< यहेजकेल 18 >

1 फिर याहवेह का यह वचन मेरे पास आया:
وَأَوْحَى إِلَيَّ الرَّبُّ بِكَلِمَتِهِ قَائِلاً:١
2 “इस्राएल देश के बारे में इस कहावत का उल्लेख करने के द्वारा तुम लोग क्या कहना चाहते हो: “‘खट्टे अंगूर तो खाए माता-पिताओं ने, किंतु दांत खट्टे हुए बच्चों के’?
«مَا بَالُكُمْ تَضْرِبُونَ هَذَا الْمَثَلَ بِشَأْنِ أَرْضِ إِسْرَائِيلَ قَائِلِينَ: أَكَلَ الآبَاءُ الْحِصْرِمَ فَضَرَسَتْ أَسْنَانُ الأَبْنَاءِ؟٢
3 “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, तुम इस्राएल देश में इस कहावत का उल्लेख फिर न करोगे.
حَيٌّ أَنَا يَقُولُ الرَّبُّ: إِنَّكُمْ حَتْماً لَنْ تَضْرِبُوا هَذَا الْمَثَلَ فِي إِسْرَائِيلَ بَعْدَ الْيَوْمِ.٣
4 हर एक जन मेरा है, माता-पिता के साथ साथ बच्‍चे भी—दोनों एक समान मेरे हैं. इसलिये जो व्यक्ति पाप करता है, वही मरेगा भी.
هَا جَمِيعُ النُّفُوسِ هِيَ لِي. نَفْسُ الأَبِ كَنَفْسِ الابْنِ كِلْتَاهُمَا لِي. وَالنَّفْسُ الَّتِي تُخْطِئُ هِيَ تَمُوتُ.٤
5 “मान लो एक धर्मी व्यक्ति है, जो वही करता है जो उचित और सही है.
وَلَكِنْ إِنْ كَانَ الْمَرْءُ صَالِحاً يُمَارِسُ الْحَقَّ وَالْعَدْلَ،٥
6 वह जो पहाड़ों के पूजा स्थलों पर नहीं खाता है या इस्राएल के मूर्तियों की ओर नहीं देखता है. वह अपने पड़ोसी की पत्नी को भ्रष्‍ट नहीं करता है, या किसी स्त्री के साथ उसके मासिक के समय संभोग नहीं करता है.
وَلَمْ يَصْعَدْ إِلَى الْجِبَالِ لِيَأْكُلَ أَمَامَ الأَصْنَامِ، وَلَمْ يَلْتَفِتْ إِلَى أَصْنَامِ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ، وَلَمْ يَزْنِ مَعَ امْرَأَةِ جَارِهِ وَلَمْ يُعَاشِر امْرَأَةً طَامِثاً،٦
7 वह किसी पर अत्याचार नहीं करता है, पर गिरवी रखी गई वस्तु ऋणी को लौटा देता है. वह डाका नहीं डालता है, पर अपना भोजन भूखे को देता है, और नंगे को कपड़ा देता है.
وَلَمْ يَظْلِمْ أَحَداً، بَلْ رَدَّ لِلْمَدْيُونِ رَهْنَهُ، وَلَمْ يَسْلِبْ قَطُّ، وَأَطْعَمَ الْجَائِعَ خُبْزَهُ وَكَسَا الْعُرْيَانَ ثَوْباً،٧
8 वह बिना किसी ब्याज के पैसा उधार देता है, या उनसे लाभ नहीं उठाता है. वह गलत कार्य करने से अपने हाथ को रोके रखता है और दो पक्षों के बीच सही न्याय करता है.
وَلَمْ يَقْرِضْ بِالرِّبَا وَلَمْ يَأْخُذْ حَرَاماً، وَكَفَّ يَدَهُ عَنِ ارْتِكَابِ الإِثْمِ، وَقَضَى بِالإِنْصَافِ وَالْحَقِّ بَيْنَ إِنْسَانٍ وَإِنْسَانٍ.٨
9 वह मेरे नियम पर चलता है और विश्वासयोग्यता के साथ मेरे कानूनों का पालन करता है. तो वह व्यक्ति धर्मी है; वह निश्चित रूप से जीवित रहेगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
وَمَارَسَ فَرَائِضِي، وَأَطَاعَ أَحْكَامِي بِأَمَانَةٍ، فَهُوَ صِدِّيقٌ وَحَتْماً يَحْيَا، يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ.٩
10 “मान लो उस व्यक्ति का एक हिंसक प्रवृत्ति का बेटा है, जो खून-ख़राबा करता है या इनमें से कोई भी काम करता है,
فَإِنْ أَنْجَبَ ابْناً لِصّاً سَفَّاكاً لِلدِّمَاءِ، فَاقْتَرَفَ بِحَقِّ أَخِيهِ بَعْضاً مِنْ ذَلِكَ الشَّرِّ،١٠
11 (यद्यपि उसके पिता ने इनमें से कोई भी काम नहीं किया है): “वह पहाड़ के पूजा स्थलों पर खाता है. वह अपने पड़ोसी की पत्नी को भ्रष्‍ट करता है.
