्राएल के लोग पथभ्रष्ट हो गये थे और जो मुझसे भटक कर अपने मूर्तियों के पीछे चल रहे थे, अवश्य है कि वे अपने पापों का फल भोगें.
But as respecteth the Levites that were gone away far from me, when Israel went astray, who went astray away from me, after their idols, they shall surely bear their iniquity;
11 वे मेरे पवित्र स्थान में सेवा कर सकते हैं; वे मंदिर के द्वारों की ज़िम्मेदारी लें और इसमें सेवा करें; वे लोगों के लिए होमबलिदान और चढ़ावा के पशुओं का वध करें, और लोगों के सामने खड़े होकर उनकी सेवा करें.
And they shall be in my sanctuary, servants, appointed to watch at the gates of the house, and to be servants for the house: these are they that shall slay the burnt-offerings and the sacrifices for the people, and they shall stand before them to do the service for them.
12 पर क्योंकि उन्होंने अपने मूर्तियों के सामने उनकी सेवा की और इस्राएल के लोगों को पाप में गिराया, इसलिये मैंने हाथ उठाकर शपथ खाई है कि वे अपने पापों का फल अवश्य भोगें, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
Because that they used to serve them before their idols, and have been unto the house of Israel as a stumbling-block of iniquity; therefore have I lifted up my hand against them, saith the Lord Eternal, and they shall bear their iniquity;
13 वे पुरोहित के रूप में मेरी सेवा करने मेरे पास न आएं या मेरे किसी पवित्र चीज़ के पास न आएं या परम पवित्र बलिदानों के पास न आएं; वे अवश्य ही अपने घृणित कामों के लिये लज्जित हों.
And they shall not come near unto me, to officiate as priests unto me, nor to come near to any of my holy things, to the most holy things; but they shall bear their shame, yea, for their abominations which they have committed.
14 और मैं उन्हें मंदिर के सुरक्षा के लिये ठहराऊंगा, ताकि मंदिर का सब काम किया जा सके.
And I will appoint them to be keepers of the charge of the house, for all the service thereof, and for all that shall be done therein.
15 “‘परंतु लेवीय पुरोहित, जो सादोक के वंशज हैं और जो इस्राएलियों के मुझसे दूर हो जाने के समय मेरे पवित्र स्थान की सुरक्षा किए थे, वे मेरी सेवा करने के लिये मेरे पास आएं; वे चर्बी और खून का बलिदान चढ़ाने के लिये मेरे सामने आएं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
But the priests the Levites, the sons of Zadok, that kept the charge of my sanctuary when the children of Israel went astray from me, —these are they that shall come near unto me to minister unto me, and they shall stand before me to offer unto me the fat and the blood, saith the Lord Eternal:
16 सिर्फ वे ही मेरे पवित्र स्थान में प्रवेश करें; सिर्फ वे ही मेरे सामने सेवा करने के लिये मेरी मेज़ के पास आएं और पहरेदार के रूप में मेरी सेवा करें.
These are they that shall enter into my sanctuary, and these shall come near to my table, to minister unto me; and they shall keep my charge.
17 “‘जब वे भीतरी आंगन के द्वार से प्रवेश करें, तब वे सन के कपड़े पहने; यह ज़रूरी है कि वे किसी भी प्रकार का ऊनी कपड़ा न पहने, जब वे भीतरी आंगन के द्वार पर सेवा कर रहे हों या मंदिर के भीतर सेवा कर रहे हों.
And it shall come to pass, that, when they enter in at the gates of the inner court, they shall clothe themselves with linen garments; and there shall no wool come upon them, when they minister in the gates of the inner court, and within the house.
18 वे अपने सिर पर सन के कपड़े की पगड़ी पहने और उनके कमर पर सन के कपड़े की चड्डी हों. वे ऐसी कोई भी चीज़ न पहने, जिससे उन्हें पसीना आए.
Linen bonnets shall be upon their heads, and linen breeches shall be upon their loins: they shall not gird themselves with any thing that causeth sweat.
19 जब वे बाहरी आंगन में जाएं, जहां लोग हैं, तब वे उन कपड़ों को उतार दें, जिन्हें पहनकर वे सेवा कर रहे थे और वे उन कपड़ों को पवित्र कमरों में छोड़ दें, और दूसरा कपड़ा पहन लें, ताकि उनके कपड़ों के छूने के द्वारा लोग पवित्र न ठहरें.