وَلَمْ يَصْنَعْ شَيْئاً مِنْ ذَلِكَ الْخَيْرِ، بَلْ صَعِدَ إِلَى الْجِبَالِ لِيَأْكُلَ أَمَامَ الأَصْنَامِ، وَزَنَى مَعَ امْرَأَةِ جَارِهِ،١١
12 वह गरीब और ज़रूरतमंद पर अत्याचार करता है. वह डाका डालता है. वह गिरवी रखी गई वस्तु को लौटाता नहीं है. वह मूर्तियों की ओर देखता है. वह घृणित कार्य करता है.
وَجَارَ عَلَى الْبَائِسِ وَالْمِسْكِينِ وَسَلَبَ وَلَمْ يَرُدَّ الرَّهْنَ، وَالْتَفَتَ إِلَى الأَصْنَامِ لِيَعْبُدَهَا وَارْتَكَبَ الأَرْجَاسَ،١٢
13 वह ब्याज पर पैसा उधार देता है और लाभ कमाता है. क्या ऐसा व्यक्ति जीवित रहेगा? वह जीवित नहीं रहेगा! क्योंकि उसने ये सारे घृणित कार्य किए हैं, वह निश्चय मार डाला जाएगा; उसके खून का दोष स्वयं उसी के ऊपर होगा.
وَأَقْرَضَ بِالرِّبَا وَأَخَذَ رِبْحاً حَرَاماً، أَفَيَحْيَا؟ إِنَّهُ لَا يَحْيَا! لأَنَّهُ اقْتَرَفَ جَمِيعَ هَذِهِ الرَّجَاسَاتِ فَإِنَّهُ حَتْماً يَمُوتُ، وَيَكُونُ دَمُهُ عَلَى رَأْسِهِ.١٣
14 “पर मान लो, इस बेटे का एक बेटा है, जो अपने पिता द्वारा किए गए सब पापों को देखता है, और यद्यपि वह उन पापों को देखता है, पर वह ऐसा कोई पाप नहीं करता है:
أَمَّا إِنْ أَنْجَبَ ابْناً شَهِدَ جَمِيعَ مَا ارْتَكَبَهُ أَبُوهُ مِنْ ذُنُوبٍ وَلَمْ يَقْتَرِفْ مِثْلَهَا،١٤
15 “वह पहाड़ के पूजा स्थलों पर नहीं खाता है या इस्राएल के मूर्तियों को नहीं देखता है. वह अपने पड़ोसी की पत्नी को भ्रष्‍ट नहीं करता है.
فَلَمْ يَأْكُلْ عَلَى الْجِبَالِ أَمَامَ الأَصْنَامِ، وَلَمْ يَلْتَفِتْ إِلَى أَصْنَامِ شَعْبِ إِسْرَائِيلَ لِيَعْبُدَهَا، وَلَمْ يَزْنِ مَعَ امْرَأَةِ جَارِهِ،١٥
16 वह किसी पर अत्याचार नहीं करता है, वह कर्जा देने के लिये किसी चीज़ को गिरवी नहीं रखता. वह डाका नहीं डालता है, पर अपना भोजन भूखे को देता है और नंगे को कपड़ा देता है.
وَلَمْ يَظْلِمْ أَحَداً، وَلَمْ يَحْتَفِظْ بِرَهْنٍ وَلَمْ يَسْلِبْ قَطُّ، بَلْ أَطْعَمَ خُبْزَهُ لِلْجَائِعِ وَكَسَا الْعُرْيَانَ ثَوْباً.١٦
17 वह गरीबों को सताने से अपने हाथ रोके रखता है और उनसे कोई ब्याज या फायदा नहीं उठाता है. वह मेरे कानूनों का पालन करता और मेरे नियमों पर चलता है. वह अपने पिता के पाप के कारण नहीं मरेगा; वह निश्चय ही जीवित रहेगा.
وَلَمْ يُسِئْ إِلَى الْبَائِسِ، وَلَمْ يَقْرِضْ بِالرِّبَا وَلا بِالرِّبْحِ الْحَرَامِ، وَقَضَى بِالإِنْصَافِ وَمَارَسَ فَرَائِضِي وَأَطَاعَ أَحْكَامِي، فَإِنَّهُ لَا يَمُوتُ بِإِثْمِ أَبِيهِ، بَلْ حَتْماً يَحْيَا.١٧
18 पर उसका पिता उसके स्वयं के पाप के कारण मरेगा, क्योंकि उसने अवैध वसूली की, अपने भाई को लूटा और वह काम किया जो उसके लोगों के बीच गलत है.
أَمَّا أَبُوهُ فَلأَنَّهُ ظَلَمَ وَسَلَبَ أَخَاهُ وَارْتَكَبَ مَا هُوَ طَالِحٌ بَيْنَ شَعْبِهِ، فَهُوَ حَتْماً يَمُوتُ بِإِثْمِهِ.١٨
19 “तौभी तुम पूछते हो, ‘पुत्र अपने पिता के दोष का भागीदार क्यों नहीं होता?’ जब बेटे ने वह काम किया जो उचित और सही है और ध्यानपूर्वक मेरे नियमों को माना है, तो वह निश्चय ही जीवित रहेगा.
وَمَعَ ذَلِكَ تَقُولُونَ: لِمَاذَا لَا يُعَاقَبُ الابْنُ بِوِزْرِ أَبِيهِ؟ حِينَ يُمَارِسُ الابْنُ الإِنْصَافَ وَالْحَقَّ وَيَعْمَلُ بِكُلِّ فَرَائِضِي فَإِنَّهُ حَتْماً يَحْيَا.١٩
20 जो पाप करेगा, मरेगा भी वहीं. कोई बच्चा अपने माता-पिता के दोष का भागीदार नहीं होगा, और न ही माता-पिता अपने बच्चों के दोष के भागीदार होंगे. धर्मी के धर्मीपन का फल उस धर्मी को ही मिलेगा, और दुष्ट की दुष्टता का फल उस दुष्ट को दिया जाएगा.
أَمَّا النَّفْسُ الَّتِي تُخْطِئُ فَهِيَ تَمُوتُ. لَا يُعَاقَبُ الابْنُ بِإِثْمِ أَبِيهِ وَلا الأَبُ بِإِثْمِ ابْنِهِ. يُكَافَأُ الْبَارُّ بِبِرِّهِ وَيُجَازَى الشِّرِّيرُ بِشَرِّهِ.٢٠
21 “पर यदि कोई दुष्ट व्यक्ति अपने सब पापों को छोड़ देता है और मेरे नियमों का पालन करता है, और वह काम करता है जो उचित और सही है, तो वह व्यक्ति निश्चय जीवित रहेगा; वह न मरेगा.
وَلَكِنْ إِنْ رَجَعَ الشِّرِّيرُ عَنْ خَطَايَاهُ كُلِّهَا الَّتِي ارْتَكَبَهَا، وَمَارَسَ جَمِيعَ فَرَائِضِي وَصَنَعَ مَا هُوَ عَدْلٌ وَحَقٌّ فَإِنَّهُ حَتْماً يَحْيَا، لَا يَمُوتُ.٢١
22 उसने जो भी पाप किए हैं, वे फिर याद किए नहीं जाएंगे. वह अपने किए गये धर्म के कामों के कारण जीवित रहेगा.
وَلا تُذْكَرُ لَهُ جَمِيعُ آثَامِهِ الَّتِي ارْتَكَبَهَا. إِنَّمَا يَحْيَا بِبِرِّهِ الَّذِي عَمِلَهُ.٢٢
23 क्या मैं किसी दुष्ट की मृत्यु से खुश होता हूं? परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. बल्कि क्या मैं खुश नहीं होता, जब वह अपने बुरे कामों को छोड़कर जीवित रहता है?
أَحَقّاً أُسَرُّ بِمَوْتِ الشِّرِّيرِ يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ؟ أَلَيْسَ بِرُجُوعِهِ عَنْ طُرُقِهِ الآثِمَةِ فَيَحْيَا؟٢٣
24 “पर यदि कोई धर्मी व्यक्ति अपने धर्मीपन को छोड़कर पाप करता है और वही घृणित काम करने लगता है जो दुष्ट व्यक्ति करते हैं, तो क्या वह जीवित रहेगा? उसके द्वारा किए गये कोई भी धर्मी काम याद नहीं किए जाएंगे. अपने किए गये विश्वासघात के कारण वह दोषी है और अपने किए गये पापों के कारण वह मरेगा.
وَإذَا تَحَوَّلَ الصِّدِّيقُ عَنْ بِرِّهِ وَارْتَكَبَ إِثْماً عَلَى غِرَارِ كُلِّ الرَّجَاسَاتِ الَّتِي يَرْتَكِبُهَا الشِّرِّيرُ، أَفَيَحْيَا؟ إِنَّ كُلَّ مَا صَنَعَهُ مِنْ بِرٍّ لَا يُذْكَرُ لَهُ. إِنَّمَا يَمُوتُ بِخِيَانَتِهِ الَّتِي خَانَهَا، وَمَا اقْتَرَفَهُ مِنْ خَطَايَا.٢٤
25 “फिर भी तुम कहते हो, ‘प्रभु की नीति उचित नहीं है.’ हे इस्राएलियो, सुनो: क्या मेरी नीति अनुचित है? क्या ये तुम्हारी ही नीतियां नहीं हैं जो अनुचित हैं?