And when they go forth into the outer court, into the outer court to the people: then shall they put off their garments wherein they have ministered, and they shall lay them down in the holy chambers; and they shall put on other garments, and they shall not mingle among the people with their garments.
20 “‘वे अपने सिर के बालों का मुंडन न करें और न ही उनके बाल लंबे हों, परंतु वे अपने सिर के बाल कटवाए.
And their heads shall they not shave close, nor suffer their hair to grow long: they shall only crop [the hair of] their heads.
21 कोई भी पुरोहित दाखमधु न पिए, जब वह भीतरी आंगन में जाए.
And wine shall none of the priests drink when they enter into the inner court.
22 वे किसी विधवा या तलाकशुदा स्त्री से विवाह न करें; वे सिर्फ इस्राएल वंश की कुंवारी कन्या या पुरोहित की विधवा से विवाह करें.
And a widow, or one that is divorced from her husband shall they not take to themselves as wives; but only virgins of the seed of the house of Israel; but whatever widow it may be, the [common] priests may take.
23 वे मेरे लोगों को सिखाएं कि पवित्र और सामान्य में क्या भिन्‍नता है और उन्हें दिखाएं कि अशुद्ध और शुद्ध के बीच कैसे भेद किया जाए.
And my people shall they teach the difference between the holy and profane, and that between the unclean and the clean shall they make known unto them.
24 “‘किसी झगड़े में, पुरोहित न्यायाधीश का काम करें और झगड़े का निर्णय मेरे अध्यादेशों के अनुसार करें. मेरे ठहराये गए सब त्योहारों पर, वे मेरे कानून और नियमों का पालन करें, और वे मेरे विश्राम दिनों को पवित्र माने.
And in a controversy shall they stand up to judge, according to my ordinances shall they decide it: and my laws and my statutes at all my festivals shall they observe, and my sabbaths shall they sanctify.
25 “‘कोई पुरोहित किसी व्यक्ति की लाश के पास जाकर अपने आपको अशुद्ध न करे; फिर भी, यदि मृत व्यक्ति उसकी माता या पिता, बेटा या बेटी, भाई या अविवाहित बहन हो, तब वह अपने आपको अशुद्ध कर सकता है.
And to a dead person shall they not come to defile themselves; but on father, or on mother, or on son, or on daughter, on brother, or on sister that hath had no husband, may they defile themselves.
26 जब वह शुद्ध हो जाए, तब वह सात दिन तक इंतजार करे.
And after he is become clean, —they shall reckon unto him seven days, —
27 जिस दिन वह पवित्र स्थान के भीतरी आंगन में पवित्र स्थान में सेवा के लिये जाए, तब वह अपने लिये एक पाप बलिदान चढ़ाए, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
Then shall he on the day that he cometh into the sanctuary, into the inner court, to minister in the sanctuary, offer his sin-offering, saith the Lord Eternal.
28 “‘पुरोहितों का सिर्फ एक उत्तराधिकार है, और वह मैं हूं. तुम उन्हें इस्राएल में कोई भी चीज़ उनके अधिकार में नहीं दोगे, उनकी संपत्ति मैं हूं.
And it shall be unto them as an inheritance, I am their inheritance: and any possession shall you not give them in Israel, I am their possession.
29 वे अन्‍नबलि, पाप बलिदान और दोष बलिदान को खाएंगे, और इस्राएल में हर वह चीज़, जो याहवेह को चढ़ाई जाती है, उनके लिये होगी.
The meat-offering, and the sin-offering, and the trespass-offering—these shall they eat; and every devoted thing in Israel shall belong to them.
30 पहली उपज की सबसे अच्छी चीज़ें और तुम्हारी सब विशेष भेटें पुरोहितों की होंगी. अपने गूंधे आटे से बना भोजन का पहला भाग उन्हें देना, ताकि तुम्हारे घर-परिवार पर आशीष हो.
And the first of all kinds of first-fruits of all, and every kind of heave-offering of every thing of all your heave-offerings, shall belong to the priests; and the first of your dough shall you give to the priest, to cause a blessing to rest on thy house.
31 पुरोहित ऐसे किसी पक्षी या पशु का मांस न खाएं, जो मरा पाया गया हो और न ही वे किसी ऐसे पशु या पक्षी का मांस खाएं, जो किसी जंगली जानवर के द्वारा फाड़ डाला गया हो.
Any thing that hath died of itself, or that is torn, whether it be fowl or beast, shall the priests not eat.

< यहेजकेल 44 >