وَمَعَ ذَلِكَ تَقُولُونَ: لَيْسَتْ طَرِيقُ الرَّبِّ عَادِلَةً. فَأَصْغُوا الآنَ يَا شَعْبَ إِسْرَائِيلَ: أَطَرِيقِي غَيْرُ عَادِلَةٍ؟ أَلَيْسَتْ طُرُقُكُمْ هِيَ الْمُعْوَجَّةُ؟٢٥
26 यदि कोई धर्मी व्यक्ति अपने धर्मीपन को छोड़कर दुष्ट काम करता है, तब वह अपने दुष्ट काम के कारण मरेगा; अपने किए गये पापों के कारण वह मरेगा.
إِذَا تَحَوَّلَ الْبَارُّ عَنْ بِرِّهِ وَارْتَكَبَ إِثْماً وَمَاتَ بِسَبَبِهِ، فَهُوَ بِإِثْمِهِ الَّذِي جَنَاهُ يَمُوتُ.٢٦
27 पर यदि कोई दुष्ट व्यक्ति अपने बुरे कामों को छोड़ देता है और वह काम करता है जो उचित और सही है, तो वह अपना प्राण बचाएगा.
وَإذَا رَجَعَ الأَثِيمُ عَنْ شَرِّهِ الَّذِي اقْتَرَفَهُ وَمَارَسَ الْحَقَّ وَالْعَدْلَ، فَهُوَ يُحْيِي نَفْسَهُ،٢٧
28 क्योंकि उसने अपने किए गये सब पापों पर सोच-विचार किया और उन्हें छोड़ दिया, इसलिये वह व्यक्ति निश्चय ही जीवित रहेगा; वह नहीं मरेगा.
لأَنَّهُ اعْتَبَرَ وَتَابَ عَنْ كُلِّ ذُنُوبِهِ الَّتِي ارْتَكَبَهَا. لِذَلِكَ حَتْماً يَحْيَا. لَا يَمُوتُ.٢٨
29 तौभी इस्राएली कहते हैं, ‘प्रभु की नीति उचित नहीं है.’ हे इस्राएल के लोगो, क्या मेरी नीतियां अनुचित हैं? क्या ये तुम्हारी ही नीतियां नहीं हैं जो अनुचित हैं?
وَمَعَ ذَلِكَ يَقُولُ شَعْبُ إِسْرَائِيلَ إِنَّ طَرِيقَ الرَّبِّ غَيْرُ عَادِلَةٍ. أَطُرُقِي غَيْرُ عَادِلَةٍ يَا شَعْبَ إِسْرَائِيلَ؟ أَلَيْسَتْ طُرُقُكُمْ هِيَ الْمُعْوَجَّةُ؟٢٩
30 “इसलिये, हे इस्राएलियो, मैं तुममें से हर एक का न्याय उसी के आचरण के अनुसार करूंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. पश्चात्ताप करो! अपने सब पापों को छोड़ दो; तब पाप तुम्हारे लिए पतन का कारण नहीं बनेगा.
لِذَلِكَ أَدِينُكُمْ يَا شَعْبَ إِسْرَائِيلَ، كُلَّ وَاحِدٍ بِمُقْتَضَى طُرُقِهِ، يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ. تُوبُوا وَارْجِعُوا عَنْ ذُنُوبِكُمْ كُلِّهَا، فَلا يَكُونُ لَكُمُ الإِثْمُ مَعْثَرَةَ هَلاكٍ.٣٠
31 अपने द्वारा किए गए सब अपराधों से दूर हो जाओ और एक नया हृदय और एक नई आत्मा ले लो. हे इस्राएल के लोगों, तुम्हारी मृत्यु क्यों हो?
اطْرَحُوا عَنْكُمْ كُلَّ ذُنُوبِكُمُ الَّتِي ارْتَكَبْتُمُوهَا، وَاحْصُلُوا لأَنْفُسِكُمْ عَلَى قَلْبٍ جَدِيدٍ وَرُوحٍ جَدِيدَةٍ. فَلِمَاذَا تَنْقَرِضُونَ يَا شَعْبَ إِسْرَائِيلَ؟٣١
32 क्योंकि मुझे किसी के भी मृत्यु से खुशी नहीं होती, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. इसलिये पश्चात्ताप करो और जीवित रहो!
إِذْ لَا أُسَرُّ بِمَوْتِ أَحَدٍ، يَقُولُ السَّيِّدُ الرَّبُّ، فَتُوبُوا وَاحْيَوْا.٣٢

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